CBSE Class 11 Hindi Elective Rachana रचना शब्दकोश
शब्द कोश क्या है ?
- शब्दकोश शब्दों का खजाना है।
- शब्दकोश में एक भाषा-भाषी समुदाय में प्रयुक्त होने वाले शब्दों को संचित किया जाता है।
- शब्द कोश में शब्दों की व्युत्पुत्ति, स्रोत, लिंग, शब्द-रूप एवं विभिन्न संदर्भपरक अर्थों के बारे में जानकारी दी जाती है। शब्दकोश कई प्रकार के होते हैं।
इनमें प्रमुख हैं-
- एक भाषा कोश (हिंदी-हिंदी, अंग्रेजी-अंग्रेजी)
- द्विभाषा कोश (हिंदी-अंग्रेजी, अंग्रेजी-हिंदी)
- बहुभाषा कोश (दो से अधिक भाषाओं से संबंधित कोश)
- विश्व कोश (विभिन्न विषयों/शीर्षकों से संबंधित ज्ञानात्मक सूचनाएँ)
चाहे कोश किसी भी प्रकार का हो, सभी में शब्दों को अकारादि क्रम में ही प्रस्तुत किया जाता है, जिससे शब्दों को ढूँढने में सुविधा होती है। अंग्रेजी में यह क्रम a, b, c, d, e, f आदि है।
– हिंदी कोश में हिंदी वर्णमाला का अनुसरण किया जाता है, परंतु ‘अं से प्रारंभ होने वाले शब्द सबसे पहले दिए जाते हैं।
– यद्यपि हिंदी वर्णमाला में कुछ संयुक्त व्यंजन सबसे अंत में आते हैं, पर शब्दकोश में उन्हें उसी क्रम में रखा जाता है जिन व्यंजनों से वे मिलकर बने हैं, जैसे- क + ष = क्ष, ज् + उ = ज्ञ, त् + र = त्र और श् + र = श्र।
– स्वर रहिंत व्यंजन से आरंभ होने वाले शब्द उस व्यंजन में इस्तेमाल होने वाले सभी स्वरों के बाद में रखे जाते हैं, जैसे-क्या शब्द ‘ कौस्तुम’ के बाद ही आएगा।
समझें-
‘क्र’ की स्थिति देखें और समझें-
- क्रंदन
- क्रंदित
- क्रम
- क्रमशः
- क्राफ्ट
- क्रिया वर्ण-योजना (क्रमवार)
स्वर – अंअँ अ: अ, आ/आँ ऑ, इं इ ई ई, ऊ/ड उ, ऊँ/ऊं ऊ, ऋ, एँ/एं ए, ऐं ऐ, ओ, ओ, औं औ।
व्यंजन – क, क्ष, ख, ग, घ, च, छ, ज/ज़, ज्ञ, झ, ट, ठ, ड/ड़, ढ/ढ़, ण, त, त्र, थ, द, ध, न, प, फ/फ़, ब, भ, मे, य, र, ल, व, श, श्र, ष, स, ह
उदाहरण :
1. कं/कँ क: क काँ/कां कि कि की की कुँ/कुं कु कूँ/कूं कू कृं कें के कैं कें कों को कौं कौ।
2. कंकड़ीला, कंकण, कंकाल, कंगन, कंगूरा, कंचुकी, कंट, कंठ्य, कक्का, कक्षा, कलाकार, काँच, कांत, कालानुक्रम, कॉलेज, किताब, कीट, कुंचन, कुंडल, कुत्ता, कूँज, कूंदना, कृंतक, कृपा, केंद्र, केला, कैंची, कैद, कोंपल, कोटि, कोड़ा, कौंध, कौतुक, कौशल, कौषेय, कौस्तुभ, क्यारी, क्यों, क्यों, क्रंदन, क्रम, क्रांति, क्रिया, क्रीड़ा, क्रुद्ध, क्रूर, क्रेता, क्रोध, क्रौंच, क्लांति, क्लिष्ट, क्वण, क्वाँरा, क्षण, क्षत्रिय; क्षमा, क्षय, क्षरण, क्षितिज, क्षीण, क्षुप्र, क्षेत्र, क्षैतिज, क्षोभ, क्षैर।
सामान्य नियम :
- कोश के वर्णक्रम में पूर्ण अक्षर से पहले अनुस्वार फिर अनुनासिक व चिह्न अं, अँ युक्त वर्ण आएगा; जैसे-हंस, हँस, हस, हास, हास।
