Kerala Plus One Hindi Previous Year Question Papers and Answers 2017
General Instructions Candidates:
- There is a ‘cool off time’ of 15 minutes in addition to the writing time of 2% hrs.
- Your are neither allowed to write your answers nor to discuss anything with others during the ‘cool off time’
- Read questions carefully before answering.
- All questions are compulsory and only internal choice is allowed.
- When you select a question, all the sub-questions must be answered from the same question itself
- Electronic devices except non-programmable calculators are not allowed in the Examination Hall
सूचना : निम्नलिखित कवितांश पढ़िये और 1 से 4 तक के प्रश्नों का उत्तर लिखिए।
इस पत्थर को बेंच के लिए भी
शुरू हो सकता है किसी दिन
हत्याओं का सिलसिला
इसे उखाड़कर ले जाया
अथवा तोड़ा भी जा सकता है
पता नहीं सबसे पहले कौन आसीन हुआ होगा
इस पत्थर की बेंच पर।
प्रश्न 1.
इस कवितांश के कवि कौन है?
उत्तर :
चंद्रकांत देवताले
प्रश्न 2.
कविता के ‘आसीन’ शब्द का समानार्थी शब्द कोष्ठक से चुनकर लिखिए
(खड़ा, बैठा, सुना)
उत्तर :
बैठा
प्रश्न 3.
कवि को किसका संदेह है?
उत्तर :
कवि का संदेह यह है कि किसी दिन हत्याओं का सिलसिला इस पत्थर की बेंच केलिए भी हो सकता है।
प्रश्न 4.
कवितांश को आस्वादन टिप्पणी लिखिए।
सूचना : निम्नलिखित परिच्छेद पढ़िये और 5 से 10 तक के प्रश्नों का उत्तर लिखिए।
एक व्यापारी को नींद न आने की बीमारी थी। उसका नौकर मालिक की बीमारी से दुखी था। एक दिन व्यापारी अपने नौकर को सारी संपत्ति देकर चल बसा। संपत्ति का मालिक बनने के बाद नौकर रात को सोने की कोशिश कर रहा था, पर उसे नींद नहीं आयी। एक रात उसने देखा, एक चोर घर का सारा सामान बाँधने की कोशिश कर रहा है। परंतु चादर छोटी होने के कारण गठरी बाँध नहीं सका। नोकर ने अपनी चादर चोर को दे दी और सामान बाँधने को कहा। तब वह चोर सारा सामान छोड़कर भागने लगा। किंतु नौकर ने उसे टोककर हाथ जोड़कर कहा – “भागो मत, इस सामान को ले जाओ, ताकि में चैन से सो सकूँ।” (चादर – Blanket, भागना – दौड़ना)
उत्तर :
समकालीन काव्यधारा के प्रसिद्ध कवि चंद्रकांत देवताले की कविता ‘पत्थर की बेंच’ का अंतिम खंड की पंक्तियाँ हैं ये। इस कविता में कवि ने वर्तमान पीढ़ी की पुकार को आशंका भरी आवाज़ में वाणी दी है। कविता में कवि ने सार्वजनिक जगह के प्रतीक के रूप में एक पत्थर की बेंच को पाठकों के सामनेरखा है जिस पर जाति, धर्म, आयु, लिंग भेद के परे कई लोगों ने समय-समय पर आकर अपने विभिन्न संवेदनाओं को उतारा है। जैसे लोगों ने आकार अपने अश्रू को पोंछा है, थकावट दूर किया है, उस पर बैठकर आराम किया है तथा प्यार की सुन्दर लम्हों को भी बाँट लिया है। लेकिन कवि इस बेंच के अस्तित्व को लेकर बहुत परेशान है। उसे लगता है कि जिस प्रकार मानव अपनी आराम की ज़िन्दगी केलिए प्रकृति पर हस्तक्षेप कर रहे हैं, उस प्रकार वे लोग इस बेंच को भी बरबाद करेंगे। इस केलिए कवि के मन में दो संवेदनाएँ हैं।
एक तो इसे पूरे चबूतरे से लेकर उखाडकर ले जाएगा या पूर्ण रूप से तोड-फोड लेगा। अंतिम पंक्ति में कवि ने इस बेंच की पौराणिकता की सूचना इस प्रकार दिया है कि कवि को भी खूद पता नहीं है कि सबसे पहले इस पर कौन बैठा है। यानि किसने इसका निर्माण किया है और कब बनाया है, ये बातें कवि भी नहीं जानते। दुनिया में कुछ चीजें ऐसे हैं जिन्हें पुरानी पीढ़ी ने बहुत ध्यान तथा प्यार से देखभाल किया है और विरासत के रूप में आज के पीढ़ी को सौंपा दिया है। इसलिए आज के पीढ़ी का दायित्व यह है कि इन अमानतों को बरबादी के बिना आगाम पीढ़ी के लिए कायम रखना। यह है इस कविता का संदेश।
प्रश्न 5.
