Plus Two Hindi Previous Year Question Paper March 2016

Kerala Plus Two Hindi Previous Year Question Paper March 2016

General Instructions Candidates:

  • There is a ‘cool off time’ of 15 minutes in addition to the writing time of 2% hrs.
  • Your are not allowed to write your answers nor to discuss anything with others during the cool off time’.
  • Read questions carefully before answering
  • All questions are compulsory and only internal choice is allowed.
  • When you select a question, all the sub-questions must be answered from the same question itself.
  • Electronic devices except non-programmable calculators are not allowed in the Examination Hall

सूचना :निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें:

पाकर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा।
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा?
तेरी ही यह देह, तुझी से बनी हुई है।
बस तेरे ही सुरस-सार से सनी हुई है।।

Question 1.
यह किस कविता का अंश है?
(मातृभूमि, सपने का भी हक नहीं, कुमुद फूल बेचने वाली लड़की, आदमी का चेहरा.)

Question 2.
कवि की राय में भारतवासियों की देह किससे बनी हुई है?

Question 3.
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा ? ऐसा क्यों कहा गया है?

Question 4.
कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें। सूचना : ‘मुरकी उर्फ बुलाकी’ कहानी का अंश पढ़ें और 5 से 9 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें। “हाँ, कुमार ! इसलिए मैंने तुझसे प्रणा लिया था। उसके मर्द ने जब उसके घर की चाबी उसके पल्ले से खोल ली थी, मैंने इस कोठरी की चाबी उसको पकड़ाते हुए कहा था कि मेरे जीते-जी कभी कोई तुझसे यह चाबी नहीं छीनेगा। और कुमार  आज जब मैंने उसकी मरी को नहलाया, इस कोठरी की चाबी उसके नेफे में खोंसी हुई थी। उसके माँस से चिपक गई थी। इस चाबी ने उसकी देह पर जख्म कर दिया था। पर उसने जीते-जी इस चाबी को अपने माँस से नहीं उतारा। मुरकी… बुलाकी एक औरत….”

Question 5.
‘मुरकी उर्फ बुलाकी’ किसकी रचना है?
(एकांत श्रीवास्तव, हिमांशु जोशी, अमृता प्रीतम, राज बुद्धिराजा)

Question 6.
मुरकी की मृत्यु के बाद कोठरी की चाबी कहाँ से मिली? कब?

Question 7.
कुमार की माँ ने कोठरी की चाबी मुरकी को क्यों दी? (3)

Question 8.
उपर्युक्त खंड का संक्षेपण करें।

Question 9.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक दें।

Question 10.
सूचना : स्तंभ से सही हिंदी शब्द चुनकर मिलान करें। (1 x 8=8)
HSSlive Plus Two Hindi Previous Year Question Papers and Answers 2016 1

सूचना : ‘वह भटका हुआ पीर’ संस्मरण का अंश पढ़ें।
वह पूजा के लिए कहीं भी न बैठकर लोगों के दिल में जगह बनाता है। दिल के रिश्ते जोड़ता है।

Question 11.
संकेतों के आधार पर लेखिका और अपनी बहन के बीच का वार्तालाप तैयार करें। (7)

  1. लेखिका का स्कूटर वाले से परिचय।
  2. स्कूटर वाले के सेवा मनोभाव से प्रभावी
  3. लेखिका की श्रद्धा-भावना।

सूचना : ‘जमीन एक स्लेट का नाम है’ आत्मकथा का यह वाक्य पढ़ें।
बेटी के विदा होने में अभी दो-चार दिन वक्त था। मगर ज़मीन की विदाई आज़ ही हो रही थी।

Question 12.
उपर्युक्त वाक्य के आधार पर पिताजी के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
सूचना : निम्नलिखित हाइकू पढ़ें।

मान न मान
मैं तेरा मेहमान
बने बुढ़ापा

Question 13.
हाइकू का भावार्थ लिखें।

Question 14.
बादशाह के बेटे ने खत तीन दफ़ा पढ़कर सुनाया। बेटे की उस दिन की डायरी लिखें। (7)

