Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 2 वह भटका हुआ पीर (संस्मरण)

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 2 वह भटका हुआ पीर (संस्मरण)

प्रश्न 1.
चित्र और रहीम की पंक्तियों में कौन-सा संदेश मिलता हैं?
उत्तरः
चित्र में मदर तेरेसा बच्चों के देखपाल करने का दृश्य है तो रहीम की पंक्तियों में दूसरों को अपना सर्वस्व देनेवाले प्रकृति का चित्रण हैं। परोपकार हर जीव का फर्ज़ हैं।

मेरी खोज

प्रश्न 1.
लेखिका ने स्कूटरवाले की तुलना गुलमोहर से क्यों की है?
उत्तरः
जिसप्रकार स्कूटरवाला गर्मी में राहगीरों को पानी पिलाता है उसी प्रकार गर्मी के मौसम में गुलमोहर अपने फूलों से दूसरों को छाया और तृप्ति देते हैं, दोनों परोपकार की भावना रखनेवाले हैं।

प्रश्न 2.
स्कूटरवाला कैसे अपने मन का बादशाह बन गया?
उत्तरः
वह मिली नौकरी को भी छोडा और स्कूटर अपने मर्जी के अनुसार चलाता है। अपने दिल के विचार के अनुसार दूसरों की सहायता करके वह जीवन बिताते हैं। संपत्ति के पीछे न भागकर दिलं के अनुसार जीते हैं।

अनुवर्ती कार्य

प्रश्न 1.
विशेष समाचार – मशकवाला स्कूटर നെ ആധാരമാക്കി ഒരു കൗതുക വാർത്ത തയ്യാറാക്കുക. സഹായക സൂചനകൾ ഉപയോ ഗിക്കണം. ശീർഷകം, സ്ഥലം എന്നിവ ആവശ്യമാണ്.
उत्तरः
मशकवाला स्कूटर – दिल्ली में
दिल्लीः दिल्ली के साधारण लोगों को देवता के रूप में दिखाई देता है एक स्कूटरवाला, क्योंकि वह रास्ते पर चलनेवाले प्यासे लोगों को मुफ़्तं पानी पिलाता है। वह अपने माँ के, उपदेश के अनुसार अपने पैसे से मशक में पानी भरवाकर सहगीरों को पानी पिलाता है, वह अपने लिए केवल दो जून रोटी ही कमाता है, पैसे के पीछे न … दौड़कर लोगों के दिल से रिस्ते जोडते हैं, लोग उसे मशकवाला स्कूटर कहते हैं। वह केवल एक स्कूटरवाला न होकर एक पीर हो गया है। .

प्रश्न 2.
स्कूटरवाले के चरित्र पर टिप्पणी करते हुए वर्तमान समाज में ऐसे लोगों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
एक साधारण स्कूटरवाला कैसे असाधारण व्यक्ति बनते हैं – इसका उदाहरण है मशकवाला स्कूटर, भौतिक जीवन में वह गरीब हैं। माँ के उपदेश के अनुसार वह दूसरों को मुफ़्त पानी देता हैं, पैसे के पीछे न जाकर लोगों से दिल के रिश्ते जोड़ते हैं। आज के समाज में इसीप्रकार के लोग बहुत विरल है, परोपकार की भावना. हर व्यक्ति के लिए आवश्यक गुण है। यहाँ इसी गुण को दिखाया गया है। केवल अपने बात ही सोचनेवाले इस समाज में एक अजीब चरित्र हैं मशकवाला स्कूटर।

प्रश्न 3.
स्कूटरवाला जैसे लोगों को आपने देखा है? वह अनुभव प्रस्तुत करें।
उत्तरः
जैसे – हमारे गाँव में एक ऐसे व्यक्ति है जो एक साधारण दूकानदार है जो एक छोटी सी दुकान चलाकर आजीविका कमाते है। कई लोगों के लिए वह ईश्वर समान है क्योंकि दुपहर के भोजन से मिलने का कारण है वह । हर दिन वह दुपहर के समय दूकान बंद करके बाहर निकलते है। एक थैली में तैयार किये भोजन लेकर रास्ते में आवश्यकता के अनुसार पड़े रहनेवाले लोगों को भोजन देते है। वह कई सालों से यह करते आ रहे हैं।

