Kerala Plus One Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 4 जुलूस
जुलूस अनुवर्ती कार्य
प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द नाटक में ढूँढ़ें
दृश्य – 1 जनयात्रा, विरुद्ध, विक्रय, शासक, चिंता, निर्दय
दृश्य – 2 आज्ञा, वाणी, प्रकार, लक्ष्य, पालन, इच्छा, केवल, देश, हानि, विषाद, सहन
दृश्य – 3 घायल, अंत
दृश्य – 4 पास, धीरे, कुशल, ओजपूर्ण
उत्तर:
जनयात्रा = जुलूस
विरुद्ध = के खिलाफ
विक्रय = बिक्री
शासक = दारोगा
चिता = परवाह
निर्दय = दल्लाद
आज्ञा = हुक्म
वाणी = जुबान
प्रकार = किस्म
लक्ष्य = मक्सद
पालन = तामिल
इच्छा = मंशा
केवल = महज़
देश = कौम
हानि = नुक्सान
विषाद = मलाल
सहन = बरदाश्त
घायल = जख्मी
अंत = आखिर
पास = नज़दीक
धीरे = आहिस्ता
कुशल = खैसियत
ओजपूर्ण = जोशीला
प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथन किस पात्र का है ?
a. हमारा हुक्म क्या आपको सुनाई नहीं पड़ा?
b. जुलूस निकालने से स्वराज मिल जाता तो कबका मिल गया होता।
c. हमारा बड़ा आदमी तो वही है जो लंगोटी बाँधे नंगे पाँव घूमता है।
d. एक दिन तो मरना ही है, जो कुछ होना है हो।
e. मर तो हम लोग रहे जिनकी रोटियों का ठिकाना नहीं।
f. हमारा मक़सद इससे कहीं ऊँचा है।
उत्तर:
a. दारोगा बीरबल सिंह का।
b. दीनदयाल का।
c. मैकू का।
d. शंभुनाथ का।
e. मैकू का।
f. इब्राहिम अली का।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथन इब्राहिम अली के चरित्र की किन-किन विशेषताओं को उजागर करता है?
a. हम दुकानें लूटने या मोटरें तोड़ने नहीं निकले हैं।
b. आप अपने सवारों, संगीनों और बंदूकों के ज़ोर से हमें रोकना चाहते हैं-रोक लीजिए! मगर आप हमें लौटा नहीं सकते।
c. हमारे भाईबंद ऐसे हुक़्मों की तामील करने से साफ़ इनकार कर देंगे।
d. जिस दिन हम इस लक्ष्य पर पहुँच जाएँगे, उसी दिन स्वराज्य सूर्य का उदय होगा।
उत्तर:
a. अहिंसावाद, ईमानदारी।
b. वीरता, साहसिकता, दृढनिश्यच।
c. पत्र देशप्रेम, दृढनिश्चय।
d. प्रतीक्षा, प्रत्याशा।
प्रश्न 4.
उपर्युक्त विशेषताओं के आधार पर इब्राहिम अली के चरित्र पर टिप्पणी करें।
उत्तर:
जुलूस’ नाट्यरूपांतर का मुख्य कथापात्र है इब्राहिम अली। यह नाट्यरूपांतर की रचना चित्रा मुद्गल ने की है। इसका मूलरूप प्रेमचंद की ‘जुलूस’ कहानी है। नाटक में इब्राहिम अली स्वतंत्रता सेनानियों का नेता है। इब्राहिम अली के नेतृत्व में स्वराजियों का जुलूस जा रहा है। महात्माजी के अहिंसावाद का अनुयायी है इब्राहिम अली। बड़ी ईमानदारी से इब्राहिम अली अहिंसा का पालन करता है। इसलिए दारोगा बीरबल सिंह से अलीजी कहते है: “हम दूकानों लूटने या मोटरें तोड़ने नहीं निकले हैं।” इब्राहिमजी में बड़ी वीरता और साहसिकता है। उनके दिल में बड़ी प्रतीक्षा और प्रत्याशा है।
वे कहते हैं: “स्वराज्य सूर्य का उदय होगा” वे बड़े दृढ़ निश्चयवाले नेता भी हैं। फिर भी, इब्राहिम अली के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता उनका देशप्रेम ही है। भारतमाता के लिए अपनी जान बलिदान करने के लिए वे तैयार हो जाते हैं। देशप्रेम से वे कभी भी पीछे नहीं होते हैं। उनका देशप्रेम दृढनिश्चय से अलंकृत है। इब्राहिमजी कहते है: “रोक लीजिए! मगर आप हमें लौटा नहीं सकते।” इस प्रकार हम देखते हैं कि इब्राहिम अली का चरित्र देशप्रेम, अहिंसावाद, प्रत्याशा, वीरता, आत्मविश्वास, दृढनिश्चय, ईमानदारी आदि से शोभित है।
टिप्पणी की परख, मेरी ओर से
चरित्र पर प्रकाश डालनेवाले संवादों का विश्लेषण किया है।
चरित्र की विशेषता समझी है।
विशेषताओं के आधार पर टिप्पणी लिखी है।
चरित्र की विशेषताओं का समर्थन अपने दृष्टिकोण से किया है।
नाटक का मंचन करें।
मंचन की गतिविधियाँ नाटक-वाचन
मंचन पूर्व चर्चा
मंच की अवधारणा
सृजनपरता
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प्रश्न 5.
