karta karak - कर्त्ता कारक (ने) - प्रथमा विभक्ति - हिन्दी

Learn Hindi Grammar online with example, all the topic are described in easy way for education.

कर्ता कारक

“जो क्रिया का सम्पादन करे, ‘कर्ता कारक’ कहलाता है।” अर्थात् कर्ता कारक क्रिया (काम) करता है। जैसे–
आतंकवादियों ने पूरे विश्व में आतंक मचा रखा है।
इस वाक्य में ‘आतंक मचाना’ क्रिया है, जिसका सम्पादक ‘आतंकवादी’ है यानी कर्ता कारक ‘आतंकवादी’ है।
कर्ता कारक का परसर्ग ‘शून्य’ और ‘ने’ है। जहाँ ‘ने’ चिह्न लुप्त रहता है, वहाँ कर्ता का शून्य चिह्न माना जाता है।
जैसे–
पेड़–पौधे हमें ऑक्सीजन देते हैं।
यहाँ पेड़–पौधे में ‘शून्य चिह्न’ है।

कर्ता कारक में ‘शून्य’ और ‘ने’ के अलावा ‘को’ और से/द्वारा चिह्न भी लगया जाता है।
जैसे–
उनको पढ़ना चाहिए।
उनसे पढ़ा जाता है।
उनके द्वारा पढ़ा जाता है।
कर्ता के ‘ने’ चिह्न का प्रयोग :

सकर्मक क्रिया रहने पर सामान्य भूत, आसन्न भूत, पूर्णभूत, संदिग्ध भूत एवं हेतुहेतुमद् भूत में कर्ता के आगे ‘ने’ चिह्न आता है। जैसे–

  • मैंने तो आपको कभी गैर नहीं माना। (सामान्य भूत)
  • मैंने तो आपको कभी गैर नहीं माना है। (आ० भूत)
  • मैंने तो आपको कभी गैर नहीं माना था। (पूर्ण भूत)
  • मैंने तो आपको कभी गैर नहीं माना होगा। (सं०भूत)
  • मैंने तो आपको कभी गैर नहीं माना होता। (हेतु… भूत)

नीचे लिखे वाक्यों के कर्ता कारकों में ‘ने’ चिह्न लगाकर वाक्यों का पुनर्गठन करें :

  1. मैं उसे इशारा किया; मगर वह बोलता ही चला गया।
  2. मैं उसे एकबार पढ़ना शुरू किया तो पढ़ता ही गया।
  3. वह कहा था कि उसने चोरी नहीं की है।
  4. वह देखा कि परा पल बाढ में डबा है।
  5. आँधी अपना विकराल रूप धारण किया।
  6. दुश्मन के सैनिक देखा और गोलियाँ बरसाने लगा।
  7. मैं तो आपको तभी बताया था। 8. तुम इससे कुछ अलग सोचा।।
  8. जिस समय आप आवाज़ दी, मैं तैयार हो चुका था।
  9. सच–सच बताओ, तुम उसे किस बात पर पीटे?
  10. पहले वह मुझे गाली दिया फिर मैं।
  11. मैं उसे बार–बार समझाया।
  12. यह फिल्म में कई बार देखी है।
  13. पाकिस्तान विश्वकप जीता।
  14. इस नौकरी से पहले वह तीन नौकरियाँ छोड़ा है।
  15. गार्ड हरी झंडी दिखाया और गाड़ी चल पड़ी।
  16. वह जाने से पहले भोजन किया था।
  17. आप मुझसे पूछे ही नहीं इसलिए मैं नहीं बताया।
  18. रोगी पानी माँगा, मगर नर्स अनसुनी कर दी।
  19. उस दिन पिताजी मुझसे पूछे ही नहीं।

‘भूलना’ क्रिया के कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न का प्रयोग नहीं होता। जैसे–
वह तो भूले थे हमें, हम भी उन्हें भूल गए।
आप अपना संकल्प न भूले होंगे।