  1. पिताजी का दर्द
  2. बहन की हालत
  3. बेटे का मानसिक संघर्ष

सूचना :15 से 19 तक के प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर लिखें। (3×8-24)

Question 15.
“मगर नींद के खुलने के पूर्व ही नोटिस बैंक की आ धमकी सपने में।” – इस सपने केबारे में युवती अपनी सहेली को एक पत्र लिखती है। वह पत्र तैयार करें।

  1. झोपड़ी में रहकर महल का सपना देखने वाली मज़दूरिन।
  2. सामाजिक सच्चाई का कठोर यथार्थ।
  3. सपना देखना भी डरावना बन जाना।

Question 16.
“पैकेट खाना स्वास्थ्य के लिए चुनौती” – विषय पर संगोष्ठी में प्रस्तुत करने के लिए एक आलेख तैयार करें।

  1. “पैकेट खाना” में रसायनों का प्रयोग
  2. गंदा वातावरण
  3. अनेक प्रकार की बीमारियों का खतरा
  4. खाद्य निरीक्षकों की सिफारिशों का पालन .
  5. घर में पकाकर खाना

Question 17.
‘दवा’ कहानी के आधार पर ‘अनंग’ जी की पत्नी का आत्मकथांश तैयार करें।

  1. कवि अनंग जी का अंतिम क्षण
  2. पत्नी का दुख
  3. मित्र का वचन
  4. अनंग जी का कविता-पाठ
  5. मित्र का मर जाना।

Question 18.
निम्नलिखित अंग्रेज़ी खंड का हिंदी में अनुवाद करें।
Travelling is a part of education. By reading books we get only theoretical knowledge, but practical knowledge is obtained only by travelling. We get knowledge of different people with different manners. We can see their mode of living We can hear their different languages. Travelling develops our outlook.

Travelling – देशाटन
part – भाग
theoretical – सैद्धान्तिक
practical knowledge – व्यावहारिक ज्ञान
manners – रीति-रिवाज़
mode of living – जीने का ढंग
outlook – दृष्टिकोण
obtain – प्राप्त होना

Question 19.

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए विद्यालय कूड़ा-कचरा जलाने वाली मशीन की स्थापना कर रहा है। इसके सही प्रयोग से संबन्धित एक विज्ञापन तेयार करें।

  1. प्रकृति के अनुकूल
  2. वायु प्रदूषण एवं मिट्टी प्रदूषण से दूर
  3. सतर्कता बरतने का संदेश

Answers

Answer 1.
मातृभूमि

Answer 2.
कवि की राय में भारतवासियों की देह मातृभूमि से बनी हुई है।

Answer 3.
मातृभूमि का प्रत्युपकार करने में कवि अपने को असमर्थ मानते हैं। कवि मातृभूमि से अपना घनिष्ठ संबंध मानते हैं। मातृभूमि के धूल लढ़ककर हम बड़े हुए है, घुटनों के बल पर खड़ा होना सीख लिए हैं। बचपन में अतुलित आनंद की प्राप्ति भी उन्होने इसी धरती से पा ली है। कवि के अनुसार मातृभूमि के ऐसे उपकारों का मूल्य जीवन देकर भी नहीं चुकाया सकता।

Answer 4.
द्विवेदी युग के लोकप्रिय कवि मैथिली शरण गुप्त द्वारा लिखित देशप्रेम संबंधी कविता है मातृभूमि। इसमें कवि ने मातृभूमि का गुण-गान किया है। साथ ही देश के प्रति सबकुछ समर्पण करने का आह्वान भी दिया है। कवि कहते हैं – मातृभूमि की धूल में लोट-लोटकर हम बढ़े हुए हैं। इसी धरती पर घुटनों के बल पर चलते चलते पैरों पर खड़े होने सीखे। रामकृष्ण परमहंस के समान बचपन में अतुलित आनंद की प्राप्ति भी मुझे यहीं से हुई। यहाँ रहकर ही सबी सुखों को भोग लिए हैं। मेरा यह शरीर मातृभूमि से ही दिया हुआ है। मृत्यु के बाद भी यह शरीर मातृभूमि में ही मिल जाएगी। इसलिए कवि कहते हैं – मातृभूमि का प्रत्युपकार हम संतानों से नहीं होगा। कवि के अनुसार मातृभूमि के उपकारों का मूल्य प्राण देकर भी नहीं चुकाया सकता।

