Kerala Plus One Hindi Previous Year Question Papers and Answers 2015
Time : 2 1/2 Hours
Cool-oft time: 15 MInutes
Maximum : 80 Score
General Instructions Candidates:
- There is a ‘cool off time’ of 15 minutes in addition to the writing time of 2% hrs.
- Your are not allowed to write your answers nor to discuss anything with others during the ‘cool off time’.
- Read questions carefully before answering.
- All questions are compulsory and only internal choice is allowed.
- When you select a question, all the sub-questions must be answered from the same question itself.
- Electronic devices except non-programmable calculators are not allowed in the Examination Hall
सूचना : निम्नमिलिखित कवितांश पढ़िये और 1 से 4 तक के प्रश्नों का उत्तर लिखिए।
मनु नहीं मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी,
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
बाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।
स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे
रोज़ ही आकाश चढ़ते जा रहे है ये;
रोकिए, जसे बने, इन स्वप्नवालों का;
स्वर्ग की हो और बढ़ते आ रहे हैं ये।
प्रश्न 1.
यह कवितांश किस कविता से लिया गया है?
उत्तर :
चाँद और कवि
प्रश्न 2.
कविता के ‘धार’ शब् का समानार्थी शब्द कोष्ठक से चुनकर लिखिए
(तलवार, तेज़, बाण, रोज़)
उत्तर :
तेज़
प्रश्न 3.
मनु-पुत्र की कल्पना कैसी होती है?
उत्तर :
मनु-पुत्र की कल्पना में तलवार की जैसी तीक्ष्णता है। मनुष्य के विचारों में ही नहीं, सपने में भी तलवार की शक्ति होती है।
4.
कवितांश की आस्वादन टिप्पणी लिखिए।
सूचना : निम्नलिखित खंड पढ़िये और 5 से 10 तक के प्रश्नों का उत्तर लिखिए।
दिवाली की रात को मैं अपने गाँव के युवा मंडल के कार्यालय में अपने साथियों के साथ बैठा था। तभी हमें पता चला की गाँव में आग लग गई है। मैंने सभी युवाओं को आग बुझाने के लिए जल्दी जाने को कहा। सभी युवा लोग आग लगे स्थान की तरफ भागे। किंतु एक युवक बड़ी मस्त चाल से चल रहा था।
मैंने उसे भी जल्दी चलने को कहा तो वह बोला, “भागना किसलिए हैं? अपने को तो तमाशा देखना है। कुछ क्षण बाद देख लेंगे।” तभी उसके भाई की लड़की दौड़ती हुई आयी और युवक को संबोधित करते हुए बोली, “चाचा अपने घर में आग लग गई है।” लड़की की बात सुनते ही युवक दौड़ने लगा। क्योंकि अब उसका अपना घर जल रहा था।
(कार्यालय – office, मस्त चाल – खुशी से)
उत्तर :
प्रगतिशील कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखित कविता है ‘चाँद और कवि’। कविता में चाँद और कवि के बीच बातचीत चलती है। कवि की कल्पना को पानी को बुलबुले कहकर उपहास करनेवाले चाँद को ललकारते हुए कवि पूछते हैं – हे चाँद, अब तुम्हारे सामने मनु नहीं है, मनु-पुत्र है। उनकी कल्पना में अद्भुत शक्ति है। कल्पना में तलवार की तीक्ष्णता है, समाज में क्रांति लाने की क्षमता है।
उनके विचारों में ही नहीं, सपनों में भी तलवार की जैसी शक्ति है। फिर कवि चाँद से कहते हैं – ‘हे चाँद, तुम स्वर्ग के सम्राट को जाकर यह खबर दें कि उन्हें जीतने केलिए ये स्वप्नवाले आ रहे हैं। रूढ़ियों को दूर करके समाज में प्रगति लाने केलिए वे आ रहे हैं। चाहे तो तुम उन्हें रोक लो। कवि के अनुसार व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की प्रगति में बाधा डालनेवाली शक्तियाँ स्वर्ग के सम्राट है। कवि अपनी कविताओं के ज़रिए इन शक्तियों पर विजय पाने की तैयारी में हैं।
प्रश्न 5.
