Plus One Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 2 मधुऋतु

Kerala Plus One Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 2 मधुऋतु

प्रश्न 1.
सूखे तिनको’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
निराशा।

प्रश्न 2.
उषा शब्द किन-किन की ओर इशारा करता?
उत्तर:
प्राची में आनेवाली उषा प्रकाश-किरण के रूप में लालिमा लेकर आती है। कवि की रागात्मक दुनिया में आनेवाली उषा, प्रेमिका के रूप में जीवन में सौंदर्य की लालिमा लेकर आती है। संक्षेप में उषा प्रणयातुर दिलों में उपस्थित प्रतीक्षा,संतोष, तीव्रानुभूति आदि की ओर इशारा करता है।

अनुवर्ती कार्य

प्रश्न 1.
छायावाद में कवि कोमल पदावलियों का प्रयोग करते थे। निम्नलिखित शब्दों के स्थान पर कविता में प्रयुक्त शब्द छाँटकर लिखें।
वसंत, मौसम, भूमि, आकाश, जंगल, शिशिर, कलि, किसलय, मलयसमीर, आँख, कमल, प्रभात, पूरब, समुद्र, चाँद, रात
उत्तर:
वसंत = मधुऋतु
मौसम = दो दिन
भूमि = वसुधा
आकाश = नभ
जंगल = झाड़खंड
शिशिर = पतझड़
कलि = कुसुम
किसलय = पल्लव
मलयसमीर = मलयानिल
आँख = नयन
कमल = नलिन
प्रभात = उषा
पूरब = लघुप्राची
समुद्र = जलधि
चाँद = शशि
रात = निशि

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय व्यक्त करें।
इस एकांत सृजन में कोई
कुछ बाधा मत डालो
जो कुछ अपने सुंदर से हैं
दे देने दो इनको।
उत्तर:
प्रेम के ऐकांत सृजन कार्य में कोई बाधा उपस्थित नहीं करनी है। अपने में जो कुछ सुन्दर हैं, उसे प्रेम-युग्मों को देना है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित छायावादी प्रवृत्तियों को सूचित करनेवाली पंक्तियाँ लिखें।
प्रकृति चित्रण
मानवीकरण
सौंदर्यवर्णन
प्रेमानुभूति
उत्तर:
प्रकृति चित्रण – ‘जवा कुसुम-सी उषा खिलेगी मेरी लघुप्राची में
मानवीकरण – ‘आ गई है भूली-सी यह मधुऋतु दो दिन को
सौंदर्यवर्णन – ‘हँसी भरे उस अरुण अधर का राग रंगेगा दिन को
प्रेमानुभूति – ‘चुंबन लेकर और जगाकर मानस नयल नलिन को

प्रश्न 4.
कविता की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
सुप्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की कविता है ‘मधुऋतु। यह एक सुंदर कविता है। ‘मधुऋतु’ छायावादी कविता है। कविता में वसंतऋतु का सुंदर वर्णन हुआ है। वसंतऋतु आ गया है। वह भूली-सी है। कवि उसे एक व्यथा – साथिन के समान देखते हैं। कवि अपने मन में उसके लिए छोटी कुटिया बना देते हैं। कवि कहते हैं कि प्रेमी रहता है भूमि और आकाश के बीच में। प्रेमविहीन लोग यहीं पर नहीं रहते। कवि का प्रेम वसंतऋतु रूपी प्रेमिका से हुआ है। इससे कवि के हृदय प्रेममय हो गया है। इस प्रेममय वातावरण में आशा के नये अंकुर झूलते हैं। इस प्रेममय वातावरण में मलयानिल बहकर आता है। उसकी लहरें सिहर मर देती है। मलयानिल कवि के मानस नयन नलिन को चुंबन करके जगाता है।

वसंतऋतु में प्रभात लालिमा से भरा-हुआ रहता है। संसार में हमेशा रोशनी भी रहती है। वसंतऋतु में चाँदनी फैल जाती है और प्रकृति डिम की बूंदों की वर्षा करती है। वसंतऋतु में प्रेम का एकांत सृजन कार्य होता है। कवि निवेदन करते हैं कि इस में किसी को बाधा उपस्थित नहीं करनी है। कवि का उपदेश है अपने में जो कुछ सुन्दर है उसे प्रेम-युग्मों को दे देना है। ‘मधुऋतु’ में प्रकृति चित्रण, मानवीकरण, सौंदर्यवर्णन, प्रेमानुभूति आदि छायावादी प्रवृत्तियों का सुन्दर समावेश हुआ है। पदावली अत्यंत कोमल है। पंक्तियों का आशय आसानी से समझ सकते हैं। शीर्षक सार्थक और संगत है।

