Kerala Plus Two Hindi Model Question Paper 1 with Answers
Board | SCERT |
Class | Plus Two |
Subject | Hindi |
Category | Plus Two Previous Year Question Papers |
Time: 21/2 Hours
Cool off time: 15 Minutes
Maximum: 80 Score
General Instructions Candidates:
- There is a ‘Cool-off time’ of 15 minutes in addition to the writing time.
- Use the ‘Cool-off time’ to get familiar with questions and to plan your answers.
- Read questions carefully before answering.
- Read the instructions carefully.
- Calculations, figures and graphs should be shown in the answer sheet itself.
- Give equations wherever necessary.
- Electronic devices except non-programmable calculators are not allowed in the Examination Hall.
सूचना : कवितांश पढ़ें और 1 से 3 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
मैं-ने उसके चेहरे से उसे
कभी नहीं पहचाना
केवल उस नंबर से जाना
जो उसकी लाल कमीज़ पर टॅका होता।
आज जब अपना सामान खुद उठाया
एक आदमी का चेहरा याद आया।
प्रशन 1.
कवि ने कुली को कैसे पहचानता था? (Score : 1)
उत्तर:
नंबर से
प्रशन 2.
‘एक आदमी का चेहरा याद आया’ – कब? (Score : 1)
उत्तर:
अपना सामान खुद उठाने पर
प्रशन 3.
समकालीन संदर्भ से जोड़कर कवितांश की आस्वादन . टिप्पणी लिखें। (Score : 6)
उत्तर:
श्री कुँवर नारायण बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कवि है। आप ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हैं। प्रस्तुत कविता में कवि कठिन मेहनत करनेवाला एक कुली के प्रति अपना विचार प्रकट करते हैं। समकालीन संदर्भ में इस कविता को बड़ा स्थान है।
बड़े लोग कहनेवाले, लोग साधारण कामकाज करनेवाले लोगों को तिरस्कार की दृष्टि से देखते हैं। केवल वर्धी या नंबर से ही इन्हें जाने जाते हैं। जब साधारण लोगों के समान काम करने पड़ते है तब काम का महत्व मालूम होते हैं। और जानने से ज़्यादा पहचानने की क्षमता हाज़िल होते हैं।
यहाँ कवि ललित शब्दों में निम्नवर्ग के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, की आवश्यकता को दिखाता है। श्रम का महत्व हर मानव को पहचानना चाहिए। समकालीन कविता प्रासंगिकता रखते हैं।
सूचनाः 4 से 7 तक के प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें। (scores : 3 × 2 = 6)
प्रशन 4.
‘तेरी ही यह देह तुझसे बनी हुई’ – मातृभूमि से हमारा कैसा संबंध है?
उत्तर:
मातृभूमि धरती है। हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक हम धरती से जुड़ी हुई है। पंच भूतों ही हमारा शरीर है। मृत्यु के बाद यह धरती में ही विलीन हो जायेगा।
प्रशन 5.
‘पारामारिबो शहर सुरीनामी नहीं एक भारतीय शहर जैसा लग रहा है।’ – लेखक को क्यों ऐसा अनुभव हुआ?
उत्तर:
पारामारिबो सुरीनाम देश के राजधानी है। वहाँ के तैंतीस प्रतिशत लोग मूल भारतीय है। इसलिए वहाँ के संस्कृति में भी भारतीयता देख सकते हैं। भाषा, आचार, व्यवहार आदि कई बातों में पारामारिबो भारतीय शहर जैसे देखते हैं।
प्रशन 6.
‘हाय! मुरझा रहे
दो सुरम्य सुकोमल रूप’ – यहाँ दो सुकोमल रूप कौन – कौन हैं?
उत्तर:
कवि मंदिर के सामने नैवेध्य के रूप में फूल बेचनेवाली लड़की को देखते हैं। उसके पास जो फूल थे वह मुरझाया हुआ था। कवि को लगता है कि लड़की भी थकावट और विवशता के कारण मुरझा हुआ हैं। यहाँ फूल और लड़की में समानता हैं।
प्रशन 7.
‘घर में मेहमान थे और विवाह से संबंधित ज़रूरी काम भी।’ फिर भी पिताजी खेत चलने को तैयार हुए – क्यों?
