स्त्री प्रत्यया: – Stree Pratyaya in Sanskrit
Stree Pratyaya in Sanskrit: टाप् प्रत्ययः – अजाद्यतष्टाप् – अजादिगण में आये अज आदि शब्दों से तथा अकारान्त शब्दों से स्त्रीप्रत्यय ‘टाप्’ होता है। ‘टाप्’ का ‘आ’ शेष रहता है।
स्त्री प्रत्यया: के भेद
1. टाप् प्रत्ययः
संजीव पास बुक्स ‘टाप्’ प्रत्ययान्त शब्दों के रूप आकारान्त स्त्रीलिङ्ग में ‘रमा’ के समान चलते हैं। यथा–
2. डीप् प्रत्यय
(i) ऋन्नेभ्यो डीप – ऋकारान्त और नकारान्त शब्दों से स्त्रीलिंग में ङीप् प्रत्यय होता है। इसका ‘ई’ शेष रहता है, जैसे –
कर्तृ+ङीप् = की, धातृ – धात्री, कामिन् – कामिनी, दण्डिन् – दण्डिनी, राजन् राज्ञी आदि।
(ii) उगितश्च – जहाँ पर उ, ऋ, लु का लोप हुआ हो, उन प्रत्ययों से बने हुए शब्दों से स्त्रीलिंग में ङीप् (ई) प्रत्यय होता है। यथा–
भवत् + ई = भवती, श्रीमती, बुद्धिमती आदि।
विशेष – किन्तु भ्वादि, दिवादि, तुदादि और चुरादिगण की धातुओं से तथा णिच् प्रत्ययान्त शब्दों से ङीप् करने पर ‘त’ से पूर्व ‘न्’ हो जाता है। जैसे –
भवन्ती, पचन्ती, दीव्यन्ती, नृत्यन्ती, गच्छन्ती आदि।