इस घटना में किन किन पात्रों का परामर्श हैं
उत्तर :
इस घटना में एक व्यापारी, उसका नौकर और व्यापारी के घर में घुसा चोर का परामर्श हैं।
प्रश्न 6.
नौकर का दुख क्या था?
उत्तर :
नोकर मालिक की नींद न आने की बीमारी से दुखी था।
प्रश्न 7.
चोर क्यों भागने लगा?
उत्तर :
व्यापारी की मृत्यू के बाद एक बार एक चोर उसके घर में चोरी करने आया तथा घर के सारे सामानों । को अपने चादर में बाँधने की कोशिश किया। उस समय घर का नौकर आकर, अपनी चादर चोर कोदेकर, सब कुछ बाँध कर ले जाने को कहा। तब नौकर को देख कर डर के कारण चोर भागने लगा।
प्रश्न 8.
उपर के खंड के आधार पर चोर और नौकर के बीच का वार्तालाप तैयार कीजिए।
उत्तर :
नौकर : यह कौन-सी आवाज़ आ रही है। ज़रा देख लेंगे, ……….. (चोर को देखकर) कोन हो तुम?
चोर : मैं ………. मैं
नौकर : क्या कर रहे हो इधर?
चोर : कुछ नही, मैं बस ……..
नौकर : ये सारे सामान ! यह चादर ! अच्छा ….. चोरी करने आए हो क्या?
चोर : साब, मुझसे गलती हो गयी। आप शोर मत मचाइए। पुलिस को न बुलाइए।
नौकर : अरे ……. मुझे कहने दो।
चोर : नहीं साब, मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं अभि जाऊँगा। पहली बार चोरी करने आया था, लेकिन पकड़ा गया।
नोकर : में समझता हूँ कि तुम्हारे पास के यह चादर छोटा होने के कारण तुम ठीक तरह चोरी किए सामानों को बाँध न सका। है न?
चोर : हाँ जी।
नौकर : तो ले लो मेरा यह बड़ा चादर और इसमें बाँध कर ले जाओ सभी चीज़ों को।
चोर : आप मेरा मज़ाक मत उठाइए। मुझे जाने दीजिए।
नोकर : नहीं, में मज़ाक न कर रहा हूँ। यह तो मेरी विनती है।
चोर : यह तो आपका कोई षड्यंत्र होगा मुझे फंसाने का।
नौकर : में तो बता दिया है न सब कुछ ले जाने को। मुझे कोई शिकायत नहीं।
चोर : आखिर क्यों? नोकर : क्योंकि इन सबको पहरा देकर मेरे आज तक के नींद हवा में उड गयी थी। मुझे डर
था कि इनका कभी चोरी न हो जाए। लेकिन आज तो तुम इधर आए हो और इन्हें लेकर जाए तो में आराम से सो सकूँ।
चोर : अच्छा…….. यही तो बात है। तो मैं भी इन संपत्तियों को अपनाकर अपनी ज़िन्दगी बरबाद करना नहीं चाहता हूँ। आप ही रख लीजिए ये सब। में जाता हूँ।
नौकर : अरे ………सुनो ……… सुनो।
प्रश्न 9.
खंड़ का संक्षेपण कीजिए।
उत्तर :
नींद न आने की बीमारी से पीड़ित एक व्यापारी के मौत के बाद उसका नौकर सारे संपत्तियों का मालिक बन गया और वह भी नींद खो बैठा। इससे छुटकारा पाने केलिए उसने उस घर के चोरी करने आए चोर से सब कुछ ले जाने को कहा।
प्रश्न 10.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक लिखिए।
सूचना : निम्नलिखित दोहा पढ़कर प्रश्न 11 और 12 का उत्तर लिखिए।
साई इतना दीजिए, जामें कुटुम्ब समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाय।।
उत्तर :
संपत्ति का अभिशाप
प्रश्न 11.
