Class 11 Hindi Antra Chapter 8 Question Answer उसकी माँ

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 8 उसकी माँ

Class 11 Hindi Chapter 8 Question Answer Antra उसकी माँ

प्रश्न 1.
क्या लाल का व्यवहार सरकार के विरुद्ध षड्यंत्रकारी था ?
उत्तर :
कहानी को पढ़कर कहीं से भी ऐसा नहीं लगता कि लाल का व्यवहार सरकार के विरुद्ध षड्यंत्रकारी हो। लाल क्रांतिकारी तो था। उसे राजविद्रोही भी कहा जा सकता है क्योंकि उसने स्वयं यह लेखक के सम्मुख स्वीकारा था, पर उसने सरकार के विरुद्ध कोई षड्यंत्र नहीं किया। सरकार लाल और उसके साथियों को संदह की दृष्टि से देखती थी और उन पर मनमाने झूठे आरोप मढ़ दिए थे।

प्रश्न 2.
पूरी कहानी में जानकी न तो शासन-तंत्र के समर्थन में है न विरोध में, किंतु लेखक ने उसे केंद्र में ही नहीं रखा बल्कि कहानी का शीर्षक बना दिया। क्यों ?
उत्तर :
लेखक ने कहानी का शीर्षक ‘उसकी माँ’ रखकर जानकी को कहानी का प्रमुख पात्र बना दिया। कहानी को पढ़ने पर लगता है कि यह कहानी ‘लाल’ के इर्द-गिर्द घूमती है, पर गहराई से सोचने पर पता चलता है कि कहानी का काफी हिस्सा जानकी पर घटित होता है। यह ठीक है कि जानकी (लाल की माँ) न तो शासन-तंत्र का समर्थन करती है और न विरोध, क्योंकि वह राजनीतिक बातों को करने और समझने में असमर्थ है। माँ का त्याग, पुत्र-प्रेम उसे अमर बना देता है। वह इतना जानती थी कि पुलिस वालों ने लाल और उसके साथियों को चालाकी से फँसाया है। वह कभी-कभी सरकार को कोसती भी है ‘जेलवाले और उत्साही बच्चों की दुश्मन यह सरकार उन्हें भूखों मार डालेगी।’ लेखक ने जानकी (माँ) के त्याग को महिमांमंडित करने के लिए उसे शीर्षक में स्थान दे दिया है।

प्रश्न 3.
चाचा जानकी तथा लाल के प्रति सहानुभूति तो रखता है किंतु वह डरता है। यह डर किस प्रकार का है और क्यों है ?
उत्तर :
चाचा (लेखक) जानकी तथा लाल के प्रति अपनी जिम्मेदारी को महसूस करता है। अतः सहानुभूति रखता है। पर वह डरपोक प्रवृत्ति का है। वह खुलकर उनकी मदद नहीं कर पाता है। वह अंग्रेजी सरकार से डरता है। वह उसका कोप भाजन नहीं बनना चाहता। लाल की मदद करके वह भी संदेह के घेरे में आ सकता था और उसके सुखी जीवन में खलल पड़ सकता था।

प्रश्न 4.
इस कहानी में दो तरह की मानसिकताओं का संघर्ष है, एक का प्रतिनिधित्व लाल करता है तथा दूसरे का उसका चाचा। आपकी नजर में कौन सही है ? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर :
इस कहानी में दो तरह की मानसिकताएँ स्पष्ट हैं -(1) राजभक्ति की, (2) राजविद्रोही की। चाचा की मानसिकता राजभक्ति की है तथा लाल की मानसिकता कटृर राजविद्रोही की है। हमारी नजर में लाल की मानसिकता सही है। चाचा (लेखक) तो सुविधाभोगी है। वह देश के लिए कुछ भी त्याग नहीं करता। उसका कुछ भी दाँव पर नहीं लगा है। इसके विपरीत लाल क्रांतिकारी है, त्याग करने वाला है। उसका सारा यौवन, माँ की वृद्धावस्था तक दाँव पर है। देश को स्वतंत्र कराने का काम सरल नहीं है। यह काम लाल जैसे व्यक्ति ही कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
उन लड़कों ने कैसे सिद्ध किया कि जानकी सिर्फ माँ नहीं, भारतमाता है ? कहानी के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
लाल के साथी लड़कों ने जानकी (माँ) को देखकर साबित कर दिया कि वह भारतमाता के समान है। दोनों बूढ़ी हैं। भारत का उजला मस्तक हिमालय है तो जानकी के केश उजले हैं। जानकी के माथे के ओर की रेखाएँ विभिन्न नदियाँ हैं, ठोढ़ी कन्याकुमारी है। पीछे केश लहरा देने से बर्मा बन जाता है। इस प्रकार जानकी भारतमाता सिद्ध हो जाती है।
जानकी का चरित्र-चित्रण