Plus Two Hindi वह भटका हुआ पीर (संस्मरण) Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘वह भटका हुआ पीर’ संस्मरण के स्कूटरवाले पात्र का आत्मकथांश तैयार करें।
* पितृविहीन बालक
* गरीब बचपन
स्कूटर चलाकर रोटी की कमाई
* माँ का उपदेश
* दूसरों की प्यास बुझाने की कोशिश
उत्तरः
आत्मकथांश
मैं एक स्कूटरवाला हूँ, लोग मुझे मशकवाला स्कूटर कहते हैं। मेरा जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। मेरा पिता मेरे बचनप में ही चल बसा | मेरी माँ कठिन परिश्रम करके मेरा पालन-पोषण किया। मैं स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई किया, मैं छोटे उम्र में ही छोटे-छोटे काम करने लगे थे, बड़े होकर मैं स्कूटर चलाने के साथ साथ पढ़ाई भी किया। ग्रेजुएट हो गया, मुझे दफ्तर में काम मिला था।

लेकिन मैं आज भी स्कूटर चलाता हूँ – मशकवाला स्कूटर | जब मैं शहर में स्कूटर चलाने लगे तब मैं देख कि कई लोग पानी के लिए गरस रहे हैं। मैं एक मशक में पानी भरकर रास्ते में मिलनेवाले प्यासे लोगों को पानी पिलाने लगे। पानी पिलाने में, जो पुण्य मिलते है वह पैसों से सौ गुना बेहत्तर है। मैं यह काम दम तोडने वक्त तक करूँगा। यही मेरा जीवन का मकसत है।

प्रश्न 2.
सूचनाः वार्तालाप तैयार करें।
संकेतों के अनुसार स्कूटरवाले और लेखिक का बीच का वार्तालाप कल्पना करके लिखें।
* स्कूटरवाले की कहानी
* पितृविहीन बालक
* गरीब माँ
* माँ का उपदेश
* मन का बादशाह
उत्तरः
स्कूटरवाला : आप यहाँ रहते है?
लेखिका : हाँ, आओ, बैठो।
स्कूटरवाला : नहीं, कई लोग पानी की प्रतीक्षा में होगा।
लेखिका : आप ऐसे क्यों करते है।
स्कूटरवाला : मुझे ऐसे करने में बहुत खूशी मिलती है।
लेखिका : आप के घर में कौन-कौन है?
स्कूटरवाला : पिताजी बचपन में चल बसा। माँ छोटे छोटे काम करके मेरा देखबाल किया है।
लेखिका : आप पढ़ाई नहीं किया?
स्कूटरवाला : हाँ। मैं स्ट्रीट लैइट में पढ़कर ग्राजुएट हो गया। मुझे नौकरी भी मिला था।
लेखिका : फिर भी आप स्कूटर चलाते हो?
स्कूटरवाला : मुझे इसमें खुशी है। अपने मन का बादशाह हूँ। जहाँ चाहे जाता हूँ, पानी पिलाता हूँ।
लेखिका : आप एक पीर हो।
स्कूटरवाला : शुक्रिया। अब मैं चलता हूँ।

प्रश्न 3.
दूसरों की सहायता करना सबसे महान कार्य है – इस विषय पर एक भाषण प्रतियोगिता हो रही है।
‘वह भटका हुआ पीर’ पाठभाग के संकेतों के आधार पर एक भाषण तैयार करें।
संकेत : तू पानी पिलाया कर, पुण्य मिलता है।
वह पूजा के लिए कहीं भी न बैठकर लोगों के दिल में जगह बनाता है।
दिल के रिश्ते जोड़ता है।
उत्तरः
प्र प्यारे भाइयो, बहनो ……….
जीवन की विभिन्न पहलुओं की आज यहाँ चर्चा हो रही है। हम सब जानते हैं “मानव सेवा ही माधव सेवा है। इसका तात्पर्य है मनुष्य की सेवा ही भगवान की सेवा है, वही असली पूजा है।

