कर्त्ता कारक – Karta Karak in Sanskrit – कर्त्ता कारक (प्रथमा विभक्ति)
कर्त्ता कारक – प्रथमा विभक्तिः – Karta Karak in Sanskrit
(1) जो क्रिया के करने में स्वतन्त्र होता है, वह कर्ता कहा जाता है ‘स्वतन्त्रः कर्ता’। (कारक) उक्त कर्त्ता में प्रथमा विभक्ति आती है। जैसे-
- रामः पठति।
अत्र पठनक्रियायाः स्वतन्त्ररूपेण सम्पादकः रामः अस्ति। अतः अयम् एव कर्ता अस्ति। कर्तरि च प्रथमा विभक्तिः भवति।
(2) कर्मवाच्य के कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है। जैसे-
- मयां ग्रन्थः पठ्यते।
(3) सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति होती है (सम्बोधने च)। जैसे–
- हे बालकाः! यूयं कुत्र गच्छथ?
(4) किसी संज्ञा आदि शब्द का अर्थ, लिंग, परिमाण और वचन प्रकट करने के लिए प्रथमा विभक्ति का प्रयोग किया जाता है। क्योंकि विभक्ति के प्रयोग बिना कोई भी शब्द अपना अर्थ देने में समर्थ नहीं है। इसलिए इस विषय में प्रसिद्ध कथन है –
अपद (बिना विभक्ति के शब्द) का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
उदाहरणार्थम् बलदेवः, पुरुषः, लघुः, लता।
(5) इति’ शब्द के योग में प्रथमा विभक्ति होती है। यथा-
वयम् इमं जयन्तः इति नाम्ना जानीमः।