CBSE Class 11 Hindi Elective Rachana रचना जनसंचार माध्यम
इस पाठ में आप इनके बारे में पढ़ेंगे और जानेंगे
- संचार-परिभाषा और महत्त्व
- संचार के तत्त्व-स्रोत, इंकोडिंग, संदेश, माध्यम, फीडबैंक, शोर
- संचार के प्रकार-मौखिक और अमौखिक संचार, अंत: वैयक्तिक संचार, अंतर वैयक्तिक संचार, समूढ संचार, जनसंचार।
- जनसंचार की विशेषताएँ
- जनसंचार के कार्य-शिक्षा, सूचना, मनोरंजन, एजेंडा, निगरानी और विचार-विमर्श का मंच
- भारत में जनसंचार माध्यमों का विकास-समाचारपत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, इंटरनेट।
- जनसंचार माध्यमों का प्रभाव
संचार –
प्रश्न 1.
‘संचार’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘संचार’ शब्द की उत्पत्ति ‘चर’ धातु से हुई है। इसका अर्थ है-चलना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना। संचार का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। इसके अभाव में हमारा जीना संभव नहीं है। सभ्यता के विकास में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। संचार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचनाओं, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान है। जनसंचार कई मामलों में संचार के अन्य रूपों से अलग है। जनसंचार सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के अलावा एजेंडा तय करने का भी काम करता है। जनसंचार माध्यमों के लोगों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ते हैं। नकारात्मक प्रभावों के प्रति हमें सचेत रहना चाहिए।
प्रश्न 2.
संचार की परिभाषा व महत्त्व बताइए।
उत्तर :
हम बात किए बिना नहीं रह सकते। अकेलेपन और सोने के समय के अलावा हम अपनी भावनाओं और विचारों को प्रकट करने के लिए तथा अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक-दूसरे से बातचीत करते हैं। कई बार तो हम स्वयं से ही बात करने लगते हैं। समाज में रहकर बिना बातचीत या संचार के रहना कठिन है। संचार से तात्पर्य है-संदेशों का आदान-प्रदान। हम अपने दैनिक जीवन में संचार किए बिना नहीं रह सकते। संचार ही जीवन की निशानी है। एक छोटा बच्चा भी संचार के बिना नहीं रह सकता। वह रोकर या चिल्लाकर अपनी माँ का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। संचार खत्म होने का अर्थ है-मृत्यु। मनुष्य में अन्य जीवों की तुलना में संचार करने की बेहतर क्षमता एवं कौशल है।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसको इस रूप में विकसित करने में संचार-क्षमता की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। संचार ही परिवार के लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है। सभ्यता के विकास के कहानी संचार और उसके साधनों के विकास की कहानी है। आज हम जिस संचार-क्रांति की बात करते हैं, आखिर वह क्या है? संचार और जनसंचार के विभिन्न माध्यम हैं-टेलीफोन, इंटरनेट, फैक्स, समाचारपत्र, रेडियो, टेलीविजन और सिनेमा आदि। इनके माध्यम से मनुष्य संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं तथा समय और दूरी को कम करते हैं। हम भौगोलिक दूरियों को कम करके एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं।
प्रश्न 3.
