Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 4 दवा (व्यंग्य)
मेरी खोज
दवा (Text Book Page No. 98-102)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथन किन-किन पत्रों के हैं?
i. “कुछ एसी दे दें, जिससे ये 5 – 6 घंटे जीवित रह सकें।”
उत्तरः अनंगजी की पत्नी ने कहा।
ii. “मैं इन्हें मज़े में कई घंटे जीवित रख सकता हूँ”।
उत्तरः
अनंगजी के मित्र ने कहा।
iii. “जाते जाते कुछ सुना जाइए।”
उत्तरः
अनंगजी के मित्र ने कहा।
iv. “आपकी प्रार्थना टाली भी नहीं जा सकती।”
उत्तरः
अनंगजी ने कहा।
प्रश्न 2.
मित्र की बात सुनते ही अनंगजी उठकर बैठ गए। इनमें कौन-सा व्यंग्य है?
उत्तरः
जीवन के अंतिम क्षण तर हर मनुष्य अपनी प्रशंसा के भूखे रहते हैं।
अनुवर्ती कार्य
प्रश्न 1.
कवि अनंग के नये कविता-संग्रह का प्रकाशन हुआ है। कविता-संग्रह की बिक्री बढाने के लिए एक विज्ञापन तैयार करें।
उत्तरः
प्रश्न 2.
कहानी के आधार पर निम्नलिखित तीन प्रसंगों के संवाद आगे बढाएँ।
उत्तरः
संवाद – 1
पत्नी : अरे डॉक्टर साहब! इनको एक्स्टेशन मिलेगा क्या?
डॉक्टर : नहीं, इनको बचाना मुश्किल है।
पत्नी : प्लीस डॉक्टर साहब, ऐस मत कहिएगा।
डॉक्टर : जी सुनिए, जो कुछ करना है, सब हमने कर डाला है।
पत्नी : डॉक्टरजी, मेरे परिवारवाले यह सह नहीं सकते। इनका और कोई दवा नहीं?
डॉक्टर : इसका कोई फायदा नहीं होगा।
पत्नी : जब मेरा बेटा आएगा, उससे मैं क्या कहूँगा। ये पूरे समाज से मैं क्या कहूँगा?
डॉक्टर : आप अपने बेटे से जल्दी ही आने को कहो। शाम तक इनका रहना असंभव है।
संवाद – 2
पात्र
मित्र, पत्नी और डॉक्टर
मित्र : कैसे हैं मेरे दोस्त?
पत्नी : डॉक्टर का कहना है, इनका बचना मुश्किल है।
डॉक्टर : मुश्किल नहीं, असंभव है।
पत्नी : डॉक्टर साहब! आप यह क्या कह रहे हैं?
मित्र : आप निश्चित रहिए। मेरे मित्र को मैं जीवित रह सकता हूँ। केवल शाम तक ही नहीं, अनेकों साल के लिए।
डॉक्टर : नहीं जी। आप कुछ भी नहिं कर सकते।
मित्र : डॉक्टरजी, आप देखिए मेरा कमाल |
पत्नी : क्षमा कीजिए डॉक्टर साहब। मुझे मेरे पतिदेव की जान बचाना है। कृपया आप इसे एक अवसर दीजिए।
डॉक्टर : अच्छा! तो अब हमारा कोई काम नहीं है! आप जो चाहे कर लो।
मित्र : आप निश्चित रहिए बहनजी, मेरि मित्र को बचाना मेरा कर्तव्य है।
संवाद – 3
पात्र
मित्र और कवि
मित्र : अरे यार! मैं पहूँच गया हूँ।
कवि : मित्र, मैं मर जाउँगा क्या?
मित्र : अरे अनग! तुम्हारा यह हाल मैं देख नहीं सकता।
कवि : डॉक्टर क्या कर रहा है, मित्र?
मित्र : उन्हें छोड़ दीजिए। तुम्हारा रक्षा मैं करूँगा।
कवि : मैं अब मरना नहीं चाहता है मित्र। कुछ कीजिएगा।
मित्र : आप निश्चित रहिए। आप के कंठ से एक सुंदर कविता सुनकर कितने दिन हुए?
