Kerala Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 7 आपकी आवाज़
प्रश्न 1.
बीमारियाँ कैसे जन्म लेती हैं?
उत्तर:
बारिश के दिनों में बड़ी संख्या में मच्छर पैदा होना एक सामान्य बात है, जिसके परिणामस्वरूप मलेरिया व डेंगु जैसी बीमारियाँ जन्म लेती हैं।
प्रश्न 2.
बीमारियाँ कैसे फैलती हैं?
उत्तर:
स्थाई निवारण के लिए गंभीर प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। इसलिए बीमारियाँ फैलती हैं।
आपकी आवाज़ अनुवर्ती कार्य
प्रश्न 1.
चर्चा करें – संपादकीय लेखन कैसे?
चर्चा बिंदु :
- विषय का चुनाव
- विषय के ज़रूरी तथ्य
- समस्या-प्रस्तुति का ढाँचा
- समर्थन का तरीका
- संपादकीय भाषा
- शीर्षक
(सहायक संकेत-परिशिष्ट, पृष्ठ संख्या-110-111, संपादकीय)
प्रश्न 2.
‘बढ़ती बीमारियाँ’ में
a. किस विषय की चर्चा हुई है?
b. विषय-प्रस्तुति के लिए कौन-कौन से तथ्य जुटाए हैं?
c. समस्या का समर्थन करने के लिए क्या-क्या तर्क उठाए हैं?
d. समस्या प्रस्तुत करने के लिए कौन-सी भाषा-शैली का प्रयोग किया है?
e. संपादकीय का शीर्षक कैसे चुना है?
उत्तर:
a. राजधानी दिल्ली में बढ़ती बीमारियों की चर्चा हुई है।
b. विषय संबंधी आवश्यक जानकारी, सांख्यिकीय स्पष्टीकरण ज़रूरी प्रस्ताव आदि तथ्य जुटाए हैं।
c. स्थिति की गंभीरता, सरकार का उत्तरदायित्व आदि तर्क उठाये है।
d. सरल शब्दों में आकर्षक एवं प्रभावशाली भाषा शैली।
e. समकालीन समस्या संबन्धी।
यह रपट पढ़ें
प्रश्न 3.
रपट के लिए एक नया शीर्षक लिखें।
शीर्षक की परख, मेरी ओर से
- पढ़ने को प्रेरित करता है।
- केंद्र आशय को उद्दीप्त करता है।
- भ्रमात्मकता से रहित है।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित बिंदुओं की सहायता से ‘बढ़ती सड़क दुर्घटनाएँ’ पर संपादकीय तैयार करें।
- कच्ची-टूटी सड़कें
- गाड़ियों की बढ़ती संख्या
- ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन
- नशीली चीज़ों का उपयोग
- नियमों का सज़ पालन
- जागरण-कार्यक्रम
उत्तर:
दैनिक सूरज
सोमकार 19 मार्च 2016
बढ़ती सड़क दुर्घटनाएँ
केरल में सड़क दुर्घटनाएँ बढ़ती जाती हैं। कल कोल्लम जिले में एक मिनी बस के पलटने से 2 लोगों की मृत्यु हो गयी और 12 लोग घायल हो गये। सड़क कच्ची-टूटी अवस्था में है। गाड़ियों की संख्या रोज़ बढ़ती जाती है। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन होता जाता है। सरकार की ओर से आवश्यक ध्यान इन बातों पर नहीं है। अनेक ड्राईवर लोग नशीली चीज़ों के उपयोग करके गाड़ियाँ चलाते हैं। इनको पकड़ने के लिए सरकार आवश्यक कदम नहीं उठाता है। नियमों का सख्त पालन पर सरकार की ओर से ज़रूरी ध्यान होना चाहिए। जनजागरण-कार्यक्रम भी होना चाहिए। बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन भी पूरी तरह सहयोग देना चाहिए।
प्रश्न 4.