‘संभालना’ शब्द का आशय दोहे के किस शब्द से मिलता है?
उत्तर :
समाय
प्रश्न 12.
दोहे का भावार्थ लिखिए।
उत्तर :
इस दोहे में कबीरदास ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे, ईश्वर मुझे इतना ही दीजिए जिससे में अपने परिवार को संभाल सकूँ। उनके पास जो कुछ है जिससे वे अपनी भूख मिटा सकें और उनके पास आनेवाले भिक्षुक की भी भूख मिटा सकें। यह भी ईश्वर से उनकी विनती है। उनके मन में लालच का भाव नहीं।
सूचना : निम्नलिखित अंग्रेज़ी बातचीत का हिंदी में अनुवाद कीजिए
प्रश्न 13.
Mridula : Hello Veena, How are you?
Veena : Hai Mridula,lam fine. Where are you going now?
Mridula : I am going to a dance class. I wish to compose a new performance.
Veena : Very good. I am also waiting for your excellant performance. All the best.
Mridula : Thank you
Veena : Ok, Bye Mridula
Performance : प्रस्तुति
Compose : तैयार करना
Dance class : नृत्यशाला
Excellant : शान्दार
उत्तर :
मृदुला : हलो वीना, कैसी हो तुम?
वीना : हाय मृदुला, मैं ठीक हूँ। तुम अब कहाँ जा रही हो?
मृदुला : मैं नृत्यशाला जा रही हूँ। मैं एक नयी प्रस्तुति तैयार करना चाहती हूँ।
वीना : बहुत अच्छा। मैं भी तुम्हारी शान्दार प्रस्तुति का इंतज़ार कर रही हूँ। मेरी ओर से सारी शुभकामनाएँ।
मृदुला : धन्यवाद।
वीना : ठीक है, फिर मिलेंगे मृदुला।
प्रश्न 14.
बढ़ती हुई गुदों की खराबी से बचने के लिए तैयार की गयी दवा के प्रचार का एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
- दवा का नाम
- आम जनता के लिए लाभदायक
- मूल्य (5)
सूचना : ‘जुलूस’ के दीनदयाल के ये कथन पढ़िये और प्रश्न 15 का उत्तर लिखिए।
- जुलूस निकालने से स्वराज मिल जाता तो कब का मिल गया होता।
- नया दरोगा बीरबल सिंह बड़ा जल्लाद है मैकू।
- दुकान बंद कर, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ मैकू।
उत्तर :
प्रश्न 15.
कथनों के आधार पर दीनदयाल का चरित्र चित्रण कीजिए। (4)
उत्तर :
‘जुलूस’ नामक चित्रा मुद्गल के नाट्यरूपांतर का एक पात्र है दीनदयाल। अंग्रेज़ियों के विरुद्ध भारत के स्वराजियों का जुलूस है इसका माहौल । दीनदयाल एक दूकानदार है जो इस जुलूस को देखकर अपने पडोसवाले अन्य दूकानदार शंभुनाथ तथा मैकू से इसके बारे में चर्चा कर रहा है। उसे निराशावादी दृष्टिकोण है क्योंकि उसने अंग्रेजों के विरुद्ध कई जुलूस देखा है, लेकिन कोई नतीजा अभी तक नहीं हुआ है।
उसके मन में अंग्रेज शासकों तथा अफ्सरों के प्रति एक प्रकार के विद्रोह का भाव तथा डर हम देख सकते हैं। इसलिए वह अंग्रेज़ी पक्ष के भारतीय दारोगा बीरबल सिंह को ‘जल्लाद’ बताकर मैकू को चेतावनी दे रहा है। दीनदयाल में आत्मविश्वास की कमी है। लेकिन अंत में मैक की ओजपूर्ण बातें उसके मन में परिवर्तन लाते हैं जिसके कारण वह मैकू के साथ जुलूस में भाग लेने केलिए जा रहा है। ऐसे अंत में वह निराशावादी से आशावादी तथा देशप्रेमी बन गया।
प्रश्न 16.