  • जानकी रामनाथ की विधवा है। वह लाल की माँ है। जानकी एक वात्सल्यमयी माँ है। वह लाल की ही नहीं, उसके सभी साथियों पर अपना वात्सल्य लुटाती है। उन्हें खूब खिलाती-पिलाती है।
  • जानकी स्वभाव से भोली-भाली है। वह बच्चों की बातों को गंभीरता से नहीं लेती – ‘उनकी बातों का कोई मतलब थोड़े ही होता है।’,
  • जानकी त्याग की साक्षात् मूर्ति है। उसने लोटा, थाली, जेवर बेच-बेचकर जेल में बंद बच्चों को भोजन पहुँचाया।
  • जानकी करुणामयी है।
  • जानकी अत्यंत भावुक है। वह पुत्र-वियोग में अपने प्राण त्याग देती है।
  • जानकी आत्मविश्वासी, आत्मसम्मानी स्त्री है। वह चाचा के सामने कभी सहायता के लिए नहीं गिड़गिड़ाती।

प्रश्न 6.
विद्रोही की माँ से संबंध रखकर कौन अपनी गरदन मुसीबत में डालता ? इस कथन के आधार पर उस शासन तंत्र और समाज व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
विद्रोही व्यक्ति शासन-तंत्र की नज़रों में खटकता है। उस पर सरकार की निगाह रहती है। लाल को अंग्रेजी सरकार विद्रोही मानती थी। एक विद्रोही की माँ सें संबंध रखना स्वयं को मुसीबत में डालना था। पुलिस सुपरिटेंडेंट ने लेखक को चेतावनी देते हुए कहा भी था – “आप इस परिवार से जरा सावधान और दूर रहें।’ शासन-तंत्र कभी भी अपने विरुद्ध आवाज उठाने वालों को नहीं बख्खाता, चाहे वह आवाज कितनी ही सच क्यों न हो। समाज में भी स्वार्थी लोगों की कमी नहीं है। जब लाल और उसके साथी पकड़े गए तक उनकी पीठ पर कोई नहीं था। सरकार के डर के मारे उनका केस लड़ने को कोई वकील तक तैयार नहीं हुआ। समाज की दशा का पता इस बात से चल जाता है – “जब से लाल और उसके साथी पकड़े गए, तब से शहर या मुछल्ले का कोई भी आदमी लाल की माँ से मिलने से डरता था। उसे रास्ते में देखकर जाने-पहचाने बंगलें झाँकने लगते।” लेखक (चाचा) भी उससे दूरी बनाए हुए थे।

प्रश्न 7.
चाचा ने लाल का पेंसिल खचित नाम पुस्तक की छाती पर से क्यों मिटा डालना चाहा ?
उत्तर :
चाचा की एक पुस्तक (मैजिनी) के पहले पन्ने पर पेंसिल से लाल का नाम लिखा देखा। वे लाल के हस्ताक्षर थे। लाल तीन वर्ष पूर्व उस पुस्तक को पढ़ने के लिए माँगकर ले गया था। लाल के हस्ताक्षर देखकर चाचा को पुलिंस सुपरिंटेडेंट का खयाल आ गया। कहीं यह नाम उसने देख लिया तो लाल के साथ उसका संबंध जोड़ लिया जाएगा और वह भी पुलिस की गिरफ्त में आ जाएगा। वह इस प्रकार की ‘रिस्क’ नहीं लेना चाहता था। अतः उसने रबर से उस नाम को मिटा देना चाहा – ‘न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी’।

