अनुप्रास अलंकार- Anupras Alankar In Sanskrit
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा – Anupras Alankar Ki Paribhasha
अनुप्रास अलंकार– जब काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है अर्थात् कोई वर्ण एक से अधिक बार आता है तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं; जैसे तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए। यहाँ ‘त’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुई है। अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।
अनुप्रास अलंकार अन्य उदाहरण-
- रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम। – (‘र’ वर्ण की आवृत्ति)
- चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल-थल में। – (‘च’ वर्ण की आवृत्ति)
- मुदित महीपति मंदिर आए। – (‘म’ वर्ण की आवृत्ति)
- मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो। – (‘म’ वर्ण की आवृत्ति)
- सठ सुधरहिं सत संगति पाई। – (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)
- कालिंदी कूल कदंब की डारन। – (‘क’ वर्ण की आवृत्ति)