घर में वापसी Summary – Class 11 Hindi Antra Chapter 19 Summary
घर में वापसी – धूमिल – कवि परिचय
प्रश्न :
सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ के जीवन का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए तथा उनकी प्रमुख रचनाओं का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर :
जीवन-परिचय-सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ वाराणसी के पास खेवली नामक गाँव में 1936 ई. को जन्मे थे। वे हाई स्कूल में उत्तीर्ण होने के उपरांत 1958 ई. में आई.टी.आई. काशी से विद्युत डिप्लोमा कोर्स उत्तीर्ण करके वहीं पर विद्युत अनुदेशक लग गए। 38 वर्ष की अल्पायु में ब्रेन ट्यूमर से उनका 1975 ई. में देहावसान हो गया।
काव्यगत विशेषताएँ – धूमिल जी ‘नई कविता’ के सशक्त हस्ताक्षर हैं। धूमिल जी की कविता में समकालीन परिवेश को चिकोटी काटने का भाव मिलता है।धूमिल के काव्य में गँवई बड़बोलापन है जो उनके व्यंग्य को पैना तथा कविता को प्रभावशाली बनाता है। उन्होंने अपनी क्वविताओं में समकालीन राजनीतिक परिवेश में जी रहे जागरूक व्यक्ति का सजीव चित्र प्रस्तुत किया है। मानवता के प्रति उनकी कविता – में अगाध संवेदना है। कहीं-कहीं उनकी कविता आक्रोश का रूप धारण कर लेती है। उनकी काव्य-भाषा और काव्य-शिल्प में एक जबर्दस्त गरमाहट है। ऐसी गरमाहट जो बिजली के ताप से नहीं, जेठ की दोपहरी से आती है।
धूमिल ने अपनी कविता में समकालीन राजनीतिक परिवेश में जी रहे जागरूक ‘व्यक्ति’ की तस्वीर पेश करने का प्रयास किया है। मानव जीवन की मानवीयता के प्रति उनके मन में अगाध करुणा है। पर धूमिल को ऐसा लगता है कि समकालीन परिवेश इस ‘मानवीयता’ कां शत्रु है। वे चौंकाने वाली बात कहना चाहते हैं। उसकी कविता में आक्रोश, उत्तेजना एवं करुणा के भावों की अभिव्यक्ति अधिक है।
सन् 1960 के बाद की हिंदी कविता में जिस मोहभंग की शुरुआत हुई थी, धूमिल उसको अभिव्यक्त करने वाले अत्यंत प्रभावशाली कवि हैं। उनकी कविता में परंपरा, सभ्यता, सुरुचि, शालीनता और भद्रता का विरोध है, क्योंकि इन सबकी आड़ में जो ह्वदय पलता है, उसे धूमिल पहचानते हैं। धूमिल यह भी जानते हैं कि व्यवस्था अपनी रक्षा के लिए इन सबका उपयोग करती है, इसलिए वे इन सबका विरोध करते हैं। इस विरोध के कारण उनकी कविता में एक प्रकार की आक्रामकता मिलती है किंतु उससे उनकी कविता की प्रभावशीलता बढ़ती है। धूमिल विरोधी पर जानबूझकर भाषा की पूरी ताकत से चोट करते हैं और विरोधी की तिलमिलाहट का आनंद लेते हैं। धूमिल की कविता में सपाट बयानी है और तथ्य कथन भी, इसलिए उनकी काव्यभाषा जीवन के वास्तविक अनुभवों को संपूर्णता में व्यक्त करती प्रतीत होती है। वे अपनी कविता में विवरण और वृत्तांत का सहारा नहीं लेते। वे विभिन्न स्थितियों पर टिप्पणी करते हैं। इन टिप्पणियों में तथ्य-कथन, व्यंग्य, उपहास, झुँझलाहट और पीड़ा की अभिव्यक्ति होती है, जिनके मेल से उनकी कविता प्रभावशाली बनती है।