संचार के तत्व बताइए।
उत्तर :
संचार प्रक्रिया में कई तत्त्व शामिल हैं। प्रमुख तत्त्व ये हैं-
1. स्रोत या संचारक (Source) – संचार प्रक्रिया इसी तत्त्व से शुरू होती है। जब स्रोत या संचारक किसी एक उद्देश्य के साथ अपने विचार या संदेश या भावना किसी और तक पहुँचाना चाहता है तब संचार प्रक्रिया शुरू होती है।
2. कूटीकृत या एनकोडिंग (Encoding) – यह संचार प्रक्रिया का दूसरा चरण है। सफल संचार के लिए यह आवश्यक है कि आपका मित्र भी भाषा यानी कोड से परिचित हो जिसमें आप संदेश भेज रहे हैं।
3. संदेश (Message) – संचार प्रक्रिया में संदेश का बहुत महत्त्व है। संचारक को अपने संदेश में पूरी तरह स्पष्ट होना चतिहए।
4. माध्यम चैनल (Channel) – संदेश को किसी-न-किसी माध्यम से प्राप्तकर्ता तक पहुँचाना होता है। टेलीफोन, समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट और फिल्म आदि माध्यमों से संदेश प्राप्तकर्ता तक पहुँचाया जाता है। वैसे हमारे बोले हुए शब्द ध्वनि-तरंगों के माध्यम से भी प्राप्तकर्ता तक पहुँचते हैं।
5. डीकोडिंग (Decoding) – प्राप्तकर्ता प्राप्त संदेश का कूटवाचन यानी उसका डीकोडिंग करता है। डीकोडिंग का अर्थ है-प्राप्त संदेश में निहित अर्थ को समझने की कोशिश। यह एनकोडिंग की उल्टी प्रक्रिया है। इसमें संचारक और प्राप्तकर्ता दोनों का उस कोड से परिचित होना आवश्यक है।
6. फीडबैक (Feedback) – संचार-प्रक्रिया में फीडबैक की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्राप्तकर्ता को जब संदेश मिलता है तो वह उसके मुताबिक अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। आपका मित्र कह सकता है कि वह आपके द्वारा माँगी गई पुस्तक देगा अथवा नहीं। फीडबैक से ही पता चलता है कि संचार-प्रक्रिया में कहीं कोई बाधा तो नहीं आ रही है। इसके अतिरिक्त फीडबैक से ही यह भी पता चलता है कि संचारक ने जिस अर्थ के साथ संदेश भेजा था, वह उसी अर्थ में प्राप्तकर्ता को मिला है।
7. शोर (Noise) – संचार-प्रक्रिया में कई प्रकार की बाधाएँ भी आती हैं। इन बाधाओं को शोर कहते हैं। शोर से संचार की प्रक्रिया में बाधा पहुँचती है। यह शोर मानसिक, तकनीकी और भौतिक भी हो सकता है। इस शोर के कारण संदेश अपने मूल रूप में प्राप्तकर्ता तक नहीं पहुँच पाता। इस शोर को हटाना जरूरी है।
प्रश्न 4.
संचार के प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
संचार एक जटिल प्रक्रिया है। इसके कई रूप या प्रकार हैं। वैसे ये रूप एक-दूसरे से काफी घुले-मिले हैं। फिर भी इसके विभिन्न रूपों को इस प्रकार देखा-समझा जा सकता है:
1. सांकेतिक संचार-जब हम अपने किसी परिचित को इशारे से बुलाते हैं तब हम इस रूप का प्रयोग करते हैं।
2. मौखिक संचार-अपने से बड़ों को सम्मान से प्रणाम करते समय हम हाथ जोड़कर प्रणाम का इशारा भी करते हैं। यह मौखिक संचार है। मौखिक संचार में अमौखिक क्रियाओं की भी मदद लेते हैं। इसमें आँखों, चेहरे, हाथ की गति आदि का सहारा लेते हैं। खुशी, गम, प्रेम, डर आदि की भावना अमौखिक संचार के जरिए व्यक्त होती है।
3. अंत: वैयक्तिक (इंट्रापर्सनल Intrapersonal) संचार-जब हम कुछ योजना बना रहे होते हैं या किसी को याद कर रहे होते हैं तब हम अकेले होते हैं। इस संचार प्रक्रिया में संचारक और प्राप्तकर्ता एक ही व्यक्ति होता है। यह संचार का सबसे बुनियादी रूप है। पूजा-इबादत या प्रार्थना भी अंतः वैयक्तिक संचार का रूप है।
4. अंतर-वैयक्तिक (Inter-personal) संचार-जब दो व्यक्ति आपस में और आमने-सामने संचार करते हैं तो इसे अंतरवैयक्तिक (इंटरपर्सनल) संचार कहते हैं। इस संचार में फीडबैक तुरंत मिल जाता है। यह रूप परिवार और समाज के रिश्तों की बुनियाद है। इस कौशल की जरूरत हमें कदम-कदम पर पड़ती है। साक्षात्कार (Interview) में इसी कौशल की परख होती है।
