Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता)
हाइकू (Text Book Page No. 78-81)
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प्रश्न 1.
हाइकु हाइकू का मूलभाव क्या है?
उत्तर:
- माँ का प्यार सबसे महत्तर हैं। किसी भी हालत में माँ अपने बच्चे को नहीं छोड़ता।
- हमारा मन ही सुख और दुख देता है। सुख-सुविधाओं से नहीं मन की खुशी से आनंत मिलेगा।
- जीवन के हरएक अवस्थाओं को पहचानकर हमें जीना होगा। परिवर्तन प्रकृति का तत्व हैं।
- प्रकृति और मानव के बीच का संबंध अटूट हैं। जीवन प्रदान करना हर व्यक्ति या वस्तु के धर्म हैं।
- प्यार सबसे सुदृढ संबंध हैं। वह हमेशा कायम रहेगा।
- जीवन में सच्ची रस को प्राप्त करने के लिए विविध अनुभवों से गुसरना ही चाहिए। सुख-दुःख के मिश्रण है जीवन।
अनुवर्ती कार्य
प्रश्न 1.
प्रत्येक हाइकु की आस्वादन टिप्पणी तैयार करें।
उत्तर:
1. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह हैं।
आकाश में गूंज और आँधी होने से पक्षियों के । नीड़ नीछे गिरते हैं। शिशु पक्षि उड़ नहीं सकता। माँ बच्चों के पास ही रहती है – छोडकर जाते नहीं। जितने ही बड़ी विपत्ति पड़े, माँ अपने बच्चे को छोड़कर नहीं जाएगा। माँ का प्यार इतना बड़ा है और गहरा है। सामाजिक सच्चाई को यहाँ दिखाया गया है।
2. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह हैं। भाद्रपद महीना शोभा देने लगा। यानी बहुत अच्छा मौसम है। लेकिन विरहिणी का जीवन सूखा ही हैं। मौसम बदलने से उसके जीवन में किसी भी प्रकार के अंतर नहीं होता हैं। हमारे जीवन में प्रिय-जन न होते तो जीवन दुःखपूर्ण हो जाते हैं। मौसम कितने ही अच्छा हो, जितने ही सुखसुविधायें हो – लेकिन हम अकेले है तो सुख नहीं मिलेगा। विरह की व्यथा हमेशा दुःख ही देगा।
3. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह माने या माने मेहमान के रूप में बुढापा आयेगा। अर्थात बुढापे को निमन्त्रण (invite) करने की ज़रूरत नहीं हैं। परिवर्तन धरती की हकीकत हैं। शैशव से लेकर बुढापा तक परिवर्तन के साथ हम जीवन बिताते हैं। बुढापा किसी भी व्यक्ति को पसंद नहीं, लेकिन समय के अनुसार हर व्यक्ति बुढापे की ओर जाएगा, हमें जीवन के सभी अवस्थाओं को स्वीकार करना होगा।
4. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह हैं। वर्षा ऋतु धन्य हैं, क्योंकि पानी जीवनदायिनी हैं। खेतों में नये जीवन की कविताएँ बोनेवाले किसान के कारण वर्षा धन्य हो जाते हैं। कविता यानी भोजन हर व्यक्ति के जीवन केलिए अनिवार्य है। प्रकृति के कारण हमारा जीवन संपन्न हो रहा हैं। प्रकृति और मानव के बाच की रिश्ता इतना अटूट है। किसान लोग तन-तोड़ मेहनत करके दूसरों केलिए भोजन तैयार करते हैं। जीवन को कायम रखने केलिए पानी और भोजन अनिवार्य हैं।
5. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह हैं। बाग में फूल खिलने पर तुझे याद आती हैं। हर सुंदर वस्तु में प्रियतम की यात आती है। प्रेमी-प्रेमिका के दिल एक दूसरे की इंतज़ार में है। हर वस्तु में एक दूसरे की याद आती हैं। क्योंकि प्रेम कभी भी मुरझाता नहीं, एक-दूसरे से अलग होने पर भी वह एक दूसरे से अलग नहीं है। प्रेम की शक्ति को यहाँ दिखाते हैं।
6. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह हैं। जिनको दर्द का अहसास नहीं हुआ है, उसे आँसू का मूल्य नहीं मालूम, आँसू और ओस देखने में एक समान है। लेकिन दोनों के पीछे की यथार्थ अलग है। दुख जीवन की हकीकत है, वेदना ही हमें पवित्र बनाएगा। रोने के बाद हमें शांती मिलते हैं। सुख का आनंद को समझने के लिए दुःख महसूस करना चाहिए। अन्यथा जीवन व्यर्थ हो जाएगा।
प्रश्न 2.
