Kerala Plus One Hindi Model Question Paper 1 with Answers
Board | SCERT |
Class | Plus One |
Subject | Hindi |
Category | Plus One Previous Year Question Papers |
Time Allowed: 21/2 hours
Cool off time: 15 Minutes
Maximum Marks: 80
General Instructions Candidates:
- There is a ‘cool off time’ of 15 minutes in addition to the writing time.
- Use the ‘Cool off time’ to get familiar with questions and to plan your answers.
- Read questions carefully.
- Read the questions carefully before answering.
- Calculations, figures and graphs should be shown in the answer sheet itself.
- Give equations wherever necessary.
- Electronic devices except non-programmable calculations are not allowed in the Examination Hall.
सूचना : कवितांश पढ़ें और 1 से 3 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
‘अरे आ गई है भूली-सी
यह मधुऋतु दो दिन को,
छोटी-सी कुटिया मैं रच दूँ,
नई व्यथा साथिन को!
वसुधा नीचे ऊपर नभ हो,
नीड़ अलग सबसे हो,
झाड़खंट के चिर पतझड़ में
भागो सूखे तिनको!
प्रश्न 1.
‘सहेली’ का समानार्थी शब्द कवितांश से चुनकर लिखें। (1)
उत्तर:
साथिन
प्रश्न 2.
सूखे तिनको को कहाँ भाग जाना है? (1)
उत्तर:
सूखे तिनकों को जंगल के पतझड़ में भाग जाना है।
प्रश्न 3.
छायावाद की विशेषताओं के आधार पर कवितांश की आस्वादन टिप्पणी लिखें। (6)
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद हिंदी के सबसे श्रेष्ठ छायावादी कवि है। लहर, आँसू, कामायनी आदि उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। मधुस्मृत लहर में संकलित है। वसंत ऋतु के आगमन पर प्रकृति में होनेवाले परिवर्तनों का चित्रण मधुऋतु कविता में हुआ है।
वसंत ऋतु कुछ दिनों के लिए आ गई है। पथ भूलकर आई वसंत ऋतु के लिए मैं एक छोटी सी कुटिया बना दूंगा। आकाश और धरती के बीच, सबसे दूर एक सुंदर घोंसला मैं तुम्हारे लिए बना दूंगा। ऐसी सुंदर वेला में यहाँ के सूखे तिनकों को जंगल के पतझड़ में भाग जाना है। इस कविता में प्रेमिका और प्रेमी के मिलन और प्रेम जन्य अनुभूतियों का चित्रण किया है।
प्रश्न 4.
सही मिलान करें। (8 × 1 = 8)
Cancel – प्रस्थान
Editing – कूड़ेदान
Important – महत्वपूर्ण
Categories – रद्द करें
Resource – प्रक्रम
Sign out – संसाधन
Trash – ईक्षण
Programme – श्रेणियाँ
उत्तर:
Cancel – रद्द करें
Editing – ईक्षण
Important – महत्वपूर्ण
Categories – श्रेणियाँ
Resource – संसाधन
Sign out – प्रस्थान
Trash – कूड़ेदान
Programme – प्रक्रम
सूचनाः 5 से 8 तक के प्रश्नों में से किन्हीं तीन का उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें। (3 × 2 = 6)
प्रश्न 5.
‘आदमी का स्वप्न? है वह बुलबुला जल का,
आज बनता और कल फिर फूट जाता है; – यहाँ चाँद ने आदमी के स्वप्न की तुलना किससे की है?
उत्तर:
चाँद ने आदमी के स्वप्न की तुलना बुलबुलों से की है।
प्रश्न 6.
‘हमारा बड़ा आदमी तो वही है जो लंगोटी बाँधे नंगे पाँव घूमता है। जो हमारी दशा सुधारने के लिए अपनी जान हथेली पर लिए फिरता है – यहाँ मैकू किसको बड़ा आदमी मानता है?
उत्तर:
यहाँ मैकू गाँधीजी को बड़ा आदमी मानता है।
प्रश्न 7.
‘पत्थर की बैंच
जिस पर अंकित हैं आँसू, थकान
विश्राम और प्रेम की स्मृतियाँ – पत्थर की बैंच पर क्या क्या अंकित हैं?