5. समूह-संचार-जब एक समूह आपस में विचार-विमर्श या चर्चा करता है तब समूह-संचार होता है। समूह-संचार का उपयोग समाज और देश के सामने उपस्थित समस्याओं को बातचीत या बहस के द्वारा हल करने के लिए किया जाता है। विधानसभा या संसद की चर्चा समूह-संचार का ही उदाहरण है। किसी समिति या पंचायत के लोग समूह-संचार के द्वारा किसी निर्णय तक पहुँचते हैं।
6. जन संच्चर (Mass Communication)-यह संचार का सबसे महत्त्वपूर्ण और अंतिम प्रकार है। जब हम व्यक्तियों के समूह के साथ प्रत्यक्ष संवाद की बजाय किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के जरिए एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करते हैं तो उसे जनसंचार कहते हैं। टेली कांफ्रेंसिंग इसी का रूप है।
इसके लिए हमें किसी उपकरण या माध्यम की सहायता लेनी पड़ती है; जैसे-रेडियो, अखबार, टेलीविजन या इंटरनेट।
प्रश्न 5.
जनसंचार के कौन-कौन से कार्य हैं?
उत्तर :
संचार विशेषज्ञों के अनुसार संचार के कई कार्य हैं। इनमें से कुछ कार्यों को हम इस प्रकार रेखांकित कर सकते हैं:
- प्राप्ति-संचार का प्रयोग हम किसी से कुछ प्राप्त करने के लिए करते हैं। जैसे अपने मित्र से पुस्तक माँगने के लिए।
- नियंत्रण-संचार के द्वारा हम किसी व्यवहार को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। हम दूसरों को एक खास तरीके से व्यवहार करने को कहते हैं। जैसे कक्षा में शिक्षक विद्यार्थियों को नियंत्रित करते हैं।
- सूचना-हम कुछ जानने या बताने के लिए भी संचार का प्रयोग करते हैं।
- अभिव्यक्ति-संचार का उपयोग हम अपने विचारों या भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए या स्वयं को एक खास तरह से प्रस्तुत करने के लिए भी करते हैं।
- सामाजिक संपर्क-संचार का उपयोग हम एक समूह में आपसी संपर्कों को बढ़ाने के लिए भी करते हैं।
- समस्या समाधान-संचार का प्रयोग हम अपनी समस्याओं या किसी चिंता को दूर करने के लिए करते हैं।
जनसंचार –
प्रश्न 6.
जनसंचार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
संचार का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रकार है-जनसंचार (Mass Communication)। इसमें हम व्यक्तियों के समूह के साथ प्रत्यक्ष संवाद की बजाय किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के जरिए समाज के एक विशाल वर्ग के साथ संवाद कायम करने की कोशिश करते हैं, तब इसे जनसंचार कहा जाता है।
प्रश्न 7.
जनसंचार की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
जनसंचार में फीडबैक तुरंत प्राप्त होता है। दर्शकों, श्रोताओं, पाठकों का दायरा बड़ा होता है। इसके गठन में विविधता होती है। टेलीविजन चैनल के दर्शकों में अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण, शिक्षित-अशिक्षित, पुरुष-स्त्री, युवा-बच्चे सभी प्रकार के हो सकते हैं। इसके दर्शक किसी भी शहर या गाँव के हो सकते हैं।
जनसंचार की एक प्रमुख विशेषता होती है-
- जनसंचार माध्यमों के जरिए प्रकाशित या प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है। अर्थात् जनसंचार के संदेश सबके लिए होते हैं।
- संचार के अन्य रूपों की तुलना में जनसंचार के लिए एक औपचारिक संगठन की जरूरत पड़ती है। औपचारिक संगठन के बिना जनसंचार माध्यमों को चलाना कठिन है।
- जनसंचार माध्यमों की एक और महत्त्वपूर्ण विशेषता यह होती है कि उनमें ढेर सारे द्वारपाल (Gatekeepers) काम करते हैं।
द्वारपाल वह व्यक्ति होता है जो जनसंचार माध्यमों से प्रकाशित या प्रसारित होने वाली सामग्री को नियंत्रित और निर्धारित करता है। समाचारपत्र में संपादक, सहायक समाचार संपादक, उपसंपादक आदि ही यह तय करते हैं कि समाचारपत्र में क्या छपेगा, कितना छपेगा और किस तरह छपेगा। टी.वी. और रेडियो में भी द्वारपाल होते हैं। इसके द्वारपाल ही प्रसारित होने वाली सामग्री का निर्धारण करते हैं।
प्रश्न 8.