उत्तर:
क्योंकि कल उस खेत की राजिस्ट्री हैं। तो वह किसी की हो जायेगी। इसलिए काम के वाबजूद भी पिताजी खेत चलने तैयार हुए।
प्रशन 8.
सूचनाः सही मिलान करें। (Scores : 8 × 1 = 8)
Certificate – विकिरण
Physics – पारिस्थितिकी
Geography – मानविकी
Bacteria – परमाणु
Radiation – भूगोल
Humanities – जीवाणु
Atom – भौतिकी
Ecology – प्रमाणपत्र
उत्तर:
Certificate – प्रमाण पत्र
Physics – भौतिकी
Geography – भूगोल
Bacteria – जीवाणु
Radiation – विकिरण
Humanities – मानविकी
Atom – परमाणु
Ecology – पारिस्थितिकी
सूचनाः 9 से 13 तक के प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर पाँच या छः वाक्यों में लिखें। (Scores : 4 × 4 = 16)
प्रशन 9.
जीवनवृत्त पढ़ें और कुँवरनारायण के बारे में एक अनुच्छेद तैयार करें।
नाम : कुँवरनारायण
जन्म : 1927 सितंबर 19 फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश
रचनाएँ : चक्रव्यूह, अपना सामने, कोई दूसरा नहीं
विशेषता : तीसरा सप्तक के कवि
पुरस्कार : ज्ञानपीठ 2005
मृत्यु : 15 नवंबर 2017
उत्तर:
प्रसिद्ध कवि श्री कुँवरनारायण का जन्म 1927 सितंबर 19 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में हुआ था। आप ज्ञानपीठ पुरस्कार से 2005 में सम्मानित हुए। श्री कुँवरनारायण तीसरा सप्तक के कवियों में एक हैं। आपका प्रमुख रचनाएँ है – चक्रव्यूह, आमने-सामने, कोई दूसरा नहीं आदि। आपका देहांत 15 नवंबर 2017 को हुआ।
प्रशन 10.
‘नभ गुँजाती
नीड़ गिरे शिशु पै
मँडराती माँ’ – माँ की ममता अनुपम है। हाइकू के आधार
पर अपना विचार लिखें।
उत्तर:
रिस्तों में सबसे अटूट माने जाते हैं माँ-बच्चे के रिस्ते, क्योंकि माँ की ममता बच्चों से इतना है कि वह अपने आपकी परवाह न करके बच्चों के खयाल रखते हैं। कोई बी विपत्ति आ जाये, माँ बच्चे को छोड़ते नहीं। नीड़ शिशु पर घिरने पर भी माँ उसे छोड़कर नहीं जाते हैं। माँ की ममता अनुपम हैं।
प्रशन 11.
‘एक दफा सुना, जी न भरा, फिर कहा बेटा फिर सुनाना। फिर सुना। वह भी रोया। मेरी आँखें भी आँसुओं से भीग गईं। बेटी का खत बादशाह के लिए एक आँसुनामा था – क्यों?
उत्तर:
दिल्ली के अंतिम बादशाह बहादुर शा ज़फर अपनी बेटी के खत पढ़कर विवश हो जाते हैं, क्योंकि पिता अब ‘रंगूण में कैदी है तो बेटी दिल्ली में। बेटी द्वारा, दिल्ली पर हुए अत्याचार सुनने से बादशाह के मन अत्यधिक दुखी हो जाते हैं। वह केवल एक पिता ही नहीं बल्कि एक राजा भी थे। उसकेलिए प्रजा भी आपने बच्चे समान है। इसलिए दिल्लीवासियों पर हुए हादसा सुनकर वह दुखी हो जाते हैं और कहते हैं कि बेटी तुम्हारी खत एक आँसुनामा हो।
प्रशन 12.
