उपमा अलंकार – Upma Alankar In Sanskrit
उपमा अलंकार की परिभाषा – Upma Alankar Ki Paribhasha
उपमा अलंकार: जब काव्य में किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अत्यंत प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से की जाती है तो उसे उपमा अलंकार कहते हैं; जैसे-पीपर पात सरिस मन डोला। यहाँ मन के डोलने की तुलना पीपल के पत्ते से की गई है। अतः यहाँ उपमा अलंकार है।
उपमा अलंकार के अंग-इस अलंकार के चार अंग होते हैं-
- उपमेय-जिसकी उपमा दी जाय। उपर्युक्त पंक्ति में मन उपमेय है।
- उपमान-जिस प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से उपमा दी जाती है।
- समान धर्म-उपमेय-उपमान की वह विशेषता जो दोनों में एक समान है। उपर्युक्त उदाहरण में ‘डोलना’ समान धर्म है।
- वाचक शब्द-वे शब्द जो उपमेय और उपमान की समानता प्रकट करते हैं।
उपर्युक्त उदाहरण में ‘सरिस’ वाचक शब्द है।
सा, सम, सी, सरिस, इव, समाना आदि कुछ अन्यवाचक शब्द है।
उपमा अलंकार अन्य उदाहरण-
मुख मयंक सम मंजु मनोहर।
- उपमेय – मुख
- उपमान – मयंक साधारण
- धर्म – मंजु मनोहर
- वाचक शब्द – सम।
हाय! फूल-सी कोमल बच्ची हुई राख की ढेरी थी।
- उपमेय – बच्ची
- उपमान – फूल साधारण
- धर्म – कोमल
- वाचक शब्द – सी
निर्मल तेरा नीर अमृत-सम उत्तम है।
- उपमेय – नीर
- उपमान – अमृत
- साधरणधर्म – उत्तम
- वाचक शब्द – सम
तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा।
- उपमेय – समय
- उपमान – शिला साधरण
- धर्म – जम (ठहर) जाना
- वाचक शब्द – सा
उषा सुनहले तीर बरसती जयलक्ष्मी-सी उदित हुई।
- उपमेय – उषा
- उपमान – जयलक्ष्मी
- साधारणधर्म – उदित होना
- वाचक शब्द – सी
बंदउँ कोमल कमल से जग जननी के पाँव।
- उपमेय – जगजननी के पैर
- उपमान – कमल साधारण
- धर्म – कोमल होना
- वाचक शब्द – से