जनसंचार के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर :
जनसंचार के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
- सूचना देना-जनसंचार माध्यमों का प्रमुख कार्य सूचना देना है।
- शिक्षित करना-जनसंचार माध्यमों की सूचनाएँ जनता को शिक्षित कर जागरूक बनाती हैं।
- मनोरंजन करना-जनसंचार माध्यम मनोरंजन के भी प्रमुख साधन हैं।
- एजेंडा तय करना-जनसंचार माध्यम सूचनाओं और विचारों के जरिए किसी देश और समाज का एजेंडा भी तय करते हैं।
- निगरानी करना-किसी लोकतांत्रिक देश में जनसंचार माध्यमों का एक प्रमुख कार्य सरकार और संस्थाओं के कामकाज पर निगरानी रखना भी है।
- विचार-विमर्श के मंच-जनसंचार माध्यम लोकतंत्र में विभिन्न विचारों को अभिव्यक्त करने का मंच उपलब्ध कराते हैं।
प्रश्न 9.
वर्तमान में जनसंचार के कौन-कौन से रूप प्रचलित हैं?
उत्तर :
जनसंचार माध्यमों के वर्तमान प्रचलित रूपों में प्रमुख हैं-
- समाचारपत्र-पत्रिकाएँ
- रेडियो
- टेलीविजन
- सिनेमा
- इंटरनेट (इलेक्ट्रॉंनिक मीडिया)
प्रिंट माध्यम –
प्रश्न 10.
समाचारपत्र-पत्रिकाएँ (प्रिंट मीडिया) कैसे जनसंचार का काम करती हैं?
उत्तर :
जनसंचार की सबसे मजबूत कड़ी पत्र-पत्रिकाएँ या प्रिंट मीडिया ही है। अन्य दृश्य-श्रव्य माध्यमों के होने के बावजूद प्रिंट मीडिया का महत्त्व हमेशा बना रहेगा। अब भले ही प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन या इंटरनेट आदि किसी भी माध्यम से खबरों के संचार को पत्रकारिता कहा जाता हो, लेकिन प्रारंभ में केवल प्रिंट माध्यमों के जरिए खबरों के आदान-प्रदान को पत्रकारिता कहा जाता था। इसके तीन पहलू हैं:
- समाचारों को संकलित करना।
- उन्हें संपादित कर छपने लायक बनाना।
- पत्र या पत्रिका के रूप में छापकर पाठक तक पहुँचाना।
यद्यपि ये तीनों काम आपस में जुड़े हैं पर वास्तव में पहले दो काम ही पत्रकारिता के अंतर्गत आते हैं। तीसरा काम प्रकाशन और वितरण का काम है जो तकनीकी और प्रबंधकीय विभागों के अंतर्गत आता है।
खबरें लाने का काम संवाददाता करते हैं। इन खबरों, लेखों, फीचरों को व्यवस्थित तरीके से संपादित करने का काम संपादकीय विभाग में काम करने वाले संपादकों का होता है। दुनिया की कोई भी घटना समाचार बन सकती है, बशर्तें पाठकों की दिलचस्पी और सार्वजनिक हित उससे जुड़ा हो। विश्व में पत्रकारिता को अस्तित्व में आए 400 वर्ष हो गए हैं, लेकिन भारत में इसकी शुरुआत सन् 1780 में जेम्स ऑगस्ट के ‘बंगाल गजट’ से हुई जो कोलकाता से निकला था। हिंदी का पहला साप्ताहिक पत्र था-‘ उदंत मार्तंड’। यह पत्र 1826 ई. में कोलकाता से ही पंडित जुगल किशोर शुक्ल के संपादन में निकला था। इसी क्रम में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का नाम भी विशेष सम्मान से लिया जाता है क्योंकि उन्होंने भी कई पत्रिकाएँ निकाली थीं।
आजादी के बाद के प्रमुख समाचारपत्र हैं-
नवभारत टाइम्स
- हिन्दुस्तान
- जनसत्ता
- अमर उजाला
दैनिक जागरण
- नई दुनिया
- दैनिक भास्कर
- राष्ट्रीय सहारा प्रकाशन बंद हो चुका है।)
प्रश्न 11.