ये कथनं पढ़ें –
- ‘मैं प्यार से कभी उसको मुरकी बुलाती थी, कभी – बुलाकी।’
- ‘मेरे जीते-जी कभी कोई तुझसे यह चाबी नहीं छीनेगा।’
- राजवंती ऐसे रोई जैसे उसकी आँखों में सारी औरत जाति के आँसू मिले हुए थे।
- राजवंती के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
राजवती मुरकी उर्फ बुलाकी कहानी के प्रमुख पात्र है। वह नौकरानी के रूप में आये मुरकी को, एक बेटी के समान प्यार करते हैं। उसे सहारा देते हुए घर में एक कोठरी की चाबी देते हैं। वह भाग जाने के बाद वापस आने पर उसे संभालते है। परोपकार की भावना वह रखते हैं। जब तक मुरकी जीवित थी उसके साथ प्यार का व्यवहार करते हैं, मरने के बाद उसकी हालत में दुखी हो जाती हैं। प्यार, दया, सहानुभूति के साथ एक अच्छी औरत है राजवंती।
प्रशन 13.
नीलांबर परिधान हरित तट पर सुंदर है।
सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है।।
बंदीजन खग-वृंद, शेषफन सिंहासन है।।
प्रकृति के कण-कण मातृभूमि का सौंदर्य बढ़ाता है।
कवितांश के आधार पर स्वष्ट करें।
उत्तर:
मैथिली शरण गुप्त के एक प्रमुख कविता है मातृभूमि। यहाँ कवि भारतमाता के वर्णन बड़ी मार्मिकता से किया है। धरती के प्रति हमारा मनोभाव में परिवर्तन लाना ही कवि का लक्ष्य है। मातृभूमि के हरे-भरे देह पर आकाश नीले रंग के वस्त्र की तरह शोभित है। सूर्य और चन्द्र इस रूप का मुकुट है और समुद्र करधनी है। नदियाँ प्रेम प्रवाह और फूल-तारे आभूषण है। बंदीजन पक्षियों का समूह है और शेष नाग का फन सिंहासन है। इस प्रकार प्रकृति के कण कण मातृभूमि का सौंदर्य बढ़ाता है।
सूचना : गद्यांश पढ़ें और प्रश्न संख्या 14, 15 के उत्तर लिखें।
कई वर्षों पहले हमने नियति कि मिलने का एक वचन दिया था, और अब समय आ गया है कि वह अपने वचन को निभाएँ, पूरी तरह न सही, लेकिन बहुत हद तक आज रात बाहर बजे जब सारी दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता की नई सुबह के साथ उठेगा। एक ऐसा क्षण जो इतिहास में बहुत ही कम आता है, जब हम पुराने को छोड़ नए की तरफ जाते हैं, जब एक युग का अंत होता है और जब वर्षों से शोषित एक देश की आत्मा, अपनी बात कह सकती है, यह एक संयोग है कि इस पवित्र मौके पर हम समर्पण के साथ खुद की भारत और उसकी जनता की सेवा, और उससे भी बढ़कर सारी मानवता की सेवा करने के लिए प्रतिज्ञा ले रहे हैं।
प्रशन 14.
भारतवासी कौन सी प्रतिज्ञा ले रहे हैं? (Scores: 2)
उत्तर:
भारतवासी भार और उसकी जनता की सेवा और उससे भी बढ़कर सारी मानवता की सेवा करने केलिए प्रतिज्ञा ले रहे हैं।
प्रशन 15.
गद्यांश का संक्षेपण करें और शीर्षक दें। (Scores: 6)
उत्तर:
भारतवासी
कई वर्षों के कठिन प्रयत्न के बाद आज भारत स्वतंत्रता की धन्य वेला तक पहुँची है। वर्षों से शोषित जनता अपने लक्ष्य तक पहुंच गई है। इस पवित्र अवसर पर हम देश की सेवा करने केलिए प्रतीक्षा ले रहे हैं।
सूचना : 16 से 19 तक के प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर लिखें। (Scores : 3 × 6 = 18)
प्रशन 16.
