पयस् शब्द के रूप – Payaske Shabd Roop In Sanskrit
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समराङ्गणसूत्रधार
में ‘समरांगण सूत्रधार‘ ग्रंथ के ३१वें अध्याय में कहा है-
धारा च जलभारश्च पयसो भ्रमणं तथा॥
यथोच्छ्रायो यथाधिक्यं यथा नीरंध्रतापि च।
एवमादीनि भूजस्य जलजानि
पयस् (जल, Jal) नपुं० – Pyaas (Jal, Water) Pun0
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | पयः | पयसी | पयांसि |
द्वितीया | पयः | पयसी | पयांसि |
तृतीया | पयसा | पयोभ्याम् | पयोभिः |
चतुर्थी | पयसे | पयोभ्याम् | पयोभ्यः |
पञ्चमी | पयसः | पयोभ्याम् | पयोभ्यः |
षष्ठी | पयसः | पयसोः | पयसाम् |
सप्तमी | पयसि | पयसोः | पयःसु, पयस्सु |
सम्बोधन | हे पयः! | हे पयसी! | हे पयांसि! |
पयस् शब्द रूप के विशेष- इसी प्रकार मनस्, वचस्, रहस्, नभस्, सरस्, चेतस्, वयस्, यशस्, रहस्, तेजस्, वर्चस्, उरस्, अम्भस्, वासस्, सदस्, (सभा), स्रोतस्, तपस्, शिरस्, उषस्, वक्षस्, तमस्, रजस आदि शब्दों के रूप चलते हैं।