रेडियो कैसा माध्यम है?
उत्तर :
आजादी के बाद भारत में रेडियो एक जाकतवर माध्यम के रूप में विकसित हुआ। एक धर्मनिरपेक्ष, लोकहितकारी राष्ट्र वे जनसंचार माध्यम के रूप में आकाशवाणी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आज आकाशवाणी 24 भाषाओं, 146 बोलियों में कार्यक्रम प्रस्तुत करती है। 1993 में एफ.एम. (फ्रिक्वेंसी मॉडयूलेशन) क शुरुआत के पद रेडियो क्षेत्र में कई निजी कंपनियाँ भी आ गई हैं। रेडियो एक ध्वनि माध्यम है। दूर-दराज के गाँवों में जहाँ संचार और मनोरंजन के अन्य साधन नहीं होते, वहाँ रेडियो है एकमात्र साधन है, बाहरी दुनिया से जुड़ने का।
प्रश्न 12.
टेलीविजन के बारे में बताइए।
उत्तर :
आज टेलीविजन जनसंचार और मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय और सशक्त माध्यम बन गया है। यह दृश्य-श्रव्य माध्यम है और इसकी विश्वसनीयता सर्वाधिक है। 1927 में ‘बेल टेलीफोन लेबोरेट्रीज’ ने न्यूयार्क और वाशिंगटन के बीच प्रायोगिक टेलीविजन कार्यक्रम का प्रसारण किया। 1936 में ने अपनी टेलीविजन सेवा शुरू की।
भारत में टेलीविजन की शुरुआत यूनेस्को की एक शैक्षिक परियोजना के तहत 15 सितंबर, 1959 को हुई थी। इसके अंतर्गत दिल्ली के आसपास के गाँवों में दो टी.वी. सेट लगाए गए जिन्हें 200 लोगों ने देखा। 15 अगस्त, 1965 से भारत में विधिवत् टी. वी. सेवा का आरंभ हुआ। 1975 तक दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर, अमृतसर, कोलकाता, चेन्नई, लखनऊ में टी.वी. सेंटर खुल गए। 1 अप्रैल, 1976 से इसे आकाशवाणी से अलग कर ‘दूरदर्शन’ नाम दिया गया। 1984 में इसकी ‘रजत जयेंती’ मनाई गई। 1980 में प्रो. पी.सी. जोशी की अध्यक्षता में दूरदर्शन के कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए समिति गठित की गई। जोशी समिति ने अपनी रिपोर्ट में लिखा-
“हमारे जैसे समाज में जहाँ पुराने मूल्य टूट रहे हों और नए न बन रहे हों, वहाँ दूरदर्शन बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। वह जनतंत्र को मजबूत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।”
समिति के अनुसार भारत में दूरदर्शन के उद्देश्य निम्नलिखित होने चाहिए-
- सामाजिक परिवर्तन
- राष्ट्रीय एकता
- वैज्ञानिक चेतना का विकास
- परिवार-कल्याण को प्रोत्साहन
- कृषि का विकास
- पर्यावरण संरक्षण
- सामाजिक विकास
- खेल-संस्कृति का विकास
- सांस्कृतिक धरोहर को प्रोत्साहन
