NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 4 गूँगे
Class 11 Hindi Chapter 4 Question Answer Antra गूँगे
प्रश्न 1.
चमेली को गूँगे ने अपने बारे में क्या-क्या बताया और कैसे ?
उत्तर :
गूँगे ने अपने माता-पिता के बारे में इशारों के द्वारा यह बताया कि बाप (बड़ी-बड़ी मूँछों वाला) मर गया था, तब माँ (जो घूँघट करती थी) उसे छोड़कर चली गई। उसे किसी और ने पाला।
प्रश्न 2.
गूँगे की कर्कश काँय-काँय और अस्फुट ध्वनियों को सुनकर चमेली ने पहली बार क्या अनुभव किया ? उत्तर :
गूँगे को देखकर चमेली ने पहली बार यह अनुभव किया कि गले में काकल ठीक न होने पर मनुष्य क्या से क्या हो जाता है। गूँगा व्यक्ति अपने हूद्य की सारी बातों को उगल देना चाहता है, पर बोल न पाने के कारण उगल नहीं पाता।
प्रश्न 3.
गूँगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय किस प्रकार दिया ?
उत्तर :
गूँगे ने सीने पर हाथ मार कर संकेत किया- ‘हाथ फैलाकर कभी नहीं माँगा, भीख नहीं लेता’, भुजाओं पर हाथ रखकर संकेत किया-‘मेहनत का खाता हूँ’ और अपना पेट बजाकर दिखाया-‘ इसके लिए, इसके लिए-‘ गूँगे के इन संकेतों से पता चलता था कि वह एक स्वाभिमानी बालक था।
प्रश्न 4.
‘मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया है। -कहानी के इस कथन को वर्तमान सामाजिक परिवेश के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
वर्तमान सामाजिक परिवेश में मनुष्य की करुणा की भावना मुखर नहीं हो पाती। मूलत: मनुष्य संवेदनशील प्राणी है। उसमें करुणा की भावना विद्यमान रहती है, पर वह गूँगेपन की स्थिति में रहती है। वह अपनी उस भावना के अनुरूप उसे व्यवहार रूप में नहीं ढाल पाता। वह व्यवहार में संवेदनहीनता को दर्शाता है। वह गूँगे-बहरों के प्रति अपनी करुणा को व्यावहारिक रूप नहीं दे पाता है।
प्रश्न 5.
‘नाली का कीड़ा। एक छत उठाकर सिर पर रख दी, फिर भी मन नहीं भरा’-चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है तथा इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है ?
उत्तर :
गूँगा चमेली के यहाँ नौकरी कर रहा था। कुछ दिन बीते कि एक दिन वह भाग गया। इस पर चमेली उपर्युक्त कथन कहती है। वह गूँगे को नाली का कीड़ा बताती है। वह सोचती है कि उसने उसे आश्रय (छत) प्रदान किया, फिर भी उसका मन नहीं भरा अर्थात् वह यहाँ नहीं टिक पाया। इस कथन से चमेली की मनःस्थिति का पता चलता है कि वह नौकरों के प्रति क्या सोच रखती है। वह उन्हें इंसान न समझकर कीड़ा समझती है।
प्रश्न 6.
यदि बसंता गूँगा होता तो आपकी दृष्टि में चमेली का व्यवहार कैसा होता ?
उत्तर :
यदि चमेली का पुत्र बसंता गूँगा होता तो चमेली का व्यवहार वैसा नहीं होता जैसा उसका व्यवहार गूँगे के प्रति था। यध्धपि चमेली के हृदय में बार-बार ममता के भाव उठते थे और वह गूँगे के प्रति सहृदय भी हो जाती थी, पर फिर उस पर घृणा और कठोरता हावी हो जाती थी। वह अपने पुत्र बसंता की मंगल-कामना से अधिक चिंता करती थी। चमेली गूँगे की दयनीय दशा देखकर कभी-कभी विचलित भी होती थी। नाराज होने पर भी वह उसे खाने को रोटियाँ दे देती थी, पर बसंता को प्रमुखता देती थी।
यदि उसका अपना पुत्र बसंता गूँगा होता तो हमारी दृष्टि में चमेली का व्यवहार रूखा न होकर सहानुभूतिपूर्ण होता। तब वह बसंता पर अधिक स्नेह दर्शाती तथा उससे सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करती।
प्रश्न 7.