दिवाली की रात को लेखक कहाँ बैठा था?
उत्तर :
दीवाली की रात को लेखक गाँव के युवामंडल के कार्यालय में बैठा था।
प्रश्न 6.
लेखक ने सभी युवाओं को क्यों जल्दी जाने को कहा?
उत्तर :
लेखक ने सभी युवाओं से आग बुझाने केलिए दौड़कर जाने को कहा।
प्रश्न 7.
लड़की की बात सुनते ही युवक दौड़ने लगा। क्यों?
उत्तर :
युवक पहले धीमी गति से चल रहा था। भागकर वहाँ पहुँचकर क्या तमाशा देखना है, यही उनका विचार था। लेकिन अंत में लड़की ने उन्हें अपने घर पर आग लगने की सूचना दी तब युवक बेहताश दौडने लगा।
प्रश्न 8.
उस दिन के लेखक की डायरी कल्पना करके लिखिए।
उत्तर :
रविवार
6.5.2015
कल दिवाली की रात थी, मेरे अविस्मरणीय दिन भी। आज के मनुष्य जितना स्वार्थी है, वह आज ही मुझे पता चला। गाँव के युवा मंडल कार्यालय में बैठ रहे थे। साथ अनेक युवा साथी भी थे। तभी हमें पता चला गाँव में आग लग गई है। मैंने सभी युवाओं को आग बुझाने केलिए भेजा। सब लोग आग लगे स्थान की तरफ़ तेज़ी से दौड़े। लेकिन उनमें एक युवक बड़ी मस्त चाल चल रहा था। मेरे पूछने पर उसने कहा कि भागना किसलिए हैं। तमाशा देखना है तो बाद में देख लेंगे। तभी उसके भाई की लड़की उसके घर में आग लगने की सूचना देती है। यह सुनते ही युवक घर की तरफ़ दोडने लगा। क्योंकि अब उसका घर जल रह था। अपना हमेशा अपना ही होता है। मनुष्य की स्वार्थता पर में शर्मिन्दा हुआ।
प्रश्न 9.
खंड़ का संक्षेपण कीजिए।
उत्तर :
दिवाली की रात में युवा मंडल के कार्यालय में बैठते वक्त हमें पता चला कि गाँव में आग लग गई है। तुरंत ही युवा साथ गाँव की तरफ़ भागे। एक युवक बड़ी मस्त चल रहा था कि उसके लिए यह सिर्फ तमाशा थी। लेकिन जब भाई की लड़की आकर उसे अपने घर में आग लगने की सूचना देती है तो युवक बेहताश दौडने लगा।
प्रश्न 10.
संक्षेपण के लिए शीर्षक लिखिए। सूचना : निम्नलिखित 11 से 16 तक के प्रश्नों का उचित हिंदी शब्द चुनकर मिलान कीजिए। (6)
(अगला, चरण, सार्वजनिक, साज्ञा करें, बातचीत, प्रारूप, कूड़ेदान, संकेत)
उत्तर :
दिवाली की रात
प्रश्न 11.
Chats :
उत्तर :
बातचीत
प्रश्न 12.
Public :
उत्तर :
सार्वजनिक
प्रश्न 13.
Trash :
उत्तर :
कूड़ेदान
प्रश्न 14.
Next step:
उत्तर :
अगला चरण
प्रश्न 15.
Share:
उत्तर :
साझा करें
प्रश्न 16.
Format :
सूचना : निम्नलिखित दोहा पढ़िये और 17 एवं 18 के उत्तर लिखिए।
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय।।
उत्तर :
प्रारूप
प्रश्न 17.
‘स्मरण’ शब्द का समानार्थी शब्द दोहे से ढूँढकर लिखिए।
उत्तर :
सुमिरन
प्रश्न 18.