भाषा-शैली – धूमिल अपनी कविता के माध्यम से एक ऐसी काव्य-भाषा विकसित करते हैं, जो नई कविता के दौर की काव्य-भाषा की रूमानियत, अतिशय कल्पनाशीलता और जटिल बिंबधर्मिता से मुक्त है। उनकी भाषा काव्य-सत्य को जीवन-सत्य के अधिकाधिक निकट लाती है। उस काव्य-भाषा में पुराने शब्दों के अर्थ बदलते हैं और काव्यात्मक न समझे जानेवाले शब्दों का प्रवेश भी होता है। इस प्रक्रिया से जो काव्य-भाषा निर्मित होती है, वह धूमिल की कविता को जन-जीवन से जोड़ती है।
रचनाएँ – धूमिल के निम्नलिखित काव्य-संग्रह प्रकाशित हैं-‘बाँसुरी जल गई’, ‘संसद से सड़क तक’,’ कल सुनना मुझे’ और ‘सुदामा पांडे का प्रजातंत्र’।
उन्हें मरणोपरांत ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
Ghar Me Wapsi Class 11 Hindi Summary
कविता का संक्षिप्त परिचय :
‘घर में वापसी’ कविता धूमिल द्वारा रचित है। इस कविता में गरीबी से संघर्ष करते परिवार की व्यथा कथा है। आज की विडंबना यह है कि आज तमाम रिश्ते-नातों, स्नेह-अपनत्व के बीच गरीबी की दीवार खड़ी है। इस कविता में ऐसे घर की आकांक्षा की गई है जहाँ गरीबी दीवार की तरह बाधक न हो।
कविता का सार :
‘घर में वापसी’ कविता धूमिल द्वारा रचित है। मनुष्य संसार की भागमभाग भरे जीवन से राहत पाने के लिए स्नेह, ममत्व, अपनत्व और सुरक्षा पाने के लिए घर बनाता है और उसमें रहता है। लेखक के घर में पाँच जोड़ी आँखें हैं अर्थात् पाँच व्यक्ति रहते हैं। उनमें से एक लेखक की माँ हैं। वे जीवन के इस मोड़ पर आ गई हैं कि उनकी आँखों की रोशनी चली गई है। इस स्थिति को लेखक ने बस के दो पंचर पहिए बताया है। पिता की आँखों को लेखक लोहे के औजार बनाने वाली भट्टी की ठंडी शलाखें बताता है। इनमें अब तेज नहीं रह गया है। पत्नी की आँखें अर्थात् पत्नी उसे आश्रय देती है। यद्यपि घर के सभी लोग आपस के हैं, पर उनके बीच गरीबी की दीवार है। अब रिश्तों में अपनापन नहीं रह गया है। खून में इतना भी लोहा शेष नहीं रह गया है कि उससे ताले की एक चाबी भी बनवाई जा सके अर्थात् रिश्तों के बंधन को खोल सके। यद्यपि बोलते समय हम रिश्तों के बारे में बड़े प्रेम से बताते हैं।
घर में वापसी सप्रसंग व्याख्या
घर में वापसी –
1. मेरे घर में पाँच जोड़ी आँखें हैं
माँ की आँखें पड़ाव से पहले ही
तीर्थ-यात्रा की बस के
दो पंचर पहिए हैं।
पिता की आँखें –
लोहसाँय की ठंडी शलाखें हैं
बेटी की आंखें मंदिर में दीवट पर
जलते घी के
दो दिए हैं।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘अंतरा भाग-1’ की कविता ‘घर में वापसी’ से अवतरित हैं।’इसके रचयिता कवि धूमिल हैं। इसमें गरीबी से संघर्ष करते परिवार का चित्रण है। गरीबी के कारण आपसी प्रेम भी लुप्त हो गया है। इसका सबसे बड़ा कारण है-गरीबी। कवि बताता है-
