NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 5 ज्योतिबा फुले
Class 11 Hindi Chapter 5 Question Answer Antra ज्योतिबा फुले
प्रश्न 1.
ज्योतिबा फुले का नाम समाज सुधारकों की सूची में शुमार क्यों नहीं किया गया ? तर्क सहित उत्तर लिखिए।
उत्तर :
भारत के सामाजिक विकास और बदलाव के आंदोलन में पाँच समाज सुधारकों के नाम लिए जाते हैं, पर उस सूची में ज्योतिबा फुले को शुमार नहीं किया गया। इसका कारण था :
‘इस सूची को बनाने वाले उच्चवर्गीय समाज के प्रतिनिधि थे और बाबा ब्राह्मण वर्चस्व और सामाजिक मूल्यों को कायम रखने वाली तत्कालीन शिक्षा और सुधार के समर्थक् नहीं थे। वे ब्राह्सण मानसिकता पर प्रहार करते थे।’ यही कारण था कि विकसित वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले और सर्वांगीण समाज-सुधार न चाहने वाले तथाकधित संभ्रांत समीक्कों ने महात्मा फुले को समाज-सुधारकों की सूची में कोई स्थान नहीं दिया।
प्रश्न 2.
शोषण-व्यवस्था ने क्या-क्या षड्यंत्र रचे और क्यों ?
उत्तर :
शोषण-व्यवस्था ने निम्नलिखित घड्यंत्र रचे :
- इस व्यवस्था ने ज्योतिबा फुले तथा उनकी पत्नी सवित्रीबाई के देंसेशिक्षा के प्रयासों में पलीता लगाने का प्रयास किया। उनके कामा ल्ववधान डाले, लांछन लगाए और उनका बहिष्कार तक किया।
- इस व्यवस्था के समर्थक लोग उन्हें पत्थर मारते। गोबर उछालते, गालियाँ देते थे।
प्रश्न 3.
ज्योतिबा फुले द्वारा प्रतिपादित आदर्श परिवार क्या आपके विचारों के आदर्श परिवार से मेल खाता है ? पक्ष-विपक्ष में अपने उत्तर दीजिए।
उत्तर :
ज्योनिबा फुले द्वारा प्रतिपादित आदर्श यह था-‘जिस परिवार में फित्र बौद्ध, माता ईसाई, बेटी मुसलमान और बेटा सत्यधर्मी हो, वः परिवार एक आदर्श परिवार है। पक्ष-यह परिवार धार्मिक स्वतंत्रता का पक्षपाती है अर्थात् एक ही परिवार में विभिन्न धर्मों के अनुयायी एक साथ रह सकते हैं। इसमें सभी को विचारों और धर्म अपनाने की स्वतंत्रता है। विपक्ष-यह बात सिद्धांत रूप में तो बड़ी अच्छी प्रतीत होती है, पर व्यावहारिकता की कसौटी पर यह आदर्श परिवार ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता। परिवार में विभिन्न धर्मों को मानने वालों को अंतत: एक समझौता करना ही पड़ता है। अन्यथा दिन-प्रतिदिन संघर्ष होता रहता है।
प्रश्न 4.
स्त्री-समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए ज्योतिबा फुले के अनुसार क्या-क्या होना चाहिए ?
उत्तर :
स्त्री समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए ज्योतिबा फुले के अनुसार ये-ये काम होने चाहिएँ :
- स्त्रियों को शिक्षित किया जाना चाहिए।
- स्त्री-पुरुषों के लिए समान नियम बनने चाहिएँ।
- स्त्री-समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए नई विवाह पद्धति को अपनाना होगा। इसमें ब्राह्मण का कोई स्थान नहीं होगा। इस पद्धति में पुरुष-प्रधान संस्कृति के समर्थक तथा स्त्री-गुलामी वाले मंत्रों को निकाल दिया जाएगा।
- स्त्रियों को अधिकार तथा स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
प्रश्न 5.