इस दोहे का भावार्थ लिखिए।
सूचना : जुलूस नाट्यरूपांतर के बीरबलसिंह का निम्नलिखित कथन पढ़िये और प्रश्न 19 का उत्तर लिखिए।
बीरबलसिंह
हमारा हुक्म क्या आपको सुनाई नहीं पड़ा?
फिर से सोच लें ! बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा!
सिपाहियो, लाठी चार्ज करो!
उत्तर :
कबीरदास कहते हैं – जब मनुष्य दुःख का अनुभव करते हैं तब ईश्वर का स्मरण करते हैं। सुख और आनंद के समय के ईश्वर का स्मरण नहीं करते। ईश्वर का नाम तक भूल जाते हैं। लेकिन जब कोई दुख आता है तब वे तुरंत ईश्वर की ओर मुड़ जाते हैं, मंदिर मस्जिदों में जाकर प्रार्थना करने लगते हैं। विपत्ति से बचने केलिए उन्हें ईश्वर की कृपा-दृष्टि की जरूरत पड़ती है। कबीरदास कहते हैं कि यदि सुख के समय भी ईश्वर का स्मरण करें तो जीवन में दुख कभी नहीं होता।
प्रश्न 19.
इस कथन के आधार पर बीरबलसिंह के चरित्र पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
बीरबलसिंह भारतीय है लेकिन अंग्रेजों के पिठू बन गए हैं। भारतीय होकर भी वह अंग्रेज़ पुलीस के साथ मिलकर स्वराजियों के जुलूस को रोकते हैं। वे देशप्रेमी नहीं है। उनके मन में अपने भाइओं के प्रति सहानुभूति नहीं है। वह बड़ा जल्लाद है।
प्रश्न 20.
निम्नलिखित अंग्रेजी बातचीत का हिंदी में अनुवाद कीजिए। (6)
Teacher : Why are you late Puneeth?
Puneeth : Sorry teacher, I saw a tragic incident on the road.
Teacher : Oh! What happened?
Puneeth : Aperson was lying on the road. He was severely injured.
Teacher : What did you do then?
Puneeth : It took him to the hospital.
(Tragic incident – दुखात्मक घटना, severely – बुरी तरह, injured – घायल हुआ)
उत्तर :
टीचर : पुनीत, इतना देर क्यों हुआ?
पुनीत : क्षमा कीजिए टीचर, मैंने सड़क पर दुखात्मक घटना देखी।
टीचर : क्या हुआ?
पुनीत : एक आदमी सड़क पर पड़ा हुआ था। वह बुरी तरह से घायल था।
टीचर : फिर तुमने क्या किया?
पुनीत : मैंने उसे अस्पताल पहुंचाया।
प्रश्न 21.
निम्नलिखित सहायक बिंदु के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए। बाज़ार में रिंग-टोन कंपनी की ओर से नया मोबाईल फोन आया है। उसकी बिक्री बढ़ाने के लिए एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
सहायक बिंदु:
- बहुरंगी
- डेढ़ साल की वारंटी
- 2 जीबी मेमरी मुफ्त
- अदला-बदला (Exchange) की सुविधा (7)
सूचना: निम्नलिखित 22 से 26 तक के प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों का उत्तर लिखिए।
उत्तर :
प्रश्न 22.
निम्नलिखित सहायक बिंदु के आधार पर किसी मनपसंद फिल्म की समीक्षा लिखिए।
सहायक बिंदु:
- फिल्म का कथासार
- पात्रों का अभिनय
- निदेशक की भूमिका
- पटकथा, संवाद, छायांकन, संपादन, गीत आदि
- फिल्म की समग्रता पर अपना दृष्टिकोण (8)
उत्तर :
तारे ज़मीन पर (फिल्मी समीक्षा)
बच्चे ओस की बूंदों की तरह एकदम् शुद्ध और पवित्र होते हैं। वे कल के नागरिक हैं, लेकिन दुःख की बात है कि बच्चों को अनुशासन के नाम पर तमाम बंदिशों में रहना पड़ता है। लेकिन, आजकल हर घर से ‘टॉपर्स’ और ‘रैकर्स’ तैयार करने की कोशिश की जा रही है। कोई यह नहीं सोचता कि उनके मन में क्या है? वे क्या सोचते हैं? उनके क्या विचार है?
