karma karak - कर्म कारक (को) - द्वितीया विभक्ति - हिन्दी

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कर्म कारक

“जिस पर क्रिया (काम) का फल पड़े, ‘कर्म कारक‘ कहलाता है।”
जैसे–तालिबानियों ने पाकिस्तान को रौंद डाला।
सुन्दर लाल बहुगुना ने ‘चिपको आन्दोलन’ चलाया।
इन दोनों वाक्यों में ‘पाकिस्तान’ और ‘चिपको आन्दोलन’ कर्म हैं; क्योंकि ‘रौंद डालना’ और ‘चलाना’ क्रिया से प्रभावित हैं।
कर्म कारक का चिह्न ‘को’ है; परन्तु जहाँ ‘को’ चिह्न नहीं रहता है, वहाँ कर्म का शून्य चिह्न माना जाता है। जैसे
वह रोटी खाता है।
भालू नाच दिखाता है।

इन वाक्यों में ‘रोटी’ और ‘नाच’ दोनों के चिह्न–रहित कर्म हैं–

कभी–कभी वाक्यों में दो–दो कर्मों का प्रयोग भी देखा जाता है, जिनमें एक मुख्य कर्म और दूसरा गौण कर्म होता है। प्रायः वस्तुबोधक को मुख्य कर्म और प्राणिबोधक को गौण कर्म माना जाता है।

जैसे–
क्रिया पर कर्म का प्रभाव :

1. यदि वाक्य में कर्म चिह्न–रहित (शून्य) रहे और कर्त्ता में ‘ने’ लगा हो तो क्रिया कर्म के लिंग–वचन के अनुसार होती है।

जैसे–
कवि ने कविता सुनाई।
माँ ने रोटी खिलाई।
मैंने एक सपना देखा।
तिलक ने महान् भारत का सपना देखा था।
गुलाम अली ने एक अच्छी ग़ज़ल सुनाई थी।
बन्दर ने कई केले खाए हैं।
बच्चों ने चार खिलौने खरीदे होंगे।

2. यदि वाक्य में कर्ता और कर्म दोनों चिह्न–युक्त हों तो क्रिया सदैव पुं० एकवचन होती है।

जैसे–
स्त्रियों ने पुरुषों को देखा था।
चरवाहों ने गायों को चराया होगा।
शिक्षक ने छात्राओं को पढ़ाया है।
गाँधी जी ने सत्य और अहिंसा को महत्त्व दिया है।

3. क्रिया की अनिवार्यता प्रकट करने के लिए कर्ता में ‘ने’ की जगह ‘को’ लगाया जाता है और क्रिया कर्म के लिंग–वचन के अनुसार होती है।

जैसे–
उस माँ को बच्चा पालना ही होगा।
अंशु को एम. ए. करना ही होगा।
नूतन को पुस्तकें खरीदनी होंगी।

4. अशक्ति प्रकट करने के लिए कर्त्ता में ‘से’ चिह्न लगाया जाता है और कर्म को चिह्नरहित। ऐसी स्थिति में क्रिया कर्म के लिंग–वचन के अनुसार ही होती है।

जैसे–
रामानुज से पुस्तक पढ़ी नहीं जाती।
उससे रोटी खायी नहीं जाती है।
शीला से भात खाया नहीं जाता था।

5. यदि कर्ता चिह्न–युक्त हो, पहला कर्म भी चिह्न–युक्त हो और दूसरा कर्म चिह्न–रहित रहे तो क्रिया दूसरे कर्म (मुख्य कर्म) के अनुसार होती है।
जैसे–
माता ने पुत्री को विदाई के समय बहुत धन दिया।
पिता ने पुत्री को पुत्र को बधाई दी।

निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करें :

  1. माँ ने बच्चे को जगाई और कही कि नहा–धोकर स्कूल के लिए तैयार हो जाओ ताकि समय .. पर स्कूल पहुँच सको और अपने पढ़ाई में लग जाओ।
  2. पिताजी ने मुस्कराते हुए कहे कि सपूत को ऐसा ही होना चाहिए, जो सदैव इस बात के लिए चिंतित रहे कि उसके द्वारा ऐसा कोई कार्य न होने पाए जिससे पिता को सिर नीचे करना पड़े।
  3. कवयित्री ने कविता पाठ करते हुए कही
    “हम ज्यों–ज्यों बढ़ते जाते हैं;
    त्यों–त्यों ही घटते जाते हैं।’
  4. सोनपुर में पशु–मेला लगा था। एक किसान ने अपने छोटी बहन से कही कि मुझे दो बैल खरीदना है; तुम मेरे लिए रोटियाँ बना दो और पप्पू से कहो कि वह भी हमारे साथ चले।
  5. सरकार ने घोषणा किया कि हम अगली पंचवर्षीय योजना में शिक्षा और कृषि को बहुत अधिक महत्त्व देंगे। कौआ की आँख तेज होती है तभी तो वह पलक झपकते बच्चा के हाथ से रोटी का टुकड़ा ले भागता है।
  6. प्रवर ने तो रोटियाँ खायी, तुमने क्या खायी है?।
  7. एक मित्र ने अपने अन्य मित्र को बधाई दिया और कहा कि आपका बेटा परीक्षा पास किया है; मिठाई खिलाइए।
  8. जो लोग अंधा होता है, उसे भ्रष्टाचार नहीं दिखता
  9. गोरा चमड़ीवाले को काला पोशाक बहुत फबता है।