सावित्री बाई के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किस प्रकार आए ? क्रमबद्ध रूप में लिखिए।
उत्तर :
सावित्रीबाई के जीवन में निम्नलिखित क्रांतिकारी परिवर्तन आए :
- जब सावित्रीबाई शिक्षित हुई। उन्होंने मराठी के अतिरिक्त अंग्रेजी पढ़ना-लिखना सीख लिया। यह काम उनके पति ज्योतिबा फुले ने कराया।
- जब वे ज्योतिबा फुले से विवाह करने के समय एक पुस्तक साथ लाई।
- जब सावित्रीबाई ने अपने पति के साथ मिलकर भिड़े के बाड़े में पहली कन्या पाठशाला की स्थापना की।
- जब उन्होंने अपने घर के पानी का हौद सभी जातियों के लिए खोल दिया।
प्रश्न 6.
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से प्रेरित होकर आप समाज में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे ?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई के जीवन से प्रेरित होकर हम समाज में निम्नलिंखित परिवर्तन करने चाहेंगे :
- सभी स्त्रियों, चालिकाओं को शिक्षित बनाने का प्रयास करेंगे। उन्हें इसके लिए प्रेरित करेंगे।
- स्त्रियों के अधिकारों की वकालत करेंगे।
- नारी सशक्तीकरण आंदोलन को सहयोग करेंगे।
- समाज से जाति-प्रथा के आधार पर भेदभाव को मिटाएँगे।
- समाज से समानता का व्यवहार करेंगे।
प्रश्न 7.
समाज में फुले दंपति द्वारा किए गए सुधार कार्यों का किस तरह विरोध हुआ ?
उत्तर :
फुले दंपति द्वारा जो समाज-सुधार के कार्य किए जा रहे थे उनका समाज के वर्ग ने कड़ा विरोध किया। फुले ब्राह्मणवाद’ के खिलाफ थे। अतः समाज के इस वर्ग ने उनके कामों का विरोध किया। ये जिस रास्ते से जाते थे उस रास्ते पर खड़े होकर ये विरोधी लोग उन्हें गालियाँ देते, उन पर थूकते, उन्हें पत्थर मारते थे और उन पर गोबर उछालते थे।
प्रश्न 8.
उनका दांपत्य जीवन किस प्रकार आधुनिक दंपतियों को प्रेरणा प्रदान करता है ?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई का दांपत्य जीवन आधुनिक दंपतियों को इस रूप में प्रेरणा प्रदान करता है कि पति-पत्नी यदि आपस में कंधे से कंधा मिलाकर कोई काम करें तो उसमें सफलता का मिलना निश्चित है। पति-पत्नी में एक सूत्रात्मक होनी चाहिए। उन्हें एक-दूसरे की जड़ें खोदने का काम नहीं करना चाहिए। उन्हें एक-दूसरे के प्रति तथा अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होना चाहिए।
प्रश्न 9.
ज्योतिबा फुले ने किस प्रकार की मानसिकता पर प्रहार किया और क्यों ?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले ने समाज की रूढ़िवादिता एवं ब्राह्मणवादी मानसिकता पर प्रहार किया। उन्होंने स्त्री शिक्षा के विरोधी तथा गरीबों-दलितों को गुलाम रखने वाली मानसिकता पर भी चोट की। वे हर प्रकार के शोषण के विरोध में आवाज उठाते थे।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :
(क) सच का सवेरा ‘होते ही वेद डूब गए, विद्या शूद्रों के घर चली गई, भू-देव (ब्राह्मण) शरमा गए।
(ख) इस शोषण-व्यवस्था के खिलाफ दलितों के अलावा स्त्रियों को भी आंदोलन करना चाहिए।
उत्तर :
(क) जब लोगों के सामने से अज्ञान का पर्दा हटा तब लोगों को सच्चाई का अहसास हुआ और वेदों की शिक्षा शूद्रों के घर तक चली गई अर्थात् वे भी वेद पढ़ने-समझने लगे। ब्राह्मणवाद समाप्त हो गया। इस स्थिति को देखकर ब्राह्मांों को शर्म आ गई।
(ख) दलितों और स्त्रियों का शोषण होता है अत; उन्हें स्वयं इसके विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए, तभी वह मिट जाएगा।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
(क) स्वतंत्रता का अनुभव-हर स्त्री की थी।
