Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 2 मेरे लाल (पद)
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प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द पठित पदों से ढूँढ़कर लिखें।
दाँत – ____________
युवति – ____________
वेद – ____________
संतुष्ट – ____________
छोटा – ____________
दृष्टि – ____________
प्रवाह – ____________
सफल – ____________
देखकर – ____________
होश – ____________
दोनों – ____________
बिजली – ____________
चतुर – ____________
मर्यादा – ____________
सागर – ____________
सुनकर – ____________
पुत्र – ____________
भूल गई – ____________
गोपिकाएं – ____________
नया – ____________
उत्तरः
दाँत – दात
युवति – तनु
वेद – बैद
संतुष्ट हुई – अघाई
छोटा – तनक
दृष्टि – चितवन
प्रवाह – ढरनि
सफल – सुफल
देखकर – देखि
होश – सुधि
दोनों – दोऊ
बिजली – बीजु
चतुर – नागर
मर्यादा – मरजाद
सागर – सिंधु
सुनकर – स्रवन परी
पुत्र – सुत
भूल गई – बिसरी
गोपिकाएं – ललनागन
नया – नवल
- अपने बेटे कृष्ण का मुख देखकर माता यशोदा बहुत खुश हुई। श्रीकृष्ण की छोटी-छोटी दूध के दांत देखकर हर्षातिरेक से अपने आपको भूल गई।
- हर्ष से हँसनेवाले श्रीकृष्ण के दूध की दाँत को देखकर सूरदास को ऐसा लगता है कि जैसे कमल पर बिजली बिजली है।
- श्रीकृष्ण के मुरली से निकली मीठी वाणी सुनकर गोपिकाएँ अपने सभी कामों को छोड़कर धोड़ी है।
मेरे लाल अनुवर्ती कार्य:
प्रश्न 1.
अस्यादन टिप्पणी।
उत्तरः
सूरदास हिंदी साहित्य के कृष्णभक्ति शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। उन्होंने व्रज भाषा में भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया है। प्रस्तुत पद सूरदास के बाललील का पद है, जो ‘सुरसागर’ से लिया गया है।
अपने बेटे का मुख देखकर माता यशोदा बहुत खुश हुई। बहुत हर्ष के साथ अपने बेटे के दूध की दाँत को देखकर लाङ-प्यार में मग्न यशोदा का होश खो गया है। वह बाहर से अपने पतिदेव नंद को बुलाकर पुत्र का सुंदर रूप देखने को कहती है। पुत्र के छोटे-छोटे दाँत को देखकर उसकी आँखें सफल होती है। उनके मुख और दृष्टि खुशी से भर गए। सूरदास कहते हैं कि किलकारी करनेवाले कृष्ण के दाँतों को देखकर ऐसा लगता है मानो कमल पर बिजली जम गई है।
श्रीकृष्ण का सौंदर्य अनुपम है। बच्चों को देखकर माँ-बाप सबकुछ भूल जाते हैं।
प्रश्न 2.
गोपिकाओं के बीच का वार्तालाप।
उत्तरः
गोपिका 1 : अरे, सखी, सुनो। क्या है यह मीठा शब्द?
गोपिका 2 : वह तो मुरली नाद है।
गोपिका 1 : मुरती नाद? कौन? यहाँ इस वृंदावन में?
गोपिका 2 : जानती नहीं, कृष्ण।
गोपिका 1 : कृष्ण, चलो, वृंदावन की ओर।
गोपिका 2 : यह काम!
गोपिका 1 : काम छोड दो। जल्दी कान्हा के पास जाओ।
गोपिका 2 : कान्ह की मुरली नाद जादू की तरह हमें खींचते हैं।
गोपिका 1 : ठीक है, जल्दी चलो।
गोपिका 2 : अच्छा, चलो।
Plus Two Hindi मेरे लाल Questions and Answers
निम्नलिखित पद पढ़ें।
सुतमुख देखि जसोदा फूली। हरषित देखि दुध की दतियाँ प्रेम मगन तनु की सुधि भूली।।
बाहिर ते तब नंद बुलाए देखौ धौं सुंदर सुखदाई। तनक तनक सी दूध की दतियाँ देखौ नैन सुफल करो आई।।
आनंद सहित महर तब आए मुख दिचवन दोउ नैन अघाई।
‘सूर’ स्याम किलकत द्विज देख्यो मनो कमल पर बीजु जमाई।।
प्रश्न 1.
सूरदास हिंदी साहित्य के किस काव्यधारा के कवि हैं? (छायावाद, सगुण भक्ति काव्य, द्विवेदी युग)
उतर:
सगुण भक्ति काव्य
प्रश्न 2.
‘छोटा’ शब्द का समानार्थी शब्द कविता से ढूंढे (तनक, महर, कमल)
उतर:
तनक
प्रश्न 3.
यशोदा क्यों खुश हुई?
उतर:
अपनी बेटा कृष्ण का मुख देखकर माता यशोदा बहुत खुश हुई।
प्रश्न 4.
माता यशोदा अपने को क्यों भूल गई?