संपादकीय की परख, मेरी ओर से
- तथ्यों की सटीक प्रस्तुति हुई है।
- समस्या के विभिन्न कारण प्रस्तुत किए हैं।
- समस्या-समाधान के सुझाव प्रस्तुत किए हैं।
- अनावश्यक विस्तार नहीं है।
- आकर्षक शीर्षक है।
उत्तर:
संपादकीय समाचार पत्र या अन्य पत्रिका का अभिमत प्रकट करनेवाला एक लेख है। जनहित और जनमत संपादकीय का विषय होना चाहिए। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक या अन्य समस्याओं पर अपना मंतव्य प्रकट करना संपादकीय के विषय का जरूरी तथ्य होता है। आवश्यक जानकारी और तथ्यों का समाहर करना संपादकीय लिखने के पहले ज़रूरी है। मर्म छूटे बिना विषय को संक्षिप्त रूप में प्रकट करना चाहिए। विषयानुकूल तथ्यों का समर्थन और विरोधी विचारों का खंडन संपादकीय में होना चाहिए। भाषा प्रवाहमय और सरल शब्दों में होनी चारिए। विषयोचित आकर्षक शीर्षक होना चाहिए। संपादकीय का अंत अत्यंत प्रभावशाली होना चाहिए। संपादकीय रोचक एवं पठनीय होना भी है।
प्रश्न 5.
संपादकीय तैयार करें- जनसंख्या विस्फोडन पर दैनिक समाचार में छापने योग्य संपादकीय तैयार करें। जल की कमी और जल का दुरुपयोग जीव-जंतुओं के लिए खतरा उत्पन्न करता है।
- जल जीवन का आधार
- जल प्रदूषण और दुरुपयोग
- जल की सुलभता में कमी
- जल शोषण के प्रकार
- जल स्रोतों का संरक्षण
उत्तर:
दैनिक सूरज –
सोमवार 19 मार्च 2016
बढ़ती जल-समस्या
केरल में अनेक नदियाँ हैं। वर्षा का भी कमी नहीं है। लेकिन शुद्ध जल का अभाव केरल की सबसे बड़ी समश्या हो रही है। जीवन का आधार है जल। यह जानकर भी केरल सरकार की ओर से पानी के संरक्षण केलिए उचित ध्यान नहीं होता। केरल की नदियों के और जलाशयों का जल निरंतर प्रदूषण है खतरे में है। जल का दुरुपयोग भी खूब होता रहता है। इसके प्रति सरकार और संबंधित अधिकारी लोग ध्यान क्यों नहीं देते? जल की सुलभता में कमी से केरल जनता की कठिनाईयाँ निरंतर बढ़ती रहती है। विभिन्न प्रकार से जल का शोषण हो रहा है। अक्सर अधिकारी लोग इसके लिए साथ देते रहते हैं। जल स्रोतों का संरक्षण करना अनिवार्य है। सरकार के जल-विभाग की ओर से तुरंत इस दिशा में उचित कर्मपरिपाटियों की आयोजना होनी चाहिए। नहीं तो, सरकार सतर्क रहिए! सरकार से पेयजल और शुद्ध जल मिलने केलिए हड़ताल करने के लिए जनता मज़बूर हो जायेगी।
प्रश्न 6.