व्याख्या – मेर घर में पाँच जोड़ी आँखें हैं अर्थात् पाँच सदस्य हैं-माँ, पिता, पुत्री तथा कवि स्वयं। माँ की आँखें तीर्थ-यात्रा में जाने वाली बस के उन दो पहियों के समान हैं, जो अपनी मंजिल पर पहुँचने से पहले ही पचर हो गए हैं अर्थात् जीवन का आखिरी पड़ाव आने से पूर्व ही माँ अपनी आँखों की ज्योति खो बैठी है। पिता की आँखें गरीबी के कारण ऐसे तेजहीन हो गई हैं जैसे ईंधन के अभाव में लोहे की भृट्टी की ठंडी सलाखें हों। पिता की आँखों में न कोई तेज है और न आशा की ज्योति। वे निस्तेज हो चुकी हैं। पुत्री की आँखें मंदिर के दीवट पर जलने वाले घी के दो दीपकों के समान हैं। इनमें अभी निश्छलता, भोलापन एवं पवित्रता का भाव है।
विशेष (काव्य वैशिष्ट्य) :
- इन पंक्तियों की भाषा प्रतीकात्मकता एवं लाक्षणिकता से युक्त हैं।
- उपमानों में सर्वथा नवीनता है।
- माँ की आँखों की बस के लिए पंचर पहियों से समानता बताकर सजीव बिम्ब प्रस्तुत किया गया है।
- ‘पड़ाव से पहले’, ‘पंचर पहिए’ में अनुप्रास अलंकार है।
- गरीबी की विवशता भरी जिंदगी का सजीव चित्र प्रस्तुत किया गया है।
2. पत्नी की आँखें, आंखें नहीं
हाथ हैं, जो मुझे थामे हुए हैं
वैसे हम स्वजन हैं, करीब हैं
बीच की दीवार के दोनों ओर
क्योंकि हम पेशेवर गरीब हैं।
शब्दार्थ :
- स्वजन = अपने लोग, पारिवारिक सदस्य (Family members)।
- करीब = पास, निकट (Near)।
- पेशेवर = व्यावसायिक (Professional)।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’ द्वारा रचित कविता ‘घर की वापसी ‘ से अवतरित हैं। इसमें कवि ने गरीबी के कारण परिवार में आए बिखराव को व्यक्त किया है।
व्याख्या – कवि बताता है कि मेरी पत्नी घर की केवल सदस्या ही नहीं है, अपितु वह मेरा सहारा है। पल्नी मेरी सहयोगिनी है। उसी ने मुझे और परिवार को गिराने से अर्थात् टूटने से रोक रखा है। पत्नी की आँखों में निस्वार्थ प्रेम है जो मेरे लिए सहारा बन जाता है। वह मुझे आर्थिक संकटों से जूझने में मदद देती है। लोकाचार की दृष्टि से हम पाँचों सदस्य एक ही परिवार के हैं तथा आत्मीय है। भावात्मक रूप से एक दूसरे के निकट हैं परन्तु इन सबके बीच में गरीबी की दीवार आ गई है। इस गरीबी के कारण ही हमारे पारिवारिक रिश्ते बूझ से गए हैं। चूँक हम पेशेवर गरीब हैं अत: हमारे पास धन का अभाव है। यही कारण है कि एक ही घर में रहकर भी हम एक-दूसरे से दूर हो गए हैं।
विशेष (काव्य-वैशिष्ट्य) :
- आर्थिक दरिद्रता के कारण परिवार में आए बिखराव का भावपूर्ण चित्र प्रस्तुत किया गया है।
- भाषा में प्रतीकात्मकता एवं लाक्षणिकता है।
- आँखों में हाथों की कल्पना चमत्कारपूर्ण हैं।
- करीब, गरीब, दीवार, पेशेवर आदि उर्दू शब्दों के प्रयोग ने भाषा को व्यावहारिक बना दिया है।
3. रिश्ते हैं, लेकिन खुलते नहीं हैं