‘लाना’ क्रिया भी अपने साथ कर्ता के ‘ने’ चिह्न का निषेध करती है। लाना–’ले’ और ‘आना’ के संयोग से बनी है। पहले इसका रूप ‘ल्याना’ था, बाद में ‘लाना’ हो गया। चूँकि इसका अंतिम खंड अकर्मक है, इसलिए इसका प्रयोग होने पर कर्ता कारक में ‘ने’ चिह्न नहीं आता है। जैसे–
पिताजी बच्चों के लिए मिठाई लाए।
श्यामू पीछे हो लिया।

बोलना, समझना, बकना, जनना (जन्म देना), सोचना और पुकारना क्रियाओं के कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न विकल्प से आता है।
जैसे–

  • महाराज बोले। – (प्रेमसागर)
  • वह झूठ बोला। – (पं० अम्बिका प्र० बाजपेयी)
  • रामचन्द्रजी ने झूठ नहीं बोला। – (पं० रामजी लाल शर्मा)
  • उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला। – (बाल–विनोद)
  • उसने कई बोलियाँ बोलीं। – (पं० अ० प्र० बाजपेयी)
  • हम तुम्हारी बात नहीं समझे।
  • मैंने आपकी बात नहीं समझी।
  • हम न समझे कि यह आना है या जाना तेरा। – (भट्ट जी)
  • तुम बहुत बके। तुमने बहुत बका। – (पं० अंबिकादत्त)
  • भैंस पाड़ा जनी है। भैंस ने पाड़ा जना। – (पं० अंबिकादत्त)
  • बकरी तीन बच्चे जनी। – (पं० केशवराम भट्ट)
  • चित्रांगदा ने तुझे जना। – (लाला भगवान दीन)
  • आमंत्रित कर सूर्यदेव को मैंने मन में, मंत्रशक्ति से तुझे जना था पिता–भवन में। – (मैथिलीशरण गुप्त)
  • उसने यह बात सोची।।  वह यह बात सोचा।। – (पं० केशवराम भट्ट)
  • पूतना पुकारी। चोबदार पुकारा–करीम खाँ निगाह रू–ब–रू – (राजा शिवप्रसाद)
  • सत्पुरुषों ने जिसको बारंबार पुकारा, अच्छा है।
  • जिसने गली में तुमको पुकारा। – (पं० केशवराम भट्ट)

नोट : पं० केशवराम भट्ट ने स्पष्ट कहा है कि कर्म लुप्त रहने पर ‘ने’ भी लुप्त रहता है, नहीं तो नहीं। बात ऐसी है कि हमारे विद्वानों और साहित्यकारों ने कर्म रहने पर भी कहीं तो कर्ता के साथ ‘ने’ का प्रयोग किया है कहीं नहीं किया।

सजातीय कर्म लेने के कारण जो अकर्मक क्रिया सकर्मक हो जाती है, उसके कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न नहीं आता; किन्तु कोई–कोई ऐसी कुछ क्रियाओं के साथ भूतकाल के अपूर्णभूत को छोड़ अन्य भेदों में लाते भी हैं। जैसे–
सिपाही कई लड़ाइयाँ लड़ा।
वह शेर की बैठक बैठा। – (पं० कामता प्र० गुरु)
मैं क्रिकेट खेला। – (पं० अ० दत्त व्यास)
उसने टेढ़ी चाल चली। मैंने बड़े खेल खेले। – (पं० अंबिका प्र० बाजपेयी)

उसने चौपड़ खेली। नहाना, थूकना, छींकना और खाँसना : ये अकर्मक क्रियाएँ हैं फिर भी अपने साथ कर्ता को ‘ने’ चिह्न लाने के लिए बाध्य करती हैं। यानी इन क्रियाओं के प्रयोग होने पर भूतकाल के उक्त भेदों में कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न का प्रयोग अवश्यमेव होता है। जैसे–

  • मैंने सर्दी के कारण छींका है।
  • आज आपने नहाया क्यों नहीं?
  • दादाजी ने जोर से खाँसा था,
  • तभी तो मम्मी अंदर चली गई।
  • यह जहाँ–तहाँ किसने थूका है?