‘वह भटका हुआ पीर’ पाठ का अंश पढ़ें।
‘तू पानी पिलाया कर पुण्य मिलता है।’ माँ के इस कथन से स्कूटरवाले के जीवन को बदल दिया। वह अपनी डायरी में इस घटना का उल्लेख करता है। स्कूटरवाले की डायरी 60 – 80 शब्दों में लिखें।
- माँ का उपदेश
- मुफ्त में पानी-पिलाना
- लेखिका से परिचय
- लोगों से दिल का रिश्ता जोड़ना
उत्तर:
सोमवार / 2010 / सितंबर / 21
आज मुझे कई सालों के मेरे जीवन के बारे में सोचने पर खुशी मिलते हैं। माँ की वचन पालने की खुशी। दूसरों के सहायता करने की खुशी। मैं यह नहीं कह सकता कि मेरा जीवन सफल है या नहीं लेकिन मैं खुश हूँ इस जीवन से मेरा बाप की मृत्यु मेरी छोटी उम्र में ही हुआ था। माँ कठिन परिश्रम करके मेरा देखपाल किया। छोटी उम्र में ही भूख और गरीबी की हालत समझ लिया। स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ते थे। बड़े होने पर स्कूटर चलाना शुरू किया। माँ और मेरे लिए भूख मिटाने केलिए मैं काम करने लगा। माँ कहते हैं पानी पिलाने से पुण्य मिलेगा। रास्ते में प्यास के मारे तड़पते रहने लोगों को देखकर उन्हें पानी पिलाता हूँ।
एक मशक में पानी खरीदकर स्कूटर में रखता हूँ। रास्ते में जो भी प्यास आये उन्हें पानी पिलाये घूमता हूँ। पैसे केलिए जीवन में दौड़नेवाले कई लोग होते हैं। मेरे पास पैसे नहीं बल्कि कई लोगों के पुण्य हैं। मैं बहुत खुश हूँ इस जीवन से क्योंकि मैं लोगों के दिल में जगह बनाता हूँ और वह मुझे प्यार से मशकवाला स्कूटर कहते हैं।
प्रशन 17.
‘मुरली की ध्वनि गोपिकाओं के मन को हर लेती है’।
प्रणयातुर गोपिकाएँ आपस में बातजीत करती हैं। वह वार्तालाप लिखें।
- मुरली की ध्वनि की मधुरिमा
- कृष्ण के प्रति अनुराग
- अपने को भूल जाना
उत्तर:
गोपिका 1 : अरे, सखी, सुनो। क्या है यह मीठा शब्द?
गोपिका 2 : वह तो मुरली नाद है।
गोपिका 1 : मुरती नाद? कौन? यहाँ इस वृंदावन में?
गोपिका 2 : जानती नहीं, कृष्ण।
गोपिका 1 : कृष्ण, चलो, वृंदावन की ओर।
गोपिका 2 : यह काम!
गोपिका 1 : काम छोड दो। जल्दी कान्हा के पास जाओ।
गोपिका 2 : कान्ह की मुरली नाद जादू की तरह हमें खींचते हैं।
गोपिका 1 : ठीक है, जल्दी चलो।
गोपिका 2 : अच्छा, चलो।
प्रशन 18.
कवि अनंग के नए कविता-संग्रह का प्रकाशन होनेवाला है। कविता संग्रह की बिक्रि बढ़ाने के लिए एक विज्ञापन तैयार करें।
- रसीली कविताएँ
- विषय में विविधता
- कानपुर – प्रेस (Press) द्वारा प्रकाशित
- ग्रंथालयों के लिए कम दाम में
उत्तर:
प्रशन 19.
खंड का हिंदी में अनुवाद करें।
When we present our experiences of a travel artistically it becomes a travelogue. The style of the author has a great role in making the travelogue interesting. There is no scope for any sort of imagination in it. It will be interesting when the past experiences are explained in simple language. On travelogue the author gives importance to facts only.
(experience – अनुभव, artisticaly – कलात्मक ढंग से, travelogue – सफरनामा, scope – गुंजाइश, imagination – कल्पना, importance – प्रमुखता, fact – तथ्य)
उत्तर:
जब हम किसी यात्रा के अनुभवों को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत करते हैं तो वह एक सफरनामा हो जाते हैं। सफरनामा को रोचक बनाने में रचनाकार के शैली की बड़ी भूमिका हैं। इसमें कल्पना की कोई गुंजाइश नहीं है। जब अतीत के अनुभवों को सरल भाषा में व्यक्त करेंगे तब यह रोचक होगा। सफरनामा में रचनाकार तथ्यों पर प्रमुखता देते हैं।
सूचनाः 20 से 22 तक के प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लिखें। (Scores : 2 × 8 = 16)
प्रशन 20.