हमें किसीसे लड़ाई करने की ज़रूरत नहीं।
उत्तर:
दीनदयाल का।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों के अर्थ को सूचित करनेवाले मुहावरे कोष्ठक से चुनकर लिखें। (धाक बैठ जाना, जान हथेली पर लेना, दुम दबाकर भागना)
i. सरकार पर बड़े आदिमियों का बोलबाला है।
ii. गाँधीजी देश के लिए मरने तक को तैयार होते थे।
iii. पुलीस को देखने पर स्वराजी डरकर भागेंगे।
उत्तर:
i. सरकार पर बड़े आदिमियों का धाक बैठ जाता है।
ii. गाँधीजी देश के लिए जान हथेली पर लेने के लिए तैयार होते थे।
iii. पुलीस को देखने पर स्वराजी दुम दबाकर भागेंगे।
प्रश्न 7.
पहले दीनदयाल दूकान बंद कर जुलूस में भाग लेने का निश्चय नहीं करता है, क्यों?
उत्तर:
शहर के कोई बड़ा आदमी जुलूस में नहीं था। दीनदयाल में देशप्रेम की कमी तब थी।
प्रश्न 8.
मैकू क्यों हंस रहा है?
उत्तर:
शंभुनाथ और दीनदयाल की बातें सुनकर मैकू हंस रहा है।
प्रश्न 9.
मैकू की नज़र में बड़ा आदमी कौन है? क्यों?
उत्तर:
मैकू की नज़र में बड़ा आदमी महात्मा गाँधी है। वे देश की स्वतंत्रता के लिए जान हथेली पर लेने के लिए तैयार होते थे।
प्रश्न 10.
स्वराजियों का मकसद क्या है?
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति है।
प्रश्न 11.
भाईबंद किसके हुक्म को साफ इनकार करेंगे? क्यों?
उत्तर:
अंग्रेजों के हुक्म को भाईबंद साफ इनकार करेंगे। यह – इसलिए कि भाईबंद स्वतंत्रता चाहते हैं।
प्रश्न 12.
स्वराजी क्यों दारोगा को अंग्रोज़ों का पिट्ठ कहते हैं?
उत्तर:
अंग्रोजों का आज्ञानुवर्ती है दारोगा। दारोगा के मन में देशप्रेम न होने के कारण स्वराजी ऐसा कहते हैं।’
प्रश्न 13.
‘मैं कैसे अपनी दुकान खुली रख सकता हूँ?’ यहाँ लोगों की मनोवृत्ति में कौन-सा परिवर्तन आया है?
उत्तर:
देशप्रेम की भावनाएँ उदित हो गयी हैं।
प्रश्न 14.
मैकू के चरित्र पर टिप्पणी करें।
उत्तर:
‘जुलूस’ नाट्यरूपांतर का एक कथापात्र है मैकू। यह नाट्यरूपांतर की रचना चित्रा मुद्गल ने की है। इसका मूलरूप प्रेमचंद की ‘जुलूस’ कहानी है। नाटक में मैकू सड़क से लगे बाज़ार का एक दुकानदार है। वह चप्पल बेचनेवाला है। वह बड़ा हँसमुख आदमी है। मैकू अंग्रेज़ों और देशप्रेमहीन लोगों का बड़ा आलोचक है। मैकू कहता है : “जो हमारी दशा सुधारने के लिए अपनी जान हथेली पर लिए फिरता है, वह है महात्मा गाँधी। उसके आगे हमें किसी बड़े आदमी की परवाह नहीं।”
उसके दिल में बड़ा देशप्रेम है। भारत की स्वतंत्रता की प्रतीक्षा उसके दिल में दृढ़ रहती है। वह एक बार कहता है: “अब तो भाई, रुका नही जाता… मैं भी जुलूस में शामिल होऊँगा…..”
