अंडे के छिलके Summary – Class 11 Hindi Antral Chapter 1 Summary
अंडे के छिलके – मोहन राकेश – कवि परिचय
प्रश्न :
मोहन राकेश के जीवन और साहित्य के विषय में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
मोहन राकेश का जन्म जंडीवाली गली, अमृतसर (पंजाब) में 1925 ई. में हुआ था। हिन्दी और संस्कृत में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। लाहौर, मुंबई, दिल्ली, शिमला, जालंधर आदि में विविध नौकरियाँ की जरूर, पर मिजाज स्वतंत्र लेखन का ही रहा। अध्यापन भी किया और संपादन भी। ‘सारिका’ के संपादक भी रहे। 1972 ई. में इनका स्वर्गवास हो गया।
नई कहानी के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर होने के साथ-साथ नाट्य-लेखन में भी समान अधिकार।
प्रमुख कृतियाँ – ‘जानवर और जानवर’, ‘एक और ज़िंदगी’ (कहानी संग्रह), ‘अँधेरे बंद कमरे’ (उपन्यास), ‘आषाढ़ का एक दिन’, ‘लहरों के राजहंस’, ‘आधे-अधूरे’, ‘पैर तले की ज़मीन’ (नाटक); ‘अंडे के छिलके’, अन्य एकांकी और बीज नाटक ‘रात बीतने तक’ (एकांकी); ‘आखरी चट्टान तक’ (यात्रावृत्त), ‘बकलम खुद’, ‘परिवेश’ (निबंध); ‘ बिना हाड़-मांस के आदमी’ (बालोपयोगी कथा-संग्रह) और डायरी।
Ande Ke Chilke Class 11 Hindi Summary
यह पाठ एकांकी विधा में है।
मोहन राकेश ने इस एकांकी में एक परिवार की विभिन्न रुचियों को सूक्ष्मता से उभारा है। सभी सदस्य एक-दूसरे से छिपकर अंडे खाते हैं। चंद्रकांता आदि पढ़ते हैं लेकिन एक-दूसरे की भावनाओं को भी समझते हैं। यहाँ तक अम्मा (जिनसे सभी छिपकर कार्य करने को विवश हैं) भी सब कुछ जानते हुए भी मुस्कराकर रह जाती हैं। सब देखकर भी अनदेखा करती हैं। सभी पात्रों की परस्पर घनिष्ठता तथा आत्मीयता पूरे एकांकी में झलकती है।
एकांकी में लेखक ने छोटे-छोटे वाक्यों के माध्यम से अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से कहा है। संपूर्ण दूश्य आँखों के सामने सजीव हो उठता है।
पात्र-श्याम, राधा, जमुना, वीना, गोपाल, माधवव।
पर्दा उठने पर गैलरीवाला दरवाजा खुला दिखाई देता है। श्याम सीटी बजाता गैलरी से आता है। उसकी बरसाती से पानी निचुड़ रहा है।
श्याम और वीना में बातें होती हैं। वीना श्याम की भाभी है। श्याम कहता है कि उसे कमरे में आते डर लगता है। सिर्फ एक कोना गोपाल भैया का लगता है। बाकी घर का नक्शा ही बदला हुआ है। वीना बैठकर आराम से बात करने को कहती है। श्याम चाय के साथ कुछ खाने की चीज़ ले आने को कहता है। वीना उससे चार-छ: अंडे लाने को कहती है। जब श्याम अंडे के नाम पर नाक-भौंह सिकोड़ता है तो वीना बताती है कि यहाँ तो रोज अंडे का नाश्ता होता है। श्याम कहता है कि माँ को पता चल गया तो सारे घर को गंगा-स्नान करना पड़ेगा। वीना फिर भी अंडा खाने की वकालत करती है।
वैसे श्याम भी छिपकर कच्चा अंडा खाता है। वीना उसे अंडों के साथ थोड़ी किशमिश लाने के लिए कहती है। वीना कपड़े सँभालती है तो उसे एक मोजे में अंड़े के छिलके मिलते हैं। तभी वह किवाड़ खटखटाती है। वह राधा जीजी को पुकारती है। राधा दरवाजे से निकल कर अँगड़ाई लेती है जैसे सचमुच बिस्तर से उठी हो। वीना अंदर पानी लेने जाती है। राधा को वीना के हँसने का स्वर सुनाई देता है। वीना राधा की किताब ‘चन्द्रकांता’ को लेकर हैंस रही है।
पूछने पर राधा बताती है कि ऐसी किताब को माँजी के सामने तो नहीं पढ़ा जा सकता। हमको तो कौशल्या भाभी ने दे दी तो हम उठा लाए। कौशल्या भाभी ही इसे पढ़ने के लिए पीछे पड़ गई थीं। वीना कहती है कि तुम रामायण, महाभारत पढ़ने वाली हो अतः यह किताब तुम्हें बचकाना टेस्ट की प्रतीत होगी। राधा कहती है कि इसमें भी शूरवीरता की कहानी है। कुँअर वीरेन्द्रसिंह चंद्रकांता के लिए घूमता-फिरता है। वह किताब की कहानी का अंत पूछती है। वीना कहती है कि यदि अंत बता दिया तो फिर पढ़ने को क्या रह जाएगा?