‘उसकी आँखों में पानी भरा था। जैसे उसमें शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था।’ क्यों ?
उत्तर :
गूँगा भूखा था। चमेली ने उसे रात की बासी रोटी देनी चाही। गूँगा भूखा से विवश था। पर वह स्वयं को अपमानित अनुभव कर रहा था। वह कुछ शिकायत करना चाहता था कि बसंता ने उस पर झूठा आरोप लगाया है। उसके साथ जो पक्षपात किया गया था, वह उसके बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहता था लेकिन वह गूँगा होने के कारण कुछ कह नहीं पाता। उसकी आँखों में आए आँसू उसकी मन:स्थिति को दर्शा जाते हैं।
प्रश्न 8.
‘गूँगा दया या सहानुभूति नहीं, अधिकार चाहता है। सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
कहानी का मूल स्वर यही है कि गूँगा दूसरों से दया या सहानुभूति नहीं चाहता। वह तो अधिकार चाहता है। दया सहानुभूति से सम्मान नहीं मिलता। अधिकार की भावना सम्मान दिलाती है। कहानी में गूँगा बार-बार इस बात के लिए संघर्ष करता दिखाई भी देता है। वह काम करके अपना पेट भरता है। चमेली जब उसे अपने घर चलने की और काम करने की बात कहती है तो वह अपने श्रम का मूल्य तय करने की बात करता है। चमेली से बात में भी वह इस बात को प्रमाणित करता है। वह अपने सीने पर हाथ मार कर संकेत करता है “हाथ फैलाकर कभी नहीं माँगा, भीख नहीं लेता” भुजाओं पर हाथ रखकर संकेत देता-मेहनत का खाता है।” इसी तरह वह मुहल्ले के बच्चों से भी भिड़ जाता है। वह उनसे दबता नहीं है। चमेली के घर से बार-बार भागने की घटना को भी हम इसी मानसिकता से जोड़कर देख सकते हैं।
प्रश्न 9.
‘गूँगे’ कहानी को पढ़कर आपके मन में कौन-से भाव उत्पन्न होते हैं और क्यों?
उत्तर :
‘गूँगे’ कहानी को पढ़कर हमारे मन में ये भाव उत्पन्न होते हैं कि विकलांग हमारी सहानुभूति के पात्र हैं।। हमें उनके साथ संवेदनशील व्यवहार करना चाहिए। हमें कभी भी उनका निरादर नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 10.
“गूँगे में ममता है, अनुभूति है और है मनुष्यत्व”-कहानी के आधार पर इस वाक्य की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
इस वाक्य में बताया गया है कि गूँगे में दूसरों के प्रति ममता की भावना है। वह सभी चीजों का अनुभव भी करता है। उसमें मनुष्यता की भावना भी है। वह किसी के प्रति अन्याय नहीं करता। वह अपने मन में चमेली के प्रति ममता रखता है। वह अच्छी-बुरी बातों को भली प्रकार समझता भी है।
प्रश्न 11.
कहानी का शीर्षक ‘गूँगे’ है, जबकि कहानी में एक ही गूँगा पात्र है। इसके माध्यम से लेखक ने समाज की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है ?