‘बच्चों के प्रति अत्याचार रोकें’ – इस विषय पर संपादकीय तैयार करें।
उत्तर:
दैनिक सूरज
सोमवार 19 मार्च 2016
‘बच्चों के प्रति अत्याचार रोकें’
बच्चे ओस की बूंदों की तरह एक दम शुद्ध और पवित्र होते हैं। वे कल के नागरिक हैं। लेकिन दुःख की बात है कि बच्चों के विरुद्ध अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। अधिकांश बच्छे सुरक्षाहीन वातावरण में रहते हैं। बच्चों के विरुद्ध बढ़नेवाले अत्याचारों को नियंत्रण में रखने के लिए कोई रास्ता है? मार्ग तो है, लेकिन मन नहीं है। निषकलंक बच्चों को अत्याचार के कारण अनावश्यक रूप से कष्ट सहने के अवसर होना बिलकुल पैशाचिक है, राक्षसीय है। अत्याचार बढ़ने का मुख्य कारण मानविकता का अभाव ही है। बड़ों के मन में मानविकुजा के भावों को जागरूक रखना चाहिए। सरकार की ओर से सख्त, नियमों के पालन के लिए सतर्कता होनी चाहिए। अपराधियों की मनोवृत्ति में बदलाव लाने के लिए सरकारी और अन्य संस्थाएँ सदा परिश्रम करते रहना चाहिए। अपराधियों को कठिन दंड दिलाने में विलंब न होना चाहिए। बच्चे देवदूत जैसे हैं। बच्चों से ही राष्ट्र की प्रगति हो सकती है। बच्चों के विरुद्ध कोई अत्याचार न होना चाहिए। हमारे बच्चे अत्याचारों से सदा सुरक्षित रहें।
प्रश्न 7.
सड़कों की बुरी हालत पर एक संपादकीय तैयार करें।
उत्तर:
दैनिक सूरज
सोमवार 19 मार्च 2016
हमारी सडकों की हालत
हमारी सडकें आजकल सुगम यात्रा के पथ नहीं हैं। सभी जगह गड्ढे हैं। उन गड्ढों से बचाकर गाडी चलाना आसान नहीं। बारिश के समय सड़कों की हालत और बुरी हो जाती है। बारिश के मौसम में सड़कें लोगों को इस भ्रम में डालती है कि वे सडक है या तालाब? इस स्थिति के बारे में हमेशा सूचित करते हुए भी सड़क परिवहन विभाग का ध्यान इस बात पर नहीं आया है। वह विभाग ज़रूरत के अवसर पर कुछ न कुछ करता है पर यह पर्याप्त नहीं है। हमारी सड़कों की रक्षा और लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार को इस विषय पर ज़रूर ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित बिंदुओं की सहायता से वृक्षारोपण: हमारा दायित्व पर एक संपादकीय तैयार करें।
- पेड़ों की बरबादी – मौसम पर बुरा असर
- जीव -जंतुओं पर असर
- प्राकृतिक -संतुलन पर बुरा असर
- मानव की स्वार्थता
- वृक्षों की रक्षा हमारा दायित्व
उत्तर:
दैनिक सूरज
सोमवार 19 मार्च 2015
वृक्षारोपण: हमारा दायिच्च
पेड़-पौधों के बिना हमें जीना असंभव है। पुराने ज़माने से मनुष्य और पेड़ के बीच अटूट संबंध रहा है। शुद्धवायु मिलने के लिए, भोजन मिलने के लिए, छाया मिलने के लिए ऐसे अनेक लाभ के लिए पेड़ लगाकर संरक्षण करना जरूरी है। लेकिन आज पेड़ों की बड़ी बरबादी हो रही है। सरकार की ओर से इसको रोकने के लिए उचित कर्मपरिपाटी न होती। अक्सर यह भी होता है कि भ्रष्टाचारवाले सरकारी अधिकारी लोग पेड़ों की बरबादी के लिए साथ देते भी है। इसकी ओर सरकार जागरूक रहना चाहिए।
पेड़ -नशीकरण से मौसम पर बुरा असर होता है। जीवजंतुओं का उत्तरजीवन में बाधा होती है। प्राकृतिकसंतुलन पर भी बुरा असर होता है। मानव की स्वार्थता, संबंधित अधिकारी वर्ग के भ्रष्टाचार और लापरवाही आदि से पेड़ों की बरबादी न होनी चाहिए। वृक्षों की रक्षा हमारा दायित्व है। वृक्षारोपण प्रत्येक नागरिक का और सरकारी संस्था का दायित्व है। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगायें और हमारे पर्यावरण का संरक्षण करें। राज्य सरकार इस दिशा में नेतृत्व, मातृका और प्रोत्साहन सदा देते रहे।
प्रश्न 9.