मित्रो, पुराने जमाने से भारत की ऐसी एक परंपरा है। भारत के ऋषि-मुनि लोग यही करते आते हैं। जो दीन दुःखियों की सेवा करता है, बेसहारों को सहारा देता है, वही सबसे महान है। इससे बढ़कर पुण्य और कुछ भी नहीं है। दूसरों को तू पानी पिलाया कर, तुम्हें पुण्य मिलता है। दिल्ली के,ये जो स्कूटरवाला है, उससे हमें यह समझना चाहिए उसके दिखाए मार्ग हमें अपनाना चाहिए। पूरे मानव राशि के प्रति भाईचारा का संबन्ध ही महान है। तो मित्रों, हम भरोसा करेंगे कि आनेवाला कल एकता, भाईचारा और मानवता का रहेगा।
जय भारत।

सूचनाः
‘वह भटका हुआ पीर’ संस्मरण का अंश पढ़ें। वह पूजा के लिए कहीं भी न बैठकर लोगों के दिल में जगह बनाता है। दिल के रिश्ते जोड़ता है।

प्रश्न 4.
संकेतों के आधार पर लेखिका और अपनी बहन के बीच का वार्तालाप तैयार करें।

  • लेखिका का स्कूटर वाले से परिचय ।
  • स्कूटर वाले के सेवा मनोभाव से प्रभावी।
  • लेखिका की श्रद्धा-भावना।

उत्तरः
लेखिका : बहनजी, बड़ी खुशी हुई आपसे मिलकर।
बहन : मैं भी खुश हूँ, तुझे यहाँ देखकर। कहो, कैसे आना हुआ?
लेखिका : क्या कहूँ बहनजी। कई दिनों से सोच रहा हूँ। आज ही फुरसत मिली थी।
बहन : तुम्हारी यात्रा कैसी रही?
लेखिका : हाँ जी, बहुत अच्छी रही। एक विचित्र स्कूट्टरवाले से आज भेंट हुई।
बहन : विचित्र क्यों? ज़्यादा पैसा माँगा उनसे? ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो ज़्यादा पैसा माँगकर हमें तंग करते हैं।
लेखिका : नहीं, नहीं। यह जो है एकदम अलग है। वह बड़ा परोपकारी मालूम पड़ता है।
बहन : परोपकारी और स्कूट्टरवाले!
लेखिका : हाँ जी, सुनो तो। वह एक ऐसा स्कूट्टरवाला है जो अपनी यात्रियों को बीच बीच में पानी पिलाया करता है।
बहन : बाप रे! यह तो एकदम विचित्र निकला। दिल्ली की गरमी में वह ऐसा करता है।
लेखिका : वह अपनी गाड़ी में ही पानी रखता है और रास्ते में मिलनेवालों को पानी देता है। पानी के खतम होने पर वह खुद रास्ते से पानी भरता है और राहगिरों को पानी पिलाया करता है।
बहन : कितना अच्छा स्कूटरवाला है।
काश! अज के सभी लोग ऐसा होता तो कितना अच्छा होता।

प्रश्न 5.
गर्मी की एक साँझ में स्कूटर वाला लेखिका के गेट के सामने आया। उसने लखिका से अपनी जीवन-गाथा बतायी।
संकेतों के आधार पर ‘वह भटका हुआ पीर’ पाठ के स्कूटर वाले का आत्मकथांश तैयार कीजिए।
* पितृविहीन बालक
* स्कूटर चलाकर माँ को संभालना
* माँ के उपदेश का पालन
* लोगों के दिल में जगह बनाना
उत्तरः
आत्मकथा
मेरा जीवन सफल है या नहीं यह मैं नहीं जानता पर मैं खुश हूँ इस जीवन से। मेरा बाप की मृत्यु मेरी छोटी उम्र में ही हुआ था। माँ कठिन परिश्रम करके मेरा देखपाल किया। छोटी उम्र में ही भूख और गरीबी की हालत समझ लिया। स्ट्रीट लइट के नीचे बैठकर पढ़ते थे। बड़े होने पर स्कूटर चलाना शुरू किया। माँ और मेरे लिए भूख मिटाने के लिए मैं काम करता था। साथ साथ पढ़ते थे और ग्राजुइट हो गया। रास्ते में प्यास के मारे तड़पते रहने लोगों को देखकर उन्हें पानी पिलाना शुरु किया। और काम मिला तो भी मैं यह स्कूटर चलाना और राहगीरों को पानी पिलाना पसंद करता हूँ।