उत्तर :
इस कहानी का शीर्षक ‘गूँगा’ न होकर ‘गूँगे’ है। इसका कारण यह है कि अकेला वही व्यक्ति गूँगा नहीं है बल्कि वे व्यक्ति भी गूँगे-बहरे हैं जिनकी संवेदनाएँ मर गई हैं। ऐसे लोग अपने सामाजिकं दायित्वों के प्रति सचेत नहीं हैं। इस कहानी का मुख्य पात्र तो इन गूँगों का प्रतीक मात्र है। इसके माध्यम से लेखक ने विकलांगों के प्रति समाज में व्याप्त संवेदनहीनता की प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है। यह कहानी मानव की शोषण से मुक्ति का मार्ग दिखाती है। लेखक ने यह भी बताने का प्रयास किया है कि अपंग या विकलांग लोगों को सामान्य मनुष्य की तरह समझना चाहिए तथा उनके साथ मानवीय व्यवहार करना चाहिए।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :
(क) करुणा ने सबको ………… जी जान लड़ रहा हो।
(ख) वह लौटकर चूल्हे पर ……….. आदमी गुलाम हो जाता है।
(ग) और फिर कौन –
जिंदगी बिताए।
(घ) और ये गूँगे …………. क्योंकि वे असमर्थ हैं।
उत्तर :
(क) संदर्भ – ‘गूँगे’ कहानी का यह गद्यांश उस अवसर का है जब गूँगा इशारों से अपने माँ-बाप के बारे में बताता है। बाप मर गया, माँ भाग गई और उसे जिन लोगों ने पाला, वे उसे बहुत मारते थे।
व्याख्या – गूँगे के बारे में जानकर सभी लोगों के मन में करुणा भाव जाग गया। वे सभी दुखी हो रहे थे। गूँगा बोलने की बहुत कोशिश करता है, पर परिणाम कुछ नहीं निकलता। उसके मुँह से केवल काँय-काँय जैसे स्वर ही निकल पाते हैं। उसके मुँह से निकली ध्वनियाँ अस्पष्ट और अधूरी होती हैं। वह शब्दों की उल्टी करता सा जान पड़ता है। उसके स्वरों से ऐसा लगता है मानो प्रारंभिक अवस्था का मनुष्य अभी भाषा का निर्माण करने में जी-जान लड़ा कर पूरी-पूरी कोशिश कर रहा हो।
(ख) व्याख्या भाग में तीसरी व्याख्या देखें।
(ग) संदर्भ-प्रस्तुत कथन उस अवसर का है जब चमेली गूँगे से कहती है-‘ क्यों रे, तूने चोरी की है’ यह सुनकर गूँगा चुप खड़ा रहता है। चमेली क्रोध में भरकर उसे देखती रहती है। व्याख्या-चमेली का कहना है कि यह गूँगा मेरा तो कोई है नहीं। इसे यहाँ रहना है तो ठीक से रहे। यदि वह ठीक से नहीं रहना चाहता तो सड़क पर कुत्तों की तरह जूठन खाकर अपनी जिंदगी बिताए। अर्थात् वह गूँगे से ठीक प्रकार रहने की अपेक्षा करती है।
(घ) संदर्भ – ‘गूँगे’ कहानी से अवतरित इन पंक्तियों में चमेली की मनःदशा का चित्रण है।
व्याख्या – चमेली गूँगे की दशा पर विचार करती है कि ये गूँगे तरह-तरह से संसार में भिन्न-भिन्न रूपों में छाए हैं। ये कहत्ता तो बहुत कुछ चाहते हैं, पर कह नहीं पाते, क्योंकि ये बोल नहीं सकते। इनका हृदय न्याय और अन्याय में अंतर करना जामता है। इनमें भी प्रतिहिंसा की प्रवृत्ति होती है। सब कुछ होने पर भी ये अत्याचार को चुनौती नहीं दे पाते हैं। इनके पास स्वर तो होता है, पर उसका कोई अर्थ नहीं निकलता अर्थात् इनके स्वर निरर्थक होते हैं। वे असमर्थ होते हैं। वैसे आज के युग में अनेक लोग गूँगे हो गए हैं क्योंकि वे अन्याय-अत्याचार को झेलते तो रहते हैं, पर उनका सशक्त विरोध नहीं कर पाते।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :
(क) कैसी यातना है कि वह अपने हदय को उगल देना चाहता है, किंतु उगल नहीं पाता।
(ख) जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती, वैसे ही उसने भी कुछ नहीं कहा।
उत्तर :
(क) गूँगा व्यक्ति अपने हृदय में समाई बहुत सी बातें कहना चाहता है पर उसकी विडंबना यह है कि वह बोल नहीं पाता अतः कुछ कह भी नहीं पाता।
(ख) मंदिर की मूर्ति सब कुछ देखती है पर बोलती कुछ नहीं। इसी प्रकार गूँगा सब प्रकार का अन्याय और अत्याचार देखकर भी चुज रहा।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित पंक्तियों को अपने शब्दों में समझाइए :
(क) इशारे गज़ब के करता है।
(ख) नाली का कीड़ा।
(ग) पते चाटने की आदत पड़ गई है।
उत्तर :
(क) वह अपनी बात गजब के इशारों से समझाता है।
(ख) नाली के कीड़े के समान गंदगी में रहने वाला व्यक्ति।
(ग) इसे जगह-जगह की चीजें खाने की आदत पड़ गई है।
योग्यता-विस्तार –
1. समाज में विकलांगों के लिए होने वाले प्रयासों में आप कैसे सहयोग कर सकते हैं ?