Answer 5.
अमृता प्रीतम

Answer 6.
मुरकी की मृत्यु के बाद जब उसे नहलाया तब कोठरी की चाबी उसके नेफ़े में खोंसी हुई मिली।

Answer 7.
पति द्वारा उपेक्षित बेसहारा मुरकी को राजवंती ने अपने घर पर आश्रय दिया। मुरकी की घर क चाबी उसकी पति ने उससे छीन ली थी। अपने घर की चाबी खोकर हताश ‘मुरकी को जीने की आशा देती हुई राजवंती ने कोठरी की चाबी उसे दे दी।

Answer 8.
पति दवारा उपेक्षित मरकी को राजवंती ने अपने घर पर आश्रय दिया। पति ने मरकी से घर की चाबी छीन ली थी। हताश मुरकी को राजवंती ने अपने घर की चाबी दी और कभी यह चाबी उससे न छीनने की वादा भी दी। मृत्यु के बाद जब मुरकी को नहलाया तब यह चाबी उसकी नेफे में खोंसी हुई मिली।

Answer 9.
मुरकी – एक बेसहारा औरत

Answer 10.
HSSlive Plus Two Hindi Previous Year Question Papers and Answers 2016 2

Answer 11.

लेखिका : अरे दीदी, आइए ना?
षीला (दीदी) : दीदी, मैं बिलकुल थक गई हूँ। अस्पताल से आ रही हूँ।
लेखिका : अस्पताल में हैं कौन?
षीला : सास को अस्पताल में भरती की गई हैं।
लेखिका : अब वह कैसी है?
षीला : ठीक है। कल तो डिसचार्ज होगा।
लेखिका : अरे षीला, क्या तुमने पानी पिलानेवाले स्कूटरवाले को देखा है?
षीला : पानी पिलानेवाला स्कूटरवाला? कोन है वह?
लेखिका : कल उसके साथ मेरा परिचय हआ था। बिलकुल अजीब व्यक्ति है, तुम भरोसा भी नहीं कर सकती।
षीला : ऐसी कौन-सी बात है उसमें?
लेखिका : वह सुबह पानी का डिब्बा लेकर घर से निकलता है और रास्ते में राहगीरों को पानी पिलाता है।
षोला : क्या मुफ़्त में वे पानी पिला रहे हैं?
लेखिका : पानी खतम होने पर पानी की दुकान से पैसे देकर वह मशक भरवाता है और लोगों को पानी पिलाता है।
षीला : अपने पैसे से दूसरों को पिलानेवाला, वह बिलकुल अजीब आदमी है।
लेखिका : हाँ, वह अपनी माँ से प्रभावित होकर यह काम कर रहा है।
षीला: आज की स्वार्थी दुनिया में वह सब केलिए नमूना है।
लेखिका : बिलकुल। ऐसे लोग ही समाज की संपत्ति है।

Answer 12.
प्यारे लोग और प्यारी चीज़ों की विदाई हमेशा दर्दनाक ही होती है। बेटी की शादी हर बाप का सपना है। शादी के बाद जब वह समुराल चली जाती है उस समय की विदाई भी दुख पहूँचाती है। यहाँ बेटी की विदाई के लिए दो चार दिन बाकी है। फिर भी पिताजी उसके बारे में सोचकर दुखी है।