प्रश्न 8.
ऐसे दुष्ट, व्यक्ति नाशक राष्ट्र के सर्वनाश में मेरा भी हाथ हो’ के माध्यम से लाल क्या कहना चाहता है ?
उत्तर :
इस कथन के माध्यम से लाल यह कहना चाहता है कि जो राष्ट्र या शासन व्यक्तियों का नाश करता हो, दुष्ट प्रवृत्ति का हो, उसे उखाड़ फेंकने में प्रत्येक व्यक्ति को सहयोग करना चाहिए। लाल इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहता था। प्रत्येक व्यक्ति को आततायी शासन को समूल नष्ट करने का प्रयत्न करना चाहिए।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए :
(क) पुलिस वाले केवल ……. धीरे-धीरे घुलाना मिटाना है।
(ख) चाचा जी, नष्ट हो जाना …….. सहस्र भुजाओं की सखियाँ हैं।
उत्तर :
(क) जानकी लेखक के सामने लड़कों की बातों का खुलासा करते हुए यह बात कहती है। एक लड़के के अनुसार पुलिस वाले अन्यायी तथा अविवेकी हैं। वे केवल संदेह के कारण अच्छे लोगों के लड़कों को पकड़कर मारते, पीटते और तंग करते हैं। इससे पुलिस की नीचता प्रकट होती है। हमें कभी भीं’ इस प्रकार की नीच (घटिया) शासन-प्रणाली को स्वीकार नहीं करना चाहिए। इसको स्वीकारने से हमारा धर्म-कर्म, आत्मा-परमात्मा – सभी को भूल जाना है। यह प्रवृत्ति हमें घुलाती और मिटाती है।

(ख) जब चाचा ने लाल को अंग्रेजी सत्ता से टकराने पर नष्ट हो जाने का भय दिखाया तब उसने उत्तर दिया संसार में जो बना है वह नष्ट अवश्य होता है। प्रत्येक जन्म लेने वाला प्राणी मरता अवश्य है। हमें इसी कारण मन में दुर्बलता नहीं लानी चाहिए और अपने काम को मौत के डर से रोक नहीं देना चाहिए। जब हम कोई काम करते हैं तब हमारी भुजाएँ दुर्वल नहीं होतीं बल्कि भगवान की हजारों भुजाएँ हमारा साथ देती हैं। भगवान की छत्रच्छाया हम पर बनी रहती है।

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
पुलिस के साथ दोस्ती की जानी चाहिए या नहीं ? अपनी राय लिखिए।
उत्तर :
वर्तमान बदलती परिस्थितियों में पुलिस के साथ दोस्ती करने में कोई हर्ज नहीं है। अब पुलिस का आतंक उतना नहीं रह गया है। पुलिस के प्रति सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

प्रश्न 2.
लाल और उसके साथियों से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर :
लाल और उसके साथियों से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अन्याय का प्रतिकार करना चाहिए। भले ही राजसत्ता हमसे रुष्ट ही क्यों न हो जाए। हमें सदा सत्य और न्याय का साथ देना चाहिए। देश के लिए कोई भी कुर्बानी देने को हमें तैयार रहना चाहिए।

प्रश्न 3.
‘उसकी माँ’ के आधार पर अपनी माँ के बारे में एक कहानी लिखिए।
उत्तर :
यह काम विद्यार्थी अपने अनुभव बताते हुए स्वयं लिखेंगे।