बाज़ार में रिंग-टोन कंपनी की ओर से नया मोबाईल फोन आया है। उसकी बिक्री बढ़ाने के लिए एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:
नया मोबाईल आया है!!!
रिंग-टोन कंपनी की ओर से!
बहुरंगी है!
डेढ़ साल की वारंटी है।
2 जीबी मेमरी मुफ्त!
अदला-बदला की सुविधायें भी हैं।
जल्दी खरीद लीजिए।
तुरन्त 9800 में संपर्क कीजिए।
हमारा पता: रिंग-टोन कंपनी, आनंदपुरम, शांतिनगर-5
प्रश्न 10.
मान लें, अनंतपुरम के शांतिनगर में हरिता कन्स्ट्रक्शन्स ने एक नया मकान बनाया है। दो और तीन बेडरूमवाले इस मकान में सभी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इस मकान के लिए एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:
सुन्दर मकान कम दाम में!!!
अनंतपुरम के शांतिनग में हरिता कन्स्ट्रक्शन्स ने एक नया मकान बनवाया है।
दो और तीन बेडरूमवाले इस मकान में सभी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
मकान चाहनेवाले
जल्दी आ जाइए!!
तुरन्त 9800 में संपर्क कीजिए।
हमारा पता: हिंरिता कन्स्ट्रक्शन्स,
आनंदपुरम, शांतिनगर-5
Plus One Hindi आपकी आवाज़ Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्नलिखित सहायक बिंदु के आधार पर सम्पादकीय तैयार कीजिए।
‘जनसंचार माध्यम का प्रभाव – छात्रों में लाभ और हानि’ इस विषय पर सम्पादकीय तैयार कीजिए।
सहायक बिंदुः
- मोबैल, टेलिविजन, इन्टरनेट – आधुनिक युग का वरदान
- बटन दबाने पर दुनिया भर की खबरें
- दुनिया भर के लोगों से सम्पर्क
- युवा पीढ़ी का आकर्षण
- विपत्तियाँ – माध्यमों का दुरुपयोग
उत्तर:
संपादकीय
दैनिक भास्कर 28.08.2016
जनसंचार माध्यम का प्रभाव
छात्रों में लाभ और हानि
आज हम तकनीकी विकास को सबसे ज़्यादा प्रमुखता देते हैं। मोबैल, टेलिविजन, इन्टरनेट आदि तकनीकी विकास के कारण हमें वरदान के रूप में मिले हैं। समय, दूरी आदि का मतलब ही आज बदल गया है। एक बटन दबाने से दुनिया भर की खबरें हमें मिलते है। कितने भी दूर के लोगों से हमें आसानी से बात कर सकते हैं। पहले चिट्टी के माध्यम से दिनों या हफ्तों के बाद मिलते थे वह आज निमिष मात्रा में मिल जाते है। मोबैल और इन्टरनेट से दुनिया भर के लोगों से सम्पर्क करना इतना आसान हो गया है कि दूरी आज मिट गया है। इसप्रकार के माध्यमों का प्रभाव युवा पीढ़ी में सबसे ज़्यादा हैं। आज इसका प्रभाव इतना है कि वह बाकी सब को छोडने लगे हैं। इसमें कुछ सामाजिक विपत्तियाँ भी है। बड़े लोग इसका दुरुपयोग करते हैं। समय माध्यमों में ……………… रहने से नष्ट हो जाते है। कई लोग देखे में भी पड़ जाते हैं। समाज में आवश्यक आदान-प्रदान भी युवा पीढ़ी में कम हो रहे हैं।
हमें सतर्कता से काम करना चाहिए कि सामाजिक माध्यम हमारा विकास केलिए है – हम माध्य केलिए नहीं।
प्रश्न 2.