कोष्ठक से उचित हिंदी शब्द चुनकर मिलान कीजिए।
(संसाधन, तारांकित, ईक्षण, प्रक्रम, बहिर्पात, गोपनीयता, सहेजें)
Editing Output :
Save :
Resource :
Programme :
Privacy :
उत्तर :
Editing – ईक्षण
Output . बहिर्यात
Save – सहेजें
Resource – संसाधन
Programme – प्रक्रम
Privacy – गोपनीयता
प्रश्न 17.
‘अपराध’ कहानी के ये वाक्य पढ़िए।
“मैं अपने इस अपराध के लिए क्षमा माँगना चाहता हूँ। इस अपराध की सजा पाना चाहता हूँ।”
अपने अपाहिज भाई को पिताजी से सज़ा दिलाते हुए उस दिन की छोटे भाई की डायरी तेयार कीजिए।
- भाई का प्यार
- खड़ब्बल के खेल में भाई की जीत
- उपेक्षा की तीव्र वेदना
- माँ बाप से झूठ बोलना
उत्तर :
रविवार
30 अप्रैल
आज का दिन में कैसे भूलूँ। मुझे पता नहीं इसका याद करने से ही मुझे डर लगता है। आज में ने सबसे बड़ी गलती की है मेरे इकलौते अपादिज भाई से जिसने मेरे प्रति सिर्फ प्यार ही दिखाया है, संरक्षक की भूमिका निभाया है तथा हमेशा मददगार था लेकिन मेरे मन में उसके प्रति सिर्फ जलन थी क्योंकि में तो आयु में उससे छः वर्ष कम, दुबला-पतला तथा कमज़ोर था। आज खड़ष्बल की खेल चलते समय मेरे भाई जी अपनी खेल में पूरी तरह डूब गया था और मेरी तरफ़ अनदेखा रह गया। इससे मुझे एक तरह का अकेलापन तथा नाराज़गी मेहसूस होने लगा। इसी बीच में मेरे खड़ष्बल चट्टान से टकराकर उछला और सीधे मेरे माथे पर आकर लगा। इससे मेरा माथा बुरी तरह टूट गया और खून बहने लगा।
बेचारा भाई, यह देखकर जल्द ही जल्द मेरे पास आकर भी मैं उनकी उपेक्षा का बदला लेने केलिए घर जाकर कहा कि यह तो भाई ने खडब्बल से मुझे मारने के वजह हुआ है। वह तो सच बता रहा था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पापा से उसको दंड तो मिल ही गया और उसका वह रुदन, करुणा और कातरता भरी दुष्टि से मुझे देखना आदि से मेरा दिल पूरी तरह टूट गया। लेकिन पिताजी से मुझे सजा मिलने के डर से में आज कुछ न कह पाया। हे भगवान, मुझे क्षमा कर दीजिए। सच बताने केलिए मुझे साहस दीजिए।
सूचना : प्रश्न संख्या 18 से 21 तक के किन्हीं तीन का उत्तर लिखिए। (3×8=24)
प्रश्न 18.
अपने मनपसंद किसी एक फिल्म की समीक्षा तैयार कीजिए।
- फिल्म का कथासार
- पात्रों का अभिनय
- निदेशक की भूमिका
- पटकथा, छायांकन, संपादन, गीत आदि
- फिल्म का देन
उत्तर :
फिल्मी समीक्षा ‘3 इडियट्स’ : काबिलियत और कामयाबी में अंतर
राजकुमार हिरानी द्वारा निदेशित ‘3 इडियट्स’ एक मनोरंजक एवं गंभीर फिल्म है। चेतन भगत के उपन्यास ‘फाइव पाइंट सम्वन’ (five point someone) से प्रेरित फिल्म ‘3 इडियट्स’ के ज़रिए हिरानी ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली, पैरंट्स (Parents) का बच्चों पर कुछ बनने का दबाव और किताबी ज्ञान की उपयोगित पर मनोरंजक तरीके से सवाल उठाए हैं। रणछोडदास श्यामलदास चांचड का निक नाम रांचो है। इंजिनीयरिंग कॉलेज में रांचो, फरहान कुरेशी और राजु रस्तोगी रूम पार्टनर्स है।
फरहान वाइल्ड लाईफ़ फोटोग्राफर बनना चाहता है लेकिन उसके हिटलर पिताजी ने उसे इंजिनियर बनना चाहा। वह मर-मर कर पढ़ रहा है। राजू का परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमज़ोर है। पढ़ाई से ज़्यादा उसे पूजा-पाठ और हाथ में पहनी ग्रह-शांति की अंगूठी पर भरोसा है। वह डर-डर कर पढ़ रहा है। रांचो एक अलग ही किस्म का इंसान है। वह मार्क्स और किताबी ज्ञान पर विश्वास नहीं करता।