(ख) मुझे ‘महात्मा’ कहकर-अलग न करें।
उत्तर :
(क) प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ सुधा अरोड़ा द्वारा रचित निबंध ‘ज्योतिबा फुले’ से अवतरित हैं। ज्योतिबा ने स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए विवाह के अवसर पर नए मंगलाष्टकों की रचना की थी। इनमें स्त्री की गुलामी के मंत्रों को कोई स्थान नहीं दिया गया था।
व्याख्या – वधू वर से कहती है-हम स्त्रियों को स्वतंत्रता भोगने का मौका मिल ही नहीं पाता, जबकि इस स्वतंत्रता पर हम स्त्रियों का भी अधिकार है। वधू वर को शपथ दिलाती है कि वह स्त्री (पत्नी) को उसका अधिकार देगा और उसे इस स्वतंत्रता को भोगने भी देगा। स्त्री को इस स्वतंत्रता का अनुभव भी करना चाहिए। यह बात भले ही विवाह के अवसर पर वधू वर से कहती थी. पर ऐसा हर स्त्री चाहती थी। वह पुरुषों की दासता से मुक्ति चाहती थी। प्रत्येक स्त्री स्वतंत्रता पाने की लालसा मन में रखती थी।
(ख) प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित संस्मरणात्मक निबंध ‘ज्योतिबा फुले’ से अवतरित है। इसकी रचयिता सुधा अरोड़ा हैं। 1888 ई. में ज्योतिबा फुले को ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। उसी अवसर पर ज्योतिबा ने उपर्युक्त बात कही।
व्याख्या – ज्योतिबा फुले ने ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित होने को बहुत अच्छा नहीं बताया। यद्यपि वे लोगों की भावनाओं का आदर करते थे, पर उन्हें लगता था कि किसी भी व्यक्ति को ‘महात्मा’ बनाकर उसे जीवन-संघर्ष की सक्रिय भूमिका से परे हटा दिया जाता है। ज्योतिबा अपने संघर्ष को जारी रखना चाहते थे। यह काम साधारण व्यक्ति रहकर अधिक अच्छी तरह से किया जा सकता था। उन्हें किसी उपाधि में रुचि न थी। जब कोई व्यक्ति किसी मठ का स्वामी बन जाता है तब संघर्ष कर ही नहीं पाता। उसकी जो छवि बन जाती है वह उसके काम में बाधक बन जाती है। ज्योतिबा चाहते थे कि वे साधारण व्यक्ति की तरह रहकर जन-जीवन के साथ जुड़े रहें। वे लोगों से अलग नहीं होना चाहते थे। सामान्यत: उपाधिकारी व्यक्ति आम लोगों से कट जाता है।
विशेष – इस कथन से ज्योतिबा की महानता प्रकट होती है तथा उनकी संघर्षशीलता मुखरित होती है।
योग्यता-विस्तार –
1. अपने आसपास के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं से बातचीत कर उसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।
कार्यकर्ताओं से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट : समाज में अभी भी 20% बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। उनसे कोई-न-कोई काम कराया जाता है। परिवार के लोग उनके भविष्य की अनदेखी करके उन्हें मात्र कमाई का साधन समझते हैं। इन बच्चों को स्कूल भेजना जरूरी है। इनका बचपन बचाया जाना चाहिए। यह उम्र उनके खेलने एवं पढ़ने की है। इस दिशा में सरकार का भी सहयोग लिया जाना चाहिए। ‘बचपन बचाओ’ आंदोलन की भी सहायता आवश्यक है।
2. क्या आज भी समाज में स्ती-पुरुष के बीच भेदभाव किया जाता है? कक्षा में चर्चा कीजिए।
इस विषय पर विद्यार्थी कक्षा में चर्चा करें।
3. पाठ में आए महात्मा फुले के सूक्तिबद्ध विचारों को संकलित करके उन्हें कक्षा में दीवारों पर चिपकाइए।
विद्यार्थी ज्योतिबा के निम्न विचारों को ले सकते हैं :
(क) ‘सच का सवेरा होते ही, वेद डूब गए, विद्या शूद्रों के घर चली गई, भू-देव (ब्राहमण) शरमा गए।’
(ख) ‘गरीबों से कर जमा करना और उसे उच्चवर्गीय लोगों के बच्चों की शिक्षा पर खर्च करना-किसे चाहिए ऐसी शिक्षा?’