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ पाठ का अंश पढ़ें।
‘मैं ज़मीन नहीं बेचता
बेचता हूँ हृदय।’
बेटी की शादी के लिए पिता को ज़मीन बेचना पड़ता है। वह अपनी विवशता आत्मकथा में व्यक्त करता है। संकेतों के आधार पर आत्मकथांश 100 – 120 शब्दों में लिखें।
- ज़मीन से गहरा संबंध
- पिता का दायित्व निभाना
- ज़मीन की बिक्री
- परिवार के प्रति प्रेम
उत्तर:
मैं अब बूढ़ा हो गया हूँ। इतनी लंबी जीवन में बहुत सारे बातें – देखे, सुन, अनुभव किया। मेरा सबसे बड़ी संपत्ति मेरा परिवार है। मुझे दफ्तर में नौकरी थी। फिर भी में मन से एक किसान हूँ। मैं खेत को इतना प्यार करता हूँ कि वह मेरा ही हिस्सा है। मेरा जावन बचपन से लेकर अभी तक इस खेत से जुड़ा है। गीली मिट्टी की सुगंध मुझे बहुत पसंद है।
अब मैं एक दुविधा में हूँ। मेरी प्यारी बेठी की शादी केलिए मुझे पैसों की ज़रूरत है। इसलिए मुझे मेरी प्यारी ज़मीन बेचना पड़ा। क्योंकि पिता का दायिद्व एक आदमी केलिए सबसे महत्वपूर्ण है। मैं खेत को बेचने केलिए तैयार हुआ और कोई चारा नहीं है। भविष्य निधि से जो पैसा मिला वह काफी नहीं है। प्यारी बेटी केलिए प्यारा ज़मीन बेच रहा हूँ। कितना वेदनाजनक है यह। फिर भी मन को तसल्ली दिलाता हूँ कि कई बात ऐसा है जो दुखभरा होने पर भी हमें करना पड़ता है। मेरा जीवन में इसी प्रकार का अवसर पहले भी हुआ हैं। इसलिए मैं अपने परिवार के प्रति अपने इच्छाओं को त्यागने केलिए तैयार हुआ। जो भी हो मेरी बेटी सुखी रहे। यही मेरी प्रार्थना है।
प्रशन 21.
हिंदी भाषा का विश्व के तीस से अधिक देशों में तथा सौ विश्वविद्यालयों में अध्ययन और अध्यापन हो रहे हैं। ‘विश्वभाषा के रूप में हिंदी का प्रचार-प्रसार’ विषय पर एक भाषण 100 – 120 शब्दों में तैयार करें।
- संसार की प्रमुख भाषाओं में एक
- बोलचाल में आसान
- सांस्कृतिक विकास में सहायक
- विश्व सौदाई का संवाहक
उत्तर:
प्रिय मित्रों,
नमस्कार।
आज मैं ‘विश्व भाषा के रूप में हिंदी का प्रचार-प्रसार’ । विषय में अपना विचार प्रकट करने केलिए यहाँ खड़ा हूँ। मेरा यह छोटा भाषण ध्यान से सुनिए। हम सब जानते है कि विश्वभाषाओं में प्रमुख भाषा है हिंदी। लगभग सौ करोड़ लोग हिंदी जानते हैं और प्रयोग करते हैं। अर्थात्, विश्व भर के मानवों में हर एक सातवाँ मानव हिंदी बोलने वाला है। केवल भारत में ही नहीं तीस से अधिक देशों में हिंदी की प्रयोग होती हैं। दिनों-दिन, हिंदी की प्रमुखता बड़ते जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ी उदाहरण है कि सौ से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी के अध्ययन चल रहे हैं। कई शोधार्थी इस भाषा पर नए नए शोध कार्य कर रहे हैं।
