Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 3 मुरकी उर्फ बुलाकी (कहानी)
मुरकी उर्फ़ बुलाकी (Text Book Page No. 68-77)
प्रश्न 1.
स्त्री के चेहरे में कौन-सा भाव झलकता है?
उत्तरः दुःख/निराशा/व्यथा
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प्रश्न 1.
अनुवर्ती कार्य
प्रश्न 1.
ये कथन पढें
उत्तरः
राजवती घर की माल्किन थी। वह मुरकी को एक नौकरानी के रूप में नहीं बल्कि एक बेठी के रूप में देखती थी, अपने बेठे का देखभाल करने के लिए आई मुरकी से वह बहुत प्यार करती हैं। प्यार भरी दो नाम – मुरकी और बुलाकी पुकारते हैं। मुरकी का भविष्य के बारे में उसे चिंता थी। राजवती दयालू भी थी। दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाती है वह। मुरकी केलिए अपने बेटे से भी वादा करवाती है, राजवती एक सकारात्मक (positive) पात्र है। वह दूसरों को एक अच्छा नमूना (model) बन जाता है।
प्रश्न 2.
पति द्वारा उपेक्षित बुलाकी और राजवती के बीच वार्तालाप।
उत्तरः
राजवती : क्या हुआ मुरकी? तेरा पति कहाँ है?
मुरकी : वह मुझे छोड़कर चला गया।
राजवती : सच-सच वताओ क्या हुआ था?
मुरकी : मेरे गहनों को बेचकर हम एक घर बनाया था, लेकिन उसे और किसी लडकी से प्यार हुआ था। फिर …..
राजवती : फिर क्या हुआ?
मुरकी : दो दिन पहले उसने मुझे दशहरे के मेला दिखाने केलिए ले गया। हम रात एक सराय में सो रहे थे, उसने मेरे साडी से चाबी लेकर चले गये।
राजवती : तुम कैसे यहाँ पहुँचा?
मुरकी : एक दयालू ने मेरे बारे में जानकर कुछ रुपये दिये और मैं यहाँ चली आयी।
राजवती : घबराओ मत, मैं हूँ ना।
मुरकी : मैं अब क्या करूँ? रहने केलिए घर तक नहीं।
राजवती : तुम यहाँ इस कोठरी में रहो। मैं जीते हुए तुमें कोई भी यहाँ से नहीं निकालेगा।
मुरकी : यह एहसान मैं कैसे भूलूँ?
प्रश्न 3.
पति द्वारा उपेक्षित बुलकी का आत्मकथांश तैयार करें।
उत्तर:
आत्मकथा :
मेरा जीवन संघर्षों से भरा था, मेरे जन्म के कुछ ही दिनों के बाद मेरी माँ मर गयी, पिता ने मुझे चाचा के घर भेजा। वहाँ मेरा जीवन अकेला था। फिर राजवती माँ के यहाँ कुमार की देखपाल केलिए मुझे लाये गये। माँ ने मुझे मुरकी और बुलाकी नाम दिये। खुशी से जीवन बिताते समय बाप ने मेरी शादी किसी बूढे के साथ करनावा चाहा। मैं एक शहरी लड़के के साथ भाग गयी। लेकिन वह मुझे छोड़ दिया, मैं वापस राजवती माँ के पास पहुँच गया। राजवती माँ ने मुझे आश्रय दिया।
मेरा हालत सुनकर मुझे अपने घर में एक कोठरी दिया। मुझे वादा दिया कि इस कोठरी की चाबी किसी ने भी नहीं छीनेगा। अपने बेठे से भी वादा करवायी थी। माँ नहीं होती तो मेरा जीवन कितना कठिन होती, यह चाबी में जीवन भर मेरे पास रखूगी।
Plus Two Hindi मुरकी उर्फ़ बुलाकी Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
पति द्वारा उपेक्षित बुलाकी को राजवंती अपने यहाँ आश्रय देती है। संकेतों के आधार पर बुलाकी का आत्मकथांश तैयार करें।
- राजवंती के यहाँ आश्रय मिलना।
- राजवंती द्वारा कोठरी की चाबी पकड़ा जाना।
- जीवन भर चाबी न छीनने का वादा मिलना।
उत्तर:
आत्मकथा
मेरा जीवन संघर्षों से भरा था। मेरे जन्म के कुछ ही दिनों के बाद मेरी माँ मर गयी, ………. मुझे चाचा के घर भेजा। वहाँ मेरा जीवन अकेला था। फिर राजवती माँ के यहाँ कुमार की देखपाल केलिए मुझे लाये गये। माँ ने मुझे मुरकी और बुलाकी नाम दिये। खुशी से जीवन बिताते समय बाप ने मेरी शादी किसी बूढे के साथ करवाना चाहा। मुझे बिलकुल पसंद नहीं आया। मैं एक शहरी लड़के के साथ भाग गयी। लेकिन वह मुझे छोड़ दिया, मैं वापस राजवती माँ के पास पहुँच गया। राजवती माँ ने मुझे आश्रय दिया।
मेरा हालत सुनकर मुझे अपने घर में एक कोठरी दिया। मुझे वादा दिया कि इस कोठरी की चाबी किसी ने भी नहीं छीनेगा। अपने बेटे से भी वादा करवायी थी। माँ नहीं होती, यह चाबी में जीवन भर मेरे पास रखूगी।
प्रश्न 2.