उक्त चारों अकर्मक क्रियाओं के अलावा अन्य किसी अकर्मक क्रिया के रहने पर कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न कभी नहीं आता।
जैसे–
वह अभी–अभी आया है।
मैं वहाँ कई बार गया हूँ।
बच्चा अभी तो सोया था।

संयुक्त क्रिया के सभी खंड सकर्मक रहने की स्थिति में भूतकाल के उक्त भेदों में कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे–
सालिम अली ने पक्षियों को देख लिया था।
मैंने इस प्रश्न का उत्तर दे दिया है।

परन्तु, नित्यताबोधक सकर्मक संयुक्त क्रिया का कर्ता ‘ने’ चिह्न कभी नहीं लाता है।
जैसे–
वे बार–बार गिना किये, हाथ कुछ न लगा। (भारतेन्दु)
वह चित्र–सी चुपचाप खड़ी सुना की। (पं० अ० व्यास)
इस दृश्य को पाण्डव सामने बैठे देखा किए (बाल भारत)
हजरत भी कल कहेंगे कि हम क्या किए। (पं० केशवराम भट्ट)

यदि संयुक्त अकर्मक क्रिया का अंतिम खण्ड ‘डालना’ हो तो उक्त भूतकालों में कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न अवश्य आता है? किन्तु यदि अंतिम खंड ‘देना’ हो तो ‘ने’ चिह्न विकल्प से आता है।
जैसे–
उसने रातभर जाग डाला। – (पं० अ० दत्त व्यास)
जब मानसिंह चढ़ आए तब पठानों की सेना चल दी। – (पं० केशवराम भट्ट)
श्रीकृष्ण मथुरा चल दिए। – (प्रेम सागर)
मैं अपना–सा मुँह लेकर चल दिया। – (विद्यार्थी)

मुस्करा देना, हँस देना, रो देना : इन क्रियाओं के कर्ता ‘ने’ चिह्न निश्चित रूप से लाते हैं। जैसे–
मोहन ने नारद को देखकर मुस्करा दिया।
आकर के मेरी कब्र पर तुमने जो मुस्करा दिया।
बिजली छिटक के गिर पड़ी और सारा कफन जला दिया। – (हबीब पेंटर)
मुकद्दर ने रो दिया हाथ मलकर।। – (पं० केशवराम भट्ट)

संकेत में संयुक्त क्रिया के अन्त में ‘होना’ का हेतुहेतुमद्भूत रूप ‘ने’ चिह्न के साथ भी प्रयुक्त होता है।

जैसे-
यदि संजीव ने पढ़ा होता तो अवश्य सफल होता।
यदि भाई जी आए थे तो आपने रोक लिया होता।

प्रेरणार्थक रूप बन जाने पर सभी क्रियाएँ सकर्मक हो जाती हैं और सभी प्रेरणार्थक क्रियाओं के रहने पर सामान्य, आसन्न, पूर्ण, संदिग्ध आदि भूतकालों में कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न आता है।

जैसे–
राजू श्रीवास्तव ने सबों को हँसाया।
माँ ने पत्र भिजवाया है।
पुत्र ने प्रणाम कहलवाया है।
अच्छे अंकों ने राहुल को सम्मान दिलाया।
कठिन मेहनत ने हर्ष को डॉक्टर बनाया था।

वर्तमान एवं भविष्यत् कालों में कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न कभी नहीं आता। जैसेमैं भी वह उपन्यास पढूँगा।

तुम वह नाटक–संग्रह पढ़ते होगे। सालिम अली पक्षियों को पक्षी की निगाह से देखते हैं। अपूर्ण भूतकाल की क्रिया रहने पर कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न कभी नहीं आता है।

जैसे-
वह तरुमित्रा का प्रतिनिधित्व कर रहा था।
जब मि० ग्लााड चलते थे, तब पेड़े–पौधे तक सहम जाते थे।
पूरी लंका जल रही थी और विभीषण भजन कर रहे थे।