और हम अपने खून में इतना भी लोहा नहीं पाते,
कि हम उससे एक ताली बनवाते
और भाषा के भुन्नासी ताले को खोलते
रिश्तों को सोचते हुए
आपस में प्यार से बोलते
कहते कि ये पिता हैं,
यह प्यारी माँ है, यह मेरी बेटी है।
शब्दार्थ :
- लोहा = शक्ति (Energy)।
- भुन्नासी = जंग लगना (Rusted)।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘अंतरा भाग-1’ में संकलित कविता ‘घर की वापसी’ से अवतरित हैं। इसके रचयिता सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’ हैं। कवि ने इसमें बताया है कि गरीबी के कारण पारिवारिक संबंध जड़ हो गए हैं।
व्याख्या – कवि बताता है कि एक ही परिवार के सदस्य होते हुए भी हम आपस में खुलकर बात नहीं कर पाते। रिश्तों में खुलापन नहीं रह गया है। एक-दूसरे के साथ सुख-दुख की चर्चा तक नहीं हो पाती। पारिवारिक बिखराव और टूटन अधिक हैं। हमारे रिश्तों में एक प्रकार की जड़ता-सी आ गई है। हमारे खून में इतनी ताकत नहीं रह गई है कि हम उस लोहे (ताकत) से एक ताली (चाबी) बनवा कर संबंधों पर जड़े हुए भाषा के जंग लगे ताले को खोल देते। अर्थात् गरीबी के कारण हम इतने शक्तिहीन हो गए हैं कि पुराने आत्मीय संबंधों को पुनः जीवित करना कठिन हो गया है। कवि कहता है कि कितना अच्छा होगा कि हम पारस्परिक संबंधों का विचार करते हुए स्नेह युक्त वाणी में कह सकते हैं कि ये मेरे पिता हैं, ये मेरी प्यारी माँ है और यह मेरी प्रिय पुत्री है। भाव यह है कि गरीबी के कारण जो पारिवारिक बिखराव आया है, उसे स्नेह से दूर किया जाना आवश्यक है।
विशेष (काव्य-वैशिष्ट्य) :
- ‘भाषा का भुन्नासी ताला’ बहुत सुंदर रूपक है।
- प्रतीकात्मक शब्दावली का प्रयोग है।
- कविता पर साम्यवाद का स्पष्ट प्रभाव लक्षित होता है।
4. पत्नी को थोड़ा अलग
करते-तू मेरी-मेरी ……
हमसफर है,
हम थोड़ा जोखिम उठाते
दीवार पर हाथ रखते और कहते
यह मेरा घर है।
शब्दार्थ :
- हमसफर = जीवन साथी (Life partner)।
- जोखिम = खतरा (Risk)।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’ द्वारा रचित कविता ‘घर में वापसी’ से अवतरित हैं। कवि बताता है कि निर्धनता ने पारिवारिक रिश्तों को जड़ बनाकर रख दिया है।
व्याख्या – कवि की मान्यता है कि पारिवारिक रिश्ते में पत्नी की स्थिति कुछ विशेष प्रकार की होती है। काश! मैं यह कह पाता कि तुम मेरी सहभागिनी हो और तुम केवल मेरी हो। काश! हम थोड़ा खतरा और उठाकर भी अपने खोए हुए संबंधों को लौटाने की कोशिश करते। अपने घर की दीवार पर हाथ रखकर प्रेम से यह कहते-यह मेरा घर है। यहाँ मेरे स्वजन रहते हैं। इससे घर में संवादहीनता की स्थिति समाप्त हो जाती।
विशेष (काव्य-वैशिष्ट्य) :
- टूटते संबंधों और बिखरते जीवन मूल्यों को कवि ने सशक्त भाषा में प्रयुक्त किया है।
- ‘जोखिम उठाना’ मुहावरे का सटीक प्रयोग हुआ है।
- भाषा चित्रात्मक है।