CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 2 are part of CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Here we have given CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 2.
CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 2
Board | CBSE |
Class | IX |
Subject | Hindi B |
Sample Paper Set | Paper 2 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 9 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 2 of Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B is given below with free PDF download solutions.
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं-क, ख, ग और घ।
2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
3. यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खंड {क} अपठित बोध [15 अंक]
प्रश्न 1:
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (9)
विज्ञापनों का संसार बहुत विस्तृत है। सर्वाधिक विज्ञापन वस्तुओं के होते हैं। साबुन, तेल, कंपड़े, कंप्यूटर, टी.वी. आदि के विज्ञापन व्यापारिक विज्ञापन कहलाते हैं। सामाजिक-धार्मिक विज्ञापनों में सामाजिक कार्यक्रमों, महापुरुषों, यज्ञों, समारोहों, कवि-सम्मेलनों आदि के विज्ञापन आते हैं। शैक्षिक विज्ञापनों में पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं, कोचिंग कक्षाओं, विद्यालयों आदि के विज्ञापन आते हैं। इनके अतिरिक्त सरकारी सूचनाओं, निर्देशों, नियुक्तियों, विवाह आदि के अनेक विज्ञापन होते हैं। ये विज्ञापन पनघट की उस रस्सी के समान होते हैं, जो कठोर-से-कठोर पत्थर पर भी निशान डाल देते हैं। हमारी सारी दिनचर्या विज्ञापनों से प्रभावित होती है। हम दुकान पर नमक माँगते हैं-टाटा का, पेस्ट माँगते हैं-कोलगेट का, साबुन माँगते हैं- लक्स का, शेविंग क्रीम माँगते हैं–पामोलिव की, सिरदर्द की गोली माँगते हैं-एनासिन या सैरिडॉन। ज़रा पूछे-क्यों? क्योंकि हमारे रेडियो, टी.वी., समाचार-पत्र दिन में बार-बार इन्हीं की रट लगाए रहते हैं। ये हमारे दिलो-दिमाग पर इस तरह हावी हो जाते हैं कि हम दुकानदार से चाहे-अनचाहे इन्हीं की माँग कर बैठते हैं।
विज्ञापनों का संसार बड़ा मायावी है। यहाँ कुरूप और भौंडे लोगों के भी अति सुंदर चित्र पेश किए जाते हैं। इनके द्वारा बेकार सामग्री को बहुत प्रभावशाली बनाकर प्रस्तुत किया जाता है। टी. वी. तो चित्रों, शब्दों और संवादों के माध्यम से बहुत बड़ा भ्रमजाल फैला देता है, मानो एक हफ्ते में कोई भी फ़र्राटेदार अंग्रेज़ी बोलना सीख लेगा। एक महीने में गंजे के बाल उग आएँगे। दो महीने में कोई ठिग्गा ताड़ का पेड़ हो जाएगा आदि-आदि। ऐसे भ्रामक विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। सरकार को विज्ञापनों की सत्यता की जाँच अवश्य करनी चाहिए तथा विज्ञापनदाताओं पर कठोर जुर्माना ठोकना चाहिए।
(क) प्रस्तुत गद्यांश में कौन-कौन से विज्ञापनों की चर्चा की गई है? स्पष्ट कीजिए। (2)
(ख) विज्ञापनों को क्या बताया गया है और क्यों? (2)
(ग) विज्ञापन की दुनिया में संचार माध्यमों के योगदान को स्पष्ट कीजिए। (2)
(घ) निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग कीजिए (2)
(i) कुरूप (ii) विज्ञापन
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक लिखिए। (1)
प्रश्न 2:
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (6)
(क) प्रस्तुत काव्यांश का मूल भाव क्या है? (2)
(ख) मदिरालय के आँगन की मिट्टी में कौन मिल जाते हैं? (2)
(ग) प्रस्तुत काव्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक लिखिए। (2)
खंड {ख} व्याकरण [15 अंक]
प्रश्न 3:
निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए (2)
(i) स्पर्श
(ii) सिद्धांत
प्रश्न 4:
(क) निम्नलिखित शब्दों में से अनुनासिक चिहों के प्रयोग वाले शब्दों को सही करके लिखिए (1)