हाइकू कविताओं का संकलन करें।
उत्तर:
1. यह जीवन
किस तरह बाँचूँ
कोरा कागज़।
2. मन कागज़
छोड़ा दूर गगन
बना पतंग।
3. जीवन-गाथा
लिखी आँसू की स्याही
न बाँची जाए।
4. है व्यर्थ कथा
उतरी कागज़ पे
टूटी कलम।
5. लिख दे मृत्यु
अंतिम सुनवाई
तोड़ कलम।
6. सहमे पेड़
तूफानों से कहते-
हमें छोड़ दो।
7. डालियाँ झुकीं
बहती धाराओं पे
पीने को पानी।
8. पीर पराई
बेदिल की आँख में
नही समाई।
9. नैनों का नीर
किसी को न दिखाना
पीते रहना।
10. दुःख समझे
वही जो दुःख पाए
और क्या जाने।
11. उलझे रहै
जीवन की रस्मों में
जी ही न पाए।
12. बाँधे पाश में
उलझन सर्पिणी
ईश पुकारूँ!
13. बढ़े इच्छाएँ
मन को उलझाएँ
राह न पाएँ।
14. जकड़े रहे
कर्तव्य का पिंजरा
मन बौराए।
15. क्यों उलझन
बाँधा है जब स्वयं
अपना मन।
16. कैसी ये पीर
उला- सा जीवन
बहे है नीर।
17. रोएँ-हँसाएँ
जीवन् संग खेलें
ये उलझने।
18. जब भी खोलूँ
उलझती ही जाएँ
जीवन-गाँठे।
19. हुई बेमानी
उलझनों से भरी
ये जिंदगानी।
20. जीवन-नैया
फँसी भँवर-जाल
तू दे निकाल।
21. सखियाँ बनी
शैतान. उलझनें
साथ ना छोड़ें।
22. रोएँ-रूलाएँ
चिढ़ाके बाग जाएँ
यूँ उलझाएँ।
23. बहुत हुई
अब कशमकश
छोड़ो भी बस।
24. कभी सुलझी
कभी उलझी रही
जीवन-डोर।
25. रस्मों के गाँव
उलझ गए मेरे
भावों के पाँव।
Plus Two Hindi हाइकू Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
सूचनाः निम्नलिखित हाईकू पढ़ें।
धन्य है वर्षा
खेतों में कविताएँ
बोते किसान।
हाईकू का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
श्री भगवतशरण अग्रवाल हिंदी के एक प्रमुख हाइकू कवि है। प्रस्तुत हाइकू में कवि प्रकृति और मानव के अटूट संबंध के बारे में कहते हैं। जीवन प्रदान करना हर व्यक्ति या वस्तु का धर्म है। वर्षा ऋतु धन्य है क्योंकि पानी जीवनदायिनि है, खेतों में नये जीवन की कविताएँ बानेवाले किसान के कारण वर्षा धन्य हो जाते है। कविता या भोजन हर व्यक्ति के जीवन केलिए आवश्यक है।
प्रश्न 2.
