ल्युट् प्रत्ययः – Lyut Pratyay in Sanskrit
Lyut Pratyay in Sanskrit: भाववाचक शब्द की रचना के लिए सभी धातुओं से ल्युट् प्रत्यय जोड़ा जाता है। इसका ‘यु’ भाग शेष रह है तथा ‘ल’ और ‘ट्’ का लोप हो जाता है। ‘यु’ के स्थान पर ‘अन’ हो जाता है। ‘अन’ ही धातुओं के साथ जुड़ता है। (कृत् प्रत्यय) ल्युट् – प्रत्ययान्त शब्द’ प्रायः नपुंसकलिङ्ग में होते हैं। इनके रूप ‘फल’ शब्द के समान चलते हैं।
ल्युट् – प्रत्ययान्तशब्दाः
- धातुः – प्रत्ययः – शब्दः भू + ल्युट्
- दश + ल्युट् = भवनम्
- श्रु + ल्युट् = दर्शनम्
- स्मृ + ल्युट् = श्रवनम्
- कृ + ल्युट् = स्मरणम्
- पच + ल्युट् = करणम्
- धाव् + ल्युट् = पचनम्
- क्रीइ + ल्युट् = धावनम्
- या + ल्युट् = क्रीडनम्
- दा + ल्युट् = यानम्
- पा + ल्युट् = दानम्
- स्था + ल्युट् = पानम्
- शी + ल्युट् = स्थानम्
- नी + ल्युट् = शयनम्
- पठ + ल्युट् = नयनम्
- पत् + ल्युट् = पठनम्
- रक्ष् + ल्युट् = पतनम्
- ख।द + ल्युट् = रक्षणम्
- कय + ल्युट् = खादनम्
- भिद् + ल्युट् = कथनम्
- लिख + ल्युट् = भेदनम्
- ईक्ष् + ल्युट् = लेखनम्
- कुप् + ल्युट् = ईक्षणम्
- ग्रह + ल्युट् = कोपनम्
- भ्रम + ल्युट् = ग्रहणम्
- वृध् + ल्युट् = भ्रमणम्
- तृप् + ल्युट् = वर्धनम्
ल्युट् प्रत्ययः – Lyut Pratyay in Sanskrit Udaharan-