‘चुकना’ क्रिया रहने पर भूतकाल में भी कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न का प्रयोग नहीं होता है।

जैसे–
मैं भात खा चुका/हूँ/था/ होता। वह देख चुका था।
सलोनी यह संग्रह पढ़ चुकी होगी

क्रिया पर कर्ता के चिहनों का प्रभाव :

1. चिह्न–रहित (‘ने’ चिह्न–रहित) कर्ता की क्रिया का रूप कर्ता के लिंग–वचन के अनुसार – होता है।

जैसे–
उड़ान भरता एक वायुयान नीचे गिर गया था।
आज भी सुपुत्र माता–पिता की सेवा को अपना कर्तव्य मानते हैं।
वह अपने कैरियर के प्रति बेहद चिंतित है।

उक्त उदाहरणों में हम देख रहे हैं कि कर्ता का शून्य चिह्न है यानी उसके साथ ‘ने’ नहीं है और कर्म के रहने पर भी क्रिया कर्त्तानुसार ही हुई है।

2. यदि वाक्य में एक ही लिंग–वचन के कई चिह्न–रहित कर्ता ‘और’, ‘तथा’, एवं, ‘व’ – आदि से जुड़े हों तो क्रिया उसी लिंग में बहुवचन हो जाती है। यानी
कई कर्ता (‘ने’ रहित एक ही लिंग) + क्रिया बहुवचन (समान लिंग)

जैसे–
आरती, शालू और मेघा अष्टम वर्ग में पढ़ती हैं।
शरद्, अंकेश और अभिनव नवम वर्ग में पढ़ते हैं।

3. यदि वाक्य में दोनों लिंगों और वचनों के अनेक चिह्न–रहित कर्ता हों तो क्रिया बहुवचन के सिवा लिंग में अंतिम कर्ता के अनुसार होगी।

जैसे–
एक घोड़ा, दो गदहे और बहुत–सी बकरियाँ मैदान में चर रही हैं।
एक बकरी, दो गदहे और चार घोड़े मैदान में चरते हैं।

4. यदि अंतिम कर्ता एकवचन हो तो क्रिया एकवचन और बहुवचन दोनों होती है।

जैसे–
तुम्हारी बकरियाँ, उसकी घोड़ी और मेरा बैल उस खेत में चरता हैचरते हैं। – (पं० अंबिकादत्त व्यास)

5. यदि चिह्न–रहित अनेक कर्त्ता परस्पर किसी विभाजक (या, अथवा, वा आदि) से जुड़े हों तो क्रिया अंतिम कर्ता के लिंग–वचन के अनुसार होती है।

जैसे–
मेरी बेटी या उसका बेटा पर्यावरण को महत्त्व नहीं देता।
स्थिति ऐसी है कि मोनू की गाय या मेरा बैल बिकेगा।

6. यदि चिन–रहित अनेक कर्ताओं और क्रियाओं के बीच में कोई समुदायवाचक शब्द आए तो क्रिया, लिंग और वचन में समुदायवाचक शब्द के अनुसार होगी।

जैसे–
अमरीका–तालिबान की लड़ाई में बच्चे, बूढ़े, जबान, औरतें सबके सब प्रभावित हुए।

7. आदर के लिए एकवचन कर्ता के साथ बहुवचन क्रिया का प्रयोग होता है, यदि कर्ता चिह्न–रहित हो तो

जैसे–
पिताजी आनेवाले हैं। दादाजी रोज सुबह टहलने जाते हैं।
दादीजी चश्मा पहनकर बहुत सुन्दर लगती हैं।

8. यदि चिह्न–रहित अनेक कर्ताओं से बहुवचन का अर्थ निकले तो क्रिया बहुवचन और यदि एकवचन का अर्थ निकले तो क्रिया एकवचन होती है; चाहे कर्ताओं के आगे समूहवाचक शब्द हों अथवा नहीं हों।