आज हम देख रहे हैं कि व्यक्ति अपना घर साफ करता है और वह गंदगी सड़क या बाहर फेंकता है। इस प्रसंग में ‘स्वच्छ और साफ वातावरण की सृष्टि समाज के लिए अनिवार्य है’ – इस विषय पर निम्नलिखित सहायक बिंदु के आधार से संपादकीय तैयार कीजिए।
सहायक बिंदु:
- सफाई का महत्व
- गंदगी से हानियाँ
- वातावरण को साफ रखना नागरिक का कर्तव्य
- सख्त नियमों का पालन
- स्वच्छता की शुरुआत घर से
- अनेक प्रकार की बीमारियाँ
- जागरण कार्यक्रम
उत्तर:
दैनिक जागरण
सोमवार 15 अगस्त 2016
स्वच्छ और साफ वातावरण की सृष्टि समाज केलिए
अनीवार्य
आधुनिक समाज में सब लोग सफाई का महत्व जानते हैं। सफाई केवल दिखाने केलिए नहीं बल्कि हमारे सुरक्षा केलिए है। गंदगी से कई प्रकार के बीमारियाँ फैलते है। आज कई प्रकार के बुखार फैल रहे हैं। मच्छर और मक्खी के कारण ही इसी प्रकार के बीमारियाँ ज्यादा फैल रहे हैं। ये दोनों जीव गंदगी में ही तेज़ी से बड़ते है। इसलिए हमें जल्द ही गंदगी को रोकना ही चाहिए।
स्वच्छता की शुरुवात घर से ही शुरू होता है। घर का और आसपास के वातावरण के साफ रखना नागरिक रा कर्तव्य है। लेकिन आजकल हम नागरिक ही गंदगी फैलने का कारण हो जाते हैं। कभी कभी घर की गंदगी को सड़क पर ही फेंकते हैं।
सरकारी तौर पर कई जानकारी योजनायें सफाई केलिए हो रहे हैं। कई संस्थायें और व्यक्तियों द्वारा भी सफाई के प्रोत्साहन केलिए कार्यक्रम हो रहे हैं। फिर भी कई लोग यह अपना कर्तव्य न मानकर समाज के विनाशक हो जाते हैं। हमें जानकारी के साथ सख्त नियमों का भी आवश्यकता है। नियमों का पालन हमारा कर्तव्य है। हमें प्रतिज्ञा करना है कि हम सब मिलकर हमारा ही रक्षा केलिए काम करने केलिए तैयार होंगे।
प्रश्न 3.
‘बच्चों के प्रति अत्याचार रोकें’ – इस विषय पर संपादकीय तैयार करें।
उत्तर:
सुन्दर मकान कम दाम में!!!
अनंतपुरम के शांतिनग में हरिता कन्स्ट्रक्शन्स ने एक नया मकान बनवाया है।
दो और तीन बेडरूमवाले इस मकान में सभी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
मकान चाहनेवाले
जल्दी आ जाइए!!
