Class 11 Hindi Antra Chapter 16 Question Answer नींद उचट जाती है

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 16 नींद उचट जाती है

Class 11 Hindi Chapter 16 Question Answer Antra नींद उचट जाती है

प्रश्न 1.
कविता के आधार पर बताइए कि कवि की दृष्टि में बाहर का अँधेरा भीतरी दुःस्वप्नों से अधिक भयावह क्यों है ?
उत्तर :
कवि ने भीतर के दु:स्वप्नों से अधिक भयावह बाहर के अंधकार को माना है। यह अंधेरा मिटने का नाम ही नहीं लेता और उषा नहीं आती। कवि ने भीतर के दु:स्वप्नों से भयावह बाहर के अंधकार को माना है। इसका कारण यह है कि उसके भीतर तो मात्र उसकी निराशा एवं अवसाद का भाव है, परन्तु बाहर सारे संसार की भीषण कठिनाइयाँ एवं विसगतियाँ हैं, जो उसके व्यक्तिगत दु:ख की अपेक्षा अधिक कष्टदायक हैं।

प्रश्न 2.
अंदर का भय कवि के नयनों को सुनहली भोर का अनुभव क्यों नहीं होने देता ?
उत्तर :
कवि के मन के अंदर डर समाया हुआ है। इसी कारण आशावादी सुबह उसकी आँखों के पास तक नहीं फटक पाती। आँखें जिस सुखद क्षण की प्रतीक्षा करती हैं वह क्षण निकट नहीं आ पाता। इसका कारण है उसके मन में व्याप्त व्याकुलता एवं निराशा के कारण उत्पन्न भय।

प्रश्न 3.
कवि को किस तरह की आस रातभर भटकाती है और क्यों ?
उत्तर :
कवि को प्रकाश की किरणों की आशा बनी रहती है और कवि उसे पाने की आस में ही रात भर भटकता है। इसका कारण यह है कि कवि लंबी भयानक रात में अपने अंदर के दुसस्वप्नों और बाहर के त्रासद अंधकार को देखकर बुरी तरह डर जाता है। भोर होने की आशा में ही उसकी साँसें बची हुई हैं। वह समस्त जीवन को बचाये रखना चाहता है। वह मूल्यों, आदर्शों, बेहतर सपनों की आशा में ही उसे रात भर भटकाती है।

प्रश्न 4.
कवि चेतन से फिर जड़ होने की बात क्यों कहता है ?
उत्तर :
रात के भयावह अँधेरे में जब कवि की नींद उचट जाती है तब वह अपने अंदर के दुःख एवं निराशा के भाव से घबराकर बाहर के संसार की बातें सोचने लगता है। उस समय उसे महसूस होता है कि बाहर के समाज में तो कठिनाइयों व समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। समाज में चेतना और जागृति नहीं है। व्यवस्था को परिवर्तित करने में वह स्वयं को असमर्थ पाता है। इस प्रकार विचार करते हुए वह बहुत व्याकुल हो जाता है। इस व्याकुलता से मुक्ति पाने के लिए ही कवि फिर से जड़ हो जाने की बात करता है।

प्रश्न 5.
अंधकार भरी धरती पर ज्योति चकफेरी क्यों देती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
धरती पर चारों तरफ भीषण कठिनाइयों और समस्या रूपी अंधकार फैला हुआ है। इन कठिनाइयों और समस्याओं से संघर्ष करने वाले लोग दुनिया की चेतना के प्रकाश से सम्पन्न हैं। कवि ने इन्हें और इनके विचारों को ‘ज्योति’ कहा है। यह ‘ज्योति’ हर समय में लोगों को रास्ता दिखाने की कोशिश करती है। यही चकफेरी करना है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखिता पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) आती नहीं उषा, बस केवल आने की आहट आती है!
(ख) करवट नहीं बदलता है तम, मन उतावलेपन में अक्षम!
उत्तर :
(क) कवि के जीवन में उषा अर्थात् आशा के संचार होने का केवल आभास होता है। वह आशा आती नहीं अर्थात् निराशाओं के मध्य आशा की एक हल्की-सी झलक का अहसास होकर रह जाता है। उसका जीवन निराशा में झूलता रहता है।
(ख) इन पंक्तियों का आशय है कि कवि के जीवन में अंधकार आकर स्थायी रूप से टिक गया है। वह करवट बदलने अर्थात् जाने का नाम ही नहीं लेता। इसी कारण मन में उतावलापन बना रहता है। वह अक्षमता का शिकार होकर रह गया है। उसमें निराशा का भाव भरा हुआ है।

प्रश्न 7.
‘जागृति नहीं अनिद्रा मेरी,
नहीं गई भव-निशा अँधेरी।’
उक्त पंक्तियों में ‘जागृति’, ‘अनिद्रा’ और ‘भवनिशा अँधेरी ‘से कवि का सामाजिक संदर्भों में क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
कवि के लिए संसार में सर्वत्र अंधकार ही अंधकार व्याप्त है। वही उसे दिखाई देता है। वह जाग नहीं रहा अपितु नींद न आने का शिकार है। दोनों स्थितियों में बड़ा अंतर है। जागृति सुखद होती है जबकि अनिद्रा कष्टकारक होती है। जागृति आशावाद है तो अनिद्रा निराशावाद है।

