सेव् (सेवा करना) धातु के रूप – Sev Dhatu Roop In Sanskrit
सेव् (सेवा करना) धातु रूप: भारतीय प्रशासनिक सेवा (अंग्रेजी: Indian Administrative Service) अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है। इसके अधिकारी अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है। भारतीय सिविल सेवा भारत सरकार की ओर से नागरिक सेवा तथा स्थायी नौकरशाही है। सिविल सेवा देश की प्रशासनिक मशीनरी की रीढ़ है। भारत के संसदीय लोकतंत्र में जनता परिक्रमा सेवा दिल्ली की मुद्रिका (रिंग) रेल सेवा को कहते हैं। यह सेवा मुद्रिका यानि अंगूठी के आकार में गोलाकार रेल लाइन पर चलती हुई, पुरी दिल्ली के चक्कर है।
सेव् (=सेवा करना) – Sev (=Seva Karana)
लट् लकार (वर्तमानकाल) – Lat Lakar (Present Tense)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सेवते | सेवेते | सेवन्ते |
मध्यम पुरुष | सेवसे | सेवेथे | सेवध्वे |
उत्तम पुरुष | सेवे | सेवावहे | सेवामहे |
लृट् लकार (सामान्यभविष्यत्काल) – Lrit Lakar (Normal Future Tense)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सेविष्यते | सेविष्येते | सेविष्यन्ते |
मध्यम पुरुष | सेविष्यसे | सेविष्येथे | सेविष्यध्वे |
उत्तम पुरुष | सेविष्ये | सेविष्यावहे | सेविष्यामहे |
लुङ् लकार (हतुहेतुमद् भविष्यत्काल) – Lud Lakar (Help Past Tense)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | असेविष्यत | असेविष्येताम् | असेविष्यन्त |
मध्यम पुरुष | असेविष्यथाः | असेविष्येथाम् | असेविष्यध्वम् |
उत्तम पुरुष | असेविष्ये | असेविष्यावहि | असेविष्यामहि |
लङ् लकार (अनद्यतन भूतकाल) – Lad Lakar Anadhatan (Past Tense)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | असेवत | असेवेताम् | असेवन्त |
मध्यम पुरुष | असेवथाः | असेवेथाम् | असेवध्वम् |
उत्तम पुरुष | असेवे | असेवावहि | असेवामहि |
लोट् लकार (आदेशवाचक) – Lot Lakar (Commander)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सेवताम् | सेवेताम् | सेवन्ताम् |
मध्यम पुरुष | सेवस्व | सेवेथाम् | सेवध्वम् |
उत्तम पुरुष | सेवै | सेवावहै | सेवामहै |
विधिलिङ् लकार (अनुज्ञावाचक) – Vidhilid Lakar (License)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सेवेत | सेवेयाताम् | सेवेरन् |
मध्यम पुरुष | सेवेथाः | सेवेयाथाम् | सेवेवहि |
उत्तम पुरुष | सेवेय | सेवेध्वम् | सेवेमहि |
सेव् (सेवा करना) धातु के रूप विशेष- ‘सेव्’ धातु के समान ही अनेक धातुओं की रूपावलि चलती है। जैसे–
वन्द् | > | वन्दते | प्रणाम करता है। |
स्वद् | > | स्वदते | चखता है। |
सह् | > | सहते | सहता है। |
दय् | > | दयते | दया करता है। |
मुद् | > | मोदते | प्रसन्न होता है। |
कम्प् | > | कम्पते | काँपता है। |
ईक्ष् | > | ईक्षते | देखता है। |
त्रै | > | त्रायते | बचाता है। |
रुच् | > | रोचते | रुचता है, अच्छा लगता है। |
शुभ् | > | शोभते | शोभता है। |
प्र + काश् | > | प्रकाशते | चमकता है। |