तुरन्त 9800 में संपर्क कीजिए।
हमारा पता: हिंरिता कन्स्ट्रक्शन्स,
आनंदपुरम, शांतिनगर-5
प्रश्न 4
निम्नलिखित विषय पर सहायक बिंदु के आधार से सम्पादकीय तैयार कीजिए। विषयः ‘प्रदूषण – जैव मण्डल का अस्तित्व संकट में’
सहायक बिंदु:
- प्रदूषण – जल, वायू और मिट्टी
- प्रदूषणजन्य रोग
- कूड़े-कचरे से बायोगैस
- जैव कृषि का महत्व
उत्तर:
दैनिक भास्कर
10/5/2017
प्रदूषणः जैव मण्डल
का अस्तित्व संकट में
आज सब लोग जानते हैं प्रदूषण माने क्या है। सम्पूर्ण धरती प्रदूषण से विषलिप्त हो गया है। प्रकृति की स्वाभाविक हालत में आनेवाले हानिकारक परिवर्तन को ही प्रदूषण कहते हैं। जल, वायु और मिट्टी में प्रदूषण हो रहा है। रासायनिक पदार्थों, प्लास्टिक, विविध तरह के कचरे- यह सब हमारे पर्यावरण पर बुरा असर कर रहा है। यह हम जानते हैं लेकिन इसे रोकने के लिए कुछ नहीं करते हैं। जनता कहते हैं इसके ज़िम्मेदार सरकार हैं। सरकार कहते हैं नागरिक अपना दायित्व ठीक तरह से न निभाने से प्रदूषण बड़ते हैं। एक दूसरे को दोषी कहने से इस समस्या का समाधान नहीं मिलेगा। सरकार, नागरिक, संस्थायें – सब एकत्रित होकर प्रदूषण से प्रकृति को बचाने का प्रयत्न शुरू करता है।
पहले हमारे मन में यह सोच ठीक तरह से भरना होगा कि यह हमारा ही भलाई के लिए है। हम ही नहीं आनेवाली पीढ़ी के लिए भी हमें इस प्रकृति को बचाते रहना चाहिए। कई प्रकार के प्रदूषणजन्य रोग होते हैं तो इससे बचाव भी हमारे पास है। कूड़े-कचरे के सही रूप में उपयोग करके – बयोग्यास, कम्पोस्ट आदि का निर्माण करनी है। रासायनिक पदार्थों का उपयोग बंद करना हैं। कीटनाशकों से बचने के लिए जैवकृषि का महत्व का प्रोत्साहन करना है। प्लास्टिक का उपयोग कम करना हैं। सरकार द्वारा जानकारी योजनायें करवाना हैं और जनता यह अपना दायित्व समझने है। आनेवाले कल के लिए हमें इस पर्यावरण को बचाने का प्रण लेना हैं।
प्रश्न 5.
सापदकीय तैयार कीजिए। विषयः हिंदी का प्रचार
सहायक बिंदुः
- भारतीय भाषाओं में हिंदी का स्थान
- हिंदी दिवस का महत्व
- जनसाधारण का विचारविनिमय
- भारतीयता का विकास
उत्तर:
दैनिक जागरण
सोमवार, 20 अप्रैल 2017
हिंदी हमारी पहचान
भारतीय भाषाओं में हिंदी सबसे श्रेष्ठ और महान है। भारत के अलावा अनेक देशों में हिंदी लेखक, हिंदी प्राध्यापक, हिंदी प्रचारक, हिंदी सेवी आदि लोग काम कर रहे हैं। आज हिंदी शासकों, राष्ट्राध्यक्षों की भी भाषा बन गई है जो संसार के एक सौ बीस देशों में किसी-न-किसी रूप में प्रचलित भी है। प्रचीन भारत और संस्कृति के बारे में जानने का सशक्त माध्यम है हिंदी भाषा और इसका सशक्त साहित्य। आज विश्व की एक प्रमुख भाषा के रूप में हिंदी उभर आ रही है। विश्व हिंदी सम्मेलन इसका सशक्त प्रमाण है। इसके अलावा पूरे भारत भर में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में आज हिंदी का प्रचार इतना बढ़ गया है कि जो व्यक्ति हिंदी जानता है वह पूरे भारत के किसी भी कोने में जाकर आसानी से बात कर सकता है और जीवन बिता सकता है। क्योंकि आज हिंदी जनसाधारण के विचारविनिमय का माध्यम बन गई है। एक सच्चे भारतीय होने के नाते हम सब को मिलकर हिंदी के प्रचार और प्रसार के लिए काम करना है। भारतीयता का विकास भी इसमें निहित है। राष्ट्र और राष्ट्रभाषा का विकास प्रत्येक भारतीयों के हाथ में निहित है। जिसके पास राष्ट्रभाषा नहीं है उसका कोई राष्ट्र भी नहीं है।
||जय हिंद, जय हिंदी||
आपकी आवाज़ Summary in Malayalam
आपकी आवाज़ Glossary