इस प्रकार हम देखते हैं कि इब्राहिम अली का चरित्र देशप्रेम, अहिंसावाद, प्रत्याशा, वीरता, आत्मविश्वास, दृढनिश्चय, ईमानदारी आदि से शोभित है।
प्रश्न 15.
शंभूनाथ के चरित्र पर टिप्पणी करें।
उत्तर:
‘जुलूस’ नाट्यरूपांतर का एक कथापात्र है शंभूनाथ। यह नाट्यरूपांतर की रचना चित्रा मुद्गल ने की है। इसका मूलरूप प्रेमचंद की ‘जुलूस’ कहानी है।
नाटक में शंभुनाथ सड़क से लगे बाजार का एक दूकानदार है। शंभुनाथ घटनाओं को नकारात्मक दृष्टि से देखनेवाला आदमी है। स्वतंत्रता सेनानियों का जुलूस देखकर शंभुनाथ अपनी नकारात्मक दृष्टि से कहता है: “सब के सब काल के मुँह में जा रहे हैं।” वह एक भीरु आदमी भी है। जुलूसवालों को देखकर वह कहता है: पुलिस …… मार-मार कर भगा देगी। शंभुनाथ हँसी-मज़ाक आदमी भी है। मैकु को चिढ़ाकर शंभुनाथ कहता है: “ठिठया काहे रहा? लगता है आज बिक्री अच्छी हो गयी है?” फिर भी, शंभुनाथ के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता उसका देशप्रेम ही है। वह एक साहसी देशप्रेमी है। देश के लिए अपना जीवन बलि देने के लिए वह तैयार हो जाता है। इस दिशा में शंभुनाथ का यह कथन समर्थक है: “मैं कैसे अपनी दुकान खुली रख सकता हूँ? एक दिन तो मरना ही है, जो कुछ होना है हो….”
इस प्रकार हम देखते हैं कि शंभुनाथ का चरित्र देशप्रेम, प्रत्याशा, वीरता, दृढनिश्चय आदि से शोभित है।।
प्रश्न 16.
बीरबल सिंह के चरित्र पर टिप्पणी करें।
उत्तर:
‘जुलूस’ नाट्यरूपान्तर में प्रस्तुत पाठभाग में बीरबल सिंह का चरित्र खलनायक (aleyod) का है। बीरबल सिंह दारोगा है। जुलूस में निकले स्वतंत्रता सानानियों को रोकने के लिए वह प्रयत्न करता है। अंग्रेज़ों का आज्ञानुवर्ती बनकर स्वतंत्रता सेनानियों को बड़ी क्रूरता से वह मारता है। वह एक निर्दय दारोगा है। जुलूस का नेता इब्राहिम अली के ऊपर बीरबल सिंह घोड़े को चढ़ाता है। स्वराजियों के अभिप्राय में बीरबल सिंह “जल्लाद दारोगा! अंग्रेज़ों का पिठू है।” बीरबल सिंह का चरित्र इतना नीच होने पर भी, यह वास्तव है कि अंत में वह अपने देशद्रोही कर्मों पर पछताता है और सच्चा देशभक्त बन जाता है।
Plus One Hindi जुलूस Important Questions and Answers
सूचनाः
जूलूस नाट्यरूपान्तर के बीरबलसिह के निम्नलिखित कथन पढ़िये और प्रश्न 1 का उत्तर लिखिए।
बीरबलसिंह
- तुम लोगों को आगे जाने का हुक्म नहीं है।
- फिर से सोच ले। बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा।
- अभी तो वक्त है, इब्राहिम अली साहब….. आप मेरे सामने से हट जाएँ।
प्रश्न 1.
इस कथन के आधार पर बीरबलसिंह के चरित्र पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
चरित्र चित्रण – बीरबल सिंह
बीरबल सिंह अंग्रेज़ सरकार के दारोगा है। वह एक भारतीय है फिर भी अंग्रेज़ों केलिए काम करते हैं। एक अधिकारी का भाव उस में है। वह सरकार के वफादार हैं। इसीलिए सरकारी हुक्म के बारे में कहते हैं। वह अपने शक्ति पर भरोसे रखते हैं। उसमें उत्साह की कमी भी नहीं हैं। वह इब्राहिम अली को आदर भी करते हैं। गुण और दोष से मिश्रित है बीरबल सिंह।
सूचनाः
जुलूस नाट्यारुपांतर के दीनदयाल का निम्नलिखित कथन पढ़िये और प्रश्न 2 का उत्तर लिखिए।
दीनदयाल
- जुलूस निकालने से स्वराज मिल जाता तो कब का मिल गया होता।
- जुलूस के चौरास्ते पर पहुँचते ही हंटर लेकर बिल पड़ेगा।
- दुकान बंद कर मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ मैकू!
प्रश्न 2.