दूरदर्शन ने सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। पहले इस पर सरकारी नियंत्रण था अत: यह अपनी निष्पक्ष छवि नहीं बना पाया था। अब इसकी छवि में पर्याप्त सुधार हुआ है। 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान दुनिया भर के लोगों ने युद्ध का सीधा प्रसारण देखा। इसके बाद भारत में टी.वी. की दुनिया में निजी चैनलों की शुरुआत हुई। पहले विदेशी चैनलों को प्रसारण की अनुमति मिली। जल्दी ही स्टार जैसे टी.वी. चैनलों ने अपने भारत केंद्रित समाचार चैनल प्रारंभ कर दिए।
भारत में टेलीविजन का असली विस्तार तब हुआ जब यहाँ देशी चैनलों की बाढ़ आने लगी। अक्टूबर, 1993 में जी.टी.वी. और स्टार टी.वी. के बीच समझौता हुआ। इसके बाद समाचार के क्षेत्र में जी न्यूज और स्टार न्यूज चैनल आ गए। सन् 2002 में ‘आज तक’ का स्वतंत्र चैनल आया। इसके बाद समाचार चैनलों की बाढ़ आ गई। आज पूरे भारत में 200 से अधिक चैनल प्रंसारित हो रहे हैं। रोज नए-नए चैनल आ रहे हैं।
प्रश्न 13.
सिनेमा जनसंचार का कैसा माध्यम है?
उत्तर :
यह जनसंचार का सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली माध्यम है। वैसे यह अन्य जनसंचार माध्यमों की भाँति सीधे तौर पर सूचना देने का काम नहीं करता, लेकिन परोक्ष रूप में सूचना, ज्ञान और संदेश देने का काम करता है। सिनेमा को मनोरंजन का सशक्त माध्यम माना जाता है।
सिनेमा के आविष्कार का श्रेय थॉमस अल्वा एडिसन को जाता है और यह 1883 में मिनेटिस्कोप की खोज के साथ जुड़ा है। 1894 में फ्रांस में पहली फिल्म बनी The Arrival of Train।
भारत में पहली मूक फिल्म बनाने का श्रेय दादा साहेब फाल्के को जाता है, उन्होंने 1913 में ‘राजा हरिश्चन्द्र’ फिल्म बनाई। 1931 में पहली बोलती हुए फिल्म बनी-‘ आलमआरा’। इसके बाद बोलती फिल्मों का दौर शुरू हो गया। इसमें जहाँ एक ओर सामाजिक यथार्थ को पकड़ने की कोशिश की जा रही थी, वह्हीं लोकप्रिय सिनेमा में व्यावसायिकता का रास्ता भी अपनाया जाने लगा।
एक ओर पृथ्वीराज कपूर, महबूब खान, सोहराब मोदी, गुरुदत्त, के.एल. सहगल जैसे फिल्मकार थे तो दूसरी ओर सत्यजीत राय जैसे संवेदनशील और यथार्थवादी फिल्मकार थे। उन्होंने पचास के दशक में ‘ पाथेर पंचाली ‘फिल्म बनाकर इसकी शुरुआत कर दी थी। उनके बाद श्याम बेनेगल, मृणाल सेन, ऋत्विक घटक, गोविन्द निहलानी जैसे फिल्मकार आए। सिनेमा को जीवन की समस्याओं से जोड़ने का दौर शुरू हुआ।
प्रश्न 14.
इंटरनेट जनसंचार का कैसा माध्यम है?