चंदा, चांद, चहुंमुखी, हुंकार
(ख) निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थान पर लगे अनुस्वार वाले शब्द छाँटिए (1)
अत्यंत, प्रपंच, सबंध, व्यंजन
(ग) निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर लगे नुक्ते वाले शब्द लिखिए। (1)
ताज़गी, हिफ़ाज़त, वक्त, अख़बार
प्रश्न 5:
(क) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्ग बताइए (1)
(i) निडर (ii) विक्रय
(ख) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय बताइए (1)
(i) लघुता (ii) शक्तिशाली
(ग) ‘दुस्’ उपसर्ग का प्रयोग करके दो शब्द बनाइए (1)
प्रश्न 6:
(क) निम्नलिखित शब्दों में संधि का प्रकार बताइए (2)
(i) गायक (ii) निश्चिंत
(ख) निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कीजिए। (2)
(i) दुशासन (ii) पुनर्जन्म
प्रश्न 7:
निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए (3)
(क) क्या अज़ान देना शंख बजाना और नमाज़ पढ़ना धर्म है।
(ख) हरिवंशराय बच्चन की अग्नि पथ प्रसिद्ध रचना है।
(ग) हाय वहीं चुपचाप पड़ी थी
खंड {ग} पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक [25 अंक]
प्रश्न 8:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (5)
(क) कीचड़ का तिरस्कार क्यों अनुचित है? ‘कीचड़ का काव्य पाठ के आधार पर बताइए।। (2)
(ख) लोग खरबूज़े वाली स्त्री से घृणा क्यों कर रहे थे? ‘दुःख का अधिकार’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
(ग) महादेव जी के संपर्क में आने वाले व्यक्ति किससे प्रभावित हो जाते थे? (1)
प्रश्न 9:
‘धर्म की आड़’ शीर्षक पाठ के उद्देश्यों को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए। उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
“तुम्हारे सामीप्य की वेला एकाएक यों रबर की तरह खिंच जाएगी, इसका मुझे अनुमान न था”-पंक्ति का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए बताइए कि लेखक ने ऐसा क्यों कहा? उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 10:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (5)
(क) ‘आदमीनामा’ कविता के अनुसार, आदमी-ही-आदमी के साथ किस प्रकार का व्यवहार करता है? स्पष्ट कीजिए। (2)
(ख) रैदास के पद ‘प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा’ का भाव अपने शब्दों में लिखिए। (2)
(ग) “खुशबू रचते हैं हाथ’ शीर्षक कविता में किस विडंबना का चित्रण हुआ है? (1)
प्रश्न 11:
‘एक फूल की चाह’ कविता में चित्रित भगवान के भक्तों के चरित्र को लगभग 100 शब्दों में स्पष्ट कीजिए। (5)
अथवा
प्रेम संबंधों में तनाव और टूटन न आने देने की सलाह किस कारण दी गई है? एक बार गाँठ पड़ जाने पर रिश्ते सामान्य नहीं रहते इस विषय में आप क्या सोचते हैं? लगभग 100 शब्दों में स्पष्ट कीजिए। (5)
प्रश्न 12:
‘स्मृति’ पाठ में लेखक ने भ्रातृ-स्नेह के ताने-बाने को चोट लगने की बात कही है। भ्रातृ-प्रेम का कोई अन्य उदाहरण प्रस्तुत करते हुए लेखक के इस कथन को लगभग 150 शब्दों में स्पष्ट कीजिए। (5)
अथवा
‘दीये जल उठे’ पाठ के आधार पर लगभग 150 शब्दों में बताइए कि गांधीजी ने ब्रिटिश शासन को खुली चुनौती किस प्रकार दी? (5)
खंड {घ} लेखन [25 अंक]
प्रश्न 13:
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 80 से 100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए । (5)
1. हमारा स्वाभिमान : स्वतंत्रता दिवस
संकेत बिंदु
- परिचय
- स्वतंत्रता दिवस का महत्त्व
- हमारा कर्तव्य
2. उन्नति का साधन : शिक्षा
संकेत बिंदु
- शिक्षा की आवश्यकता
- शिक्षा का महत्त्व
- शिक्षा के लाभ
3. युवाओं में बढ़ता तनाव
संकेत बिंदु
- भारत युवाओं का देश
- विभिन्न समस्याओं से घिरा युवा वर्ग
- उपसंहार
प्रश्न 14:
विदेशी मित्र/साथी को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए और उसमें अपने विद्यालय की विशेषताएँ बताइए। (5)