प्रश्न 5.
आस्वादन-टिप्पणी की परख, मेरी ओर से कवि का परिचय है।
उत्तरः
ये पंक्तियाँ ‘मधुऋतु’ कविता से प्रस्तुत हैं। ‘मधुऋतु’ एक सुंदर छायावादी कविता है। ‘मधुऋतु’ की रचना की है कवि जयशंकर प्रसाद ने। हिंदी के सुप्रसिद्ध छायावादी कवि हैं जयशंकर प्रसाद। वसंतऋतु आ गया है। वह एक साथिन के समान है। उसका मन व्यथा से भरपूर है। मैं उसके लिए एक सुंदर कुटिया बना दूंगा। प्रणयहीन दिलवाले लोगों को यहाँ पर प्रवेश निषेध है। वसंतऋतु के आगमन के कारण मेरे मन में नयी नयी आशाएँ एवं प्रतीक्षाएँ भर रही हैं। अब मेरा जीवन किसलयों से निर्मित लघुभव-सा हो गया है। मेरा यह सुंदर जीवन किसी को कोई कष्ट न देनेवाला है। छायावादी कविता से युक्त प्रेम, प्रकृति वर्णन, सौंदर्य, मानवीकरण, लाक्षणिकता, चित्रमयता, काल्पनिकता, कोमलकांत पदावली, मधुरता, सरसता आदि गुणों से संपन्न है प्रस्तुत कवितांश। हमें दूसरों की जिंदगी में कोई बाधा न डालनी है-यह संदेश कवितांश द्वारा कवि हमें देते हैं। साथ-साथ प्रकृति के प्रति प्यार रखने का संदेश भी हमें मिलता है।

प्रश्न 6.
कविता की काव्यधारा और रचनाकाल की सूचना है।
उत्तर:
* प्रकृति वर्णन
अंतरिक्ष छिड़केगा कन-कन
निशि में मधुर तुहिन को

* प्रेम
छोटी-सी कुटिया मैं रच दूँ,
नई व्यथा साथिन को!

* सौंदर्य
जवा कुसुम-सी उषा खिलेगी
मेरी लघुप्राची में

* मानवीकरण
अरे आ गई है भूली-सी
यह मधुऋतु दो दिन को

* लाक्षणिकता
आशा से अंकुर झूलेंगे
पल्लव पुलकित होंगे,

* चित्रमयता
छोटी-सी कुटिया मैं रच दूं.
नई व्यथा साथिन को!

* काल्पनिकता
वसुधा नीचे उपर नभ हो,
नीड़ अलग सबसे हो

* कोमलकांत पदावली
इस एकांत सृजन में कोई
कुछ बाधा मत डालो

* मधुरता
अंधकार का जलधि लाँधकर
आवेंगी शशि-किरनें

* सरसता
जो कुछ अपने सुंदर से हैं
दे देने दो इनको।

प्रश्न 7.
कविता का सार है।
उत्तर:
प्रस्तुत कवितांश श्री जयशंकर प्रसाद के मधुऋतु कविता से है। प्रसाद छायावादी कविता के क्षेत्र के प्रमुख है। झरना, लहर, कामायनी आदि आपके प्रसिद्ध रचनायें है। प्रेम, प्रकृति,सौंदर्य, मानवीकरण आदि छायावादी कविताओं की सभी विशेषतायें आपके कविता में देख सकते हैं। वसंद (मधुऋतु) आने पर प्रकृति में कई प्रकार के परिवर्तन आते हैं। इन परिवर्तनों को कवितांश में प्रकट किया है। आशा के नए-नए अंकुर झूलेंगे और पल्लव रोमांचित हो जाएँगे। मेरे किसलय का लघु मनोहर संसार किसको बुरा लगेगा यानि किसीको बुरा नहीं लगेगा। रोमांचित मलयानिल की लहरें काँपते हुए आएँगी और मन में नयनरूपी कमल को चूमकर जगाएँगी। यहाँ कवि सरल शब्दों में वसंद के आगमन के साथ आनेवाली परिवर्तनों को दिखाया है। परिवर्तनल के लिए हमारा मन परिवर्तन बहुत आवश्यक है। हमें अच्छे बातों को स्वीकार करना ज़रूरी है। यह प्रासंगिक कविता है।