उत्तर :
समाज में विकलांगों के लिए होने वाले प्रयास में हम निम्नलिखित रूपों में सहयोग कर सकते हैं:
1. हम उन्हें पढ़ाने-लिखाने में मदद कर सकते हैं। उन्हें स्वयं भी पढ़ा सकते हैं तथा इस कार्य में आर्थिक सहयोग भी दे सकते हैं।
2. विकलांगों को कृत्रिम अंग प्रदान कर सकते हैं ताकि वे चल-फिर सक्कें।
3. विकलांगों को रोजगार दे सकते हैं ताकि वे आत्म-निर्भर बन सकें।
2. विकलांगों की समस्या पर आधारित ‘स्पर्श, ‘कोशिश’ तथा ‘इकबाल’ फिल्में देखिए और समीक्षा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी इन फिल्मों को सिनेमाघर में जाकर अथवा वीडियो कैसेट या सी.डी. लेकर अपने घर में देख सकते हैं। फिल्म देखने के बाद समीक्षा करें।
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प्रश्न 1.
गूँगे को समझाने पर वह क्या-क्या ले आता है?
उत्तर :
गूँगे को समझाने पर वह दूध ले आता है। कच्चा मैगाना हो, तो थन काढ़ने का इशारा कीजिए; औंटा हुआ मँगवाना हो, तो हलवाई जैसे एक बर्तन से दूध दूसरे बर्तन में उठाकर डालता है, वैसी बात कीजिए। साग मँगवाना हो, तो गोल-गोल कीजिए या लंबी उँगली दिखाकर समझाइए।
प्रश्न 2.
चमेली के बुलाने पर गूँगे ने क्या प्रतिक्रिया की?
उत्तर :
चमेली ने गूँगे को पुकारा। कान के न जाने किस पर्दे में कोई चेतना है कि गूँगा उसकी आवाज को कभी अनसुना नहीं कर सकता; वह आया। उसकी आँखों में पानी भरा था। जैसे उनमें एक शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था। चमेली को लगा कि लड़का बहुत तेज है। बरबस ही उसके होंठों पर मुस्कान छा गई। कहा-‘ ले खा ले।’-और हाथ बढ़ा दिया। गूँगा इस स्वर की, इस सबकी उपेक्षा नहीं कर सकता। वह हँस पड़ा।
प्रश्न 3.
बसंता ने गूँगे को किस अवस्था में देखा?
उत्तर :
बसंता नें देखा कि गूँगा खून में भीग रहा था। उसका सिर फट गया था। वह सड़क के लड़कों से पिटकर आया था, क्योंकि गूँगा होने के नाते वह उनसे दबना नहीं चाहता था।…. दरवाजे की दहलीज़ पर सिर रखकर वह कुत्ते की तरह चिल्ला रहा था…।
प्रश्न 4.
चमेली के चोरी के आरोप पर गूँगे ने क्या प्रतिक्रिया प्रकट की? चमेली ने क्या सोचा?
उत्तर :
चमेली के चोरी के आरोप को सुनकर गूँगा चुप हो गया। उसने अपना सिर झुका लिया। चमेली एक बार क्रोध से काँप उठी, देर तक उसकी ओर घूरती रही। सोचा-मारने से यह ठीक नहीं हो सकता। अपराध को स्वीकार करा दंड न देना ही शायद कुछ असर करे और फिर कौन मेरा अपना है। रहना हो तो ठीक से रहे, नहीं तो फिर जाकर सड़क पर कुत्तों की तरह जूठन पर जिंदगी बिताए, दर-दर अपमानित और लांछित होता रहे। चमेली ने आगे बढ़कर गूँगे का हाथ पकड़ लिया और द्वार की ओर इशारा करके दिखाया-निकल जा। गूँगा जैसे समझा नहीं। बड़ी-बड़ी आँखों को फाड़े देखता रहा। कुछ कहने को शायद एक बार होंठ खुले भी, किंतु कोई स्वर नहीं निकला। चमेली वैसे ही कठोर बनी रही। अब के मुँह से भी साथ-साथ कहा-जाओ, निकल जाओ। ढंग से काम नहीं करना है तो तुम्हारा यहाँ कोई काम नहीं। नौकर की तरह रहना है रहो, नहीं तो बाहर जाओ। यहां तुम्हारे नखरे कोई नहीं उठा सकता। किसी को भी इतनी फुरसत नहीं है। समझे?