प्रश्न 8.
‘अंतर्नयनों के आगे से शिला न तम की हट पाती है’ पंक्ति में ‘अंतर्नयन’ और ‘तम की शिला’ से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
इस पंक्ति में अंतर्नयन से कवि का तात्पर्य है-आंतरिक चेतना। ‘तम की शिला’ से कवि का तात्पर्य है-मन के अंदर उपस्थित अवसाद व निराशा का भाव। यहाँ कवि का आशय यह है कि वर्तमान परिवेश में मनुष्य के हुदय में व्याप्त निराशा और अवसाद च्ट्रानों की तरह हमारी अन्तः चेतना के द्वार को बन्द कर हमारे भीतर अंधेरा भर देते हैं।

योग्यता-विस्तार –

1. क्या आपको लगता है कि बाहर का अंधेरा भीतर के अंधेरे से ज्यादा घना है? चर्चा करें।
हाँ, हमें ऐसा लगता है कि बाहर का अंधेरा भीतर के अंधेरे से ज्यादा घना है। विद्यार्थी इस पर चर्चा करें।
2. संगीत-शिक्षक की सहायता से इस गीत को लयबद्ध कीजिए।
संगीत-शिक्षक की सहायता लें।

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प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम बताइए :
(क) भीत भावना भोर सुनहली
(ख) नयनों के निकट लाती है
(ग) नहीं गई भव-निशा अँधेरी
उत्तर :
(क) अनुप्रास, (ख) अनुप्रास, (ग) रूपक।

प्रश्न 2.
अँधेरा देखकर कवि नयन-प्राण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
अँधेरा देखकर कवि के नयन दुखने लगते हैं और प्राण सूखने लगते हैं।

प्रश्न 3.
सुनहरी भोर नयनों के निकट क्यों नहीं आ पाती है?
उत्तर :
जब तक बाहर का अंधकार मिटता नहीं है तब तक सुनहरी भोर नयनों के निकट नहीं आ पाती है। मन में भी भय की भावना निहित है अतः कवि को आशा की किरण दिखाई नहीं देती।

प्रश्न 4.
फिर सोने और गहरी निद्रा में खोने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर :
कवि बाहर के अंधकार से बचने के लिए पुन: सोने और गहरी निद्रा में खो जाना चाहता है। जब तक इस पृथ्वी पर रात रहे तब तक वह मींद में जड़ बनकर रहना चाहता है ताकि वह चिंतामुक्त हो सके।

प्रश्न 5.
सन्नाटा कब गहरा हो जाता है?
उत्तर :
रात के गहरे अंधकार में सन्नाटा और गहरा हो जाता है। तब नींद भी नहीं आती और बावले नयन अपलक जगते रहते हैं। बाहर सियार और कुत्ते भौंकते रहते हैं।

प्रश्न 6.
नींद उचटने से रात भारी क्यों हो जाती है?
उत्तर :
नींद उचटने से रात भारी प्रतीत होने लगती है। यह रात बीतने का नाम ही नहीं लेती। रात में दुसस्वप्न आते हैं और ये बड़े भयंकर होते हैं। ये डरावने सपने कवि को चौंका कर उठा देते हैं। इनसे भी भारी बाहर का अंधकार होता है। कवि उषा की प्रतीक्षा तो करता है पर वह प्रतीक्षा कराती रह जाती है। बार-बार करवरें बदलने पर भी रात काटे नहीं कटती अतः भारी हो जाती है।

प्रश्न 7.
नरेंद्र शर्मा की भाषा शैली पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
नरेंद्र शर्मा प्रगतिवादी विचारधारा से जुड़े कवि हैं। उनकी भाषा में भावों को अभिव्यक्त करने की पूर्ण क्षमता है। पाठक इनके भाव से बहुत ही सहज ढंग से जुड़ जाता है। गीतिका, हरि-गीतिका उनके प्रिय छंद हैं। इनके काव्य में तत्सम, तद्भव शब्दों का मिला-जुला रूप है। अलंकारों ने इनकी भाषा में सरसता तथा रोचकता उत्पन्न कर दी है। वस्तुतः नरेंद्र शर्मा की भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।

प्रश्न 8.
भीतर के दु:स्वप्नों से बाहर का अँधेरा भयावह क्यों लगता है?
उत्तर :
भीतर के दु:स्वप्नों से कवि का तात्पर्य व्यक्ति के अपने जीवन में होने वाले दुःख-कष्टों से है। समाज में हर आदमी अपने दुःख-कष्टों से बुरी तरह परेशान है। इस दुःख रूपी अंधेरे को देख-देखकर उसकी आँखें दुखने लगती हैं। मन में तरह-तरह की आशंकायें उठती हैं। अपने दुखों से पीड़ित व्यक्ति जब देश-समाज की ओर नजर डालता है तो उसे वर्तमान की भयावहता का पता चलता है। वह अपने दुखों से कहीं अधिक बड़े दु:ख और कष्टों से परिचित होता है। यह कवि के लिए बाहर का भयावह अँधेरा है। देश-समाज में दु:खों-कष्टों को बढ़ाने वाले लोगों को कवि कुत्ते और सियार कहकर पहचानता है। उनकी आवाजें इस अंधेरे की भयावहता को बढ़ाती हैं।