प्रश्न 8.
अपने दृष्टिकोण में कविता का विश्लेषण किया है।
(काव्यधारा और रचनाकाल के अनुरूप भाषा, प्रतीक आदि।)
उत्तर:
प्रकृति वर्णन, प्रेम, सौंदर्य, मानवीकरण, लाक्षणिकता, चित्रसयता, काल्पनिकता, कोमलकांत पदावली, मधुरता, सरसता आदि हैं।

प्रश्न 9.
इन बिंदुओं पर ध्यान देते हुए कविता का आलाप करें।
भावानुकूल प्रस्तुति
उचित ताल-लय
सटीक शब्द-विन्यास

प्रश्न 10.
निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।
मधुऋतु
अरे आ गई है भूली-सी
यह मधुऋतु दो दिन को,
छोटी-सी कुटिया मैं रच दूँ,
नई व्यथा साथिन को!
वसुधा नीचे उपर नभ हो,
नीड़ अलग सबसे हो,
झाड़खंड के चिर पतझड़ में।
भागो सूखे तिनको!
आशा से अंकुर झूलेंगे
पल्लव पुलकित होंगे,
मेरे किसलय का लघुभव यह,
आह, खलेगा किनको?

i) इन पंक्तियों के कवि कौन हैं?
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद।

ii) ‘जंगल’ का समानार्थी शब्द कवितांश से ढूँढकर लिखें।
उत्तर:
झाड़खंड।

iii) ‘भागो सूखे-तिनको’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वसंत ऋतु में पतझड़ के सूखे तिनकों-पत्तों का कोई स्थान नहीं होता, ठीक उसी प्रकार प्रणयातुर दिल में दुख और निराशा का भी कोई स्थान नहीं। प्रणयहीन दिलों को प्रणय के दुनिया में कोई जगह नहीं है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।
सिहर भरी कैंपती आवेंगी
मलयानिल की लहरें,
चुंबन लेकर और जगाकर
मानस नयन नलिन को।
जवा कुसुम-सी उषा खिलेगी
मेरी लघुप्राची में,
हँसी भरे उस अरुण अधर का
राग रँगेगा दिन को।
अंधकार का जलधि लाँघकर
आवेंगी शशि-किरने
अंतरिक्ष छिड़केगा कन-कन
निशि में मधुर तुहिन को
इस एकांत सृजन में कोई
कुछ बाधा मत डालो
जो कुछ अपने सुंदर से हैं
दे देने दो इनको।

i) मलयानिल की लहरें कैसे आती हैं?
उत्तर:
सिहर भरके कॉपती।

ii) प्रेमिका के कमल-नयनों को कौन चूमता है?
उत्तर:
मलयानिल।

iii) रात में हिमकणों को कौन छिड़कता है?
उत्तर:
अंतरिक्ष।

iv) कवितांश की आस्वादन टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
पंक्तियाँ ‘मधुऋतु’ कविता से प्रस्तुत हैं। ‘मधुऋतु’ एक सुंदर छायावादी कविता है। ‘मधुऋतु’ की रचना की है कवि जयशंकर प्रसाद ने। हिंदी के सुप्रसिद्ध छायावादी कवि हैं जयशंकर प्रसाद। प्रकृति सदा सक्रिय रहती है। वह अपने आपको सदा अलंकृत रहती है। हमें प्रकृति में कोई बाधा न डालनी चाहिए। हमें प्रकृति के सौंदर्य को बढ़ाने में सदा तत्पर रहना चाहिए। हमसे प्रकृति का विनाश नहीं, बल्कि प्रकृति का संरक्षण होना चाहिए। छायावादी कविता से युक्त प्रेम, प्रकृति वर्णन, सौंदर्य, मानवीकरण, लाक्षणिकता, चित्रमयता, काल्पनिकता, कोमलकांत पदावली, मधुरता, सरसता आदि गुणों से संपन्न है प्रस्तुत कवितांश। हमें दूसरों की जिंदगी में कोई बाधा न डालनी है यह संदेश कवितांश द्वारा कवि हमें देते हैं। साथ-साथ प्रकृति के प्रति प्यार रखने का संदेश भी हमें मिलता है। प्रकृति संरक्षण, पारस्परिक प्रेम समभाव, सक्रियात्मकता आदि का भी संदेश हमें इस कवितांश से मिलता है।