उत्तर:
पत्थर की बैंच पर आँसू, थकान, विश्राम और प्रेम की स्मृतियाँ अंकित है।
प्रश्न 8.
“मैं फल नहीं खा सकता तो क्या हुआ बेटा, तुम तो खा सकोगे? मेरे-तुम्हारे नाती-पोते तो खाएँगे” – इस कथन से बूढ़े का कौन-सा मनोभाव प्रकट होता है?
उत्तर:
यहाँ बूढ़े का निस्वार्थी और परोपकारी मनोभाव प्रकट होता है।
सूचनाः 9 से 13 तक के प्रश्नों में से किन्हीं चार का उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें। (4 × 4 = 16)
प्रश्न 9.
दोहा पढ़ें।
‘बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजौं आपना, मुझ-सा बुरा न कोय ।।’
‘अपनी गलतियों को पहचाननेवाला ही विवेकी है | दोहे के आधार पर अपना विचार प्रकट करें।
उत्तर:
कबीरदास हिंदी के विख्यात रहस्यवादी कवि हैं। उन्होंने नीति संबंधी अनेक दोहे लिखे हैं। कबीरदास कहते हैं – अपनी बुराइयों को नहीं पहचानते हुए मनुष्य दूसरों की बुराइयाँ खोजने के लिए निकलते हैं। असल में हमें अपनी बुराइयाँ दूर करने के बाद ही दूसरों की बुराइयाँ खोजनी है।
अपनी गलतियों को पहचाननेवाला ही विवेकी है।
प्रश्न 10.
‘जुलूस’ नाट्यरूपांतर के इब्राहिम अली के ये कथन पढ़ें।
- हमें अपने भाईओं से लड़ाई नहीं करनी है।
- लोगों की मनोवृत्ति में आया वह परिवर्तन ही हमारी असली विजय है।
- जिस दिन हम इस लक्ष्य पर पहूँच जाएँगे, उसी दिन स्वराज्य सूर्य का उदय होगा! इन कथनों के आधार पर इब्राहिम अली के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
इब्राहिम अली देश के लिए समर्पित देशप्रेमी है। सच्चे देशभक्त होने के कारण ही वह अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार हो जाता है। “हमें अपने भाइयों से लड़ाई नहीं करनी है” – इस वाक्य से स्पष्ट होता है कि वह अहिंसा के पुजारी है। उसकी नितागिरी को सब मानता भी है।
प्रश्न 11.
जीवन-वृत्त पढ़ें।
जीवन-वृत्त
नाम : पवन करण
जन्म : 18 जून, 1964
जन्मस्थान : ग्वालियर, मध्यप्रदेश
प्रमुख रचनाएँ : इर तरह मैं, स्त्री मेरे भीतर, कहना नहीं आता
पुरस्कार : रामविलास शर्मा पुरस्कार, वागीश्वरी सम्मान
विशेषताएँ : जन साधारण की समझ में आनेवाली भाषा
उत्तर:
पवन करण हिंदी के विख्यात कवि है। उनका जन्म 18 जून, 1964 को हुआ। मध्यप्रदेश के ग्वालियर उनका जन्मस्थान है। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं इस तरह मैं, स्त्री मेरे भीतर, कहना नहीं आता आदि। रामविलास शर्मा पुरस्कार, बागिश्वरी सम्मान आदि से वे पुरस्कृत भी हैं। जन साधारण की समझ में आनेवाली भाषा उनकी सबसे बड़ी विशेषता है। ‘कहना नहीं आता’ कविता में आम जनता के लिए ही वे कुछ कहना चा. ते हैं। वे अपने को निरीह और बेसहारे का प्रतिनिधि मानत हैं।
प्रश्न 12.
‘चाँद और कवि’ कविता की पक्तियाँ पढ़ें।
‘मनु नहीं मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी,
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
बाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।’
‘मानव के स्वप्न और विचार में असीम शक्ति है – इसके आधार पर कवितांश का विश्लेषण करके टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
राष्ट्रकवि दिनकर की कविता है चाँद और कवि। मनुष्य पर चाँद का उपहास सुनकर कवि मन कह उठता है कि मैं वह मनु नहीं है जिसे तुमने पहले देखा है। आज का मनुष्य जो धरती पर खड़ा है वह मनु का पुत्र मानव है। उसमें असीम शक्ति है। उसकी कल्पना तीव्र है। उसके विचारों में ही नहीं सपनों के हाथ में भी तीक्षण तलवार रहती है। आज का मानव केवल सपने ही नहीं देखते। उसे सफल बनाने की कोशिश भी करते हैं। कवि के अनुसार मानव को सपना देखना ही चाहिए।
प्रश्न 13.