कवि : अच्छा! अब भी आप तरस रहे हैं, मेरी कविता के लिए? ज़रा वह पुस्तक लीजिए।
मित्र : लो मित्र, सुनाइए। जाते-जाते कुछ सुनाकर ही जाइए।
कवि : अच्छा मित्र, लो, सुनो मेरी कविता।
मित्र : अरे वाह! वाह!! यदि आप न होते तो इस दुनिया का क्या होता?
‘दवा’ परसाईजी के एक व्यंग्य कहानी है। इसमें झूठी प्रशंसा चाहनेवालों पर कवि ने व्यंग्य किया है। कवि अनंगजी अपने अंतिम क्षण बिता रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार उनका बचना संभव नहीं है। परिवारवाले सब अत्यंत दुःखी है। शाम के समय उसके पुत्र के पहूँचने तक भी उनका जीवित रहना संभव नहीं है।
इसी समय अनंगजी का मित्र आकर कहता है वह अनंगजी की रक्षा करेगा। परिवारवालों को कमरे के बाहर बिठाकर मित्र और अनंगजी बात करने लगे। अनंगजी की झूठी प्रशंसा करके मित्र कहता है वह उनके कंठ से कुछ सुनना चाहता है। यह सुनते ही अनंगजी उसे कविता सुनाना शुरू कर डाला। कई घंटे बीत गए। अंत में जब परिवारवाले कमरे में घुसकर देखा तो अनंगजी कवितापाठ कर रहे हैं और मित्र, जो उन्हें बचाने आया था, मरे पड़े हैं।
इसमें बिना कवित्ववाले कवियों पर परसाईजी ने तीखा व्यंग्य किया है। झूठी प्रशंसा इतनी खतरनाक है कि वह ।। ज़िंदा को मुर्दा बना देता है।
Plus Two Hindi आदमी का चेहरा (कविता) Important Questions and Answers
सूचनाः
‘दवा’ कहानी का अंश पढ़ें।
मित्र ने कहा, “खैर, मुझे कोशिश तो कर लेने दीजिए। आप सब लोग बाहर हो जाइए।” सब बाहर चले गए। मित्र अनंग जी के पास बैठे और बोलो।
प्रश्न 1.
संकेतों के आधार पर मित्र और अनंग जी के बीच का वार्तालाप तैयार करें।
- मित्र द्वारा अनंग जी की प्रशंसा करना।
- मित्र को देखकर अनंग जी का खुश होना।
- मित्र द्वारा कविता-पाठ करने की विनती करना।
उत्तरः
मित्र : अरे मित्र मैं पहूँच गया हूँ।
कवि : मित्र, मैं मर जाऊँगा क्या?
मित्र : अरे अनंग, तुम्हें कुछ नहीं होगा। तुम तो इतने मशहूर कवि हो। इतनी आसानी से मर नहीं सकता।
कवि : लेकिन. डॉक्टर कहते है….. कि…
मित्र : तुम यह सब बात छोडो। तुम्हारी कविता सुनकर कितने दिन हुए। मैं तुम्हारा कंठ से एक सुंदर कविता सुनना चाहता हूँ।
कवि : लेकिन क्या मैं कविता आलापन कर पाऊँ।
मित्र : तुम इतने प्रसिद्ध हो। तुमको कुछ नहीं होगा।
कवि : तुम इतने हठ करते हो तो मैं ज़रूर करूँगा। ज़रा वह कविता पुस्तक दीजिए।
मित्र : यह लो, अब शुरू करो।
सूचनाः
दवा कहानी का अंश पवें और 2 से 6 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
कवि अनंग जी का अंतिम क्षण आ पहुंचा था। डॉक्टरों ने कह दिया कि ये अधिक-से-अधिक घंटे-भर के मेहमान हैं। अनंग जी की पत्नी ने कहा कि कुछ ऐसी दवा दे दें, जिससे ये 5-6 घंटे जीवित रह सकें ताकि शाम की गाड़ी से आनेवाले बेटे से मिल लें। डॉक्टरों ने कहा कि कोई भी दवा इन्हें घटे-भर से अधिक जीवित नहीं रख सकती।
प्रश्न 2.