एक मशक में पानी खरीदकर स्कूटर में रखता हूँ। रास्ते में जो भी प्यासा आये उन्हें पानी पिलाये घूमता हूँ। माँ कहते हैं पानी पिलाने से पुण्य मिलेगा। पैसे केलिए जीवन में दौड़नेवाले कई लोग होते हैं। मेरे पास पैसे नहीं बल्कि कई लोगों के पुण्य है। मैं बहुत खुश हूँ इस जीवन से क्योंकि मैं लोगों के दिल में जगह बनाता हूँ और वह मुझे प्यार से मशकवाला स्कूटर कहते हैं।

‘वह भटका हुआ पीर’ का अंश पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर लिखें।

जब घर के बड़े बुजुर्गों को कोई पानी नहीं पिलाता और पानी माँगने पर अँगारों जैसी जलती आँखें दिखाई जाती हों, तो यह स्कूटरवाला तो पीर जैसा लगेगा ही न । गर्मी की एक साँझ में वह मेरे गेट के सामने खड़ा होकर मुझसे पूछ रहा था, ‘पानी पिएँगी? अभी भरवा कर ला रहा हूँ।’ ‘हाँ-हाँ, क्यों नहीं।’ मैने उसे बरामदे में बिठाया और उससे कुशलक्षेम पूछने लगी। वह पितृविहीन बालक स्ट्रीट लाइट में बैठकर अखबार पढ़ता, स्कूटर चलाकर माँ और अपने लिए दो जून रोटी का जुगाड़ करता।”

प्रश्न 6.
‘वह भटका हुआ पीर’ संस्मरण किसकी रचना है?
उत्तरः
राज बुद्धिराजा

प्रश्न 7.
बड़े बुजुर्गों के पानी माँगने पर घर के लोग क्या करते हैं?
उत्तरः
बडे बुजुर्गों के पानी माँगने पर घर के लोग अंगारों जैसी जलती आँखों से उन्हें देखते हैं और पानी नहीं देते हैं।

प्रश्न 8.
स्कूटरवाले ने लेखिका से क्या पूछा?
उत्तरः
र स्कूटरवाले ने लेखिका से पूछा कि क्या वह पानी पिएगी?

प्रश्न 9.
पितृहीन बालक अपनी लोटी कैसी जुगाड़ता था?
उत्तरः
का पितृहीन बालक स्ट्रीट लाइट में बैठकर अखबार पढ़कर और स्कूटर चलाकर अपनी रोटी जुगाडता था।

प्रश्न 10.
खंड का संक्षेपण करें।
उत्तरः
घर के बुजुर्गों को पानी पिलाना पुण्य माननेवाला है। एक दिन लेखिका के घर में आकर उसने बता दिया कि वह एक पितृहीन बालक है। स्ट्रीट लाइट में बैठकर वह अखबार पढ़ता था और स्कूटर चलाकर कमाता भी था।

प्रश्न 11.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक लिखें।
उत्तरः
परिश्रम का महत्व

प्रश्न 12.
“मुझे तो पुण्य मिल ही गया। लाखों लोगों की दुआओं से मैं ग्रेजुएट हो गया। घर बैठे नौकरी चलकर आई, लेकिन मुझे पानी पिलाने में जो सुख मिलता है, वह नौकरी में कहाँ! अपने मन के बादशाह !!
वह भटका हुआ पीर के इस अंश के आधार पर स्कूटरवाले के चरित्र पर टिप्पणी करें।
उत्तरः
स्कूटरवाला परोपकार को पुण्य माननेवाला है। अपने माँ-बाप एवं बुजुर्गों के प्रति उसके दिल में सच्चा प्यार एवं आदर है। अपने माँ की बातों को वह बहुत अधिक मानता है। उसका विश्वास है माँ की बातें सुनने से ही उसे पुण्य मिल गया है और वह ग्रेजुएट भी हो गया है। वह अपने इच्छा के अनुसार जीना चाहता है। इसलिए ही नौकरी छोड़कर वह स्कूटर चलाना शुरु करता है।