प्रश्न 5.
चमेली आवेश में आकर क्या चिल्ला उठी? गूँगे ने क्या प्रतिक्रिया प्रकट की?
उत्तर :
चमेली आवेश में आकर चिल्ला उठी-‘मक्कार, बदमाश! पहले कहता था, भीख नहीं माँगता, और सबसे भीख माँगता है। रोज़-रोज़ भाग जाता है, पत्ते चाटने की आदत पड़ गई है। कुत्ते की दुम क्या कभी सीधी होगी? नहीं। नहीं रखना है हमें, जा, तू इसी वक्त निकल जा….।’ किंतु वह क्षोप, वह क्रोध, सब उसके सामने निष्फल हो गए जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती, वैसे ही उसने भी कुछ नहीं कहा। केवल इतना समझ सका कि मालकिन नाराज़ है और निकल जाने को कह रही हैं। इसी पर उसे अचरज और अविश्वास हो रहा था!
प्रश्न 6.
चमेली गूँगे को देखकर उनके और सामान्य लोगों के बारे में क्या सोचती है?
उत्तर :
चमेली सोचती है, आज ऐसा कौन है जो गूँगा नहीं है। किसका हृदय समाज, राष्ट्र, धर्म और व्यक्ति के प्रति विद्वेष से, घुणा से नहीं छटपटाता, किंतु फिर भी कृत्रिम सुख की छलना अपने जालों में उसे नहीं फांस देती-क्योंकि वह स्नेह चाहता है, समानता चाहता है!
प्रश्न 7.
गूँगा कब से बहरा-गूँगा है?
उत्तर :
जन्म से वज्र बहरा होने के कारण वह गूँगा है। उसने अपने कानों पर हाथ रखकर इशारा किया। सब लोगों को उसमें दिलंचस्पी पैदा हो गई, जैसे तोते को राम-राम कहते सुनकर उसके प्रति हृदय में एक आनंद-मिश्रित कुतूहल उत्पन्न हो जाता है।
प्रश्न 8.
चमेली ने गूँगे को चिमटे से क्यों मारा?
उत्तर :
चमेली ने गूँगे को चिमटे से इसलिए मारा क्योंकि बिना बताए कहीं चला गया था। चमेली ने उससे पूछा-‘ कहाँ गया था?’ उसने कोई उत्तर नहीं दिया बल्कि अपराधी की भाँति सिर झुकाए खड़ा रहा। इस पर चमेली ने एक चिमटा उसकी पीठ पर जड़ दिया।
प्रश्न 9.
गूँगे द्वारा अपना हाथ पकड़े जाने पर चमेली को कैसा लगा? चमेली ने अपना हाथ क्यों छुड़ा लिया?
उत्तर :
गूँगे द्वारा अपना हाथ पकड़े जाने पर चमेली को ऐसा लगा जैसे उसके अपने पुत्र ने उसका हाथ पकड़ लिया हो। एकाएक उसके मन पर घृणा भाव हावी हो गया और उसने अपना हाथ छुड़ा लिया। अपने पुत्र के प्रति मंगल-कामना ने उसे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया।
प्रश्न 10.
शकुंतला और बसंता दोनों क्यों चिल्ला उठे?
उत्तर :
शकुंतला और बसंता गूँगे की दशा देखकर चिल्ला उठे, जब गूँगा खून से भीग रहा था, उसका सिर फट गया था। वह सड़क के लड़कों से पिटकर आया था। वह दरवाजे की दहलीज़ पर सिर रखकर कुत्ते की तरह चिल्ला रहा था।
प्रश्न 11.
गूँगे ने अपने संबंध में इशारे से चमेली को क्या-क्या बताया?