(ग) ‘पुरुषों के लिए अलग नियम और स्त्रियों के लिए अलग नियम-यह पक्षपात है।
4. सावित्री बाई और महात्मा फुले ने समाज-हित के जो काम किए, उनकी सूची बनाइए।
सावित्री और महात्मा फुले ने समाजहित के निम्नलिखित काम किए-
- विद्या को शूद्रों और गरीबों के घर तक पहुँचाया।
- स्त्री शिक्षा के भरपूर प्रयास किए।
- अपने विचारों को पुस्तक रूप में प्रस्तुत किया।
- विवाह के अवसर के लिए मंगलाष्टकों की रचना की।
- समाज से पुरुषों का एकाधिकार तोड़ा।
- पूँजीवाद और ब्राह्मणवाद का विरोध किया।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 5 ज्योतिबा फुले
प्रश्न 1.
ज्योतिबा ने कौन-सी नई विवाह-विधि की रचना की और क्यों?
उत्तर :
ज्योतिबा ने स्त्री-समानता को प्रतिष्ठित करने वाली नई विवाह+विधि की रचना की। पूरी विवाह-विधि से उन्होंने ब्राह्मण का स्थान ही हटा दिया। उन्होंने नए मंगलाष्टक (विवाह के अवसर पर पढ़े जाने वाले मंत्र) तैयार किए। वे चाहते थे कि विवाह-विधि में पुरुष प्रधान संस्कृति के समर्थक और स्त्री की गुलामगिरी सिद्ध करने वाले जितने मंत्र हैं, वे सारे निकाल दिये जाएँ। उनके स्थान पर ऐसे मंत्र हों, जिन्हें वर-वधू आसानी से समझ सकें। ज्योतिबा ने जिन मंगलाष्टकों की रचना की, उनमें वधू वर से कहती है-“स्वतंत्रता का अनुभव हम स्त्रियों को है ही नहीं। इस बात की आज शपथ लो कि स्त्री को उसका अधिकार दोगे और उसे अपनी स्वतंत्रता का अनुभव करने दोगे।” यह आकांक्षा सिर्फ वधू की ही नहीं, गुलामी से मुक्ति चाहने वाली हर स्त्री की थी। स्त्री के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए ज्योतिबा फुले ने हर संभव प्रयत्न किए।
प्रश्न 2.
जब ज्योतिबा को ‘भहात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया तब उन्होंने अपनी क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?
उत्तर :
1888 में जब ज्योतिबा फुले को ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया तो उन्होंने कहा-” “मुझे ‘महात्मा’ कहकर मेरे संघर्ष को पूर्णविराम मत दीजिए। जब व्यक्ति मठाधीश बन जाता है तब वह संघर्ष नहीं कर सकता। इसलिए आप सब साधारण जन ही रहने दें, मुझे अपने बीच से अलग न करें।”
प्रश्न 3.
ज्योतिबा फुले की सबसे बड़ी क्या विशेषता थी?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे जो कहते थे, उसे अपने आचरण और व्यवहार में उतारकर दिखाते थे। इस दिशा में अग्रसर उनका पहला कदम था-अपनी पत्नी सावित्री बाई को शिक्षित करना। ज्योतिबा ने उन्हें मराठी भाषा ही नहीं, अंग्रेजी लिखना-पढ़ना और बोलना भी सिखाया। सावित्री बाई की भी बचपन से शिक्षा में रुचि थी और उनकी ग्राह्य-शक्ति तेज थी।
प्रश्न 4.