भाषा आशयों के आदान-प्रदान का माध्यम है। ये हम जानते हैं। यह भी आप लोगों को ज्ञात होगा कि भाषा की सांस्कृतिक भूमिका क्या है? बोलचाल में आसान होने के साथ साथ भारतीय संस्कृतिक विशेषताओं को भी हिंदी के सहारे लोग अनुभव करते हैं। विश्व सौदाई का संवाहक के रूप में हिंदी का अपना निजी स्थान होते हैं। हिंदी भाषा के विकास में हिंदी फिल्मी जगत का भी बड़ी भूमिका है। शोले जैसे फिल्म और दोस्ती जैसे गीत पूरे भारत में ही नहीं अन्य देशों में भी प्रसिद्ध हैं। आप सब जानते हैं कि दंगल चीन में कितना मशहूर हुआ है। कई दिन यह सिनेमा चीनी सिनेमाघरों में चलते रहे। अमिताब बच्चन, शारूख खान, सलमान खान, आमिर खान आदि हिंदी फिल्मी सितारे कई देशों में नायक के रूप में मशहूर हैं। यह भी आप सब जानते होंगे कि हिंदी साहित्य क्षेत्र के कई लोग – विश्व साहित्य में अमुक स्थान रखते हैं। कबीर, सूर, तुलसी, प्रसाद, निराला जैसे साहित्यकार, विदेशों के विश्वविद्यालयों में पढ़ने के माध्यम हैं। भारतीय दर्शन भी हिंदी के सहारे कई देशों में पहूँचे है। यहाँ भी हिंदी भाषा का योगदान हैं। विदेशों, के कई लोग यहाँ आकर भारतीय दर्शन में शोध कार्य करते हैं।
इसी प्रकार देखे तो विश्वभाषाओं में हिंदी के स्थान उत्तरोत्तर बड़ते जा रहे हैं। तो हम भी प्रतिज्ञा ले कि हम भी हिंदी भाषा के प्रगति में भाग लेंगे।
जय हिंद।
प्रशन 22.
‘मुरकी उर्फ बुलाकी’ कहानी का अंश पढ़ें।
‘कुमार की आँखें भर आई-शायद मर्द जात की कोई लाज रखने के लिए।
मुरकी की दर्दभरी कहानी से कुमार के मन को विचलित कर डाला। वह अपने मन की पीड़ाएँ व्यक्त करे हुए मित्र को पत्र लिखता है। वह पत्र तैयार करें।
- बचपन की यादें
- मुरकी की शादी
- पति की उपेक्षा
- माँ का आश्रय देना
- मुरकी की मृत्यु
उत्तर:
बरेली
20/मई/2015
प्रिय मित्र,
तुम कैसे हो? पढ़ाई ठीक तरह से चलते है ना? घर में माँ-बाप और बहन कैसे है? मैं आज एक अजीब बात बताने के लिए यह खत लिख रहा हूँ। मैंने तुमसे पहले ही कहा है हमारे घर की नौकरानी मुरकी के बारे में। वह केवल एक नौकरानी नहीं है, मेरी दीदी जैसे हैं। घर में सभी लोगों के साथ उसका बहुत प्यारा संबंध है।
आज मुरकी की मृत्यु हुई। माँ ने आज मुरकी की पूरी कहानी मुझे बताया। बारह साल की उम्र में एक नौकरानी की रूप में आयी थी वह। मैं बहुत छोटा था – मुजे देखने केलिए – मुझे देखने केलिए। फिर, वह यहाँ ही रहना शुरू हुआ। माँ ही उसे मुरकी और बुलाकी बुलाते थे। जब वह बड़ी हुई वह किसी शहरवाले लड़के के साथ भाग गई। लेकिन वह लड़के ने उसे रास्ते में छोड़ दिये। मुरकी वापस घर पर आयी। माँ उस घर में कोटरी की चाबी देकर संरक्षण दिया था।
मुरकी उस चाबी को अपने शरीर में इसी तरह रखा था कि वह उसके शरीर पर घाव लगाने लगे थे। फिर भी वह चाबी को हटाया नहीं। क्योंकि उसके लिए यह चाबी ही उसकी एकमात्र भरोसा था।
प्रिया मित्र मुझे आज भी पता चला कि हमारे लिए कोई ठिकाने की आवश्यकता कितना है। बेसहारा होने के कारण मुरकी उस चाबी को ही अपना सहारा मान लिया। माँ ने यह ठीक तरह से समझा था। मैं चाहता हूँ कि हम सब दूसरों के सहायता के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए।
आपका दोस्त,
कुमार