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प्रश्न 1.
‘उसकी माँ’ कहानी का प्रतिपाद्य क्या है ?
उत्तर :
यह कहानी देश की बुरी अवस्था को सुधारने के लिए त्याग-बलिदान की प्रेरणा देती है। यद्यपि इस कहानी की पृष्ठभूमि ब्रिटिश शासन का अत्याचार एवं आतंक की है। उसका युवा पीढ़ी ने सशक्त विरोध किया था। ऐसी सत्ता का सर्वनाश होना ही चाहिए। चाहे यह सत्ता स्वतंत्रता के बाद के काल की ही क्यों न हो। बुद्धिजीवी वर्ग पर भी व्यंग्य किया गया है कि वह सुविधाभोगी होता है। पर यह बात सभी बुद्धिजीवियों पर लागू नहीं होती। बुद्धिजीवियों ने क्रांति का नेतुत्व भी किया है। इस कहानी में माँ का पात्र भी अत्यंत सशक्त रूप में है। वह स्नेहमयी है, त्यागमयी है तथा आत्मसम्मानी है।

प्रश्न 2.
पुलिस वाले ने लाल के चाचा को लाल से सावधान और दूर रहने का सुझाव क्यों दिया ?
उत्तर :
लाल के चाचा कट्र राजभक्त थे। पुलिस अधिकारी ने उन्हें लाल से सावधान रहने के लिए इसलिए कहा क्योंकि लाल एक क्रांतिकारी तथा राजद्रोही युवक था। वह ब्रिटिश सरकार से देश को आजाद कराना चाहता था। ऐसे राजद्रोही से दूर रहने में ही लाल के चाचा की कुशलता थी नहीं तो उन्हें भी राजद्रोह के अपराध में दंड मिल सकता था।

प्रश्न 3.
“धीरे-धीरे जोंक की तरह हमारे देश का धर्म, प्राण और धन चूसती चली जा रही है यह शासन प्रणाली।” लाल के साधियों के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर :
हम लाल के मित्रों के इस कथन से पूरी तरह सहमत हैं। अंग्रेज मूल रूप से व्यापारी थे जो शासक बन कर हमारा निरंतर शोषण करते रहे। लालच और भय दिखा कर उन्होंने ईसाई धर्म का प्रचार किया तथा हिंदुओं को ईसाई बना लिया। भारतवासियों पर उन्होंने अमानुषी अत्याचार किए तथा उनकी हत्याएँ भी कीं। यहाँ के उद्योग-धंधों को नष्ट कर विदेशी माल बेच-बेच कर इस देश की आर्थिक स्थिति की भी उन्होंने शोचनीय बना दिया था। इस प्रकार जब तक अंग्रेज भारत में रहे वे जोंक की तरह इस देश का धर्म, प्राण और धन चूसते रहे।

प्रश्न 4.
इस कहानी में अंग्रेज सरकार को धर्मात्मा, विवेकी और न्यायी सरकार क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
इस कहानी में जमींदार ने अंग्रेज को धर्मात्मा, विवेकी और न्यायी सरकार कहा है क्योंकि वह अंग्रेज सरकार का कट्टर भक्त है तथा पिछली कई पीढ़ियों से उसका परिवार राजभक्त रहा था। उसे सरकार से सब प्रकार की सुख-सुविधाएँ भी प्राप्त थीं। वह इन सुविधाओं से वंचित नहीं होना चाहता था। इस कारण वह अंग्रेज सरकार को धर्मात्मा, विवेकी तथा न्यायी मानता है।

प्रश्न 5.
‘उसकी माँ’ कहानी किसकी रचना है तथा इसमें कहानीकार ने क्या कहना चाहा है ?
उत्तर :
‘उसकी माँ’ कहानी लेखक पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ द्वारा रचित है। यह कहानी लेखक की स्वाधीनता से प्रेरित कहानी है। इस कहानी में लेखक ने देश को आजाद कराने के लिए कुछ युवकों द्वारा किए गए बलिदान का मर्मस्पर्शी चित्रण किया है। साथ ही साथ यह भी बत्मया है कि किस प्रकार बूढ़ी माँ अपने इकलौते पुत्र को देश पर न्यौछावर कर देती है।

11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers