Ray Shabd Roop In Sanskrit - रै शब्द के रूप - भेद, चिह्न उदाहरण (संस्कृत व्याकरण)
रै शब्द के रूप – Rai Shabd Roop In Sanskritरै शब्द रूप: शंकुश, जिसे रे मछली भी कहा जाता है, एक उपास्थिदार मछली (जिसमें हड्डी की बजाय उपास्थि/कार्टिलेज हो) है। किरण, जिसे अंग्रेज़ी और कई अन्य भाषाओं में ‘रे’ (ray) कहा जाता है।रै (धन) ऐकारान्त पुंल्लिंग – Re (Dhan) A…
Lata Shabd Roop In Sanskrit - लता शब्द के रूप - भेद, चिह्न उदाहरण (संस्कृत व्याकरण)
लता शब्द के रूप – Lata Shabd Roop In Sanskritलता शब्द रूप: आकारान्त स्त्रील्लिंग संज्ञा, सभी आकारान्त स्त्रील्लिंग संज्ञापदों के रूप इसी प्रकार बनाते है। परंतु ‘अम्बा’ के सम्बोधन में ‘हे अम्ब होता है और जरा के रूप कुछ भिन्न होते है।लता (लता या वल्लरी) आकारान्त स्त्रीलिंग – L…
Sadhu Shabd Roop In Sanskrit - साधु शब्द के रूप - भेद, चिह्न उदाहरण (संस्कृत व्याकरण)
साधु शब्द के रूप – Sadhu Shabd Roop In Sanskritसाधु शब्द रूप: देता है, वह साधु है। वर्तमान समय में साधु उनको कहते हैं जो सन्यास दीक्षा लेकर गेरुए वस्त्र धारण करते है उन्हें भी साधु कहा जाने लगा है।साधु (=मुनि) – उकारान्त पुंल्लिंग पदविभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचनप्रथमा…
Datra Shabd Roop In Sanskrit - दातृ शब्द के रूप - भेद, चिह्न उदाहरण (संस्कृत व्याकरण)
दातृ शब्द के रूप – Datra Shabd Roop In Sanskritदातृ शब्द रूप विशेष – सभी तृच् और तृन् प्रत्ययान्त शब्दों के रूप दातृ शब्द के समान होते हैं। जैसे – कर्तृ, नेतृ, धातृ, ज्ञातृ, जेतृ, श्रोतृ, भर्तृ, वक्तृ, सवितृ, नप्तृ, रक्षित, क्रेत, गन्तृ, हर्तृ, हन्तृ, भोक्त आदि!दातृ (= दाता…
Glau Shabd Roop In Sanskrit - ग्लौ शब्द के रूप - भेद, चिह्न उदाहरण (संस्कृत व्याकरण)
ग्लौ शब्द के रूप – Glau Shabd Roop In Sanskritग्लौ शब्द रूप (चन्द्रमा): औकारांत पुल्लिंग संज्ञा, सभी औकारांत पुल्लिंग संज्ञापदों के रूप इसी प्रकार बनाते है।ग्लौ (चन्द्रमा) औकारान्त पुंल्लिंग – Glow (Chandrama) Akarant Pullingविभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचनप्रथमाग्लौःग्लावौग्लावःद्वि…
Vachya In Sanskrit - वाच्य प्रकरण - परिभाषा, भेद, Vachya ke Udaharan - संस्कृत व्याकरण
वाच्य: – Vachya In Sanskritवाच्य के परिभाषा(लट्लकारे) संस्कृत भाषा में, सभी भारतीय भाषाओं में और अन्य योरोपीय भाषाओं में वाच्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वाच्य के सही ज्ञान के बिना भाषा का आकार नहीं जाना जा सकता है। संस्कृत – भाषा में तीन वाच्य होते हैं– (1) कर्तृवाच्य,…
Mat Pratyaya in Sanskrit - मत् प्रत्यय: - Mat Pratyaya ke Udaharan - परिभाषा, भेद, संस्कृत व्याकरण
मत् प्रत्यय: – Mat Pratyaya in Sanskritमत् प्रत्यय का प्रयोग प्रायः झयन्त शब्दों अथवा अकारान्त (तद्धित) शब्दों के साथ ही होता है। जैसे –झयन्तेभ्यः विद्युत् + मतुप् = विद्युत्वत् अकारान्तेभ्यःधन + मतुप् = धनवत्विद्या + मतुप् = विद्यावत्।2. ‘मत्’ प्रत्यय का प्रयोग प्रायः इकारान्त शब्दों के …
Bahuvrihi Samas in Sanskrit - बहुव्रीहिसमासः - परिभाषा, उदाहरण, भेद, सूत्र, अर्थ - संस्कृत
बहुव्रीहिसमासः – Bahuvrihi Samas in Sanskritजिस समास में जब अन्य पदार्थ की प्रधानता होती है तब वह बहुव्रीहि समास कहा जाता है। अर्थात् इस समास में न तो पूर्व पदार्थ की प्रधानता होती है और न ही उत्तर पदार्थ की, अपितु दोनों पदार्थ मिलकर अन्य पदार्थ का बोध कराते हैं। समस्त…
Karta Karak in Sanskrit - कर्त्ता कारक (ने) - Karta Karak key Udaharan - प्रथमा विभक्ति - संस्कृत
कर्त्ता कारक – Karta Karak in Sanskrit – कर्त्ता कारक (प्रथमा विभक्ति)कर्त्ता कारक – प्रथमा विभक्तिः – Karta Karak in Sanskrit (1) जो क्रिया के करने में स्वतन्त्र होता है, वह कर्ता कहा जाता है ‘स्वतन्त्रः कर्ता’। (कारक) उक्त कर्त्ता में प्रथमा विभक्ति आती है। जैसे- रामः पठति।अत्…
Stree Pratyaya in Sanskrit - स्त्री प्रत्यया: - Stree Pratyaya ke Udaharan - परिभाषा, भेद, संस्कृत व्याकरण
स्त्री प्रत्यया: – Stree Pratyaya in SanskritStree Pratyaya in Sanskrit: टाप् प्रत्ययः – अजाद्यतष्टाप् – अजादिगण में आये अज आदि शब्दों से तथा अकारान्त शब्दों से स्त्रीप्रत्यय ‘टाप्’ होता है। ‘टाप्’ का ‘आ’ शेष रहता है।स्त्री प्रत्यया: के भेदटाप् प्रत्ययःडीप् प्रत्यय1. टाप् प्रत्ययःसंजी…