ज्योतिबा फुले ने किस बात को पक्षपातपूर्ण बताया है?
उत्तर :
महात्मा ज्योतिबा फुले ने लिखा है, “स्त्री-शिक्षा के दरवाजे पुरुषों ने इसलिए बंद कर रखे हैं कि वह मानवीय अधिकारों को समझ न पाए, जैसी स्वतंत्रता पुरुष लेता है, वैसी ही स्वतंत्रता स्त्री ले तो? पुरुषों के लिए अलग नियम और स्त्रियों के लिए अलग नियम-यह पक्षपात है।”
प्रश्न 5.
सावित्री के बचपन की उस घटना का उल्लेख कीजिए जिससे उसके मन में पुस्तक पढ़ने की लालसा उत्पन्न हुई।
उत्तर :
सावित्री के बचपन में एक घटना घटी। सावित्री छह-सात साल की उम्र में हाट-बाज़ार अकेली ही चली जाती थी। एक बार सावित्री शिखल गाँव के हाट में गई। वहाँ कुछ खरीदकर खाते-खाते उसने देखा कि एक पेड़ के नीचे कुछ मिशनरी स्त्रियाँ और पुरुष गा रहे हैं। एक लाट साहब ने उसे खाते हुए और रुककर गाना सुनते देखा तो कहा, “इस तरह रास्ते में खाते-खाते घूमना अच्छी बात नहीं है।” सुनते ही सावित्री ने हाथ का खाना फेंक दिया। लाट साहब ने कहा-‘ बड़ी अच्छी लड़की हो तुम। यह पुस्तक ले जाओ। तुम्हें पढ़ना न आए तो भी इसके चित्र तुम्हें अच्छे लगेंगे।”
घर आकर सावित्री ने वह पुस्तक अपने पिता को दिखाई। आगबबूला होकर पिता ने उसे कूड़े में फेंक दिया, ” ईसाइयों से ऐसी चीजें लेकर तू भ्रष्ट हो जाएगी और सारे कुल को श्रष्ट करेगी। तेरी शादी कर देनी चाहिए। “‘. सावित्री ने वह पुस्तक उठाकर एक कोने में छुपा दी। सन् 1840 में ज्योतिबा फुले से विवाह होने पर वह अपने सामान के साथ उस किताब को सहेजकर ससुराल ले आई और शिक्षित होने के बाद वह पुस्तक पढ़ी।
प्रश्न 6.
14 जनवरी, 1848 को क्या अनोखा काम हुआ?
उत्तर :
14 जनवरी, 1848 को पुणे के बुधवार पेठ निवासी भिड़े के बाड़े में पहली कन्याशाला की स्थापना हुई। पूरे भारत में लड़कियों की शिक्षा की यह पहली पाठशाला थी। भारत में 3000 सालों के इतिहास में इस तरह का काम नहीं हुआ था। शूद्र और शूदातिशूद्र लड़कियों के लिए एक के बाद एक पाठशालाएँ खोलने में ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई को लगातार व्यवधानों, अड़चनों, लांछनों और बहिष्कार का सामना करना पड़ा। ज्योतिबा के धर्मभीरू पिता ने पुरोहितों और रिश्तेदारों के दबाव में अपने बेटे और बहू को घर छोड़ देने पर मजबूर किया।
प्रश्न 7.
किसने कहा, सही का चिह्न (✓) लगाइए :
(क) विद्या शूद्रों के घर चली गई। – ब्राह्मणों ने, महात्मा फुले ने
(ख) स्वतंत्रता का अनुभव हम स्त्रियों को है ही नहीं। – सावित्रीबाई ने, वधू ने
(ग) इस तरह रास्ते में खाते-खाते घूमना अच्छी बात नहीं है। – महात्मा फुले ने, लाट साहब ने
(घ) तेरी शादी कर देनी चाहिए। – ज्योतिबा फुले ने, पिता ने
उत्तर :
(क) ब्राह्मणों ने कहा
(ख) वधू ने
(ग) लाट साहब ने
(घ) पिता ने।
प्रश्न 8.