संकेतों के आधार पर मुरकी का आत्मकथांश तैयार करें।
संकेत : दशहरा का मेला देखने को जाना
पति द्वारा उपेक्षित हो जाना
एक दयालू की सहायता मिलना
राजवंती माँ द्वारा शरण देना
उत्तर:
मेरा जीवन :
हे भगवान! आपको मैं ने देखा राजवंर्ता माता के रूप में। ज़िंदगी में जो कुछ मैं ने पाया, जो कुछ मैं ने देखा सब • व्यर्थ रहा। मेरा शेष जीवनकाल इसी घर में राजवंती माता की बिटिया के रूप में संपन्न होनेवाली है। जिस माता ने मुझे पूरी जिंदगी यहीं पर गुजारने की अनुमति दी है वे ईश्वर से कम नहीं है। मेरी भी एक कोठरी है यहाँ। कोठरी की चाबी मुझे पकडाते हुए उन्होंने मुझे वचन किया है। मुझे यहाँ से कोई भी, कभी भी निकानेगा नहीं। माँ ने बेटे से भी ऐसा वादा कराया है। अब मुझे सब कुछ है। माँ है, भाई है, घर है और यही मेरा परिवार है।
सूचनाः
‘मुरकी उर्फ बुलाकी’ कहानी का अंश पढ़ें और 5 से 9 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
“हाँ, कुमार! इसलिए मैंने तुझसे प्रण लिया था। उसके मर्द ने जब उसके घर की चाबी उसके पल्ले से खोल ली थी, मैंने इस कोठरी की चाबी उसको पकड़ाते हुए कहा .. था कि मेरे जीते-जी कभी कोई तुझसे यह चाबी नहीं छीनेगा। और कुमार! आज जब मैंने उसकी मरी को नहलाया, इस कोठरी की चाबी उसके नेफ़े में खोंसी हुई थी। उसके माँस से चिपक गई थी। इस चाबी ने उसकी देह पर जख्म कर दिया था। पर उसने जीते-जी इस चाबी को अपने माँस से नहीं उतारा। मुरकी….. बुलाकी एक औरत ………..”
प्रश्न 3.
“मुरकी उर्फ़ बुलाकी’ किसकी रचना है?
(एकांत श्रीवास्तव, हिमांशु जाशी, अमृता प्रीतम, राज बुद्धिराजा)
उत्तर:
अमृता प्रीतम
प्रश्न 4.
मुरकी की मृत्यु के बाद कोठरी की चाबी कहाँ से मिली?
उत्तर:
माँस से/ देह से/ नेफे से
प्रश्न 5.
कुमार की माँ ने कोठरी की चाबी मुरकी को क्यों दी?
उत्तर:
म मुरकी को किसी भी व्यक्ति द्वारा घर से नहीं निकाला जाने के लिए ही कुमार की माँ ने कोठरी की चाबी मुरकी को दी थी।
प्रश्न 6.