सूचनाः हाईकू पढ़ें।
जब भी कोई
फूल खिला बाग में
तूं याद आया।
हाइकू का भावार्थ लिखे।
उत्तर:
प्रसिद्ध हाइकू कवि श्री भगवतचरण अग्रवाल की एक प्रसिद्ध हाइकू है यह।
बाग में फूल खिलने पर तुझे याद आती है। हर सुंदर वस्तु में प्रियतम की याद आती है, यानि प्रेमी-प्रेमिका के दिल एक दूसरे की इंतज़ार में है, हर वस्तु में एक दूसरे की याद आती है क्योंकि प्रेम कभी भी मुरझाता नहीं, एक-दूसरे से अलग होने पर भी वह एक दूसरे से अलग – नहीं है। प्रेम की शक्ति असीम हैं।
प्रश्न 3.
यह हाइकू पढ़ें।
भादों सरर्स
पर विरहिणी का
सूखा आँगन।
हाइकू का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
हिंदी काव्य जगत में हाइकू को एक अलग पहचान दिलाने में श्री भगवतशरण अग्रवाल का काफी योगदान है। उनकी हाइकू संग्ह का नाम है ‘इन्द्रधनुष”। प्रस्तुत हाइकू इससे ली गयी है।
विरहिणी की पीड़ा का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं सुख भरे भाद्रपद महीने में भी विरहिणी का मन अपने प्रिय की चिंता से रूखा-सूखा रहता है। सुख-सुविधाएँ जितनी भी हो, विरहिणी के लिए सब निरर्थक है। अपने प्रिय के बिना वह खुश नहीं रह सकती। प्रिय के बिना उसके लिए सब कुछ निरर्थक एवं अधूरा लगता है। कम शब्दों में बड़ी बातें कहने की क्षमता प्रत्येक हाइकू में है। हाइकू साहित्य की यही सबसे बड़ी विशेषता है। प्रस्तुत हाइकू इसका सशक्त उदाहरण है।
प्रश्न 4.
सूचनाः निम्नलिखित हाईकू पढ़ें।
मान न मान
मैं तेरा मेहमान
बने बूढापा
हाईकू का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
हिन्दी साहित्य जगत में हाइकू को अगल पहचान दिलाने में श्रेष्ठ है श्री भगवत शरण अग्रवाल। प्रस्तुत हाइकू उनका काव्य संग्रह “इंद्रधनुष” से लिया गया है। हर व्यक्ति बुढापे को अपना दुश्मन मानता है। परंतु परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हरेक को उसे स्वीकारना पडेगा। प्रत्येक हाइकू अपने में पूर्ण है। यही हाइकू की विशेषता है।
प्रश्न 5.
सूचना : निम्नलिखित हाइकू पढ़ें।
धन्य है वर्षा
खेतों में कवितायें
बोते किसान
हाइकू का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
श्री भगवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य जगत में हाइको को प्रमुख स्थान दिलानेवाला है। इन्द्रधनुष आपका हाइकू संग्रह है।
इस हाइकू में प्रकृति और मनुष्य का उपजाऊ रूप दिखाने का कोशिश किया है। वर्षा ऋतु धन्य है, क्योंकि पानी जीवनदायिनी है। खेतों में तनतोड़ मेहनत करके नये जीवन के लिए खेती करनेवाले किसान भी धन्य हैं। कविता यहाँ भोजन के पर्यायवादी शब्द बनते हैं। कवि कविता के ज़रिये नये नये विचार प्रकट करते हैं। किसान खेती करके वर्षा को भी धन्य बना देता है।
प्रश्न 6.