बेटी की शादी के लिए पिताजी को जमीन बेचना पड़ता है। जमीन के प्रति उनके मन में विशेष लगाव था। वह ज़मीन को खोना नहीं चाहता लेकिन शादी का खर्च इक्ट्ठा करने केलिए ज़मीन बेचने को वह मजबूर हो जाता है। बेटी और जमीन दोनों की विदाई उनके दिल में गहरी चोट पहूँचा देती है। पिताजी के कथन में बेटी
और ज़मीन. की विदाई पर उनका गहरा दुख प्रकट हुआ है।

Answer 13.
भगवतशरण अग्रवाल हिंदी के हाइकू लेखकों में श्रेष्ठ है। प्रस्तुत हाइकू में अग्रवालजी कहते हैं कि यदि हम माने या न माने एक दिन हमें बुढ़ापे को स्वीकार करना ही पड़ेगा। कवि के अनुसार जीवन में अचानक आनेवाली मेहमान है बुढ़ापा। हर व्यक्ति बुढ़ापे को अपना दुश्मन मानता है। परंतु परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हरेक को उसे स्वीकार करना पड़ेगा।

Answer 14.
20 मई 2016
शुक्रवार
कई दिनों के बाद आज बहन की चिट्ठी मिली। मैं और पिताजी सचमुच उसके इंतज़ार में थे। अंग्रेजों की नज़रें चुपाकर एक सिपाही ने यह खत यहाँ पहुँचा दिया था। पिताजी ने मुझसे खत पढ़ने को कहा। खत पढ़ते वक्त पिताजी के चेहरे पर जो भाव उमड रहा था वह बिलकुल मुझे रुला दिया था। बेटी को देखने की लालसा पिताजी के मन में भरी हुई थी। ये सारी यातनाएं उनकी वजह से बेटी को भोगनी पडी, यही चिंता पिताजी को सता रही थी। में भी कई दिनों से बहन से मिलने की आशा में था। खत पढ़कर मेरी आँखों में भी आँसू भर आई। में ने बार-बार पढ़ लिया। सचमुच बहन के उस खत ने हमें दुख के सागर में डुबा दिया।

Answer 15.

पनाजी,
20-3-2016

प्रिय शिवानी,
तुम कैसी हो? कई दिनों से तुम्हें पत्र लिखने को सोच रही हूँ। लेकिन क्या करूँ यार, काम के बीच समय नहीं मिलता। एक खास बात कहने के लिए ही मैं आज यह पत्र लिख रही हूँ। अरे यार, मैं ने कल ‘एक सपना देखी थी। जिसकी शुरुआत बहुत सुंदर थी, लेकिन अंत बहुत डरावना भी। मैं ने विशाल महल का सपना देखा था, जिसमें सभी प्रकार की सुविधाएँ थी। एक कमरेवाली झोपडी में रहने वाली मेरे लिए यह एक विचित्र अनुभव था। घर में खाने-पीने के लिए अलग-अलग कमरे थे, रसोई और बैठक भी। ऊपरी मंज़िल में पूजा का कमरा था। मेरे घर की छत कांक्रीट से बनी हुई थी और दीवारों के बीच खिड़की और दरवाजे भी थे। जमीन संगमरमर से चमक रही थी और रसोई ग्रानाइट से। टी.वी. और होमथियटर बैठक की शान बढ़ा रहे थे और फ्रिड्ज एवं माइक्रोवेव से रसोई भी सुंदर लग रही थी।

में मच्छरदानी की सुरक्षा में धूप फैलने तक सो रही थी। अरे यार, सारी सविधाएं होने पर मुझे जल्दी उठने की ज़रूरत नहीं थी। लेकिन खलनायक के रूप में आकर बैंक की नोटीस ने मेरे सपने को चकनाचुर कर दिया। शिवानी, अब मुझे लग रही है में ने बेवकूफी ही को है। मेरी जैसी गरीब मज़दूरिन को ऐसे मासूम सपने देखने का हक भी नहीं की है। इसके बाद सपना देखना भी मुझे डरावना बनगया है। मेरा पत्र पढ़कर शायद तुम हँस रही होगी। लेकिन यार, अब सपने का नाम सुनते ही मुझे डर लग रहा है। अगले हफ्ते में तुम्हारे गाँव आ रही हूँ। उस वक्त तुमसे ज़रूर मिलेगी। घर के लोगों से मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारी प्रिय सहेली,
(हस्ताक्षर)
शांती