इन्हीं सवालों और बातों को आमिरखान ने अपनी फ़िल्म ‘तारे ज़मीं पर’ में उठाया है। फ़िल्म की कहानी इस प्रकार है : आठ वर्षीय ईशान अवस्थी (दर्शील सफारी) का मन पढ़ाई के बजाय कुत्तों, मछलियों और पेंटिंग में लगता है। उसके माता-पिता चाहते हैं कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता। ईशान घर पर माता-पिता की डॉट खाता है और स्कूल में शिक्षकों की। कोई भी यह जानने की कोशिश नहीं करता कि ईशान पढ़ाई पर ध्यान क्यों न दे रहा है। इसके बजाय वे ईशान को बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं।
खिलखिलाता ईशान वहाँ जाकर मुरझा जाता है। वह हमेशा सहमा और उदास रहने लगता है। उस पर निगाह जाती है आर्ट टीचर रामशंकर निकुंभ (आमिर खान) की। निकुंभ उसकी उदासी का पता लगाते हैं और उन्हें पता चलता है कि ईशान बहुत प्रतिभाशाली है, लेकिन डिसलेक्सिया की बीमारी से पीडित है। उसे अक्षरों को पढ़ने में तकलीफ़ होती है। अपने प्यार और दुलार से निकुंभ ईशान के अंदर छिपी प्रतीभा को सबके सामने लाते हैं।
कहानी सरल है, जिसे आमिरखान ने बेहद प्रतिभाशाली तरीके से परदे पर उतारा है। पटकथा की बुनावट एकदम चुस्त है। छोटे-छोटे भावनात्मक दृश्य रखे गए हैं, जो सीधे दिल को छू जाते हैं। ईशान की भूमिका में दर्शील सफारी इस फ़िल्म की जान है।
आमिर खान मध्यांतर में आते हैं और छा जाते हैं। टिस्का चोपडा (ईशान की मम्मी) ने एक माँ की बेचैनी को उम्दा तरीके से पेश किया है। विपिन शर्मा (ईशान के पापा) सचेत इंजीनीयर और सारे अध्यापकों का अभिनय भी अच्छा है। निर्देशन के मैदान में पहली बार उतरे आमिर खान ने दिखा दिया है कि फ़िल्म माध्यम पर उनकी समझ और पकड अद्भुत हैं। प्रसून जोशी द्वारा लिखे गीत बहुत कुछ कहते हैं और परदे पर उनको देखते समय उनका प्रभाव और बढ़ जाता है। शंकर-अहसान-लॉय का संगीत भी अच्छा है। फिल्म की फोटोग्राफी बहुत ही प्रभावशाली है।
प्रश्न 23.