अथवा
अपने मित्र को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखकर ‘इंटरनेट के प्रयोग’ से होने वाले लाभ और हानियों पर प्रकाश डालिए। साथ में उसे यह भी बताइए कि इसका सदुपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? (5)
प्रश्न 15:
दिए गए चित्र को ध्यान से देखकर 20 से 30 शब्दों में चित्र का वर्णन अपनी भाषा में प्रस्तुत कीजिए। (5)
अथवा
प्रश्न 16:
आपका नाम अनिल है। आप अपने मित्र रोहन के साथ परीक्षा की तैयारी पर बातचीत कर रहे हैं। इस विषय पर लगभग 50 शब्दों में एक संवाद लेखन कीजिए। (5)
अथवा
खाद्य पदार्थों में होने वाली मिलावट के संबंध में दो व्यक्तियों के मध्य संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 17:
किसी ऑनलाइन कंपनी की ओर से ऑनलाइन शॉपिंग करने हेतु 25 से 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए। (5)
अथवा
पुस्तक मेला, दिल्ली की ओर से लगभग 25-50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए। (5)
जवाब
उत्तर 1:
(क) प्रस्तुत गद्यांश में अनेक विज्ञापनों की चर्चा की गई है; जैसे ‘वस्तुओं के विज्ञापन’- साबुन, तेल, कपड़े, कंप्यूटर, टी. वी, आदि। ‘सामाजिक-धार्मिक विज्ञापनों में सामाजिक कार्यक्रमों, महापुरुषों, समारोहों, कवि-सम्मेलनों आदि। ‘शैक्षिक विज्ञापनों’ में पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं, कोचिंग-कक्षाओं, विद्यालय आदि। इनके अतिरिक्त सरकारी सूचनाओं, निर्देशों, नियुक्तियों, विवाह आदि के विज्ञापन की
भी चर्चा की है।
(ख) विज्ञापनों को मायावी संसार बताया गया है, क्योंकि इनमें कुरूप लोगों के अति सुंदर चित्र पेश किए जाते हैं तथा बेकार सामग्री को अत्यंत प्रभावशाली बनाकर प्रस्तुत किया जाता है, जो लोगों को भ्रमित करता है; जैसे-एक हफ्ते में फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोलना सीखें, एक महीने में गंजे के बाल उग आएँगे आदि।
(ग) विज्ञापन की दुनिया में संचार माध्यमों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। हमारी दिनचर्या इन्हीं संचार माध्यमों के चारों ओर घूमती रहती है। हम दुकान पर जाते हैं और टाटा का नमक, कोलगेट का पेस्ट, लक्स का साबुन आदि ही माँगते हैं, क्योंकि रेडियो, टी. वी. एवं समाचार-पत्र दिन भर इन्हीं की रट लगाए रहते हैं। ये हमारे दिलों-दिमाग पर इस प्रकार प्रभावी हो जाते हैं कि हम दुकानदार से चाहे-अनचाहे इन्हीं
की माँग कर बैठते हैं।
(घ) शब्द उपसर्ग मूल शब्द
(i) कुरूप कु रूप
(ii) विज्ञापन वि ज्ञापन
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक है-‘जीवन में विज्ञापनों का महत्त्व’।।
उत्तर 2:
(क) प्रस्तुत काव्यांश का मूल भाव यह है कि अतीत के अवसाद भरे क्षणों को याद करके हमें वर्तमान को व्यर्थ नहीं करना। चाहिए। यदि हम अपने अतीत को याद करेंगे, तो हम अपने वर्तमान को ही नष्ट करेंगे।
(ख) मदिरालय के आँगन की मिट्टी में टूटे हुए प्याले गिरकर मिल जाते हैं, लेकिन इस पर मदिरालय कभी पछतावा नहीं करता है। इसलिए मनुष्य को भी अपने जीवन के बीते हुए क्षणों पर पछतावा नहीं करना चाहिए।
(ग) प्रस्तुत काव्यांश में ‘जो बीत गई सो बात गई’ पंक्ति बार-बार प्रयोग की जा रही है। इसका अर्थ हुआ कि यही पंक्ति मूल भाव को व्यक्त करने वाली पंक्ति है, इसलिए इसका सर्वाधिक उचित शीर्षक ‘जो बीत गई सो बात गई’ हो सकता हैं।
उत्तर 3:
(i) स् + प् + अ + र् + श् + अ
(ii) स् + इ + द् + ध् + आ + न् + त् + अ
उत्तर 4:
(क) चाँद, चहुँमुखी
(ख) प्रपंच, व्यंजन
(ग) ताज़गी, हिफाज़त ।
उत्तर 5:
(क) (i) उपसर्ग नि (ii) उपसर्ग वि
(ख) (i) प्रत्यय ता (ii) प्रत्यय शाली
(ग) (i) दुस्साहस (ii) दुष्कर्म
उत्तर 6:
(क) (i) अयादि संधि (ii) विसर्ग संधि
(ख) (i) दुः + शासन (ii) पुनः + जन्म
उत्तर 7:
(क) क्या अज़ान देना, शंख बजाना और नमाज़ पढ़ना धर्म है?