उत्तर :
इंटरनेट जनसंचार का सबसे नया लेकिन तेजी से लोकप्रिय हो रहा माध्यम है। यह एक ऐसा माध्यम है जिसमें प्रिंट मीडिया, रेडियो, टेलीविजन, किताब, सिनेमा, यहाँ तक कि पुस्तकालय के सारे गुण मौजूद हैं। इसकी पहुँच दुनिया के कोने-कोने तक है। इसकी रफ्तार का कोई जवाब नहीं है। इसमें सारे माध्यमों का समागम है। इंटरनेट पर आप दुनिया के किसी कोने में छपने वाले अखबार या पत्रिका में छपी सामग्री पढ़ सकते हैं। इंटरनेट के विश्वव्यापी जाल के भीतर जमा करोड़ों पन्नों में से पलभर में अपने मतलब की सामग्री खोज सकते हैं।
यह एक अंतरक्रियात्मक माध्यम है यानी आप इसमें मूक दर्शक नहीं हैं। आप सवाल-जवाब, बहस-मुबाहिसों में भाग ले सकते हैं, चैट कर सकते हैं और मन हो तो अपना ब्लाग बनाकर किसी बहस के सूत्रधार बन सकते हैं।
खामियाँ-
- इंटरनेट में जहाँ इतने गुण हैं, वहाँ कुछ खामियाँ भी हैं-
- इसमें लाखों अश्लील पन्ने भर दिए गए हैं, जिसका बच्चों के कोमल मन पर बुरा असर पड़ता है।
- इंटरनेट का दुरुपयोग किया जा सकता है। हाल ही में इंटरनेट के दुरुपयोग की अनेक घटनाएँ सामने आई हैं।
प्रश्न 15.
जनसंचार माध्यमों का हम पर क्या प्रभाव है?
उत्तर :
हम जनसंचार माध्यमों के बिना जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते। इनका हमारी जीवन-शैली पर जबर्दस्त प्रभाव है। अखबार पढ़े बिना हमारी सुबह नहीं होती, रोजमर्रा की खबरों के लिए हम रेडियो या टी.वी. पर निर्भर रहते हैं। हमारी महानगरीय युवा पीढ़ी समाचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए इंटरनेट का प्रयोग करने लगी है। अब इंटरनेट का प्रयोग इन कामों के लिए भी होने लगा है-
- शादी-ब्याह के लिए
- टिकट बुक करवाने के लिए
- टेलीविजन या बिजली का बिल जमा करवाने के लिए
- सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए।
हम टी.वी. सीरियलों को देखकर अपना मनोरंजन कंरते हैं। हमें स्वास्थ्य ले लेकर धर्म-आध्यात्म की जानकारी भी जनसंचार माध्यमों से ही मिल रही है। जनसंचार माध्यमों ने हमारे जीवन को ज्यादा सरल, हमारी क्षमताओं को अधिक समर्थ और सामाजिक जीवन को सक्रिय बनाया है। इन्होंने हमारी जीवनशैली को गतिशील एवं पारदर्शी बनाया है। देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाने में जनसंचार माध्यमों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय स्तर पर हमारी राजनीति और हमारी अर्थनीति तक जनसंचार माध्यमों से प्रभावित होती है। ये निम्नलिखित कार्य करते हैं:
- सरकार के काम-काज की निगरानी करते हैं।
- सरकार के गलत फैसलों के विरुद्ध आवाज उठाते हैं।
- भ्रष्टाचार को बेनकाब करते हैं।
- मानवाधिकार हनन के मामले प्रकाश में लाते हैं।
- सांप्रदायिकता से निपटते हैं।
हाल में जनसंचार माध्यमों ने अनेक स्टिंग आपरेशन चलाए। इनमें प्रमुख हैं-तहलका, आपरेशन दुर्योधन या चक्रव्यूह। इस प्रकार स्टिंग आपरेशनों के कारण ही कई संसद सदस्यों को सदस्यता से हाथ धोना पड़ा। तिहाड़ जेल और आयकर विभाग के भ्रष्टाचार को भी उजागर किया गया। जनसंचार माध्यम सरकार के खोखले दावों की कलई खोलकर जनता को वास्तविकता से अवगत कराते हैं।
जनसंचार माध्यमों के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं। इनका प्रयोग अत्यंत सावधानी से किया जाना चाहिए।