कहानी का रचनाकार कौन है?
उत्तरः
हरिशंकर परसाई
प्रश्न 3.
अनंग जी की पत्नी ने डॉक्टर से क्या कहा?
उत्तरः
अनंग जी की पत्नी ने कहा कि कुछ ऐसी दवा दीजिए जिससे ये 5-6 घंटे जीवित रह सकें, ताकि, शाम की गाडी से आनेवाले बेटे से मिल ले।
प्रश्न 4.
डॉक्टर ने क्या जवाह दिया?
उत्तरः
डॉक्टरों ने कहा कि कोई भी दवा इन्हें घंटे-भर से अधिक जीवित नहीं रख सकती।
प्रश्न 5.
खंड का संक्षेपण करें।
उत्तरः
कवि अनंग जी का मृत्यु निकट आया। पत्नी बेटे के आने तक कवि को जीवित रखने के लिए दवा देने को कहते है। लेकिन डॉक्टर कहते है कि यह नमुमकिन है।
प्रश्न 6.
संक्षेपण केलिए शीर्षक दें।
उत्तरः
अजीब दवा।
सूचना :
‘दवा’ कहानी का अंश पढ़ें।
कवि ‘अनंग’ जी का अंतिम क्षण का पहुंचा था। डॉक्टरों ने कह दिया कि ये अधिक-से-अधिक घंटे भर के मेहमान हैं।
प्रश्न 7.
संकेतों के आधार पर डॉक्टर और अनंग जी की पत्नी के बीच का वार्तालाप तैयार करें।
- डॉक्टर द्वारा अनंग जी की हालत के बारे में बताना।
- अनंग जी की पत्नी की बिनती।
- डॉक्टर का निष्कर्ष ।
उत्तरः
अनंग जी
की पत्नी : अनंग जी की हालत कैसा है डॉक्टर?
डॉक्टर : अनंग का हालत अच्छा नहीं है। वह बचना मुश्किल है।
पत्नी : यह आप क्या कह रहा है?
डॉक्टर : मैं कुछ भी नहीं कर सकता।
पत्नी : ऐसा मत कहिए। इसे कुछ ऐसा दवा दीजिए ताकि यह कुछ और समय जीवित रहूँ। इसे कुछ समय जीवित रहना ज़रूरी है।
डॉक्टर : आप क्या कह रहे हैं?
पत्नी : हमारा बेटा आज शाम को यहाँ पहुँचेगा। वह आने तक इसे जीवित रहना होगा।
डॉक्टर : लेकिन यह एक घडे के अंतर मर जायेगा।
पत्नी : आप कुछ भी कीजिए। पाँच छः घंडे आप इसे जीवित रखिए।
डॉक्टर : यह असंभव है।
पत्नी : हाय! मैं क्या करूँ।
प्रश्न 8.
अनंगजी के पुत्र ने आने पर देखा कि ‘पिताजी कविता पढ़ रहे हैं और उनके मित्र मरे पड़े हैं।’
इस घटना का वर्णन करते हुए पुत्र अपने मित्र को एक पत्र लिखता है। वह पत्र तैयार करें।
उत्तरः
दिल्ली,
25.10.2017
मित्र राजेश,
ईश्वर की असीम कृपा से मैं यहाँ खुश हूँ। मेरा विश्वास है तुम भी वहाँ सपरिवार खुश होंगे। कई दिनों से एक पत्र तुम्हें लिखने के बारे में सोच रहा हूँ। लेकिन आज ही मुझे फुरसत मिला है।
आज तो एक विचित्र घटना हुई। अब मैं दिल्ली में पिताजी के साथ हूँ। पिताजी का तबियत सबेरे खराब हो गया था और वे अस्पताल में हैं । डाक्टरों ने उनका बचना मुशकिल बता दिया था और इसलिए ही शाम की गाड़ी में मैं लोहोर से दिल्ली पहूँचा। अंतिम बार उन्हें देखने के लिए ही यहाँ पहुँचा। लेकिन कमरे में जब मैं खुसा तो देखा कि उनका एक मित्र कमरे में मरा पड़ा है और पिताजी उन्हें कविता पाठ करके सुना रहा है। शायद उनकी कविताओं की विरसत ने ही मित्र को समाप्त कर दिया है। क्या कहूँ मित्र, समाज में मेरे पिताजी जैसे अनेकों कवि और साहित्यकार हैं जो अपनी रचनाओं को सबसे श्रेष्ठ मानते हैं।
इतना लिखकर यह पत्र मैं यहाँ समाप्त करता हूँ। घरवालों से और अम्माजी से मेरा प्यार और प्रणाम कहना । जवाबी पत्र की प्रतीक्षा में ………
राम कुमार अनंग,
(हस्ताक्षर)
प्रश्न 9.