“मैं इस जीवन में दुख ही देखने को पैदा हुई हूँ…” हेमा के पत्र की यह पंक्ति पढ़कर दिलीप को लगा कि बालक के असली दुख के सामने हेमा का दुख केवल रसीला है। कहानी के आधार पर दोनों के दुख पर विचार करें और टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
दिलीप के मन में हेमा का दुःख केवल रसीला है। जब दिलीप बालक के घर गया तो उसने देखा, बालक की माँ बड़ी ईमानदार है। वह अपना भूख भूलकर अपने लड़के का पेट भराने की कोशिश करती है। लड़के के घर का वातावरण, माँ का मुख आदि दिलीप के मन से दूर नहीं जाता है। इसलिए ही दिलीप को हेमा का दुःख मामूली और रसीला लगता है।
सूचना :14 से 17 तक के प्रश्नों में से किन्हीं तीन का उत्तर लिखें। (3 × 6 = 18)
प्रश्न 14.
असलम की मृत्यु की खबर सुनकर यात्री परेशान होकर दफ्तर पहुँचता है। दोस्त यात्री से परेशानी का कारण पूछता है। दोनों के बीच का संभावित वार्तालाप तैयार करें।
- असलम की मृत्यु की खबर
- सहानुभूति का अभाव
- यात्री का पश्चाताप
उत्तर:
मित्र : अरे! क्या हुआ?
यात्री : कुछ नहीं यार।
मित्र : नहीं। इतना उदासी क्यों? घर में सब ठीक तो है न?
यात्री : घर में सब ठीक हैं। मगर कल की घटना मेरी आँखों से घटती नहीं।
मित्र : कल क्या हुआ?
यात्री : जो रिक्शावाला हर दिन मुझे यहाँ पहुँचाता है, वह चल बसा।
मित्र : क्या हुआ उसको?
यात्री : उसके दोनों गुर्दै खराब थे। डाक्टरों ने उसे रिक्शा चलाने से मना किया था।
मित्र : इस पर तुम इतना उदास क्यों?
यात्री : उसकी मृत्यु में मेरी भी कुछ गलती है। मेरे वजह से ही उसकी मृत्यु हुई।
मित्र : अरे! कैसी बातें कर रहे हो?
यात्री : कल रिक्शा चलाते समय वह दर्द के मारे कराह रहा था। तब भी मैं रिक्शा से उतरने के लिए तैयार नहीं हुआ था।
मित्र : अरे! जो होना था, सो हो गया।
यात्री : आज के बाद मुझसे ऐसी कोई गलती नहीं होगा। हमें दूसरों के दुख और दर्द समझना चाहिए।
प्रश्न 15.
निम्नलिखित अंग्रेज़ी संवाद का हिंदी में अनुवाद करें।
Rakesh : How was the presentation of ‘Juloose’ on the stage?
Mohan : It was amazing!
Rakesh : Did yo like the acting of Ravi as Ibrahim Ali?
Mohan : Of course. He acted well.
Rakesh : We really need these kind of dramas.
Mohan : Yes, It will help to create patriotism in students.
(Presentation – प्रस्तुति, amazing – आश्चर्यजनक, Patriotism – देशप्रेम)
उत्तर:
राकेश : ‘जुलूस’ का मंचीकरण कैसा था?
मोहन : आश्चर्यजनक था।
राकेश : इब्राहिम अली के रूप में रवी का अभिनय तुम्हें पसंद आया?
मोहन : हाँ हाँ। बहुत अच्छा अभिनय है उसका।
राकेश : हमें इसी प्रकार के नाटकों की ही ज़रूरत है।
मोहन : ज़रूर । छात्रों में देशप्रेम की भावना जगाने में यह सहायक होगी।
प्रश्न 16.