आसान शब्दों में कही बात उसे पसंद है। वह कामयाबी और काबिलियत का फर्क दोस्तों को सिखाता है। रांचो के विचारों से कॉलेज के प्रिंसीपल वीरसहस्र बुद्धे बिलकुल सहमत नहीं है। वे ज़िदगी की दौड में हिस्सा लेने केलिए एक फैक्टरी की तरह विद्यार्थियों को तैयार करते हैं। पढ़ाई खतम होने बाद रांचो अजानक गायब हो जाता है। वर्षों बाद दोस्तों को उसके बारे में पता मिलते हैं और वे उसे तलाशने के लिए निकलते हैं। इस सफ़र में रांचो के बारे में कई नई बातें पता चलती हैं।
फिल्म में अमीरखान (रांची), माधवन (फरहान कुरैशी) और शरमन जोशी (राज रस्तोगी), करीना कपूर (पिया) आदि ने अभिनय के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। प्रिंसिपल के रूप में बोमन ईरानी ने स्तरीय अभिनय पेश किया है। राजकुमार हिरानी ने फिल्म का निदेशन किया है। कहानी को स्क्रीन पर कहने में वे माहिर है। कहानी हिरानी और अभिजात जोशी ने मिलकर लिखें है जो हँसने पर, रोने पर या सोचने पर मजबूर करते हैं। पटकथा अभिजात जोशी और विधु चोप्रा की है। विधु विनोद चोप्रा ने फिल्म का निर्माण किया है। संपादन राजकुमार हिरानी और छायांकन सी के मुरलीधरन ने किया। ‘3 इडियट्स’ सौ प्रतिशत एक मनोरंजक फिल्म है। साथ ही यह फिल्म शिक्षा प्रणाली के बारे में सोचने को भी हमें मजबूर करते हैं।
प्रश्न 19.
‘दुख’ कहानी के आधार पर असली दुख तथा नकली दुख के संबंध में संगोष्टी में प्रस्तुत करने
योग्य एक आलेख तैयार कीजिए।
- गरीब तथा अगीर लोगों के दुख
- दुख को हल करने का उपाय
- मानवता का उदय
उत्तर :
दुख तो एक ऐसी संवेदना है जिसे हम अपनी ज़िन्दगी से कभी अलग नहीं कर सकते और दुनिया में कई भी जव-जंतु इससे मुक्त नहीं है। दुख तो जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। वह कभी हमारे प्यारे लोगों की विदाई होगी या बीमारी होगी या खूद का कोई हार होगी। मानव को समाज में स्तरानुकूल कर दिया है जैसे अमीर या गरीब। लेकिन दुख-ददों के सामने ऐसा कोई भेद-भाव नहीं है। लोगों के दृष्टिकोण तथा उसे अपनाने के ताकत के अनुसार दुख का असर बढ़ेगा या कम होगा। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो छोटी-छोटी बातों पर परेशान बन जाते है और परेशानियों का सामना करने की ताकत उनमें न होने के वजह से वे निराश बनकर ज़िन्दगी से मुँह मोड लेते हैं। वे एकदम अपने जीवन खतम करने के बारे में भी सोचते हैं।
जैसे यशपाल द्वारा रचित ‘दुख’ कहानी के मुख्य पात्र दिलीप और हेमा। वे दोनों अमीर लोगों के प्रतीक हैं। दोनों एक दूसरे से बहुत चाहते थे, शायद इसलिए हेमा अपने पति उसकी सहेली के साथ सिनेमा देख आने की खबर सुनकर रुढ़कर अपने घर चली गयी। उसी प्रकार हेमा के चले जाने के बाद दिलीप अपने मौत से उससे बदला लेना चाहता है। दूसरा विभाग को भी यशपाल ने पाठकों के सामने रखा है जो एक विधवा माँ और उसका छोटा-सा बेटा। गरीबी से पीडित वह परिवार जिन्दगी में कभी-भी हारने को तैयार नहीं है। वे लोग पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी परिस्थितियों से लड़ते हैं।
इसकेलिए एक उत्तम सबूत यह है कि सर्दी भरे रात में वह छोटासा लड़का अपनी द्वारा तैयार किए पकौडों को बेचना। अंत में उनके घर से दिलीप देखता है कि माँ स्वयं भूखी रहकर अपने बेटे केलिए भोजन कुर्बान कर रही है और दिलासा भी दे रही है कि ज़िन्दगी में आगे बढ़ने केलिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि संसार में ऐसा कोई दुख नहीं है जिसका कोई हल न हो। आंसुओं के पीछे न भाग कर उसको मुस्कुराहट में बदल देना चाहिए। इसकेलिए हमें बहुत कुछ भूलना पडेगा, समझोता करना पड़ेगा। लेकिन अपने तथा दूसरों के चेहरे में खुशी का लहर लाने केलिए हमें परिश्रम करना है। दुख कम करने केलिए आसानी मार्ग दूसरों के साथ वह बाँढ़ना है। दुख और सुख ज़िन्दगी रूपी सिक्के के दो पहलू है। इसलिए पूरे साहस के साथ सब कुछ सामना करके आगे बढ़ना है।
प्रश्न 20.