प्रश्न 12.
‘अरे आ गई है भूली सी यह’ – कौन आ गई है?
उत्तर:
मधुऋतु’।

प्रश्न 13.
‘मधुऋतु’ रूपी प्रेमिका क्यों भूली-भटकती-सी आई है?
उत्तर:
प्रेमिका के मन में प्रेमी के प्रति तीव्र अनुराग है। कोई भी प्रेमिका अपनी प्रणय भावना खुल्लम-खुल्ला प्रकट करना नहीं चाहती। दिल में प्रणय छिपाकर वह भूली-भटकी सी आ रही है।

प्रश्न 14.
प्रेमी नई व्यथा-साथिन के लिए क्या करना चाहता है?
उत्तर:
छोटी -सी कुटिया रच देना चाहती है।

प्रश्न 15.
प्रेम का नीड़ कहाँ स्थित है?
उत्तर:
नीचे की वसुधा और ऊपर के नभ-दोनों से अलग।

प्रश्न 16.
जंगल के पतझड़ में किसको भाग जाना है?
उत्तर:
सूखे तिनके को (प्रणयहीन दिलवाले लोगों को)।।

प्रश्न 17.
वसंत के आगमन पर कौन-सी ऋतु चली जाती है?
उत्तर:
शिशिर (पतझड़ की ऋतु)

प्रश्न 18.
‘पतझड़’ का समानार्थी शब्द क्या है?
उत्तर:
शिशिर।

प्रश्न 19.
पतझड़ (शिशिर) की क्या क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
झाड़खंड में पतझड़ होता है। तिनके, पत्ते आदि सूखकर नीरस और शुष्क बन जाता है।

प्रश्न 20.
वसंत की विशेषताएँ क्या क्या होती है?
उत्तर:
अंकुर झूलते हैं। पल्लव पुलकित हो जाते हैं। मलयानिल की लहरों से नलिन खिल जाते हैं। जवा कुसुम-सी उषा खिलेगी। अंधकार का जलधि लाँघकर शशि-किरण आती हैं। निशि में अंतरिक्ष मधुर तुहिन छिड़केगा।

प्रश्न 21.
वसंत किन-किन का प्रतीक हो सकता है?
उत्तर:
प्रेम और आशा से प्रणयातुर दिल को मोहक और मादक बनानेवाली प्रेयसी का प्रतीक होता है।

प्रश्न 22.
अगर वसंत प्रेम और आशा का प्रतीक है तो पतझड़ किन-किन का प्रतीक हो सकता है?
उत्तर:
दुख और निराशा से भरे प्रणयहीन दिलों का प्रतीक होता है।

प्रश्न 23.
वसंत के आगमन से प्रेमी के मन में किसका अंकुर झूलने लगता है?
उत्तर:
आशा के अंकुर।

प्रश्न 24.
लाल कुसुम के समान उषा कहाँ खिलेगी?
उत्तर:
कवि के लघुप्राथी में।

प्रश्न 25.
उषा कहाँ उदित होती है?
उत्तर:
लघुप्राची में।

प्रश्न 26.
उदय के समय आसमान में कौन सा रंग फैल जाता है?
उत्तर:
लाल रंग।

प्रश्न 27.
उषा का आगमन कैसा है?
उत्तर:
जवा कुसुम-सी।

प्रश्न 28.
अंधकार के सागर को पारकर कौन आता है?
उत्तर:
शशि-किरने।

प्रश्न 29.
प्रेमयुग्मों को आपस में क्या दे देना है?
उत्तर:
जो कुछ अपने सुंदर से हैं-उनको दे देना है।

प्रश्न 30.
वसंत ऋतु में प्रकृति को मोहक बनानेवाले अंग कौनकौन से हैं?
उत्तर:
वसंत ऋतु में प्रकृति को खूबसूरती प्रदान करने में अंकुर, किसलय, कलियाँ, फूल, पत्ते, तित्तली, भ्रमर, कोयल, मंदपवन सबकी अपनी-अपनी भूमिका है।

प्रश्न 31.
‘मेरे किसलय का लघुभव’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी एक के बिना प्रकृति की सुंदरता अधूरी रह जाती है। उस सुंदरता में किसलय भी अपना एक छोटा संसार रचता है।