- आधे अक्षर पूर्ण अक्षरों के बाद आएँगे; जैसे-कर, कर्कट, कौन, क्या।
- संयुक्ताक्षरों का वर्णक्रम उनके घटकों के क्रम से निर्धारित होता है; जैसे-
क्ष = क् + ष & त्र = त् + र & ज्ञ = ज् + & श्र = श् + र
क्रम = क् + र + म & कर्म = क + र् + म & द्ध
(द्ध) = द् + ध & द्व द्व = द् + व
द्य द्य = द् + य
दूसरा वर्ण
पहला वर्ण ‘च’ तो हमने देख लिया। अब दूसरा वर्ण ‘द’ होने पर पहलं चंदन, फिर चंदेल।
‘द्र’ का नंबर- चंद्र, चंद्रा, चंद्रायण
द्रि – चंद्रिका
शब्द्रकोश में –
विदग्ध – वि. (सं.) नागर, निपुण, पंडित, जला हुआ, पचा हुआ, धूर्त (संदर्भ के अनुसार अर्थ)
संकेताक्षर
वि. = विशेषण
पु. = पुल्लिंग
सं. = संस्कृत शब्द
संकेत सूची
अं. – अव्यय
(अ.) – अरबी
(आ.) – आधुनिक
(इ.) – इत्यादि
(उ.) – उदाहरण
उप. – उपसर्ग
(ग.) – गणित
(गी.) – गीता
(ग्रा.) – ग्राम्य
(चि.) – चित्रकारी
(ज..) – जैन साहित्य
(तं) – तंत्रशास्त्र
(ति.) – तिब्बती
(पा.) – पाली
(पु.) – पुल्लिंग
(प्रा.) – प्राचीन
(फ्रे.) – फ्रेंच
(बं.) – बंगाली
(बहु.) – बहुवचन
(बि.) – बिच्हारी
भू.क्रि-भूतकालिक क्रिया
इुन्हें भी जानें
– विश्व ज्ञान लोक-जैसे हमारा शब्द लोक हे, वैसे ही इस लोक को विश्वज्ञान लोक कहते हैं। शब्द लोक में शब्द रहते हैं और विश्वज्ञान लोक में जानकारियाँ रहती हैं।
मानव-ज्ञान से संबंधित जो भी सूचना या जानकारी चाहिए, वह विश्व ज्ञान लोक से मिल जाती है। इस लोक की निर्देशिका ‘विश्व ज्ञान कोश’ के नाम से जानी जाती है।
– चरित्र-लोक-इसमें विचारकों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों आदि के संक्षिप्त परिचय और उपलब्धियों के बारे में जानकारी मिल जाती है। इन सभी जानकारियों को क्रमवार रूप से व्यवस्थित किया जाता है।
इस निर्देशिका को ‘व्यक्तिकोश’ या चरित्रकोश कहते हैं।
साहित्य लोक-यहाँ साहित्य से संबंधित विषयों की जानकारियाँ रहती हैं। इस लोक की निर्देशिका को ‘साहित्य कोश’ कहा जाता है।
शब्दकोश देखना
समय-समय पर सभी व्यक्तियों को शब्दकोश देखने की आवश्यकता पड़ती हैं। अगर तुम शब्दकोश से नियमित रूप से देखते रहो तो तुम्हारा शब्द््ञान बढ़ेगा। साथ ही साथ, यह ज्ञान खेल में भी तुम्हारे काम आ सकता है। आओ, अब शब्दकोश देखना सीखें।
1. किसी भी कोश में वर्णमाला के अनुसार शब्द दिए जाते हैं। तुम्हें याद होगा कि हिंदी वर्णमाला में कौन-सा अक्षर पहले आता है और कौन-सा बाद में।
शब्दकोश में हिंदी का वर्णक्रम इस प्रकार होता है-
2. तुम क से शुरू होने वाले शब्द देखो तो पाओगे कि उनका क्रम इस प्रकार है-
तुम पाओगे कि सबसे पहले क से शुरू होने वाले शब्द और सबसे अंत में क से शुरू होने वाले शब्द आएँगे। दूसरे व्यंजनों से शुरू होने वाले शब्द भी इसी क्रम में आते हैं। संयुक्ताक्षरों का वर्णक्रम उनके घटकों के क्रम से निर्धारित होता है।