निम्नलिखित सहायक बिंदु के आधार पर संपादकीय तैयार कीजिए।
आजकल संसार भर निरपराध बच्चों के प्रति अत्याचार और आक्रमण हो रहा है। इस प्रसंग में बच्चों के प्रति अत्याचार रोकें’ इस विषय पर संपादकीय तैयार कीजिए।
सहायक बिंदु:
- बच्चों के विरुद्ध अत्याचार
- बच्चे कल के नागरिक
- मानविकता का अभाव
- सुरक्षाहीन वातावरण
- मख्त नियमों का पालन
- मनोवृत्ति में बदलाव
- अपराधियों को कठिन दंड (8)
उत्तर :
दैनिक हिंदुस्तान
बुधवार 20 अप्रैल 2014
बच्चों के प्रति अत्याचार रोकें
देश का भविष्य बच्चों पर निर्भर रहता है। जो आज बच्चे हैं वे कल देश के नेता होंगे, नागरिक होंगे। बच्चों की कोमल निर्मल मुस्कान में ही देश का उजला भविष्य नज़र आता है। इसलिए ही नेहरूजी ने कहा है – बालकों की आत्मा पवत्र होती है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि हमारे देश में इन मासूम बच्चों पर कई प्रकार के अत्याचार हो रहे हैं। उन्हें जीविका चलाने के लिए मजदूरी करना पड़ता है।
माता-पिता की प्रताड़ना सहना पडता है। स्कूलों में कॉपी किताबों और दोस्तों के बीच बितानेवाले जिंदगी उन्हें घरों में झाड पोंछे और कारखानों में औजारों के बीच बिताना पडते हैं। आज सरकार ने आठवीं तक की शिक्षा को अनिवार्य और निशुल्क कर दिया है, फिर भी स्कूली शिक्षा से वंचित कई बच्चे अब भी हमारे देश में हैं। बच्चों के माता-पिता सिर्फ इस वजह से उन्हें स्कूल नहीं भेजते क्योंकि उनके स्कूल जाने से परिवार की आमदनी कम हो जाएगी। दुनिया में सबसे ज्यादा बालमजदूर भारत में ही है।।
मजदूरी से परिवार की आमदनी ज़रूर बढ़ती है, लेकिन खेल-फूद, पढ़ाई और मस्ती बिताने योग्य उनके ये बचपन का ही हम बर्बाद कर रहे हैं। मज़दूर के जगहों पर ये निरीह बच्चे शारीरिक प्रताडन के शिकार हो रहे हैं। गरीबी और सुरक्षाहीन वातावरण इस बालमजदूरी के मुख्य कारण हैं। ‘
सरकार ने बालमजदूरी एवं बालकों पर होनेवाले अत्याचार को रोकने केलिए कानून तो बना दिए हैं और बालमजदूरी को अपराध भी घोषित किया है। लेकिन अब भी हमारे देश से यह भयावह समस्या पूरी तरह खतम नहीं हुआ है। इसे जड़ से खतम करना है तो पहले गरीबी को खतम करना पडेगा। सिर्फ सरकार ही नहीं आम जनता की भी इसमें सहमागिता ज़रूरी है। लोगों की मनोवृत्ति में परिवर्तन लाना भी ज़रूरी है। हर एक व्यक्ति जो आर्थिक रूप से सक्षम हो अगर ऐसे एक बच्चे को भी ज़िम्मेदारी लेने लगे तो सारा परिदृष्य ही बदल जाएगा।
प्रश्न 24.
निम्न सुखियाँ पढ़िए।
स्कूल और आसपास को स्वच्छ रखने के लिए सरकार द्वारा किए जानेवाले कारवाइयों की जानकारी पाने के लिए सुमन, सदस्य, अध्यापक अभिभावक संघ, सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूल, पालक्काड की ओर से सार्वजनिक सूचना अधिकारी, शिक्षा विभाग, केरल सरकार, तिरुवनंतपुरम् के नाम सूचना
अधिकार पत्र तैयार कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 25.
निम्नलिखित सहायक बिंदु के आधार पर वार्तालाप लिखिए।
यात्री शाम को घर पहुंचा। उसकी परेशानी देखकर पत्नी ने कारण पूछा। यात्री ने असलम की मृत्यु की खबर सुनाई। यात्री और पत्नी के बीच का वार्तालाप लिखिए।
सहायक बिंदु:
- असलम की मृत्यु की खबर
- असलम के प्रति अपना व्यवहार
- हमदर्दी का अभाव
- पश्चात्ताप से उत्पन्न अनुताप
उत्तर :
सेवा : अरे, जल्दी एक गिलास पानी दो
पत्नी : क्या हुआ यार, बहुत परेशान दिख रहे हैं?
यात्री : पहले तुम पानी दे दो, में सब कुछ बताऊँगा। (पत्नी उन्हें पानी देती है)
पत्नी : अब बताओ, क्या हुआ आपको?