(ख) ‘अग्नि पथ’, हरिवंशराय बच्चन की प्रसिद्ध रचना है।
(ग) हाय! वहीं चुपचाप पड़ी थी।
उत्तर 8:
(क) कीचड़ को तिरस्कार इसलिए अनुचित है, क्योंकि कीचड़ में ही धान की फसल उत्पन्न होती है। सूखे हुए कीचड़ में पशु-पक्षियों के जो पदचिह्न अंकित होते हैं, वे अत्यंत सुंदर लगते हैं। कीचड़ के रंगों को कलाकार अपनी कला में प्रसन्नतापूर्वक महत्त्वपूर्ण स्थान देता है। अतः हमें कीचड़ का नहीं, बल्कि उसके प्रति अपनी संकीर्ण दृष्टि का तिरस्कार करना चाहिए।
(ख) लोग खरबूजे वाली स्त्री से इसलिए घृणा कर रहे थे, क्योंकि उसके जवान लड़के की एक दिन पहले ही मृत्यु हुई थी और वह अपने लड़के की मृत्यु को भूलकर दुकान लगाकर बैठी थी। लोगों के अनुसार, यह कार्य सही नहीं था, क्योंकि उसकी तेरहवीं तक कोई कार्य नहीं होना चाहिए था।
(ग) महादेव जी के संपर्क में आने वाले व्यक्ति उनकी निर्मल प्रतिभा और मनोहारी स्वभाव से प्रभावित हो जाते थे।
उत्तर 9:
गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा लिखित ‘धर्म की आड़’ शीर्षक पाठ धर्म के नाम पर सामान्य लोगों को आपस में लड़वाकर अपना स्वार्थ साधने वाले धर्म के तथाकथित ठेकेदारों की पोल (राज) खोलता है। प्रस्तुत पाठ के निम्नलिखित उद्देश्य उल्लेखनीय हैं।
- धर्म के नाम पर कराए जाने वाले लड़ाई-झगड़े की कलई खोलना।
- धर्म के नाम पर किए जाने वाले व्यापार को रोकने के उपाय बताना।
- साधारण आदमी की बुद्धि को अधिक चैतन्य करना।
- धर्म को आचरण की कसौटी पर कसकर देखना
- मानवीय कल्याण को असली धर्म सिद्ध करना।
- भारत और पाश्चात्य देशों की स्थिति का यथार्थ चित्रण करना।
- धर्म के नाम पर अधर्म को स्थापित करने वाली सत्ता को उसके शीघ्र नष्ट हो जाने की चेतावनी देना।।
अथवा
‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ पाठ में उपरोक्त पंक्ति का प्रयोग लेखक ने अतिथि द्वारा धोबी को कपड़े दिए जाने की इच्छा व्यक्त करने पर किया है। इस पंक्ति का तात्पर्य यह है कि अतिथि के आने के बाद लेखक को लगा था कि वह एक दिन रुककर चला जाएगा। एक दिन में न सही, दो दिन बाद तो वह अवश्य चला जाएगा। ऐसा लेखक को विश्वास था। इसी आशा में लेखक अतिथि का बढ़िया-से-बढ़िया सत्कार करना चाहता है, लेकिन जब अतिथि ने अपने गंदे कपड़ों को धोबी से धुलवाने की इच्छा व्यक्त की, तो लेखक को गहरा आघात पहुँचा। उसे अब लगने लगा कि उसके यहाँ आया अतिथि अभी वापस जाने की ज़ल्दी में नहीं है। उसका विचार यहाँ लंबे समय तक रुकने का है। इसी संदर्भ में लेखक ने उसके सामीप्य को रबर की तरह खिंच जाने के रूप में व्यंजित किया है। यह व्यंग्यात्मक तरीका है और इससे लेखक की अतिथि के प्रति अन्यमनस्कता अर्थात् अरुचि प्रकट होती है।
उत्तर 10:
(क) आदमी-ही-आदमी के साथ अलग-अलग ढंग का व्यवहार करता है। किसी आदमी के लिए आदमी जान भी दे देता है। और किसी आदमी की जान भी ले लेता है। एक आदमी का वह सम्मान कर सकता है, तो दूसरे की पगड़ी भी उछाल सकता है।
(ख) कवि प्रभु की भक्ति में लीन होकर कहता है कि प्रभु! यदि आप बादल हैं, तो मैं भी मोर हूँ; यदि आप चाँद हैं, तो मैं चकोर हैं। आपसे मेरा अटूट संबंध बन गया है। यह संबंध चंदन और पानी जैसा है। चंदन के साथ रहने से जिस प्रकार पानी में सुगंध उत्पन्न हो जाती है, उसी प्रकार मैं भी आपका दास बन गया हूँ।