3. क्ष, त्र, ज्ञ, द्य, श्र, ह्य और ह्ल से शुरू होने वाले शब्द कोश के अंत में यानी ह के बाद नहीं आते। वे तुम्हें इन जगहों पर मिलेंगे-
क्ष (क् + ष)-क्व वाले शब्दों के ठीक बाद
त्र (त् + र)-त्य वाले शब्दों के बाद (त्र और तृ में से तृ पहले आता है, जबकि त्र बाद में यानी तृप्ति पहले और त्रिशूल बाद में आएगा।)
ज्ञ(ज् + अ)-जौ वाले शब्दों के ठीक बाद
द्य (द् + य)-द्य(द्म) वाले शब्दों के ठीक बाद
श्र (श् + र)-श्य वाले शब्दों के ठीक बाद
ह्य (ह + य)-ह्म (ह्म) वाले शब्दों के ठीक बाद
ह्न (ह् + र)-ह्य (ह्य) वाले शब्दों के ठीक बाद
4. जिन शब्दों में ण, ड़ या ढ़ होता है, उनका क्रम इस प्रकार होता हैड़ ढ़ ण (यानी बाड़ …….. बाढ़ …….. बाण)
आओ, अब हम शब्दकोश में धौस शब्द ढूँढें। वर्णमाला में द के बाद ध आता है। ध का पन्ना खोलो। तब तक पन्ने पलटते जाओ, जब तक धौ पर न पहुँच जाओ। अनुस्वार यानी बिंदु और चंद्रबिंदु वाले अक्षर पहले आते हैं। इसलिए धौं तुम्हें धौ के ठीक पहले मिलेगा। धौंस शब्द का अगला अक्षर स है। स वर्णमाला के क्रम में ष के बाद आता है। इसलिए धौंस तुम्हें धौं से शुरू होने वाले शब्दों के अंत में मिलेगा।
5. हिंदी के कोश में मुहावरा देखना हो तो मुहावरे के पहले शब्द को कोश में ढूँढों। मान लो कि तुम्हें ‘छप्पर फाड़कर देना’ का अर्थ पता करना है। कोश को छ अक्षर पर खोलो। छप्पर पर पहुँचो। इसमें पहले छप्पर का अर्थ लिखा होगा। फिर छप्पर को जोड़कर बनने वाले दूसरे शब्द होंगे। उसके बाद मुहावरों की बारी होगी। इसी में वर्णक्रम के अनुसार छप्पर फाड़कर देना का अर्थ मिलेगा। इसी प्रकार, ‘घाट-घाट का पानी पीना’ घाट में और ‘थाली का बैंगन’ थाली में मिलेगा।
शब्दकोश
भंडार-(पु.) 1. तरह-तरह की खाने-पीने की चीजे रखने का बड़ा कमरा। प्र. आटा भंडार में रख दो। 2. ख़जाना। प्र. विवेकानंद ज्ञान के भंडार थे।
भँवर-(पु.) नदी में तेज़ी से गोल-गोल घूमता हुआ पानी का चक्र जिसमें फँसकर व्यक्ति, नाव आदि अक्सर डूब जाते हैं। भक्त-(पु.) जो व्यक्ति भक्ति करे, मन में श्रद्धा और आस्था की भावना रखने वाला।
भक्ति-(स्त्री.) ईश्वर या आदर्श व्यक्ति के लिए पूजा, श्रद्धा और अटूट विश्वास का भाव।
भक्षक-( वि.) खानेवाला, भक्षण करने वाला। (विलोम-रक्षक)
भगदड़-(स्त्री.) डर और हड़बड़ी में बहुत-से लोगों का भागना। प्र. जंगले को तोड़कर शेर के बाहर निकलते ही भगदड़ मच गई।
भगवा-(वि.) गेरू जैसा रंग, गेरुए रंग में रैंगा हुआ। प्र. वह साधु भगवे वस्त्र पहने हुए था।
भगिनी-(स्त्री.) बहिन।