पंचायत का कूड़ा-कचड़ा संस्करणसंबंधि कारवाइयों के प्रति जानकारी पाने के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी, नागलश्शोरी पंचायत, पालक्काड़ के नाम पर एक सूचना अधिकार पत्र तैयार कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 21.
संपादकीय तैयार कीजिए।
विषय : हिंदी का प्रचार
सहायक बिंदु:
- भारतीय भाषाओं में हिंदी का स्थान
- हिंदी दिवस का महत्व
- जनसाधारण का विचारविनिमय
- भारतीयता का विकास
उत्तर :
नव किरण
सोमवार 17 मार्च 2017
राष्ट्रभाषा हिन्दी : एक विश्लेषण
भारत एक विशाल देश है। यहाँ कई संस्कृतियाँ धर्म और भाषाएँ हैं। इन विविधताओं में भी एकय कायम रखती है। ब्रिटिश शासन काल में सब काम अंग्रेज़ी में होता था। भारत में स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन के साथ ही राष्ट्रभाषा की समस्या भी उठी थी। राष्ट्र की जनता में एक भावात्मक एकता स्थापित करने की सर्वमान्य भाषा हे राष्ट्रभाषा। महात्मा गाँधी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रुप में अपनाने केलिए आह्वान किया था। हिन्दी भारत की अधिकांश जनता की भाषा है तथा बड़ी सरल भाष है। इसे बोलने और समझने वालों की संख्या सर्वाधिक है।
हिन्दी देवनागरि लिपि में लिखी जाती है। इसे सीखने में विशेष असुविधा नहीं होती। हमारे देश में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय हिन्दी बोलनेवालों की संख्या लगभग चालीस प्रतिशत थे। लेकिन आज तो सब हिन्दी के दीवाने हैं। भारत वर्ष सदियों तक अंग्रेजों और अन्ये विदेशियों का गुलाम रहा। विभिन्न विदेशी शासकों ने अपने देश की भाषा के माध्यम से शायन कार्यों को संचालित किया। स्वतंत्रता के पूर्व अंग्रेज़ी शासन काल में समस्त कार्य अंग्रेजी में ही संपन्न होते थे लेकिन स्वतंत्र हो जाने के बाद अंग्रेज़ी के द्वारा शासन के कार्यों का संचलन अत्यंत ही लज्जा का विषय है।
देश की अखण्डता को सुरक्षित करने के महान उद्देश्य से 14 सितंबर 1949 को भारत के संविधान में राजभाषा के पद पर हिन्दी को चुना था। इस दिन को हम हिन्दी दिवस के रूप में मनाते हैं। उस दिन विद्यालयों, कॉलजों और अन्य केन्द्र सरकारी कार्यालयों विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिताएँ चलते हैं। विभिन्न साहित्यिक सामग्रियों का अनुवाद हिन्दी में करने से इसका प्रचार बढ़ते हैं। देश के बहुसंख्यक मानुष्यों की भाषा होने के कारण हिन्दी का दायित्व सर्वाधिक है। इसलिए हमें देश में हिन्दी के प्रचार केलिए उचित वातावरण की सृष्टि करनी चाहिए।
You can also Download Plus One Hindi Previous Year Question Papers and Answers to help you to revise complete Syllabus and score more marks in your examinations.