ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – भिक्षुक [कविता]
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प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह आता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,
बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दया-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए।
भिक्षुक लोगों से क्या माँग रहा है?
उत्तर:
भिक्षुक लोगों से अपनी क्षुधा शान्त करने के लिए मुट्ठी दो मुट्ठी अनाज माँग रहा है।
प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह आता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,
बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दया-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए।
भिक्षुक की झोली कैसी है?
उत्तर :
भिक्षुक की झोली फटी-पुरानी है।
प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह आता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,
बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दया-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए।
इन पंक्तियों के आधार पर भिक्षुक की दीन दशा का वर्णन कीजिये?
उत्तर:
भिक्षुक कितना दुर्बल है, इसका सहज ही अनुमान उसका पेट और पीठ देखकर लगाया जा सकता है। काफी समय से भोजन न मिलने के कारण उसके पेट-पीठ एक जैसे हो चुके हैं। वह बुढ़ापे और दुर्बलता के कारण लाठी के सहारे चल रहा है।
प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह आता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,
बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दया-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए।
शब्दार्थ लिखिए – टूक, पथ, लकूटिया
उत्तर:
टूक – टुकड़े
पथ – रास्ता
लकूटिया – लाठी, लाठिया
प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भूख से सूख ओंठ जब जाते
दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!
भिक्षुक के आँसुओं के घूँट पी जाने का क्या कारण है?
उत्तर:
भिक्षुक भूख के मारे व्याकुल है, साथ में उसके बच्चे भी हैं। भिक्षुक शरीर से भी दुर्बल है। भीख में जब उसे कुछ नहीं मिलता तब वह आँसुओं के घूँट पी जाता है।
प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भूख से सूख ओंठ जब जाते
दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!
भूख मिटाने की विवशता उनसे क्या करवाती है?
उत्तर:
भिक्षुक को जब कुछ नहीं मिलता तो वे जूठी पत्तलें चाटने के लिए विवश हो जाते हैं। जूठी पत्तलों में जो कुछ थोड़ा बहुत अन्न बचा था वे उसी को खाकर अपनी भूख शांत करने का प्रयास करते हैं।
प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भूख से सूख ओंठ जब जाते
दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!
‘और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर:
पउपर्युक्त पंक्ति का आशय भूख की विवशता से है। भिक्षुक जब सड़क पर खड़े होकर जूठी पत्तलों को चाटकर अपनी भूख को मिटाने का प्रयास कर रहे थे तब सड़क के कुत्ते भी उन्हीं पत्तलों को पाने के लिए भिक्षुक पर झपट पड़े थे।
प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भूख से सूख ओंठ जब जाते
दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!
शब्दार्थ लिखिए – ओंठ, सड़क, कुत्ते, झपट, आँसू, विधाता
उत्तर:
ओंठ – ओष्ठ
सड़क – मार्ग
कुत्ते – श्वान
झपट – छिनना
आँसू – अश्रु
विधाता – ईश्वर