प्रश्न 32.
एकांत में कौन बैठे हैं?
उत्तर:
प्रेमयुग्म।

प्रश्न 33.
‘कुछ बाधा मत डालो’ कवि क्यों ऐसा कहता है?
उत्तर:
वसंतकाल अपनी संपूर्ण भंगिमा के साथ पूरे प्रकृति में छा रहा है। इस एकांत सृजन कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं होनी चाहिए। वसंतकाल में वसंत और प्रकृति अपनी सुंदरतम चीज़ों को बिना माँगे आपस में समर्पित करते हैं। यही समर्पण सृजन सौंदर्य का रहस्य होता है। प्रेमिका अपने संपूर्ण रूप – सौंदर्य से युक्त होकर प्रेमी के जीवन में छा रही है। प्रेमी – प्रेमिका के मिलन और प्रणय-सृजन के अपूर्व एवं रहस्यमयी बेला में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं होनी चाहिए।

प्रश्न 34.
सृजन का सौंदर्य कैसे पूर्ण होता है?
उत्तर:
प्रेम के चरमोत्कर्ष क्षणों में प्रेमी-प्रेमिका का दुवैतभाव समाप्त हो जाता है और दोनों एकाकार हो जाते हैं। सृजन के वे क्षण सृष्टि के सुंदरतम सौंदर्य की वेला भी है।

Plus One Hindi मधुऋतु Important Questions and Answers

सूचनाः

निम्नलिखित कवितांश पढ़िये और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
अरे आ गई है भूली-सी
यह मधुऋतु दो दिन को,
छोटी-सी कुटिया मैं रच दूं.
नई व्यथा साथिन को!
वसुधा नीचे ऊपर नभ हो.
नीड़ अलग सबसे हो,
झाड़खंड के चिर पतझड़ में
भागो सूखे तिनको!

प्रश्न 1.
यह कवितांश किस कविता से लिया गया है?
उत्तर:
मधुऋतु

प्रश्न 2.
कविता के ‘नम’ शब्द का समानार्थी शब्द कोष्ठक से चुनकर लिखिए। (आकाश, नीड़, भूमि, पतझड़)
उत्तर:
आकाश

प्रश्न 3.
वसंत के आगमन पर सूखे तिनकों को क्या करना है?
उत्तर:
कवि कहते हैं कि वसंत के आगमन पर सूखे तिनकों को भागना है क्योंकि वसंत नयी प्रतीक्षा का समय है।

प्रश्न 4.
कवितांश की आस्वादन टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कवितांश श्री जयशंकर प्रसाद के मधुऋतु नामक कविता से है। प्रसाद जी छायावादी कवियों में अग्रणी है। झरना, आँसू, कामायनी आदि आपके प्रसिद्ध रचनायें है। कवि के साधारण जीवन में वसंत ऋतु अचानक आ गई है। वसंत काल केवल कुछ दिन केलिए आता है। इसलिए कवि अपनी छोटी सी कुटिया में प्रेम के नई व्यथा सहेली केलिए रचना चाहता है। कवि का कहना है कि वह अपना नीड़ यानी घर धरती और आकाश के बीच सृजन करना चाहता है। प्रेम साधारण जीवन से परे है। अपने जीवन रूपी जंगल से सूखे तिनकों को भागने केलिए कवि कहते है क्योंकि वसंत केलिए वह अपने आपको सजाना चाहता है।

यहाँ कवि तत्सम शब्दों से प्रेम और उसकी पीड़ा का वर्णन करते हैं। जीवन में कुछ खोने से ही कुछ प्राप्त करेगा। यह एक छात्रानुकूल कविता हैं। नयी पीढ़ी को आह्वान करते है कि त्याग से ही हमारे जीवन में तरक्की होगा।

सूचना :

निम्नलिखित कवितांश पदें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
आशा से अंकुर झूलेंगे
पल्लव पुलकित होंगे,
मेरे किसलय का लघुभव यह,
आह, खलेगा. किनको?
सिहर भरी कैंपती आवेंगी
मलयानिल की लहरें,
चुंबन लेकर और जगाकर
मानस नयन नलिन को।

प्रश्न 5.
यह कवितांश किस कविता से लिया गया है?
उत्तर:
मधुऋतु

प्रश्न 6.
कविता के ‘नयन’ शब्द का समानार्थी शब्द कोष्ठक से चुनकर लिखिए। (कमल, आँख, हवा, लहर)
उत्तर:
आँख

प्रश्न 7.
मलयानिल की लहरें कैसे आती हैं?
उत्तर:
सिहर भरी कैंपती आवेंगी मलयानिल की लहरें।

मधुऋतु Summary in Malayalam

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