‘अपराध’ कहानी का अंश पढ़ें।
‘मैंने भाई का चेहरा देखा। वे मेरी ओर देख रहे थे। उनकी आँखें लाल थी और उनमें करुणा और कातरता थी, जेसे वे मुझसे याचना कर रहे हों कि मैं सच बोल दूं।’
पश्चाताप से विवश छोटा भाई अपनी डायरी में इस घटना का उल्लेख करता है। 60-80 शब्दों में वह डायरी तैयार करें।
- खुडब्बल का खेल
- घायल होकर घर की ओर दौड़ना
- पिताजी से झूठ बोलना
- बड़े भाई को दंड मिलना
उत्तर:
20
जनवरी
2018
बुधवार
बनारस,
रात नौ बजे।
एक अभिशप्त दिन रहा आज।
कैसे भूलूँ और कैसे सहूँ ये सब।
बड़े भाई का चेहरा ….. हटता ही नहीं। पता नहीं क्यों मैं ने ऐसा किया। खड़ब्बल के खेल के बीच पिताजी से झूठ बोलकर बड़े भाई को दंड दिलाया था आज मैं ने। बेचारा बड़ा भाई…. वो मेरी ओर देख रहे थे। उनकी आँखें मुझसे याचना कर रही थी कि मैं सच कहूँ और उसकी रक्षा करूँ ।
हे भगवान क्षमा करें!
आज से मुझसे ऐसा गलती कभी नहीं होगा।
प्रश्न 17.
ओणम के सिलसिले पर शहर में ‘कुडुम्बश्री’ की ओर से खाद्य पदार्थों की प्रदर्शिनी एवं बिक्रि चल रही है। संकेतो की सहायता से इस के लिए एक विज्ञापन तैयार करें।
- शुद्ध एवं सुरक्षित
- स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
- कम दाम
उत्तर:
सूचना : ‘आनंद की कुलझडियाँ’ निबंध का यह अंश पढ़ें और 18 और 19 तक के प्रश्नों का उत्तर लिखें।
अमेरिका के प्रेसीडेंट बेंजमिन फ्रैंकलीन के बारे में एक सुंदर नात सुनी जाती है – उनके पास एक गरीब विद्यार्थी मदद मांगने के लिए आया। उसे उन्होंने 20 डॉलर दिए। वे तो यह छोटी रक़म देकर भूल गए। लेकिन वह विद्यार्थी इस उपकार को न भूला। जब उसके दिन फिरे तब यह 20 डॉलर लौटाने के लिए फ्रैंकलीन के पास गया। फ्रैंकलीन ने कहा, “मुझे याद तो नहीं है मैंने यह रकम आपको कब दी। लेकिन खैर, आप इसे अपने ही पास रखिए और जब आपके पास कोई ऐसा ही ज़रूरतमंद आए तो उसे यह दे दीजिए”। उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया। कहते हैं, आज भी वह रक़म अमेरिका में ज़रूरतमंदों के हाथों में घूम रही है।
प्रश्न 18.
बेंजमिन फ्रैंकलीन ने गरीब विद्यार्थी को कौन-सा उपदेश दिया था? (2)
उत्तर:
बेंजमिन फ्रैंक्लीन ने गरीब विद्यार्थी को ज़रूरतमंद लोगों को रकम देने का उपदेश दिया।
प्रश्न 19.
खंड का संक्षेपण करें और शीर्षक दें। (6)
उत्तर:
डॉलर की कहानी
बेंजमिन फ्रैंकलीन से मिले 20 डॉलर वापस देने के लिए जब गरीब विद्यार्थी उसके पास पहुँचा तो फ्रैंकलीन ने डॉलर वापस नहीं लिया। ज़रूरतमंद लोगों को वह रकम देने को उसने उपदेश दिया। विद्यार्थी ने ऐसा ही किया और वह रकम आज भी अमरीका में घूम रही है।
सूचनाः 20 से 22 तक के प्रश्नों में से किन्हीं दो का उत्तर लिखिए। (Scores : 2 × 8 = 16)
प्रश्न 20.