‘शेतकर्यांचा आसूड’ (किसानों का प्रतिशोध) पुस्तक के उपोद्यात की पंक्तियाँ दोहराइए और उनका आशय लिखिए।
उत्तर :
ज्योतिबा फुले अपने बहुचर्चित ग्रंध ‘शेतकर्यांचा आसूड’ के उपोद्घात में लिखते हैं-
“विद्या बिना मति गई
मति बिना नीति गई
नीति बिना गति गई
गति बिना वित्त गया
वित्त बिना शूद्र गए
इतने अनर्थ एक अविद्या ने किए।”
इनका आशय है-विद्या के बिना बुद्धि चली जाती है और बुद्धि के बिना नीति नहीं रहती। नीति के अभाव में गति चली जाती है और बिना गति के धन नहीं आता। धेन के बिना शूद्र चले गए। एक अविद्या से इतना बंड़ा अनर्थ (बुरा) हो जाता है।
प्रश्न 9.
आदर्श परिवार के बारे में ज्योतिबा फुले के विचार बताइए।
उत्तर :
आदर्श परिवार के बारे में ज्योतिबा फुले के विचार ये थे-” जिस परिवार में पिता बौद्ध, माता ईसाई, बेटी मुसलमान और बेटा सत्यधर्मी हो, वह परिवार एक आदर्श परिवार है।” अर्थात् आदर्श परिवार में विभिन्न धर्मावलंबी आपस में मिल-जुल कर रहते हैं।
प्रश्न 10.
अस्पृश्य जातियों के उत्थान के बारे में ज्योतिबा ने क्या उपाय किए?
उत्तर :
अस्पृश्य जातियों के उत्थान के बारे में ज्योतिबा ने अनेक उपाय किए –
- उनके बच्वों की शिक्षा की व्यवस्था की।
- ब्राह्मणी मानसिकता पर चोट की।
- उन्होंने अस्पृश्य जातियों के लिए अपने घर से पानी दिया।
- विद्या को शूद्रों के घर तक पहुँचाया।
प्रश्न 11.
सावित्री बाई के प्रमुख कार्य क्या थे?
उत्तर :
सावित्री बाई के प्रमुख कार्य ये थे-
- उन्होंने स्वयं शिक्षित होकर शूद्र और शूद्रातिशद्र लड़कियों के लिए पाठशालाएँ खोलीं।
- उन्होंने 50 वर्ष तक कठोर परिश्रम करके समाज-सुधार का मिशन पूरा किया।
- किसानों और अछूतों की झुग्गी-झोंपड़ियों में जाकर लड़कियों को पाठशाला भिजवाने के लिए आग्रह किया।
- उनके नवजात बच्चों की देखभाल की।
प्रश्न 12.
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से आज के समाज को क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से आज के समाज को यह प्रेरणा मिलती है कि स्त्रियों को समानाधिकार मिलना चाहिए। समाज-सुधार के लिए कष्ट झेलने को तैयार रहना चाहिए। सामाजिक कारों के लिए स्वार्थ सिद्धि के स्थान पर सेवा भावना को प्रमुखता देनी चाहिए। समाज से सभी प्रकार का भेदभाव मिटाना जरूरी है।
प्रश्न 13.
ज्योतिबा फुले ने किस प्रकार के सर्वांगीण समाज की कल्पना की है?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले ने इस प्रकार के समाज की कल्पना की जिसमें पूरे समाज का विकास हो। अब तक केवल उच्च वर्ग ही विकसित होता था। समाज पर ब्राह्मणवादी मानसिकता हावी थी। यह वर्ग शूद्रों, गरीबों, स्त्रियों को न तो शिक्षित करना चाहताथा और न उनका विकास। ज्योतिबा ने पूँजीवादी और पुरोहितंवादी मानसिकता पर चोट कर पूरे समाज के सर्वोंगीण की कल्पना की। वे समाज को वर्ण, जाति और वर्ग व्यवंस्था के विरोधी थे। वे ऐसा समाज चाहते थे जिसमें किसी प्रकार का शोषण न हो। वे स्त्रियों को समाज का अनिवार्य अंग मानते थे अतः उन्हें शिक्षित कर अधिकारों से परिचित कराना चाहते थे। वे ऐसा समाज चाहते थे जिसमें सभी का विकास हो सके।
प्रश्न 14.