सूचनाः निम्नलिखित हाइकू पढ़ें।
मान न मान
मैं तेरा मेहमान
बने बुढ़ापा
हाइकू कविता का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
हाइकू एक विशेष काव्य-शैली है। जापानी कविता से प्रेरणा पाकर ही हिन्दी में भी हाइकू का उदय हुआ। हिंदी काव्य जगत में हाइकू को एक अलग पहचान दिलाने में श्री भगवत शरण अग्रवाल का विशेष योगदान रहा है। ‘इन्द्रधनुष’ उनका प्रसिद्ध हाइकू संग्रह है। बुढ़ापे के बारे में कवि कहते हैं – हर व्यक्ति बुढापे को अपना दुश्मन मानता है। परंतु परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हर व्यक्ति को उसे मानना ही पड़ता है। अर्थात् एक न एक दिन हर व्यक्ति बूढ़ा हो जाएगा। बुढापे के बारे में कवि ने यहाँ कहा गया है। प्रत्येक हाइकू अपने आप में पूर्ण एवं गरिमामय है।
प्रश्न 7.
सूचनाः निम्नलिखित हाइकू पढ़ें।
जब भी कोई
फूल खिला बाग में
तू याद आया।
हाइकू कविता की विशेषताओं का परिचय देते हुए भावार्थ लिखें।
उत्तर:
हाइकू एक विशेष काव्य-शैली है। जापानी कविता से। प्रेरणा पाकर ही हिन्दी में भी हाइकू का उदय हुआ। हिंदी काव्य जगत में हाइकू को एक अलग पहचान दिलाने में श्री भगवत शरण अग्रवाल का विशेष योगदान रहा है। ‘इन्द्रधनुष’ उनका प्रसिद्ध हाइकू संग्रह है।
प्रेम की महिमा का गायन करते हुए कवि कहते हैं – प्रेम कभी नहीं मुरझाता है। प्रेमी-प्रेमिका के दिल में हमेशा यादें बनी रहती है। प्रत्येक फूल के खिलने में प्रेमी को प्रेमिका की याद आती है। प्रेम की गरिमा यहाँ व्यक्त की गयी है। प्रत्येक हाइकू अपने आप में पूर्ण एवं गारिमामय है।
हाइकू Profile
भगवतशरण अग्रवाल का जन्म 1930 को उत्तरप्रदेश के बरेली में हुआ। वे गुजरात विश्वविद्यालय के निदेशक थे। हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को एक अलग पहचान दिलाने में उनका काफी योगदान रहा। अपनी साहित्य सेवा के लिए वे अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। इंद्रधनुष’ उनका प्रमुख हाइकू संग्रह है।
– भगवतशरण अग्रवाल
हाइकू Summary in Malayalm
हाइकू Glossary
हाइकू – 1
शब्दार्थ
प्रकृति के प्रकोपों के कारण कभी पेडों से नीड़ नीचे गिरते हैं, परंतु नीचे गिरे बच्चों को छोड़कर उनकी माँ भाग नहीं जाती। माँ की ममता अतुलनीय है।
हाइकू – 2
शब्दार्थ
विरहिणी की जीवनगाथा आहों और पीड़ाओं की है। पति के दूर होने से सूख भरे मौसमों में भी उसका मन हमेशा सूखा – सूखा रहता है।
हाइकू – 3
शब्दार्थ
हर व्यक्ति बुढापे को अपना दुश्मन मानता हैं। परंतु परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हरेक को उसे स्वीकारना पड़ेगा।
हाइकू – 4
शब्दार्थ
वर्षा जीवनदाता है, तन-तोड़ मेहनत करके खेतों में नये जीवन की कविताएँ खिलाने या बोनेवाले किसान के कारण वह धन्य हो जाती है।
हाइकू – 5
शब्दार्थ
प्रेम कभी नहीं मुरझाता है। प्रेमी-प्रेमिका के दिल में हमेशा यादें हरा रहती हैं।
हाइकू – 6
शब्दार्थ
वेदना मन को पवित्र बनाती है, वेदना के कारण खुशी और प्यार का महत्व बनता है, जो इसे पहचानते नहीं, उसके सामने आँसू का कोई मूल्य नहीं होता ।
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