(ग) ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ शीर्षक कविता इस विडंबना का चित्रण करती है कि दूसरों की सुख-सुविधाओं के लिए मेहनत करने वाले लोग किस प्रकार से स्वयं नरकीय जीवन जीने को विवश हैं।
उत्तर 11:
मंदिर के सभी भक्त अज्ञानी, नासमझ और ढोंगी थे। एक ओर वे माता को पतिततारिणी और पापहारिणी कह रहे थे। दूसरी ओर, वे पतितों और अछूतों को मंदिर में घुसने नहीं दे रहे थे। उन्हें भय . था कि अछूतों के प्रवेश से माँ का मंदिर कलुषित हो जाएगा, जबकि देवी माँ कलुष को दूर करती हैं। वे भक्त देवी को पापहारिणी कहते हुए भी इसके अर्थ को नहीं जानते थे। ‘ वे छुआछूत के समर्थक थे। इसलिए उनका व्यवहार अधार्मिक और अमानवीय कहा जाएगा। वे सभी इस बात से अवगत नहीं थे कि किसी को अछूत समझना या किसी पवित्र स्थल पर जाने से। रोकना नैतिक दृष्टि से भी पाप है। इस कविता में सुखिया के पिता नहीं, बल्कि मंदिर के भक्त अपराधी हैं।
अथवा
रहीम ने अपने दोहे के माध्यम से प्रेम संबंधों में तनाव और टूटन न आने देने की सलाह इसलिए दी है, क्योंकि प्रेम रूपी धागा बहुत कोमल और नाजुक होता है। यह एक बार टूट जाने पर ज़ल्दी नहीं जुड़ पाता और यदि किसी प्रकार से जुड़ भी जाता है, तो उसमें गाँठ पड़ जाती है, जो बार-बार संबंधों में आई कटुता की याद दिलाती रहती है, इसलिए प्रेम संबंधों के महत्त्व को समझते हुए उनका उचित ढंग से निर्वाह करना चाहिए, ताकि संबंधों की मधुरता बनी रहे। हाँ, हम भी यही सोचते हैं कि संबंधों में एक बार दरार पड़ जाने पर रिश्ते सामान्य नहीं रहते हैं, उनमें पहले जैसी आत्मीयता नहीं रह जाती और मन में दरार पड़ जाती है। पहले जैसा विश्वास पुनः नहीं बन पाता है, इसलिए यह बात सत्य है कि प्रेम संबंधों में गाँठ पड़ जाने पर वे पुनः पहले की तरह सहज नहीं रहते।
उत्तर 12:
‘स्मृति’ पाठ के अनुसार, जब कुएँ में सौंप से लेखक का सामना हुआ, तो साँप और लेखक के आपसी द्वंद्व में होने वाली क्रियाओं के फलस्वरूप ऊपर कुएँ के पास खड़े उसके छोटे भाई को ऐसा प्रतीत हुआ कि उसके बड़े भाई को साँप ने काट लिया है। इसी कारण वह चीख पड़ता है। लेखक उसकी चीख को उसके मन में अपने प्रति स्नेह-भाव के कारण उठी चीख मानता है। वास्तव में, स्नेह या प्रेम एक ऐसा सकारात्मक मनोविकार है, जिसमें अपने स्नेह-पात्र के अमंगल की आशंका से स्नेह करने वाले का मन व्यथित हो उठता है। लेखक के छोटे भाई का चीखना इसी का उदाहरण है। ऐसा ही अन्य उदाहरण हम राम और लक्ष्मण के प्रसिद्ध ‘भ्रातृ-स्नेह’ में देख सकते हैं। लक्ष्मण के युद्ध-भूमि में मूर्च्छित हो जाने पर उनके वियोग की आशंका से राम जैसा मर्यादित और धीर-गंभीर वीर पुरुष भी विलाप करने लगा था। वस्तुतः भ्रातृ-प्रेम का ऐसा उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है। लेखक ने भ्रातृ-स्नेह के ताने-बाने को चोट लगने की बात कहते हुए भाई-भाई के पारस्परिक प्रेम को सामान्य लोकानुभव से जोड़कर देखा है।
अथवा