ज्योतिबा फुले स्त्री-पुरुष के बीच किस प्रकार के संबंध चाहते थे?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले स्त्री-पुरुष कें बीच समानता के संबंध चाहते थे। वे स्त्री को भी उसका अधिकार देना चाहते थे। इसीलिए वे स्त्री शिक्षा पर बल देते थे। ज्योतिबा का कहना था कि स्त्री शिक्षा के दरवाजे पुरुषों ने इसलिए बंद कर रखे हैं ताकि वह मानवीय अधिकारों को समझ न पाए। पुरुषों के लिए अलग नियम और स्त्रियों के लिए अलग नियम को वे पक्षपात बताते थे। ज्योतिबा ने जिन मंगलाष्टकों की रचना की, उनमें वधू वर से कहती है- “स्वतंत्रता का अनुभव हम स्त्रियों को है ही नहीं। इस बात की आज शपथ लो किस्त्री को उनका अधिकार दोगे और उसे अपनी स्वतंत्रता का अनुभव करने दोगे।” स्त्री अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए ज्योतिबा फुले ने हरसंभव प्रयल्न किए।
प्रश्न 15.
स्त्री-शिक्षा का व्यावहारिक उदाहरण ज्योतिबा ने किस प्रकार प्रस्तुत किया?
उत्तर :
स्त्री शिक्षा का व्यावहारिक उदाहरण देने के लिए ज्योतिबा फुले ने अपनी पत्नी सावित्री बाई को शिक्षित किया। ज्योतिबा ने उन्हें मराठी भाषा ही नहीं, अंग्रेजी लिखना-पढ़ना और बोलना भी सिखाया। सावित्री बाई की भी बचपन से शिक्षा में विशेष रुचि थी और उनकी ग्रहणशक्ति भी तेज थी। ज्योतिबा ने 14 जनवरी, 1848 को अपनी पहली कन्याशाला की स्थापना की। ज्योतिबा और सावित्री बाई दोनों ने मिलकर स्त्री शिक्षा के मिशन को पूरी लगन के साथ पूरा किया।
प्रश्न 16.
महात्मा ज्योतिबा फुले का नाम पाँच समाजसुधारकों की सूची में क्यों नहीं आता ?
उत्तर :
महात्मा ज्योतिबा फुले ब्राह्मण होते हुए भी ब्राह्मणत्व और सामाजिक मूल्यों को कायम रखने वाली शिक्षा के विरुद्ध थे। उन्होंने अपने क्रांतिकारी साहित्य से पूँजीवादी और पुरोहितवादी मानसिकता पर हल्ला बोल दिया था। उनका सश्रांत समाज के प्रति ऐसा विरोध प्रतिष्ठित समाज को पसंद नहीं आया था। इसीलिए उस समय के महान् समाज सुधारक ज्योतिबा फुले का नाम समाज-सुधारकों की सूची में नहीं आता।
प्रश्न 17.
ज्योतिबा और सावित्री कैसे एक-एक मिलकर ग्यारह हो गए?
उत्तर :
ज्योतिबा और सावित्री ने आपस में मिलकर और पूरा सहयोग-करके स्त्री-शिक्षा के मिशन को पूरा किया। वे मिलकर किसानों और अछूतों की झुग्गी-झोंपड़ियों में जाकर लड़कियों को पाठशाला भेजने का आग्रह करते थे। लोग उनके काम में तरह-तरह से बाधा डालते थे। लांछन लगाते, पर वे लगातार 50 वर्षों तक एकजुट होकर काम करते रहे। उन दोनों के संयुक्त एक-एक गयारह होने की कहावत का चरितार्थ करते थे। उन्हें अपने मिशन में पूरी सफलता भी मिली।