प्रश्न 9.
कवि का मन उतावलेपन में अक्षम क्यों है?
उत्तर :
कवि का मन उतावला बना रहता है। वह बाहर के अंधकार और मन के अंधकार दोनों से छुटकारा पाना चाहता है। पर वह अपने प्रयास में सक्षम नहीं हो पाता। उतावलापन अक्षमता को ही दर्शाता है। उसके चारों ओर निराशा का वातावरण है। इससे बचने का कोई विकल्प उसे नहीं सूझता।

प्रश्न 10.
‘जागृति नहीं अनिद्रा मेरी’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर :
इससे कवि का यह आशय है कि जागरण के द्वारा दोनों प्रकार के अंधकारों से मुक्त होने पर प्रकाश का कपाट खोला जा सकता है। जागृति के न होने का कारण अँधेरा है। रात के अँधेरे में अनिद्रा सताती, है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:
(क) देख-देख दु:स्वप्न भयंकर …….. अधिक भयावह है तम बाहर!
(ख) मन होता है फिर सो जाऊँ …….. चेतन से फिर जड़ हो जाकाँ!
(ग) जागृति नहीं अनिद्रा मेरी …….. शिला न तम की हट पाती है!
उत्तर :
(क) कवि मन के अंदर और बाहर दोनों प्रकार के अँधेरे से भयभीत रहता है। दुझस्वप्न भयंकर होते हैं और व्यक्ति को चैंकाते हैं। बाहर का अंधकार इससे भी अधिक भयावह है। मन का अँधेरा निराशा उत्पन्न करता है।
(ख) कवि सभी प्रकार के अंधकार से हुटकारा पाने के लिए सो जाने को बेहतर उपाय मानता है। वह गहरी नींद में खोकर जड़ अवस्था में चला जाएगा और तब चेतना सुप्त हो जाएगी।
(ग) अनिद्रा की स्थिति में संसार रूपी रात अधिक लंबी होती है। प्रकाश इधर-उधर चक्कर लगा कर रह जाता है। मन की आँखों के आगे भी अंधकार की शिला आ जाती है।

काव्य-सौंदर्य संबंधी प्रश्न –

प्रश्न 12.
निम्नलिखित काव्य-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए: जागृति नहीं अंतिम-मेरी नहीं गई भव-निशा अंधेरी अंधकार केंद्रित धरती पर देती रही ज्योति चकफेरी। अंतर्नयनों के आगे से शिला न तम की हर पाती है।
उत्तर :
भाव-सौंदर्य : ‘नींद उचट जाती है’ कविता की इन पंक्तियों में कवि नरेन्द्र शर्मा बताना चाह रहे हैं कि उन्हें जागृति अर्थात् जागने की समस्या नहीं है, वरन् यह नींद न आने की समस्या हैं अभी तक संसार की व्यथा रूपी रात्रि समाप्त नहीं हुई है, अंधेरा धरती पर केंद्रित है। रोशनी चारों ओर चक्कर लगाती रहती है, पर कवि के मन की आँखों के आगे से अंधकार रूपी चट्टान हार पा रही है। अंधेरा बरकरार है।

शिल्प-सौंदर्य :

  • भव-निशा में रूपक अलंकार है।
  • प्रकृति की मानवीकरण किया गया है।
  • भाषा में चित्रात्मकता का समावेश है।
  • तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है, अंतर्नयनों, भवनिशा, अनिद्रा, ज्योति आदि।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित काव्यांशों में निहित काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
देख-देख दुःस्वप्न भयंकर
चौंक-चौंक उठता हूँ डरकर;
पर भीतर के दु:स्वप्नों से
अधिक भयावह है तम बाहर!
आती नहीं उषा, बस केवल
आने की आहट आती है!
उत्तर :
भाव-सौंदर्य : रात को सोते समय कवि की नींद उचट जाती है। वह कोई अपना बुरा सपना देखकर चौंक उठता है और डर लगता है। बाहर अंधकार है पर कवि को भीतरी दु:स्वप्नों से अधिक भयावह बाहर का अंधकार प्रतीत होता है। उसे आशा दिलाने वाली उषा नहीं आती। केवल उसके आने की आहट होती है। मनुष्य को लगता है कि सुख उसके पास आने वाले हैं, पर वास्तव में वे उसे मिल नहीं पाते।

शिल्प-सौंदर्य :

  • ‘देख-देख’, ‘चौंक-चौंक’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार का प्रयोग है।
  • ‘उषा’ का मानवीकरण किया गया है।
  • खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
  • कविता मुक्त छंद में रचित है।

11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers