Avyayibhav Samas - अव्ययीभाव समास - परिभाषा, उदाहरण, सूत्र, अर्थ - हिन्दी

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अव्ययीभाव समास की परिभाषा – Avyayibhav Samas

इस समास का पहला पद प्रधान होता है और समस्तपद वाक्य में क्रियाविशेषण (Adverb) का काम करता है। इसी कारण से अव्ययीभाव का समस्तपद सदा लिंग, वचन और विभक्तिहीन रहता है, इसके दोनों पदों का स्वतंत्र रूप से पृथक् प्रयोग नहीं होता; क्योंकि यह प्रायः नित्य समास’ होता है।
चूँकि उपसर्ग भी अव्यय होते हैं इसलिए उपसर्गों से निर्मित समस्तपद अव्यय का ही काम करते हैं

अव्ययीभाव समास अनेक अर्थों में विहित है-.

  1. से लेकर/तक : आजन्म = जन्म से लेकर – आकंठ = कंठ तक
  2. क्रम : अनुज्येष्ठ = ज्येष्ठ के क्रम से
  3. के अनुकूल/ के अनुसार : यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार – यथासमय = समय के अनुकूल
  4. वीप्सा – प्रतिदिन = दिन-दिन
  5. के योग्य – अनुरूप = रूप के योग्य
  6. अभाव – निर्जन = जनों का अभाव – निर्मक्षिक = मक्षिक (मक्खी) का अभाव
  7. पुनरुक्ति : रातों-रात, हाथों-हाथ, धीरे-धीरे आदि।

अव्ययीभाव समास की पहचान के लक्षण : अव्ययीभाव समास को पहचानने के लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनायी जा सकती हैं

(i) यदि समस्तपद के आरंभ में भर, निर्, प्रति, यथा, बे, आ, ब, उप, यावत्, अधि, अनु आदि उपसर्ग/अव्यय हों।
जैसे-
यथाशक्ति, प्रत्येक, उपकूल, निर्विवाद अनुरूप, आजीवन आदि।

(ii) यदि समस्तपद वाक्य में क्रियाविशेषण का काम करे। जैसे-
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