उत्तर :
गूँगे ने अपने संबंध में इशारे से चमेली को ये बातें बताई:-
- (घूंघट काढ़ने वाली) माँ उसे छोड़कर चली गई।
- (बड़ी-बड़ी मूँछों वाला) उसका बाप मर गया था।
- घर पर बुआ-फूफा मारते थे, क्योंकि वे उससे पल्लेदारी करवाकर कमवाना चाहते थे और उसे खुद ले लेना चाहते थे।
- उसने इशारों से यह भी बताया कि उसने रात भर लड्डू बनाए हैं, कड़ाही माँजी है, नौकरी की है और कपड़े धोए हैं।
- गूँगे ने सीने पर हाथ मारकर इशारा किया-‘हाथ फैलाकर कभी नहीं माँगा, भीख नहीं लेता’, भुजाओं पर हाथ रखकर इशारा किया-‘ मेहनत का खाता हूँ’ और पेट बजाकर दिखाया ‘इसके लिए, इसके लिए…’
- उसने इशारे से यह भी बताया बचपन में किसी ने उसका गला साफ करने के प्रयास में उसके गले का कौआ ही काट दिया।
प्रश्न 12.
कहानी के आधार पर गूँगे के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
गूँगे की चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
- सहनशील-गूँगे पर प्रायः सभी अत्याचार करते हैं। माँ उसे छोड़कर चली गई। बूआ-फूफा ने उससे पल्लेदारी करवानी चाही। चमेली और बसंता भी उसे तंग करते थे। गूँगा इन सभी के अत्याचारों को सहता रहता है।
- स्वाभिमानी-गूँगे ने कभी हाथ फैलाकर भीख नहीं माँगी। वह सदा मेहनत करके खाता है।
- काम में तेज-यदि उसे इशारे से उसका काम समझा दिया जाए तो वह सभी काम कर लेता है। उसने हलवाई के लड्डू बनाए, कड़ाई माँजी थी।
- ईमानदार-गूँगा कभी भी बेईमानी नहीं करता। उसने कभी चोरी नहीं की।
- शक्तिशाली-जब गूँगे ने चमेली का हाथ पकड़ा तब उसे अहसास हुआ कि गूँगा बसंता से अधिक शक्तिशाली है।
प्रश्न 13.
चमेली अपने आप कब और क्यों लज्जित हो गई?
उत्तर :
चमेली अपने आप तब लज्जित हो गई जब उसने गूँगे की पीठ पर चिमटा जड़ दिया था। गूँगा चिमटा खाकर भी रोया नहीं। चमेली की आँखों से आँसू जमीन पर टपक पड़े। तब गूँगा भी रो दिया।
प्रश्न 14.
‘गूँगे’ कहानी किसकी है तथा इसमें क्या कहा गया है ?
उत्तर :
‘गूँगे’ कहानी रांगेय राघव की एक प्रसिद्ध कहानी है। यह कहानी एक गूँगे लड़के की है जिसमें शोषित एवं पीड़ित मानव की असहायता का मार्मिक चित्रण किया गया है। गूँगे में ऐसी तड़पन है जो पाठक को झकझोर देती है।
प्रश्न 15.
समाज में विकलांगों के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए ? अपना मत लिखिए।
उत्तर :
‘गूँगे’ कहानी के माध्यम से लेखक यही संदेश देना चाहता है, विकलांगों के प्रति हमें सहानुभूति दिखानी चाहिए। उनको ऊपर उठाने का प्रयल्न करना चाहिए। उन्हें यह अनुभव न होने दें कि अत्यंत हीन हैं, समाज में उनका कोई स्थान नहीं। कई लोग विकलांगों पर भी अत्याचार करते हैं, उनका शोषण कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं। गूँगा भी तो इसी शोषण और स्वार्थ का शिकार बनकर रह जाता है। विकलांग भी संसार के अन्य प्राणियों के समान ईश्वर की रचना हैं। ईश्वर की रचना की उपेक्षा करना किसी प्रकार भी उचित नहीं। विकलांगों के प्रति हमें उदरता का परिचय देना चाहिए। उनमें निहित गुणों की ओर संकेत कर उनका आत्म-विश्वास बढ़ाना चाहिए जिससे वे अपनी क्षमता और योग्यता का परिचय दे सकें।