इस कथन के आधार पर दीनदयाल के चरित्र पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
दीनदयाल एक दूकानदार है। वह नाटक के आरंभ में केवल अपना काम करनेवाला दिखता है। लेकिन परिवर्तनशील पात्र हैं। पहले वह स्वराजियों के विरोध करता था। लेकिन अंत में वह भी स्वराजियों के साथ हो जाते हैं। वह एक साधारण व्यक्ति है। उसे अंग्रेज़ों से डर है। फिर भी वह जुलूस में भाग लेना चाहते हैं। एक अच्छा इनसान है वह। देश-प्रेम भी उनके मन में है।
सूचनाः
जुलूस नाट्यरूपांतर के बीरबलसिंह का निम्नलिखित कथन पढ़िये और प्रश्न का उत्तर लिखिए।
बीरबल सिंह
- हमारा हुक्म क्या आपको सुनाई नहीं पड़ा?
- फिर से सोच ले! बहुत नुक्सान उठाना पड़ेगा!
- सिपाहियो! लाठी चार्ज करो!
प्रश्न 3.
इस कथन के आधार पर बीरबलसिंह से चरित्र पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
‘जुलूस’ नाट्यरूपान्तर में प्रस्तुत पाठभाग में बीरबल सिंह का चरित्र खलनायक (aleyod) का है। बीरबल सिंह दारोगा है। जुलूस में निकले स्वतंत्रता सानानियों को रोकने के लिए वह प्रयत्न करता है। अंग्रेज़ों का आज्ञानुवर्ती बनकर स्वतंत्रता सेनानियों को बड़ी क्रूरता से वह मारता है। वह एक निर्दय दारोगा है। जुलूस का नेता इब्राहिम अली के ऊपर बीरबल सिंह घोड़े को चढ़ाता है। स्वराजियों के अभिप्राय में बीरबल सिंह “जल्लाद दारोगा! अंग्रेज़ों का पिठू है।” बीरबल सिंह का चरित्र इतना नीच होने पर भी, यह वास्तव है कि अंत में वह अपने देशद्रोही कर्मों पर पछताता है और सच्चा देशभक्त बन जाता है।
सूचना :
जुलूस नाट्यारुपान्त्र के इब्राहिम अली का निम्नलिखित कथन पकिए और प्रश्न 4 का उत्तर लिखिए। –
इब्राहिम अली
- दारोगा साहब। मैं आपको अतमीनान दिलाता हूँ कि किसी किस्म का दंगा-फसाद न होगा।
- वापस तो हम न जाएँगे। आपको या किसी को हमें रोकने का हक नहीं।
- आप बेटन चलाएँ दारोगाजी।
प्रश्न 4.
इस कथन के आधार पर इब्राहिम अली के चरित्र पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
इब्राहिम अली
इब्राहिम अली जुलूस नाटक से एक प्रमुख पात्र है। वह स्वतंत्रता सेनानियों के नेता है। एक नेता के लिए सभी आवश्यक गुण उसमें हैं। वह अपने आप पर भरोसा रखते हैं और अपने पास रहनेवाले लोगों के बारे में भी सोचते हैं। वह अपने वचन निभाने के लिए तैयार है। वह अहिंसावादी है। इसलिए दंगा-फसाद करना नहीं चाहता। वह अपने हक को पूरी तरह समझते है और निडर भी है। दारोगा के बेटन से नहीं डरते हैं। एक सच्चा नेता, मानवतावादी, अहिंसावादी और परोपकारी है इब्राहिम अली।
सूचनाः
‘जुलूस’ के दीनदयाल के ये कथन पढ़िये और प्रश्न 5 का उत्तर लिखिए।
- जुलूस निकालने से स्वराज मिल जाता तो कब का मिल गया होता।
- नया दरोगा बीरबल सिंह बड़ा जल्लाद है मैकू।
- दुकान बंद कर, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ मैकू।
प्रश्न 5.
कथनों के आधार पर दीनदयाल का चरित्रचित्रण कीजिए।
उत्तर:
दीनदयाल जुलूस का एक पात्र है। वह बाज़ार में एक दूकान चलाता है। स्वराजियों के प्रति पहले उसके मन में घृणा थी। लेकिन जब उसे यह पहचान हुआ कि ये स्वराजी लोग भारत के लिए ही जुलूस चला रहे हैं और अंग्रेज़ों के विरुद्ध आंदोलन चला रहे हैं, तब उसकी चिंताओं में बदलाव भी आ जाता है। अंत में वह भी जुलूस में भाग लेता है। वह सच्चा देशप्रेमी एवं ईमानदार है।
जुलूस Summary in Malayalam
जुलूस Glossary