वीना स्टोव पर केतली रखकर स्विच ऑन कर देती है। बाहर से गोपाल आता है। वह चाय बनती देखकर प्रसन्न हो जाता है। पर उसे बताया जाता है कि यह केतली श्याम के लिए रखी गई है। गोपाल अपनी भाभी राधा का गुणगान करता है और कहता है कि भाभी रामांयण-महाभारत पढ़ती हैं और तुम (वीना) ‘संज़ एंड लवर्स’ पढ़ती हो। गोपाल सिगरेट पीना चाहता है। वह भाभी के सामने सिगरेट पी लेता है। राधा ने इस बात को अपने पति को नहीं बतखा।
थोड़ी देर में श्याम अंडे लेकर लौट आता है। गोपाल उसे घर में अंडे न खाने की बात कहता है। राधा कहती है कि उसे सब पता है कि उनके कमरे में रोज सवेरे चाय के साथ क्या बनता है। उसे पता चल जाता है कि किस दिन आमलेर बना है और किस दिन अंडे फ्राई हुए हैं। पर वह इन्हें खाती है। केतली में गनी खौलता है। वीना अंडे फेंटती है। गोपाल श्याम से दरवाजा बंद करने के लिए कहता है। राधा अंडे का हलुआ खाने से इंकार कर देती है, पर चाय की एक प्याली पीने को तैयार हो जाती है। अंडे का हलुआ तैयार होने लगता है। राधा बताती है कि माँजी आ रही हैं। अंडे के छिलकों को जंपर से ढक दिया जाता है। जमुना अंदर आ जाती है।
वह पूछती है कि इस तरह दरवाज़ा क्यों बंद कर रखा है और तुम लोग चुप क्यों हो गए ? सब सकपका जाते हैं। जमुना (माँ) अपने कमरे की छत चूने की शिकायत करती है। उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। वह गोपाल से पूछती है कि वह वहाँ कोने में खड़ा क्या कर रहा है? गोपाल वीना के हाथ जलने का बहाना करता है। माँ उसका हाथ देखती है तो वीना कहती है कि कोई खास नहीं जला है, बस यूँ ही चिंता करने लगते हैं। माँ पूछती है कि हाथ जला कैसे? ऐसा क्या काम कर रही थी? गोपाल बताता है कि चाय बनाने में जल गया है। जमुना कहती है कि मैं तो इस बिजली के चूल्हे को लाने का पहले से ही विरोध कर रही थी। वह फ्राइंग पेन उठाती है तो गोपाल मना करता है। वह करंट मारने का डर दिखाता है। जमुना पूछती है कि इस पर छोटी बहू क्या बनाती है? राधा झूठ बोलती है कि हमीं ने वीना से जोर देकर कहा था कि श्याम को क्रिकेट खेलने में टखने में गेंद लग गई है, अत: पुलटिस बनाकर बाँध दो। पुलटिस ही बनी है. उसी को बाँध देंगे तो रात तक ठीक हो जाएगा।
इस पर जमुना कहती है कि लाओ मैं ही पुलटिस बाँध देती हूँ। वह जंपर उठाना चाहती है तो गोपाल रोक देता है। जमुना उन सभी को घर उजाड़ने के लिए डाँटती है। वह श्याम के हाथ से किताब ले लेती है और पूछत्ती है कि यह कौन-सी किताब है? गोपाल माँ की बाँह पकड़कर बाहर ले जाता है। उसके बाहर निकलते ही श्याम फ्राइंग पेन पर झपटता है। वह पुलटिस (अंडे का हलवा) जल्दी खा लेना चाहता है ताकि बड़े भैया को पता न चले। वे सभी छिलकों को छिपाने का उपाय करते हैं। तभी बड़ा भाई माधव आ जाता है और पूछता है कि क्या कर रहे हो? वह छिलकों के बारे में पूछता है।
माधव को सब बात पता चल जाती है। उसे अंडों और किताब सभी के बारे में पहले से ही पता है। गोपाल उनसे प्रार्थना करता है कि ये सब बातें अम्मा को मत बताना, यदि उन्हें पता चल गया तो किसी की खैर नहीं। माधव बताता है कि अम्माँ को भी ये सब बातें पता हैं। इस पर श्याम और गोपाल ओश्चर्य प्रकट करते हैं। माधव कहता है कि अम्मा तो मेरी वे बातें भी जानती हैं जो मैं समझता हूँ कि वे नहीं जानतीं। आज से क्ञिलके नाली में डाल दिया करो, इनके लिए डिब्या रखने की जरूरत नहीं। अम्मा इन्हें नाली में पड़े हुए भी नहीं देखेंगी। यहीं नाटक समाप्त हो जाता है।
कठिन शब्दों के अर्थ :
शब्दार्थ :
- पुलटिस = हलवे की तरह पकायी हुई एक घरेलू दवा जो घाव पर बाँधी जाती है (A type of treatment in cuts)।
- जंपर = ब्लाउज (Blouse)।
- कृतज्ता = आभार (Obligation)।
- लच्छन = लक्षण (Symptom)।
- खामखाह = बिना कारण, बेवज़ह (without reason)।
- मरदूद = निकम्मा (Lazy)।
- एहतियात = बचाव, होशियारी (Safety)।
- करतूत = काम, करनी (Deed)।
- महरी = घर का काम करने वाली स्त्री (Maid servant)।
- हील-हुज्जत = कोशिश (effor’)।
- दस्तूर = रीति, तरीका (Way)।
- तिलिस्म = जादू, इंड्रजाल (Enchantment)।
- संझा = संध्या (Evening)।
- झाँसा = धोखा (Deceipt)।
- बाँच = पढ़ (To read)।
- तलब = इच्छा, माँग (Desire)।
- सौगात = तोहफा, उपहार (Gift)।
- इश्नान = स्नान (Bath)।