उपर्युक्त खंड का संक्षेपण करें।
उत्तर:
बेचारी मुरकी
मुरकी की मरी के आगे बैठकर राजवंती कह रही थी कि उसने ही कोठरी की चाबी मुरकी को दी थी। वही चाबी आज तक उसके नेफे में खोंसी हुई थी जो उसके देह पर जख्म कर दिया था।
प्रश्न 7.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक दें।
उत्तर:
अभागिन मुरकी
प्रश्न 8.
मुरकी की कथा सुनकर कुमार की आँखें भर आईं। उस दिन की डायरी में वह अपने मन की संवेदनाएँ व्यक्त करता है। वह डायरी तैयार करें।
- मुरकी का कुमार के घर आना।
- बचपन में कुमार को खाना खिलाना ।
- मुरकी का एक लड़के के साथ भाग जाना।
- मुरकी का लौट आना।
- मुरकी की मृत्यु हो जाना।
उत्तर:
22 / मई – बुधवार / 2001
आज एक अजीब दिन था। कई सालों के बाद मुरकी की असली कहानी मुझे आज पता चला। आज मुरकी की मृत्यु के बाद माँ ने सब कुछ बता दिया। वह हमारे पुराने नौकर की बेटी थी। उसकी माँ के मृत्यु के बाद उसे यहाँ लाया गया था। मेरा देखपाल यह करते थे। माँ और मुरकी के बीच एक माल्किन-नौकरानी संबंध नहीं था। वह एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। क्योंकि उसके बाप पैसे केलिए उसकी शादी तय किया तो उसने एक शहरी लड़के के साथ भाग गया। लेकिन लड़के ने उसे धोक्का दिया और छोड़ दिया। मुरकी वापस यहाँ आया तो माँ ने एक कोठरी दिया और चाबी भी। और बेचारी मुरकी उस चाबी को अपने पास सभी समय रखते थे। मृत्यु के बाद नहाते समय उस चाबी को उसकी माँस में छिपे हुए मिली। एक गरीब निस्सहाय नारी का हालत मुझे आज ही पता चला।
प्रश्न 9.
मुरकी उर्फ बुलाकी पाठ का यह अंश पढ़ें।
“वह तुझे खिलाया करेगी और रोटी खा लिया करेगी” – ‘मुरकी उर्फ बुलाकी’ में मुरकी के पिता राजवंती से अपनी अवस्था और मातृहीन बेटी का आश्रय देने की बात कहता है। वह वार्तालाप तैयार करें।
उत्तर:
राजवंती : अरे, तुम आजकल इतना उदास क्यों है?
मुरकी के पिता : क्या कहूँ अम्मा, बेटी की चिंता हर समय सता रही है।
राजवंती : क्या हुआ उसको?
मुरकी के पिता : उसे तो कुछ नहीं हुआ। मगर मेरे जाने के बाद उसका क्या होगा?
राजवंती : तुम बात तो बताओ न?
मुरकी के पिता : हम नौकर-चाकरों की क्या ज़िन्दगी है? गधे की तरह जीते हैं और मर जाते है।
राजवंती : अरे तुमसे तो मैं ने कहा ना, बात साफ साफ बताओ।
मुरकी के पिता : जी, गाँव में मेरी औरत की मृत्यु हुई थी, यह आप जानती हैं।
राजवंती : हाँ मालुम है। अब एक साल होनेवाली है।
मुरकी के पिता : हाँ। तब से मेरी बेटी की हालत अत्यंत दुखभरी है।
राजवंती : क्या हुआ उसको?
मुरकी के पिता : औरत के मरने के बाद गाँव में वह एक रिश्तेदार के यहाँ अकेली रहती है। अब तो वह बड़ी बन गई है।
राजवंती : अपनी लड़की को ऐसे छोड़कर तुम क्यों जाते हो?
मुरकी के पिता : मैं क्या करूँ जी। आप के काम के लिए यहाँ आना ही पड़ता है न?
राजवंती : बेचारा, वहाँ अकेली है।
मुरकी के पिता : जी मैं एक बात पूछू?
राजवंती : क्या है?
