वृद्धि संधि – Vriddhi Sandhi Sanskrit
‘वृद्धिरेचि’ सूत्र द्वारा संहिता के विषय में अ/आ वर्ण से परे ‘एच’ (ए, ओ, ऐ, औ) (स्वर) होने पर पूर्व एवं पर के स्थान पर वृद्धि संधि एकादेश (आ, ऐ, औ) होते हैं। इनके क्रमशः
वृद्धि संधि के पांच नियम होते हैं!
वृद्धि संधि के उदाहरण – (Vriddhi Sandhi Sanskrit Examples)
(अ) अ/आ + ए = ऐ
जन + एकता = जनैकता
एक + एकः = एकैकः
अत्र + एकमत्यम् = अत्रैकमत्यम्
राज + एषः राजैषः
बाला + एषा = बालैषा
तथा + एव = तथैव
गंगा + एषा = गंगैषा
सदा + एव = सदैव
(आ) अ/आ + ओ = औ
वन + ओषधिः = वनौषधिः
जल + ओघः = जलौघः
गंगा + ओघः = गंगौघः
महा + ओजसः = महौजसः
बिम्ब + ओष्ठी = बिम्बौष्ठी
(इ) अ/आ + ऐ = ऐ
देव + ऐश्वर्यम् = देवैश्वर्यम्
दीर्घ + ऐकारः = दीधैंकारः
नृप + ऐश्वर्यम् = नृपैश्वर्यम्
महा + ऐश्वर्यम् = महैश्वर्यम्
(ई) अ/आ + औ = औ
कृष्ण + औत्कण्ठ्यम् = कृष्णौत्कण्ठ्यम्
तव + औदार्यम् = तवौदार्यम्
जन + औचित्यम् = जनौचित्यम्
राम + औत्सुक्यम् = रामौत्सुक्यम्
महा + औषधिः = महौषधिः
मम + औदासीन्यम् = ममौदासीन्यम्
(उ) अ/आ+ऋ/ऋ = आर्
प्र + ऋच्छति = प्रार्छति
कम्बल + ऋणम् = कम्बलार्णम्
दश + ऋणः = दशार्णः
सुख + ऋतः = सुखार्तः
वसन + ऋणम् = वसनार्णम्
सम्बंधित संधि:
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- अयादि सन्धि – Ayadi Sandhi in Sanskrit
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- पूर्वरूप सन्धि – poorva Roop Sandhi in Sanskrit
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