सेवा में
शिवानी सरोज
‘शिवालयम’
बी-लाइन रोड,
महाराष्ट्र।

Answer 16.
स्वस्थ मानव ही समाज की संपत्ति है। हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पौष्टिक एवं स्वस्थ भोजन की जरूरत है। हमारे देश में खेती प्रमुख व्यवसाय है लेकिन आवश्यकता के अनुसार यहाँ भोजन की चीजें पैदा नहीं की जा सकती। भूमण्डलीकरण और उदारीकरण के इस समय में लोगों की भोजन-शैली में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। प्रकृतिस्थ भोजन के प्रति (Natural Food) लोगों का आकर्षण घटता जा रहा है।

आधुनिक समाज में ‘फास्ट फुड’ और पैकेट खाना प्रतिष्ठा का चिहन बन गया है। डिल्स, लेइस जैसे पैकेट खाने का प्रचार सब कहीं हम देख सकते हैं। कोककोला, पेप्सी जैसे सोफ्ट ड्रिंगस के प्रति लोगों के मन में गहरा लगाव पैदा हो गया है। लेकिन हमें समझ लेना है, यह सोफ्ट ड्रिंग्स उतना सोफ़्ट नहीं है। जिसमें कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों और प्रिसरवेटिव्स शामिल है जो कैंसर जैसी भयानक बीमारियों के लिए भी कारण बन जाते हैं। पैकेट फुड में अजिनोमोटो का प्रयोग भी होता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक है।

भोजन की चीज़ों में रुचि बढ़ाने के लिए और सुरक्षित रखने के लिए कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है। ये रासायनिक पदार्थ कई प्रकार के बीमारियों का कारण बन जाते हैं। वास्तव में कहें तो हम पैसे खर्च करके बीमारियों को आमंत्रित करते हैं। कभी कभी गंदे वातावरण में ही ऐसे भोजनों को तैयारी होती है। इसका बुरा असर भी यह खाने वाले व्यक्तियों पर पड़ता है।

मिठाइयों में कई प्रकार के रंग देने के लिए रासायनिक चीज़ों का इस्तेमाल होता है। फलों और तरकारियों में कीटनाशकों का उपयोग चलता रहता है। विज्ञापन पर आकर्षित होकर लोग इस प्रकार के चीज़ों पर आकृष्ट हो जाते हैं और इन विषैली भोजन के शिकार बन जाते है।

भोजन की चीज़ों में मिलावट को रोकने के लिए सरकार ने कई प्रकार के कानून को लागू कर दिया है। लेकिन सही ढंग से इसका पालन नहीं हो रहा है। भोजन की गुणवत्ता के निरीक्षण के लिए सरकार ने खाद्य निरीक्षकों की नियुक्ति की है। लेकिन इनके सिफारिशों को भी अनदेखा करके ही यहाँ पैकेट भोजन का व्यापार जारी है।

हमारी भोजन शैली में भी बदलाव लाना बहत ज़रूरी है। फास्टफड और पैकेट फड का मोह छोड़कर हमें प्रकृतिस्थ भोजन की ओर वापस आना चाहिए। कटहल, आम और अमरूद के मिठास को समझने की कोशिश करना चाहिए। होटल फुड को छोडकर घर के खाने को महत्व देना चाहिए। रुचि कम होने पर भी घर का खाना, ‘घर का खाना ही होता है’ – यह सत्य हमें समझ लेना है।