प्रश्न 13.
“मुझे लगा कि वह आम आदमी न होकर एक भटका हुआ पीर है, जो आपा-धापी की दुनिया में खुशी बाँटता फिर रहा है।” – ‘वह भटका हुआ पीर’ के स्कूटरवाले के जैसे हमारे समाज में भी ऐसे बहुत से पीर हैं और हुए थे। उनमें से किसी के विवरण के साथ वर्तमान समाज में ऐसे सच्चे पीर की आवश्यकताओं पर निबंध तैयार करें।
उत्तरः
मानव की सेवा ही असल में ईश्वर की सेवा है। हमें भगवान को खोजने मंदिर-मस्जिदों में नहीं जाना है। सच्चे दिल से जब हम समाज की सेवा करेंगे हम ईश्वर से पास पहुँच जाएँगे।

‘पीर’ शब्द का अर्थ ही सन्यासी है। भौतिक सुखों को छोड़कर जो समाज की कल्याण के लिए उतरते हैं उन्हें ही पीर या सन्यासी कह सकते हैं। पीर बनने के लिए किसी वेष-भूषा की ज़रूरत नहीं है। सच्चे दिल चाहिए। मानव को पहचानने की क्षमता होनी चाहिए। समाज के पीड़ितों, गरीबों, मजदूरों की पीड़ा समझ लेना चाहिए। जब हम दूसरों की पीड़ा समझ सकेंगे तभी हम एक इचित मानव बन पाएँगे। हमारे समाज में ऐसे बहुत ही .. इंसान है जो अपने सुखों को त्यागकर दूसरों की भलाई के लिए उतरे हैं। ऐसे लोगों से प्रेरणा पाकर प्रत्येक विद्यार्थी को समाज की भलाई के लिए कर्म निरत रहना चाहिए। विद्यार्थी जीवन का लक्ष्य केवल स्कूली शिक्षा नहीं बल्कि समाज एवं अपने वातावरण से उत्पन्न अनुभवों से जानकारी प्राप्त करना भी है। अपने समाज की भलाई के लिए कर्मनिरत रहना प्रत्येक नागरिक का दायित्व भी है। विद्यार्थी लोगों का इसमें खास योगदान है। एक अच्छे समाज एवं मानवराशी के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पीर बनना ही चाहिए।

‘सौ वर्ष का एकांत’ गेब्रियल गार्सिया मार्वेज़ का विख्यात उपन्यास है। इस उपन्यास के छपते ही मार्वेज़ का नाम विश्व के महान उपन्यासकारों में शामिल हो गया। इसकी लाखों प्रतियाँ प्रकाशित हुईं। संसार भर के साहित्य प्रेमी पाठकों ने इसे पूरी रुचि से पढ़ा। इसके संसार की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हुए। वे इतने अधिक प्रसिद्ध हो गए थे कि उनसे मिलने के लिए सालभर पहले समय लेना होता था। इस प्रसिद्धि के बाद भी वे हर दिन सुबह नौ बजे से दोपहर के तीन बजे तक लिखने का कार्य किया करते थे। उनकी यह दिनचर्या तीस-चालीस वर्षों तक चली। इतने कठिन परिश्रम से ही यह संभव हुआ कि उन्होंने एक के बाद दूसरा सुंदर उपन्यास लिखा। कई सुंदर कहानियाँ लिखीं।

प्रश्न 14.
मार्वेज़ का बहुचर्चित उपन्यास कौन सा है?
उत्तरः
सौ वर्ष का एकांत

प्रश्न 15.
मावेज़ के कठिन परिश्रम का क्या फायदा हुआ?
उत्तरः
अपने कठिन परिश्रम का फायदा यह हुआ कि उन्होंने एक के बाद दूसरा सुंदर उपन्यास लिखा।

प्रश्न 16.
‘सौ वर्ष का एकांत’ की क्या-क्या खूबियाँ थीं?
उत्तरः
इस उपन्यास के छपते ही मावेज़ का नाम विश्व के महान उपन्यासकारों में शामिल हो गया। इसकी लाखों प्रतियाँ प्रकाशित हुई। वे इतने प्रसिद्ध हो गए कि उनसे मिलने के लिए सालभर पहले समय लेना होता था।