जैसे–
2007 की बाढ़ के कारण खेती–बाड़ी घर–द्वार, धन–दौलत मेरा सब चला गया।
शिक्षक की प्रेरक बातें सुन मेरा उत्साह, धैर्य और आनंद बढ़ता चला गया।

9. जब कोई स्त्री या पुरुष अपने परिवार की ओर से या किसी समुदाय की ओर से जिसमें स्त्री–पुरुष दोनों हों, कुछ कहता है तब वह स्त्री हो या पुरुष (कहनेवाला) अपने लिए पुँ० बहुवचन क्रिया का प्रयोग करता है।

जैसे–
ब्राह्मणी ने कुंती से कहा, “न जाने हम बकासुर के अत्याचार से कब और कैसे छुटकारा पाएँगे?”

10. चिहन–रहित मुख्य कर्ता के अनुसार क्रिया होती है, विधेय के अनुसार नहीं।

जैसे–
लड़की बीमारी के कारण सूखकर काठ हो गई।
वह लड़का आजकल लड़की बना हुआ है।
यह भाग्य का ही फेरा है कि अर्जुन विराट नगर में बृहन्नला बन गया
औरतें भी आदमी कहलाती हैं, जनाब!

11. यदि कर्ता चिन–युक्त हो (‘ने’ से जुड़ा) और वाक्य कर्म–रहित तो क्रिया पुं० एकवचन होती है।

जैसे–
मेरी माँ ने कहा था।
पिताजी ने देखा था।
शिक्षकों ने पढ़ाया होगा।
कवि ने कहा है।
किसी विद्वान् ने सच ही कहा है कि…

निम्नलिखित वाक्यों के खाली स्थानों में व्यक्तिवाचक या अन्य संज्ञाओं का प्रयोग करते हुए वाक्य पूरे करें :

  1. ……….. ने ………. को पहले ही समझाया था, लेकिन ………. ने मेरी बात मानी ही नहीं।
  2. ये सब बातें ……… ने ही बतायी थीं।
  3. ……. ने ………. से क्या कहा था?
  4. वे लोग शिकायत कर रहे थे ……… ने जरूर गाली दी होगी।
  5. ………. ने जो भी कहा है पुत्र के भले के लिए ही कहा।
  6. ……………. ने स्पष्ट कह दिया था कि अब मरीज को यहाँ आने की आवश्यकता नहीं है।
  7. ……………. ने तय कर लिया था कि उसपर मुकदमा चलना ही चाहिए।
  8. ……………. ने चोर को मकान में घुसते देखा और सीटी बजाने लगा।
  9. ……………. ने जिस काम के लिए आरुणि से कहा था उसने वह काम कर दिखाया।
  10. ……………. ने अपना अज्ञातवास भी बखूबी पूरा किया।
  11. ……………. ने गीता में सच ही कहा है कि हमें निरंतर अपना काम करते रहना चाहिए।
  12. ……………. ने ऐसी सजा सुनाई कि सभी ताली बजाने लगे।
  13. क्या ……….. ने तेरे साथ ऐसा दुर्व्यवहार किया है? उसपर केस कर बता देना चाहिए कि दहेज लेना और देना दोनों गैरकानूनी हैं।
  14. इसका अर्थ यह हुआ कि …..’ने अपनी पत्नी पर चरित्रहीनता का झूठा आरोप लगाया है।
  15. ……… ने कहा, “बेटा ! कोई ऐसा काम मत कर कि दुनिया तुम पर थू–थू करे।’
  16. एक ……..’ ने ही मित्र को धोखा दिया है।
  17. ……… ने इस बारे में क्या बताया था? और तूने परीक्षा में क्या कर दिखाया। छिः! लानत है तुमको।
  18. ………. ने प्रश्न किया कि पेड़–पौधे के बारे में तुम्हारा क्या विचार है?
  19. ……….. ने कई फतिंगे एक साथ पकड़े।
  20. ……. ने ठीक ही कहा था कि जो डर गया वह मर गया।।