ये सुर्खियाँ पढ़िए।
सड़क सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से क्या-क्या कार्यावाईयाँ की गई है, इसकी सूचना पाने के लिए श्री राजेन्द्र कुमार, ‘रागविहार’, पालक्काड़ की ओर से सार्वजनिक सूचना अधिकारी, परिवहन मंत्रालय, केरल सरकार, तिरुवनंतपुरम के नाम सूचना अधिकार पत्र तैयार करें।
(उल्लंघन करना – to violate, गिरफ्तार – to arrest)
उत्तर:
10
दस रुपए
10
प्रेषक
राजेन्द्र कुमार,
रागविहार,
पालक्काड़।
सेवा में
सार्वजनिक सूचना अधिकारी,
परिवहन मंत्रालय
केरल सरकार, तिरुवनन्तपुरम।
महोदय,
विषयः सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए केरल सरकार द्वारा की गयी कार्यवाइयों से संबंधित।
संदर्भः सूचना अधिकार अधिनियम – 2005 -निम्नलिखित बातों पर अधिक जानकारी चाहिए –
- सड़क सुरक्षा संबंधी आम जनता का क्या-क्या हक
- सड़क दुर्घटना में पिछले पांच सालों में कितने लोगों की मृत्यु हुई?
- सड़क सुरक्षा कायम रखने के लिए सरकार की ओर से क्या-क्या कार्यवाइयों की गयी है?
भवदीय,
हस्ताक्षर
राजेन्द्र कुमार
पालक्काड़,
14.04.2018
प्रश्न 21.
सूचकों की सहायता से किसी मनपसंद फिल्म की समीक्षा करें।
- फिल्म का कथासार
- पात्रों का अभिनय
- पटकथा, संवाद, छायांकन, संपादन
- निर्देशक की भूमिका
- अपना दृष्टिकोण
उत्तर:
तारे ज़मीन पर
मेरा मनपसंद फिल्म है तारे ज़मीन पर। आठ साल का बालक ईशान अवस्थी और उसका अध्यापक रामशंकर निकुंभ की कहानी है यह। बालक ईशान जब बोर्डिंग स्कूल पहूँचता है तब से मुरझा जाता है। अनुशासन पर उसके माँ-बाप जितना ज़ोर देता है बालक एकदम विमुख बन जाता है। स्कूल में रामशंकर निकुंभ नामक अध्यापक जब उससे मिलता है उसके आदत बदलने लगता है। छात्र के प्रत्येक खूबियों को अध्यापक पहचानता है और उसे प्रेरणा भी देता है।
ईशान की भूमिका में दर्शील सफारी और अध्यापक की भूमिका में आमिर खान ने अपनी अपनी भूमिका अच्छी तरह निभाई है। टिस्का चोपड़ा, विपिन शर्मा और अन्य अध्यापक लोगों ने भी अपनी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। फिल्म का निदेशन, छायांकन, पटकथा, संवाद, गीत और पात्रों का अभिनय सब एक से बढ़कर एक रहा है।
प्रश्न 22.
‘जब कभी भी रिक्शेवालों को देखता हूँ तब मुझे असलम का चेहरा याद आता है।’ ‘अनुताप’ का यात्री अपनी आत्मकथा में असलम का जिक्र करता है। वह आत्मकथांश तैयार करें।
- असलम की मृत्यु की खबर
- असलम के प्रति अपना व्यवहार
- हमदर्दी का अभाव
- पश्चाताप से उत्पन्न अनुताप
उत्तर:
वह दर्दनाक चेहरा….
जब कभी भी रिक्शेवाले को देखता हूँ, मुझे असलम का दर्दनाक चेहरा याद आता है। उसका कराह…… आज भी मेरे कानों में गूंज रहा है। ज़रूर, मुझे तो रिक्शे से उतरना ही था, मगर मेरी स्वार्थ ने मुझे रोका। उसकी वेदना मुझे समझना था, पहचानना था। मगर मैं ने उसकां विश्वास ही नहीं किया। सब उसका अभिनय समझा मैं ने। अगर उस समय रिक्शे से मैं उतरता और उसे असपताल ले चलता तो एक परिवार अनाथ न बनता | मेरी ही गलती से सब कुछ हो गया। सहजीवियों के प्रति हमें सहानुभूमि ही नहीं समानुभूति रखना है। उसकी मृत्यु का समाचार दूसरे रिक्शेवाले से सुनकर मैं चकित रह गया था। उसके प्रति उत्पन्न अनुताप के कारण ही चढ़ाई पहूँचने पर मैं रिक्शे से उतरकर एक अपराधी की भाँती सिर झुकाए रिक्शे के साथ चला था।