अनंगजी अपनी कविता-संग्रह का प्रकाशन करना चाहते हैं। उसके लिए एक आकर्षक पोस्टर तैयार करें।
उत्तरः
प्रश्न 10.
मैं इन्हें मज़े में कई घंटे जीवित रख सकता हूँ।” अनंगजी को जिंदा रखने के लिए आए मित्र अंत में मर जाता है। अनंगजी के डॉक्टर अपने डॉक्टरी जीवन की इस विचित्र घटना को डायरी में लिखता है। वह डायरी तैयार करें।
उत्तरः
प्रश्न 11.
अनंगजी की स्थिति बड़ी गंभीर है। बेटे के पहुंचने तक उसे जीवित रखने की बिनती पत्नी करती है। इस संबंध में पत्नी और डॉक्टर के बीच का संभावित वार्तालाप तैयार करें।
उत्तरः
पत्नी : डॉक्टर साहब, मेरे पति की रक्षा कीजिए।
डॉक्टर : बहिन जी, हम सब उनको बचाने की कोशिश में हैं।
पत्नी : मेरी बात तो सुनिए जी।
डॉक्टर : आप बताइए।
पत्नी : शाम की गाड़ी में मेरे बेटे आनेवाला है। कई महीने हुए उसके पिताजी से मिलकर।
डॉक्टर : आप बताइए, हमें क्या करना है?
पत्नी : कम से कम शाम की गाड़ी के आने तक आप उन्हें जिंदा रखने की कोशिश कीजिए।
डॉक्टर : अच्छा, उसकी गाड़ी कब तक आएगी।
पत्नी : शाम को पाँच बजे वह रेलवे स्टेशन पहूँचेगा। वहाँ से यहाँ पहुँचने के लिए आधा घंडा लगेगा।
डॉक्टर : लेकिन, यह कैसा संभव है जी?
पत्नी : डॉक्टर साहब, आप कुछ मत बताइए। मेरा बेटा अपने पिताजी को जीवन में अंतिम बार देखने के लिए ही आ रहा है।
डॉक्टर : आपकी वेदना मैं समझ रहा हूँ जी। हम लोग कोशिश तो ज़रूर करेंगे। आप भगवान पर उम्मीद रखिए।
पत्नी : अच्छा डॉक्टर साहब । आप ही अब हमारे लिए भगवान है। कृपया मेरी इच्छा पूर्ण कीजिए।
दवा Profile:
हरिशंकर परसाई हरिशंकर परसाई का जन्म 1924 को मध्यप्रदेश में हुआ था। वे हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यग्यकार थे। वे हिंदी के पहले रचनाकर हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और हल्के पुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। ‘हँसते है रोते हैं’, ‘जैसे उनके दिन फिरे’ आदि उनके श्रेष्ठ कहानी संग्रह हैं। उनकी मृत्यु 1995 को हुई। हिन्दी व्यंग्य लेखकों में सबसे श्रेष्ठ है श्री हरिशंकर परसाई। उनका व्यंग्य केवल हँसी-मज़ाक के लिए ही नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त अनेक समस्याओं पर तीखा प्रहार है। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं ‘हँसते है रोते हैं जैसे उनके दिन फिरे” आदि।
दवा Summary in Malayalam