परतंत्र भारत में ब्रिटिश राज अन्याय एवं अत्याचार की चरम सीमा को भी लाँघ गया था। चारों ओर जनसामान्य की स्थिति गंभीर थी। जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी। सभी समाज में व्याप्त अन्याय एवं अत्याचार से परेशान थे। ऐसे परिवेश में ही गांधीजी ने कनकापुरा की जनसभा को संबोधित करते हुए कहा-”इस राज में राजा से रंक तक सभी दुःखी है। यह राक्षसी राज संहार करने योग्य है।” ऐसा कहकर गांधीजी ने ब्रिटिश शासन को खुली चुनौती दी। अन्याय के विरुद्ध खुली चुनौती से आशय उस अन्याय को । पोषित करने वाली व्यवस्था का अंत करने संबंधी प्रयास से है। गांधीजी सहित अनेक तत्कालीन नेताओं ने अंग्रेजी राज के समाप्त होने की इच्छा व्यक्त की। यही अन्याय के विरुद्ध खुली चुनौती है। किसी स्थापित शासन व्यवस्था को चुनौती देने का कार्य वही मनुष्य कर सकता है, जिसे अपनी शक्ति तथा जनता के समर्थन पर अत्यधिक विश्वास हो। यह आत्मविश्वास गांधीजी में था। जनता के हितों के लिए जीने-मरने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को इस कार्य में जनता के पूर्ण समर्थन का भरोसा था। यही गांधीजी की शक्ति थी। उन्हें अपनी शक्ति पर, भारतवासियों पर, देशभक्तों पर अत्यधिक विश्वास था। इसी के बल पर उन्होंने अत्यंत शक्तिशाली एवं शोषक ब्रिटिश शासन व्यवस्था को खुली चुनौती दी और उसे समाप्त करने का अपना दृढ़ संकल्प दोहराया।
उत्तर 13.1:
हमारा स्वाभिमान : स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है। स्वतंत्रता मनुष्य को ही नहीं, बल्कि जीव-जंतुओं तथा पक्षियों को भी प्रिय है। कहा भी गया है-‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहिं।’ अंग्रेज़ों की गुलामी को भारतवासी कैसे सहन कर सकते थे? वे इस गुलामी की जंजीरों को काटने का अनवरत प्रयास करते रहे और अंततः 15 अगस्त, 1947 को शताब्दियों से खोई स्वतंत्रता हमें पुनः प्राप्त हो गई। इसे हम ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाते हैं। देश का प्रत्येक नागरिक आनंद और उमंग से भरकर इस पावन दिन को एक पर्व के रूप में मनाता है। इस दिन घर-घर, गाँव-गाँव तथा सभी नगरों में लोगों का उल्लास देखते ही बनता है। ‘स्वतंत्रता दिवस’ हमें बताता है कि अनेक बलिदानों से प्राप्त इस स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमें सर्वदा सजग रहना चाहिए। स्वार्थवश हम कोई भी ऐसा कार्य न करें, जिससे भारत कलंकित हो अथवा इसकी स्वतंत्रता को कोई हानि पहुँचे। हमें अपने देश की स्वतंत्रता व समृद्धि के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
उत्तर 13.2:
उन्नति का साधन : शिक्षा
शिक्षा मानव जीवन की उन्नति का साधन है। यह हमारे व्यक्तित्व को एक नवीन आयाम प्रदान करती है, जिसके माध्यम से हम अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं। शिक्षा के अभाव में मनुष्य ने तो अपनी उन्नति कर सकता है और न ही राष्ट्र तथा समाज के उत्थान में सहयोग दे सकता है। संसार में जितने भी उन्नत राष्ट्र हैं, वे शिक्षा के बल पर ही इतने विकसित हुए हैं। शिक्षा हमारी अनिवार्यता है। ज्ञान का उदय जीवन और समाज में व्याप्त अंधकार को नष्ट करता है। इसके द्वारा