भग्न-(वि.) टूटा हुआ, नष्ट। प्र. यह भग्न मूर्ति औरंगजेब द्वारा नष्ट किए मंदिर की है।
भटकना-(क्रि.) 1. रास्ता भूल जाना। प्र. शहर में नया होने के कारण मोहन वहाँ की गलियों में भटक गया। 2. इधर-उधर फिरना, व्यर्थ घूमना। प्र. नौकरी की खोज में वह छः महीने तक भटकता रहा।
भट्ठी-(स्त्री.) बड़ा चूल्हा।
भड़कना-(क्रि.) 1. जोर से जल उठना। प्र. घी डालने से आग भड़क उठती है। 2. उत्तेजित हो जाना, क्रोधित होना। प्र. रिश्वत की बात सुनते ही ईमानदार अफसर भड़क उठा।
भड़कीला-(वि.) चमक-दमकवाला। प्र. जादूगर ने भड़कीले कपड़े पहने हुए थे।
भद्र-(वि.) भला, शरीफ़ शिष्ट। प्र. आज एक भद्र व्यक्ति ने मेरी बहुत मदद की।
भनक-(स्त्री.) हल्की-सी आवाज, आशंका, आभास। प्र. कमरे में किसी के आने की भनक मिलते ही चोर भाग गए।
भभकी-(स्त्री.) झूठी धमकी। प्र. मैं उसकी भभकियों की परवाह नहीं करती।
भयंकर-(वि.) जिसे देखने से डर लगे, डरावना, भीषण।
भयभीत-(वि.) डरा हुआ। प्र. डाकुओं के हमले से सभी गाँववाले भयभीत हो गए।
भरण-पोषण-(पु.) पाल-पोसकर बड़ा करना, लालन-पालन।
भरतनाद्यम-(पु.) तमिलनाडु का एक प्रसिद्ध नृत्य।
भरपूर-(वि.) 1. खूब हुआ, पूरी तरह से भरा हुआ, पूरा-पूरा। (क्रि.वि.) 2. अच्छी तरह से, पूर्ण रूप से।
भरमार-(स्त्री.) बहुत अधिक, बहुतायत। प्र. उस किताब में गलतियों की भरमार है।
भरसक-(अ.) जहाँ तक हो सके, यथासंभव। प्र. पढ़ने-लिखने में मैं आपकी भरसक सहायता करूँगा।
भर्त्सना-(स्त्री.) निंदा, भला-बुरा कहना, अपमानजनक बातें करना, सही-गलत, खोट निकालना।
भवदीय-( वि.) आपका (इस शब्द का प्रयोग केवल पत्र के अंत में पत्र लिखनेवाला, अपना नाम लिखने से पहले करता है)। भवानी-(स्त्री.) दुर्गा, पार्वती।
भविष्य-(पु.) आगे आने वाला समय, वर्तमान काल के बाद आने वाला काल। प्र. भविष्य में मैं तुम्हें पैसा उधार नहीं दूँगा। भविष्यवाणी-(स्ती.) भविष्य में होने वाली बात को पहले से ही बताना; जैसे-मेरे वकील बनने की भविष्यवाणी उस ज्योतिषी ने पहले ही कर दी थी।
भव्य-(वि.) देखने में बड़ा और सुंदर, शानदार; जैसे-भव्य इमारत, भव्य व्यक्तित्व।
भस्म-(पु.) राख।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को शब्द कोशीय क्रमानुसार लिखिए :
- साहित्य
- सफल
- सेजल
- काजल
- सुगम
- जहाज
- विवेक
- तेजस
- कंचन
- गीत
उत्तर :
कोशीय क्रम :
- कंचन
- काजल
- गीत
- जहाज
- तेजस
- सफल
- साहित्य
- सुगम
- सेजल
- विवेक
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों को शब्द कोशीय क्रमानुसार लिखिए :
- विद्यालय
- शिरोमणि
- उद्यान
- क्षमा
- मधुर
- अंतर्मन
- जलज
- पवित्र
- कोमल
- आभूषण।
उत्तर :
कोशीय क्रम :
- अंतर्मन
- आभूषण
- उद्यान
- क्षमा
- कोमल
- जलज
- पवित्र
- मधुर
- विद्यालय
- शिरोमणि।