यात्री : तुम्हें असलम की याद है न?
पत्नी : क्या आप उस रिक्शेवाले की बात कर रहे हैं?
यात्री : हाँ।
पत्नी : उसे क्या हुआ?
यात्री : कल उसकी मृत्यु हुई।
पत्नी : अरे ! मुझे भरोसा नहीं आती। कल भी वह आप को लेने आया था न?
यात्री : हाँ, वही मुझे दफ्तर छोड़ दिया था। लौटते वक्त रास्ते में ही उसकी मृत्यु हुई।
पत्नी : उन्हें कोई बीमारी है क्या?
यात्री : उनकी दोनों गुर्दे खराब थी। कल गाड़ी चलाते समय उन्होने कुछ परेशानियाँ दिखाई थी।
पत्नी : तो आप ने क्या किया था?
यात्री : मैंने सोचा यह उनका नाटक होगा, इसलिए रिक्शे पर बैठा रहा। अब मुझे लगता है में ही उनकी मृत्यु का ज़िम्मेदार हूँ।
पत्नी : ऐसा मत सोच लो यार, शायद भगवान ने उसे छोटी ज़िदगी ही दी गई होगी।
यात्री : फिर भी मुझे उस समय गाड़ी से उतरना चाहिए था।
पत्नी : फिक्र मत करो यार, अभी आराम कर लें। कल हम अस्लम के घर जाकर उनके बीवी और बच्चों से मिलेंगे।
यात्री : हमें जरूर जाना है, नहीं तो मुझे तसल्ली नहीं मिलेगी।
प्रश्न 26.
निम्नलिखित सहायक बिंदु के आधार पर निबंध लिखिए।
हिंदी भारत की राजभाषा एवं राष्ट्रभाषा है – ‘सीखें हिंदी, सिखाएँ हिंदी’ इस विषय पर निबंध लिखिए।
सहायक बिंदु:
- भारत की संपर्क भाषा
- अधिकांश जनता की बोलचाल की भाषा
- एकता की कड़ी
- हिंदी हमारी संस्कृति
- हिंदी का प्रचार – नागरिकों का कर्तव्य
उत्तर :
सीखे हिंदी, सिखाएँ हिंदी
भाषा हमारे लिए बोलचाल का माध्यम होती है। संप्रेषण का माध्यम होती है। इसके द्वारा ही हम अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, बातचीत कर सकते हैं। किसी भी देश की राष्ट्रभाषा उसे ही बनाया जाता है जो उस देश में व्यापक रूप में फैली जाती है।
इस दृष्टि से देखें तो हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा बनने योग्य है। हिंदी हमारे देश के प्रमुख राज्य जैसे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में प्रमुख रूप से बोली जाती है। राष्ट्रभाषा संपूर्ण देश में भावात्मक एवं सांस्कृतिक एकता स्थापित करने का प्रधान साधन होती है हिंदी भाषा को इसलिए राष्ट्रभाषा का पद दिया कि हिंदी भाषा बोलने में, लिखने में, पढ़ने में सरल है।
अहिंदी प्रदेश के लोग भी आसानी से हिंदी सीख सकते हैं साथ ही हिंदी भाषा में कहानी, कविता, उपन्यास, नाटक जैसे प्रचुर साहित्य उपलब्ध है। हिंदी भारत की स्वयं सिद्ध राष्ट्रभाषा है। इसे बोलने वालों का प्रतिशत 65 से भी अधिक है। हमारी हिंदी भाषा की एक विशेषता यह भी है कि हमारे देश वें रहने वाले भारतीय लोग किसी भी प्रांत के रहनेवाले हो, उनकी कोई भी मातृभाषा हो, वे हिंदी समझते हैं और किसी न किसी रूप में व्यवहार में लाते हैं। राष्ट्रभाषा होने के नाते हिंदी सीखना हमारा कर्तव्य है और इसका प्रचार करना भी।
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