Answer 17.
आज की घटना मेरे स्मृति-पट से कभी चलती नहीं। जीवन और मृत्यु के बीच के संघर्ष को मैं ने बिलकुल अनुभव किया है। ऐसा लग रही है कि मेरे पति का यह दूसरा जन्म है। डाक्टर और चिकित्सा शास्त्र ने उसे पूरी तरह से छोड दी थी। वहाँ उनके मित्र ने कमाल ही दिखाया। मेरे पति को जीवन प्रदान करके मित्र यह दुनिया छोड़कर चले हैं, इसके बारे में सोचकर में बिलकुल दुःखी हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि वे स्वर्ग में ही पहूँच गए होंगे।

पति को आज सुबह अस्पताल में भर्ती की थी। इलाज के बाद डाक्टरों ने कहा कि वे कुछ भी नहीं कर सकते। पति की मृत्यु निश्चित है। वह घंटे भर का मेहमान है। डाक्टर की बातें सुनकर मुझे झटका-सा लगा और मैं भगवान से प्रार्थना करती रही। मैं ने डाक्टर से विनती की कि कम से कम चार-पाँच घंटे तक आप मेरे पति के प्राण बचाए। पुत्र शाम की गाडी से आ रहा है। उन्हें पिताजी को देखने का अवसर दे दें। लेकिन डाक्टरों ने अपनी असमर्थता व्यक्त की।

मेरे दोस्त और रिस्तेदार सब अस्पताल में शामिल थे। सब उदास थे और पुत्र की प्रतीक्षा में थे। इसी बीच पति का दोस्त ईश्वर के रूप में वहाँ आया। उन्होंने डाक्टरों से बातचीत की। मुझे सांत्वना दिलाते हुए कहा – पति को कुछ भी नहीं होगा। मैं इन्हें घंटों तक जीवित रह सकता हूँ। कोई उनकी बातों पर भरोसा रखने को तैयार नहीं था। अंत में उन्हें एक मौका दिया।

वे पति के पास बैठ गए। पति की कविताओं की जोरदार प्रशंसा करने लगे। मित्र ने मृत्य के पहले पति की कुछ कविताएँ सुनाने की इच्छा भी प्रकट की। अलमारी से कविताओं की कॉपी निकालकर दोस्त ने उसे दे दी। पति कविता पाठ शुरु किया। हम सब कमरे के बाहर उपस्थित थे। सब पुत्र के इंतज़ार में थे।

शाम को पुत्र अस्पताल पहुँच गया। जब वह पिताजी के कमरे में घुसे तब उसने देखा पिताजी खुशी से कविता सुना रहे हैं। बेटा और हम सब बहुत खुश हुए। दोस्त बिस्तर के नीचे गिर पडा था। वे मर चुके थे।हम सब चकित रहे। मुझे ऐसा लगा कि ज़िन्दगी तो ऐसी ही है। किसी की मृत्यु हम तय नहीं कर सकते। कोई भी क्षण किसी का भी आलिंगन कर सकती है। पति का दूसरा जन्म है, इस पर हम सब खुश है। मित्र की आत्मा की शांति की प्रार्थना कर रही है।

Answer 18.
देशाटन शिक्षा का एक भाग है। पुस्तकों के वाचन से सिर्फ हमें सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त होते हैं। लेकिन व्यावहारिक ज्ञान देशाटन से ही प्राप्त किया जा सकता है। देशाटन से हमें विभिन्न लोगों के संबंध में और उनकी रीति-रिवाज़ के बारे में जानकारी मिलते हैं। हम उनके जीने का ढंग देख सकते हैं और उनकी विभिन्न भाषा सुन सकते हैं। देशाटन हमारे दृष्टिकोण का विकास कर देता है।

Answer 19.

विद्यालय को हमेशा साफ़ रखें…
इस्तेमाल कीजिए, यह नया मशीन
‘स्पार्क’
कूडे-कचरे आसानी से जला सकते हैं
प्रदूषण को रोकता है
प्रकृति के बिलकुल अनुरूप
स्कूल वातावरण ….. स्वच्छ वातावरण

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