मुरकी के पिता : अगर आप मानेंगी तो मैं उसे यहाँ आपके पास लाऊँगा । वह तुझे खिलाया करेगी और रोटी खा लिया करेगी।
राजवंती : यह तो अच्छी बात है। बेचारा वहाँ अकेली नहीं पड़ जाएगी और यहाँ मेरे लिए भी एक संहारा मिलेगी।
मुरकी के पिता : भगवान आपकी भलाई करेंगे। अच्छा जी। कल ही मैं उसे यहाँ लाऊँगा।
प्रश्न 10.
“बाप ने जब बात पक्की की, यह रात ही रात में एक शहरी लड़के के साथ भाग गई।”
मुरकी के भाग जाने पर राजवंती उसके भविष्य के बारे में सोचकर चिंतित है। राजवंती के उस दिन की डायरी तैयार करें।
उत्तर:
प्रश्न 11.
भाग जाने के पिछले दिन मुरकी का मन तनावपूर्ण बन जाता है। मुरकी के उस दिन की डायरी लिखें।
उत्तर:
प्रश्न 12.
पति द्वारा उपेक्षित मुरकी वापस आती है और राजवंती उसे अपना लेती है। संकेतों के आधार पर राजवंती का आत्मकथांश तैयार करें।
उत्तर:
जीवन और नियति का खेल कुछ अजीब ही है। जिसे हम अपना मानकर साथ रखते हैं वही हमारे जीवन का दुःख बन जाते हैं। जिसको मैं ने अपनी ही बेटी मानकर पालापोसा और बढ़ा किया वही मुझे छोड़कर – सब कुछ छोड़कर – किसी अजनबी के साथ चली गयी और … और अंत में आ गई वापस, सब कुछ खोकर। अपना मान-सम्मान सब कुछ खोकर वह आ गयी – मेरी बिटिया मुरकी।
सारे पुरुष जाति के प्रति मुझे प्रतिशोध है। साथ-साथ मैं आशंकित हूँ – मेरी बिटिया के बारे में। अब क्या होगा उसका भविष्य? कौन इसे अपनाएगा। यह अत्यंत कठिन बात है, जिसे हम अपना समझते हैं, अचानक उसका पराया बनना। जो भी हो मैं मुरकी को नहीं छोड़नेवाली हूँ। संपूर्ण जीवन में उसका सहारा बनकर मैं रहूँगी। इसीलिए ही इस घर के कोठरी का चाबी मैंने उसको दिया और मेरे बेटे कुमार से उसे घर से कभी भी नहीं निकालने की प्रतिज्ञा भी करवायी।
प्रश्न 13.
यह कथन पढ़ें।
मन के सौदे में जब उसका मन ही मुकर गया तो फिर तन को क्या ढूँढना था?
राजवंती के कथन के आधार पर मुरकी के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
मुरकी रिश्तों को महत्व देनेवाली है। बड़ों के प्रति उसके दिल में प्यार एवं ममता है। पति-पत्नी के संबंध को अत्यधिक महत्व देनेवाली औरत है वह। अपने पति को वह ईश्वर के समान मानती है। उसके लिए सब कुछ समर्पण करने के लिए भी वह तैयार है। उसके अनुसार शादी एक पवित्र बंधन है। इसीलिए ही वह कहती है “मन के सौदे में जब उसका मन ही मुकर गया तो फिर तन को क्या ढूँढना था?” तन के रिश्ते से अधिक मानसिक एकता को महत्व देनेवाली औरत है मुरकी।
मुरकी उर्फ बुलाकी (कहानी) Profile
पंजाबी और हिंदी की विख्यात लेखिका अमृता प्रीतम ने उपन्यास, कहानी, कविता, संस्मरण एवं आत्मकथा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। पंजाब के गुजरांवाला में 1919 को उनका जन्म हुआ। देशी और विदेशी भाषाओं में उनकी रचनाओं का अनुवाद हुआ था। 1982 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से वे सम्मानित हुई। ‘कहानियों के आँगन में’, ‘कहानियाँ जो कहानियाँ नहीं है’ आदि उनके चर्चित कहानी-संग्रह हैं। 2005 को उनकी मृत्यु हुई।
– अमृता प्रीतम
मुरकी उर्फ बुलाकी (कहानी) Summary in Malayalam
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