मनुष्य अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों को समझता है। शिक्षा ही जीवन को गतिशील बनाती है। शिक्षा के साथ चरित्र का भी गहरा संबंध है। शिक्षित व्यक्ति समाज और राष्ट्र पर उपकार कर सकता है। अशिक्षा के कारण समाज में रूढ़िवादिता, अंधविश्वास एवं आडंबर का बोलबाला होता है। शिक्षा के अभाव में परिवार का वातावरण अस्वस्थ बना रहता है। अतः प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दे। शिक्षित व्यक्ति ही आदर्श नागरिक बनकर समुचित राष्ट्र-सेवा कर सकता है।
उत्तर 13.3:
युवाओं में बढ़ता तनाव
युवावर्ग किसी देश की आंतरिक तथा विकासात्मक ऊर्जा को गति प्रदान करने वाला स्रोत है। देश की उन्नति तथा खुशहाली युवाओं के उत्साह तथा कार्यक्षमता पर आधारित है। भारत युवाओं का देश है। एक आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए देश को युवाओं पर भरोसा कर उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देना आज की अनिवार्यता है। यदि हमारा युवावर्ग सबल और सक्षम हुआ, तो इस देश को प्रगति की दौड़ में सबसे आगे रखा जा । सकता है, लेकिन आजकल युवावर्ग विभिन्न समस्याओं में घिर गया है। समस्याओं ने तनाव का रूप ले लिया है। युवावर्ग का मानसिक तनाव तथा अवसादों से घिरने का सबसे बड़ा कारण भविष्य की चिंता है। अपने भविष्य को प्रभावी बनाने की चिंता उन्हें अनेक बुराईयों की ओर धकेल देती है। परीक्षा में सफलता तथा अच्छी नौकरी पाने की लालसा के कारण एक दबाव उत्पन्न होता है। असफलता के कारण यह दबाव अधिक घनीभूत होता है और अवसाद का रूप ग्रहण करने लगता है। वैश्वीकरण तथा उदारीकरण के दौर में जहाँ एक ओर प्रोफेशनल युवाओं की माँग बढ़ी है, वहीं अच्छा वेतन पाने तथा उच्च जीवन स्तर प्राप्त करने की लालसा भी बढ़ी है। इस भाग-दौड़ भरी जीवनशैली ने युवावर्ग को अनेक तनाव दिए हैं। स्कूली शिक्षा को आसान तथा रोजगारोन्मुख बनाकर युवाओं की क्षमता को उचित मार्ग दिखाया जाना चाहिए। इससे युवावर्ग की क्षमताओं का उचित लाभ समाज तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मिल सकता है।
उत्तर 14:
14 परीक्षा भवन,
मेरठ।
दिनांक 14 जून, 20XX
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्कार!
आशा है, तुम कुशल होंगे। मैंने डी. ए. वी. स्कूल, दिल्ली में प्रवेश ले लिया है। यह विद्यालय अपने आप में विशिष्ट है। इसका भवन बहुत सुंदर एवं भव्य है। हरे-भरे प्रांगण से घिरा इसका साफ-सुथरा मज़बूत भवन मन को मोह लेता है। हमारे विद्यालय में लगभग 2,000 बच्चे पढ़ते हैं। हमारी प्राचार्या अत्यंत विदुषी, कुशल तथा स्नेही महिला हैं। वे अत्यंत अनुशासित व्यक्तित्व की महिला हैं। हमारे विद्यालय में अनुशासन का पालन बहुत कठोरता से किया जाता है। सभी बच्चे अध्यापकों का सम्मान करते हैं। इस विद्यालय में खेल, मनोरंजन तथा बौद्धिक विकास की सारी व्यवस्थाएँ हैं। इनडोर गेम के लिए बहुत सुसज्जित हॉल है। यहाँ का पुस्तकालय और कला-कक्ष दर्शनीय हैं। मैं यहाँ बहुत प्रसन्न हूँ और सब बातें बाद में लियूँगा।
अंकल आंटी को मेरा नमस्कार कहना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
क.ख.ग.