उतर:
श्रीकृष्ण की छोटी-छोटी दूध के दाँत देखकर हर्षातिरेक से यशोदा अपने आपको भूल गई।
प्रश्न 5
मध्यकालीन काव्यधारा की विशेषताओं का परिचय देते हुए पद की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उतर:
सूरदास हिंदी साहित्य के कृष्ण भक्ति शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि है। उन्होंने व्रज भाषा में भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया है। मध्यकालीन काव्यधारा की प्रमुख विशेषतायें इस पद में देखा जा सकता है। भक्ति का वर्णन, सौंदर्य बोध, आराध्य देव का वर्णन, सामाजिक भावना आदि गुण इस पद में है। प्रस्तुत पद सूरदास के बाल लीला का पद है, जो सूरसागर से लिया गया है। अपने बेटे के मुख देखकर माता यशोदा बहुत खुश हई। बहुत हर्ष के साथ अपने बेटे के दूध की दाँत को देखकर लाड़-प्यार में मग्न यशोदा का होश खो गया है। वह बाहर से अपने पतिदेव नंद को बुलाकर पुत्र का सुंदर रूप देखने को कहती है। पुत्र के छोटे-छोटे दाँत को देखकर उसकी आँखें सजल होती है। उनके मुख और दृष्टि खुशी से भर गए। सूरदास कहते हैं कि किलकारी करनेवाले कृष्ण के दाँतों के देखकर ऐसा लगता है मानो कमल पर बिजली जम गई है। श्रीकृष्ण का सौंदर्य अनुपम है। बच्चों को देखकर माँ बाप सबकुछ भूल जाते हैं। वात्सल्य रस का प्रभाव हमारे मन में आवश्यक है। यह आज भी प्रासंगिकता है।
निम्नलिखित पद पढ़ें।
जवहीं बन मुरली सवन परी।
चकित भई गोप कन्या सब धाम काम बिसरी।।
कुल मरजाद बेद की आज्ञा नेकहु नहिं डरीं।
स्याम सिंधु सरिता ललनागन जल की ढरनि ठरी।।
सुत पित नेह भवन जन संका लज्जा नहीं करी।
‘सूरदास’ प्रभु मन हरि लीन्हों नागर नवल हरी।।
प्रश्न 1
पद में वर्णित भाव क्या है? (वात्सल्य, प्रेम, शोक).
उतर:
प्रेम
प्रश्न 2.
कौन मुरली बजा रहा है?
उतर:
श्याम/ कृष्ण/ प्रभु
प्रश्न 3.
गोपिकाएँ क्यों अपना काम-धाम भूल गई?
उतर:
श्रीकृष्ण के मुरली-से निकली मीठी वाणी सुनकर गोपिकाएँ अपना काम धाम भूल गई।
प्रश्न 4
कवि एवं काव्यधारा का परिचय देते हुए पद की व्याख्या करें।
उतर:
सूरदास हिंदी साहित्य के कृष्णभक्ति शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि है। सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी आदि आपके प्रसिद्ध रचनायें है। कृष्ण का रूप सौंदर्य, यशोदरा के वात्सल्य वर्णन, गोपिकाओं के साथ कृष्ण का व्यवहार, राधा-कृष्ण लीला, भ्रमर गीत आदि इन रचनाओं में हैं। मध्यकालीन भक्त काव्यधारा के सभी गुण इन रचनाओं में मिलते हैं।
जब मुरली का स्वर सुनाई पड़ा तब गोपिकाएँ चकित हुई और वे सब कामकाज भूल गई। कुल की मर्यादा तथा धर्मग्रन्थों के अनुशासन से वे बिलकुल नहीं डरी। पुत्रपति का स्नेह, घर-बार तथा लोक-लाज की परवाह किए बिना वे कृष्ण रूपी सिंधु में सरिता के जल के समान जा मिली। सूरदास कहते हैं कि चतुर कृष्ण नित्य नए तरीके से गोपिकाओं के मन को हार लेते हैं। अनुपम प्रेम की व्यख्या यहाँ हुआ है। कृष्ण में विलीन होना जीवन में मुक्ति को सूचित करते हैं। हमें भक्ति पूर्ण रूप में करना हैं जहाँ अहम की भाव समाप्त हो जाये। सरल शैली में ईश्वरीय प्रेम अनुभूति को दर्शाया है।
मेरे लाल पद का Summary in Hindi
सूरदास सगुण भक्तिधारा के सर्वश्रेष्ठ कृष्णभक्त कवि हैं। उत्तरप्रदेश में 15 वीं सदी के अंतिम दशकों में उनका जन्म हुआ था। वे जन्मांध माने जाते हैं। सूरदास का वात्सल्य वर्णन अद्वितीय है। सूरसागर की बाललीलाएँ इसके उत्तम दृष्टांत हैं। शृंगार रस के वर्णन में भी उन्होंने अपनी कुशलता प्रकट की है। कृष्ण और गोपिकाओं के प्रेम का वर्णन इसका उदाहरण है।
– सूरदास
सूरदास हिंदी साहित्य के कृष्णभक्ति शाखा के प्रमुख कवि हैं। सूरदास जन्मांध थे। वल्लभाचार्य के शिष्य बनने के बाद वे कृष्ण भक्ति के पद गाने लगे। कृष्ण के बाल-लीला, वात्सल्य और गोपिकाओं के प्रेम का वर्णन उन्होंने किया है।
माँ एक मधुर लोरी गाकर अपनी प्यारी बेटी को सुलाने की कोशिश में है। माँ चंद्र से बादलों के पीछे छिप जाने को कहती हैं ताकि बच्ची जल्दी सो जाए।
पाठ पुस्तक में सूरदास के दो पद दिए गए है। प्रथम पद बाललीला संबंधित है और दूसरा पद में कृष्ण के मुरलीगान और गोपियों के प्रेम का वर्णन है।
मेरे लाल पद का Summary in Malayalam
मेरे लाल पद का Glossary