प्रश्न 17.
उपर्युक्त खंड का संक्षेपण करें।
उत्तरः
गब्रियेल गार्सिया मावेज़ का विख्यात उपन्यास ‘सौ वर्ष का एकांत’ के प्रकाशन से ही वह अत्यंत ख्यातिप्राप्त हो गया। इस प्रसिद्धि के बाद भी वे हर दिन कुछ समय अपना लेखन कार्य करते थे। तीस-चालीस वर्षा की इस दिनचर्या और कठिन परिश्रम के फलस्वरूप उन्होंने अनेक सुंदर उपन्यास और कहानियाँ लिखा।

प्रश्न 18.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक लिखें।
उत्तरः
गाब्रियल गार्सिया मावेज़

प्रश्न 19.
‘युवा पीढ़ी पर मोबाइल फोण का प्रभाव’ विषय पर संकेतों की मदद से स्कूल पत्रिका में प्रकाशित करने योग्य एक लेख तैयार करें।
उत्तरः
प्र युवा पीढ़ी पर मोबाइल फोण का प्रभाव
विज्ञान का एक नूतन आविष्कार है मोबाइल फोण | आधुनिक बदलते युग में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। दुनिया का हर बदलाव उसी क्षण में ही विभिन्न जगहों में पहुँचाने में मोबाइल फोण का महत्वपूर्ण योगदान है। हर वैज्ञानिक आविष्कारों का गुण और दोष है। मोबाइल फोण भी इससे अलग नहीं है। आगे हम इसके लाभ और हानियों के बारे में चर्चा करेंगे।

सुविधाजनकः मोबाइल फोण अत्यंत सुविधाजनक है। इसके माध्यम से खबरों को ही नहीं हर बात दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर हम समय समय पर जान सकते हैं।

बहुआयामीः आज मोबाइल फोण केवल एक फोण न होकर एक बहुआयामी चीज़ बन गया है। मोबाइल फोण आज तो सबसे बड़ा मनोरंजन के माध्यम बन गया है।

ज्ञानार्जन का साधनः ज्ञानार्जन के लिए भी आज मोबाइल फोण अत्यंत उपयोगी है। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र से संबंधित और दुनिया के हर परिवर्तन से संबंधित सभी प्रकार के खबरें इसके द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।

अंतर्जाल का सदुपयोगः मोबाइल फोण के क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी परिवर्तन है अंतर्जाल का उपयोग। इसके माध्यम से क्षण-क्षण में होनोवाले परिवर्तन दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर हम जान सकते हैं। अंतर्जाल का सदुपयोग से किसी को हानी नहीं पहूँचेगा।

खर्चीलाः विज्ञान के नए आविष्कारों के अनुरूप आज मोबाइल फोण खर्चीला भी बन गया है। इसलिए साधारण जनता के लिए यह अत्यंत हानिकारक भी बन गया है।

तंदुरुस्ती के लिए हानिहारकः मोबाइल फोण से उत्पन्न रेडियेशन कैन्सर जेसे भयानक बीमारियों का कारण बन गया है। इसलिए मोबाइल फोण के उपयोग में आदमी को खुद नियंत्रण रखना है।

अंतर्जाल का दुरुपयोगः अंतर्जाल विज्ञान का सबसे बड़ा देन है। लेकिन इसका दुरुपयोग अत्यंत खतरनाक भी बन गया है। इसलिए अंतर्जाल का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
विज्ञान का सबसे श्रेष्ठ चमत्कारों में एक है मोबाइल फोण का आविष्कार । हमें इसका सदुपयोग करना चाहिए।

वह भटका हुआ पीर Profile

डॉ. राज बुद्धिराजा ने हिन्दी की लगभग सभी विधाओं में अपनी क्षमता दिखाई। उनका जन्म लाहोर में 1937 को हुआ था। उन्होने लगभग तीन सौ संस्मरण लिखे है। ‘सफर की यादें’, ‘साकूरा के देश में’, ‘दिल्ली अतीत के झरोखे से’, ‘हाशिए पर दिल्ली’ आदि अपके संस्मरणों के संग्रह है। जापान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से वे सम्मानित है।
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वह भटका हुआ पीर (संस्मरण) Summary in Malayalam

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वह भटका हुआ पीर (संस्मरण) Glossary

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