अथवा
G – ब्लॉक, लक्ष्मीनगर,
दिल्ली। दिनांक 12.07.20XX
प्रिय मित्र राज,
नमस्कार
आज बाज़ार में तुम्हारे पिताजी से मुलाकात हुई। वार्ता के दौरान तुम्हारे लिए कंप्यूटर खरीदने की जानकारी मिली, परंतु साथ ही उचित जानकारी न होने के कारण इंटरनेट के सही उपयोग तथा लाभ-हानि संबंधी तुम्हारी समस्या का भी पता लगा।
प्रिय राज! मैं तुम्हारा मित्र हैं। अतः आशा करता हूँ कि तुम स्वयं निःसंकोच मुझसे पूछ लिया करो, फिर भी कुछ जानकारी दे रहा हूँ। तुम्हें बस एक कनेक्शन लेना होगा, फिर एक अपना ई-मेल ‘पता’ बनाना होगा। तब तुम सब जानकारी स्वयं ही प्राप्त कर सकोगे। इंटरनेट और कंप्यूटर से लाभ यह हैं कि समय और धन की। बचत होती है। सावधानीपूर्वक उपयोग करने पर तुम्हारी सूचना भी सुरक्षित रहती है।
इंटरनेट के माध्यम से तुम स्वयं आत्मनिर्भर होकर एक स्थान से कार्य कर सकते हो। बैंक कार्य, पानी-बिजली के बिल भी घर से ही भर सकते हो, परंतु हानि बस यही है कि कभी-कभी अत्यंत जल्दबाज़ी में हमारी सूचना व धन इत्यादि किसी और के पास पहुँच सकते हैं। अतः इसका प्रयोग करते समय अत्यंत सावधानी की आवश्यकता है।
शेष सभी कुशलमंगल है।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा मित्र
उमाशंकर
उत्तर 15:
(i) चित्र में एक बीमार बालक चारपाई पर चादर ओढ़कर लेटा हुआ दर्शाया गया है, डॉक्टर उसकी नब्ज़ पकड़कर जाँच कर रहा है।
(ii) बालक के माता-पिता चिंतित दिखाई दे रहे हैं।
(iii) बालक की माता चारपाई पर बैठी हैं और पिता चारपाई के निकट खड़े हैं।
(iv) मेज़ पर कुछ फल, पानी का जग व दवाई रखी हुई है।
(v) संपूर्ण वातावरण बच्चे की बीमारी के कारण उदासी के भाव को दर्शा रहा है।
अथवा
(i) प्रस्तुत चित्र में महानगर में आई बाढ़ का चित्रण किया गया है।
(ii) कुछ लोग नाव में बैठकर किसी सुरक्षित स्थान पर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
(iii) एक कार पानी में डूबी हुई खड़ी है।
(iv) पीछे की ओर बड़ी-बड़ी बहुमंजिला इमारतें हैं तथा सभी इमारतें पानी में डूबी हुई दिखाई दे रही हैं।
(v) बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, जो भारी विनाश कर जन जीवन को प्रभावित करती है।
उत्तर 16:
अनिल मित्र रोहन! बहुत दिनों के बाद दिख रहे हो। क्या हाल है?
रोहन मैं ठीक हूँ। मैं आजकल पढ़ाई पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा हूँ, क्योंकि परीक्षाएँ नज़दीक हैं।
अनिल हाँ, मित्र! तुम सही कह रहे हो। तुम कितने घंटे तक पढाई कर रहे हो?
रोहन मैं घंटों पर ध्यान नहीं देता। प्रत्येक दिन के लिए मैं अपना लक्ष्य अर्थात् पाठक्रम निश्चित कर लेता हूँ और उसे उसी दिन अवश्य पूरा करता हूँ।
अनिल ये तो बहुत अच्छी रणनीति है।
रोहन हाँ मैं इस बात का भी ध्यान रखता हूँ कि सभी विषयों को संतुलित एवं पर्याप्त समय मिले।
अनिल आज से मैं इसी रणनीति पर चलूंगा और विभिन्न विषयों में अपने कमज़ोर क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देंगा। अच्छा, अब चलते हैं। तुमसे मिलकर बहुत अच्छी जानकारी मिली। धन्यवाद!
रोहन अच्छा मित्र, नमस्कार।
अथवा
पहला व्यक्ति आजकल तो सभी चीजों में मिलावट होने लगी है, कुछ भी शुद्ध नहीं रह गया है।
दूसरा व्यक्ति सही कह रहे हो भाई साहब! मिलावट तो सभी जगह होने लगी है।
पहला व्यक्ति बाकी सब तो ठीक है, परंतु खाद्य पदार्थों में होने वाली मिलावट से तो हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
दूसरा व्यक्ति हाँ, बिलकुल! यह तो बहुत ही गलत है। थोड़ा मुनाफा कमाने के लिए उपभोक्ता आजकल बहुत मिलावट करने लगे हैं।
पहला व्यक्ति अपने मुनाफे के लिए ये लोग किसी भी हद तक जाने से नहीं कतराते हैं।
दूसरा व्यक्ति यही तो सबसे बड़ी समस्या है।
पहला व्यक्ति प्रत्येक समस्या का समाधान होता है। अतः इस समस्या का समाधान भी जरूर होगा।
उत्तर 17:
अथवा
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